एक बार राक्षसों और देवताओं का युद्ध हो गया जिससे राक्षसों का विजय हो गया काल परंजयो ऋषि पर प्रवेश कर गया जिससे युद्ध में लाखों राक्षसों नाश कर दिया संत रामपाल जी महाराज के पास नाम दिक्षा लो और अपने जीवन में मोक्ष प्राप्त करो
गरीब, तिन लोक का राज है, ब्रह्म विष्णु महेश। उँचा धाम कबीर का,सतलोक प्रदेश।। गरीब,अनंत कोटि ब्रह्मांड का,एक रति नहीं भार। सतगुरु पुरुष कबीर है,कुल के सिरजन हार।। सतसाहेब 🙏🙏🙏🙏 जयहो बनदीछोड कि 🙏🙏🙏🙏
पृथ्वी लोक एक कैद खाना है। जहाँ पर 21 ब्रह्मांड का स्वामी ज्योति निरंजन काल/ब्रह्म आत्माओं को दुःखी करने के लिए 84 लाख योनियों में उत्पन्न करता है। जबकि सतलोक परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) का लोक है जो अजर अमर अविनाशी लोक है। जहाँ 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं है।
गीता वेद शास्त्रों में प्रमाण है कि तीन गुण अर्थात् रजोगुण ब्रह्मा जी, सतोगुण विष्णु जी, तमोगुण शिवजी तथा देवी-देवताओं और माता की पूजा करने वाले केवल अपने किए कर्म का प्रतिफल पाएंगे लेकिन मोक्ष प्राप्ति नहीं कर सकते। पूर्ण मोक्ष अर्थात् जन्म-मरण से छुटकारा पूर्ण संत की शरण में जाकर सत्य भक्ति करने से मिलता है।
सर्वश्रेष्ठ ज्ञान संत रामपाल जी महाराज जी का ही है और इस पृथ्वी पर कोई ऐसे धर्मगुरु नहीं हुए जो श्रीमद्भागवत गीता जी का वह सत्य ज्ञान बता सकते लेकिन आज संत रामपाल जी महाराज जी ने श्रीमद्भागवत गीता जी का वह सत्य ज्ञान हमारे सामने रखा है जो आज से पहले हमने किसी भी धर्म गुरुओं से नहीं सुना था
मेडिटेशन की सही विधि क्या है? मेडिटेशन (ध्यान / प्रभु के नाम) की सही विधि कबीर साहेब ने बताई है:- नाम उठत नाम बैठत, नाम सोवत जागवे। नाम खाते नाम पीते, नाम सेती लागवे।। अर्थात परमात्मा का ध्यान/नाम सुमिरन करते रहना चाहिये
6 दिन में सृष्टि की रचना कर 7वें दिन तख्त पर विराजमान होने वाला अल्लाह निराकार कैसे हुआ ? पवित्र क़ुरान शरीफ सूरह फुर्कान 25 आयत 59 में लिखा है कि अल्लाह ने 6 दिन में सृष्टि की रचना की और सातवें दिन तख्त पर विराजमान हो गए।
कबीर, राम कृष्ण से को बड़ा, तिन्हूं भी गुरु कीन्ह। तीन लोक के वे धनी, गुरु आगै आधीन।। कबीर जी ने कहा है कि आप जी श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से तो किसी को बड़ा नहीं मानते। ये तीन लोक के मालिक (धनी) होकर भी अपने गुरु जी के आगे नतमस्तक होते थे। इसलिए सर्व मानव को गुरु बनाना अनिवार्य है।
🕸️ गीता अध्याय 15 के श्लोक 17 में कहा है कि उत्तम पुरुष अर्थात पुरुषोत्तम तो अन्य ही है जिसे परमात्मा कहा जाता है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। वह अविनाशी परमेश्वर कबीर साहेब हैं। कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करके ही हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।
Bhai Tumko Chutiya Banaya Jaa Raha hai Please Aaise Baba-Phaba ke Chakkar me Matt Padi, Mai Khud 2 Saal Se Is Madarchod Ki Bhakti Kari Fir Pata Chala Ki Ye To Fake Baba hai Isiliye Maine Isko Pujna Chhod Diya Bhai tu Bhi Chhod de Mera Time to Waste ho gaya Iski Bhakti Krne me atleast tu Khud ka Time to Khara Matt kr 🙏🙏
अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाला प्रभु काल कह रहा है कि ‘हे अर्जुन यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था ये काल ने कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूसरा ही है वही तीनों लोकों में प्रवेश करके सर्व का धारण पोषण करता है वही वास्तव में परमात्मा कहा जाता है।
महाराज गीता ज्ञान कृष्ण ने नहीं दिया. कृष्ण के अंदर काल ने दिया . यह काल कृष्ण के अंदर ना आकर. अर्जुन के अंदर भी तो आ सकता था. ब्रह्म संहिता मैं पहला श्लोक जिसमें स्वयम ब्रह्मा जी ने कहा. श्री कृष्ण सभी के पालन हार हैं.
गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में "व्रज" शब्द का अर्थ आना किया है। जबकि संस्कृत हिन्दी शब्द कोश में साफ लिखा है व्रज का मतलब जाना। यानि अर्जुन तू केवल उस परमात्मा कि शरण में जा। वो परमात्मा कौन है। इस सवाल को छिपाने के लिए धर्म गुरुओ ने व्रज शब्द का मतलब ही गलत कर दिया। ये हमारे साथ धोखा है।
गीता अः 11 श्लोक नं 32 गीता भागवतदाता ब्रह्म (ब्रह्मा ,बीष्णु ,महेश के पिता) कहते है कि हे अर्जुन मै लोगों को नाश करने वाला बड़ा हुआ महाकाल हूँ मैं सबको खाने के लिए प्रवर्त हुआ हूंँ , तेरा युद्ध न करने से भी सबका विनाश हो जाएगा । अर्थात कृष्ण मे प्रेतवश महाकाल प्रवेश है ।
इसी का प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 तक है। ब्रह्म (काल ) कह रहा है कि प्रकृति दुर्गा तो मेरी पत्नी है, मैं ब्रह्म (काल ) इसका पति हूं। हम दोनों के संयोग से सर्व प्राणियों सहित तीनों गुणों ( रजगुण ब्रह्माजी ,सद्गुण विष्णु जी ,तमकुर शिव जी ) की उत्पत्ति हुई है। मैं (ब्रह्म) सब प्राणियों का पिता हूं। तथा प्रकृति ( दुर्गा ) इनकी माता है।
हिन्दू धमर्गुरू व प्रचारक आचार्य, शंकराचार्य तथा गीता मनीषी गीता ज्ञान देने वाले (जिसे ये श्री विष्णु का अवतार श्री कृष्ण कहते हैं) को अविनाशी बताते हैं। कहते हैं इनका जन्म-मृत्यु नहीं होता। इनके कोई माता-पिता नहीं। आप देखें स्वयं गीता अध्याय 2 श्लोक 12, गीता अध्याय 4 श्लोक 5, गीता अध्याय 10 श्लोक 2 में गीता ज्ञान देने वाला (इनके अनुसार श्री विष्णु उर्फ श्री कृष्ण) कहता है कि ‘‘हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं, तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। (गीता अध्याय 4 श्लोक 5) - जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी
Suno Baba arjun ke kehne pe bhagwan ne unhe viswaroop dikhaya tha theek, or unhe dar nhi tha Krishna ji Ka, wo kabhi bhi acche loge ke sath galat nhi karte, kabhi bhi or Kiya bhi hoga to uske piche jaroor koi baat rhi hogi
आध्यात्म को समझना होगा।कहते हैं गीता ज्ञान कृष्ण ने नहीं काल ने दिया।अब देखो।रामपाल जी महाराज ज्ञान दे रहे हैं।इनका शरीर एक दिन मर जाना है शरीर के मरने का कारण क्या होगा उनके अंदर विराजमान जीव आत्मा निकल जाना।अब शरीर को किसने मारा या शरीर क्यों मरा। सत्य है उनके अंदर विरामान जीव आत्मा की वजह शरीर के मरने का कारण बना।तो स्वयं रामपाल नाम का जीव आत्मा ही शरीर का मारने वाला काल बना।अब जो बोला रहा है रामपाल वही शरीर का काल जान पड़ रहा है।इस लिए गीता को ठीक से समझना हर किसी के बस में नहीं है।
अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ। पवित्र गीता जी के ज्ञान को यदि श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रकट हुआ हूँ।
Bhrama, Vishnu ,Mahesh me koi bhi Antar nhi h, Jo bhi h wo bhakti Kiya h, baat rhi shivpuran to usme Kai chije us samay ke rajao Dwara Jodi gyi thi, please is sab ko jyada samajne ki koshish mat Karo bhakti bahot aasan h, usme sirf pyaar or asthma ki jarurat na ki tulna ki
🌾भक्ति से भगवान तक पहुँचने का शास्त्रानुकूल मार्ग सिर्फ तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं। श्रीमदभगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तथा 16,17 में कहा है कि यह संसार ऐसा है जैसे पीपल का वृक्ष है। जो संत इस संसार रूपी पीपल के वृक्ष की जड़ों से लेकर तीनों गुणों रूपी शाखाओं तक सर्वांग भिन्न-भिन्न बता देता है। वह संत वेद के तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्वदर्शी संत है। जो की वर्तमान में सिर्फ संत रामपालजी महाराज हैं।
Aap pahle Geetaji ko achchi tarah padh lo v samjh lo. Uske baad ghyan bantana.Aap kahte ho ki geetaji kaal ne shree krishna ke shareer mein ghuskar boli h aur kaal kisi ke samne nhi aata. To aap geetaji ke A-9/11 ko dhyan se padho. Usme kaal ne kaha h ki MOOD LOG MANUSHAY KA SHAREER DHARAN KRNE WALE MUJH SAMPURN BHOOTON KE MHAN ISHWAR KO TUCHAY SAMJHTE H. Kaal swam kah rahe h ki vo shareer dharan karte h.
