आहोई अष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 ต.ค. 2024
  • इस साल यह व्रत आज 24 अक्टूबर को रखा जा रहा है। इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत करती हैं। शाम को तारों की छांव में कथा सुनकर तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं।Katha-प्राचीन काल में एक साहूकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ चली गई। दीपावली से पहले कार्तिक बदी अष्टमी को सातों बहुएं अपनी इकलौती नंद के साथ जंगल में मिट्टी लेने गई। जहां से वे मिट्टी खोद रही थी। वही पर स्याऊ-सेहे की मांद थी। मिट्टी खोदते समय ननद के हाथ से सेही का बच्चा मर गया। इससे क्रोध में आकर स्याऊ माता ने ननद से कहा कि अब मैं तेरी कोख बांधूगी। तब ननंद अपनी सातों भाभियों से प्रार्थना की, कि तुम में से कोई मेरे बदले अपनी कोख बंधवा ले। सभी भाभियों ने अपनी कोख बंधवाने से मान कर दिया, लेकिन छोटी भाभी सोचने लगी, अगर मैं कोख न बंधाऊगी तो सासू जी नाराज होंगीष ऐसा विचार कर ननंद के बदले छोटी भाभी ने अपने को बंधा ली। उसके बाद जब उसे जो बच्चा होता वह सात दिन बाद मर जाताष एक दिन साहूकार की स्त्री ने पंडित जी को बुलाकर पूछा की, क्या बात है मेरी इस बहु की संतान सातवें दिन क्यों मर जाती है। तब पंडित जी ने बहू से कहा कि तुम काली सुरही गाय की पूजा किया करो। उन्होंने बताया कि दरअसल काली गाय स्याऊ माता की भायली है, वह तेरी कोख छोड़े तो तेरा बच्चा जिएगा। छोटी बहू ने पूरी लगन से गाय की सेवा की। एक दिन गौ माता बोली कि मेरे जागने से पहले कोई रोज मेरी सफाई कर जाता है, सो आज देखूंगी। गौमाता खूब तड़के जागी तो क्या देखती हैं कि साहूकार की के बेटे की बहू उसके नीचे सफाई आदि कर रही है। इससे गौ माता प्रसन्न हुईं और बोला कि मैं तुझसे प्रसन्न हूं, तुझे जो चाहिए वो मांग ले। तब साहूकार की बहू बोली की स्याऊ माता तुम्हारी भायली है और उन्होंने मेरी कोख बांध रखी है, उनसे मेरी कोख को खुलवा दो।

ความคิดเห็น • 1

  • @GoverdhanGirdhari
    @GoverdhanGirdhari 9 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    Radhey Radhey ❤❤❤❤