PARAMPITA satgurudeb rampal ji maharaj ki Jay ho Malik(Sat sahib ji)
Anamol Satya Gyan He 🙏 Satgurudev Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏🌹
अनमोल पुस्तक ज्ञान गंगा
Purn Sant Jagatguru Tavtdarshi Sant Rampal Ji Bhagavan Ji Ke Param Pavan Charno Me Dass Ka Koti Koti Dandvat Pranam He 🙏🙏🌹
Sat Sahib 🙏 🙏 🙏
जय हो मालिक की
बेदोमे प्ररमाण हे कबिर साहेब भगमान हे 🙏🏼🙏🏼
एक बार राक्षसों और देवताओं का युद्ध हो गया जिससे राक्षसों का विजय हो गया काल परंजयो ऋषि पर प्रवेश कर गया जिससे युद्ध में लाखों राक्षसों नाश कर दिया संत रामपाल जी महाराज के पास नाम दिक्षा लो और अपने जीवन में मोक्ष प्राप्त करो
Jay Ho
Guru ji ka charno ma dasi ka koti koti parnaam 🙏🙏💕💕
परम सत्य
Very Nice satsang
Anmol vachan
Anmol satsang kabir ka
बहुत अच्छा सतसंग हैं।
गरीब, तिन लोक का राज है, ब्रह्म विष्णु महेश।
उँचा धाम कबीर का,सतलोक प्रदेश।।
गरीब,अनंत कोटि ब्रह्मांड का,एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है,कुल के सिरजन हार।। सतसाहेब 🙏🙏🙏🙏 जयहो बनदीछोड कि 🙏🙏🙏🙏
सदगुरु के सिजदा करु,जिन कर्म छुटाए कोट।
ऐसे सदगुरु की निंदा करें, उसके यम तोड़ेगा ओंठ।।
True spiritual knowledge
Anmol gyan.
अनमोल ज्ञान
True Geeta Gyan 🙏🙏
निर्मल ज्ञान
Kabira, this body will go away, if you can, then bring it.
Do service to Satguru, and sing Govinda Guna.
Kabir Is Supreme God 🙏
Good gyan
Wonderful knowledge
तत्व ज्ञान
Very nice
Almighty God Kabir ..🙏
Amazing satsang
🙏 जय हो बंदीछोड़ की 🙏
Amezing satsang
True knowledge ✔️✔️
Beautiful gyan
Sat sahib.
Nice explanation.
Real Spiritual knowledge
काया तेरी है नहीं माया कहां से होय चरण कमल में ध्यान रखो इन दोनों को खोय
पृथ्वी लोक एक कैद खाना है। जहाँ पर 21 ब्रह्मांड का स्वामी ज्योति निरंजन काल/ब्रह्म आत्माओं को दुःखी करने के लिए 84 लाख योनियों में उत्पन्न करता है।
जबकि सतलोक परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) का लोक है जो अजर अमर अविनाशी लोक है। जहाँ 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं है।
गीता वेद शास्त्रों में प्रमाण है कि तीन गुण अर्थात् रजोगुण ब्रह्मा जी, सतोगुण विष्णु जी, तमोगुण शिवजी तथा देवी-देवताओं और माता की पूजा करने वाले केवल अपने किए कर्म का प्रतिफल पाएंगे लेकिन मोक्ष प्राप्ति नहीं कर सकते। पूर्ण मोक्ष अर्थात् जन्म-मरण से छुटकारा पूर्ण संत की शरण में जाकर सत्य भक्ति करने से मिलता है।
🙏🙏"कोई कहै हमारा राम बड़ा है, कोई कहे खुदाई रे । कोई कहे हमारा ईसामसीह बड़ा, ये बाटा रहे लगाई रे ।। 💕💕
Sat saheb
Koti koti dandwat prnam Malik 🙏🏻🙏🏻🙏🏻......
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kabir parmeshwar is suprim god
🙏
सर्वश्रेष्ठ ज्ञान संत रामपाल जी महाराज जी का ही है और इस पृथ्वी पर कोई ऐसे धर्मगुरु नहीं हुए जो श्रीमद्भागवत गीता जी का वह सत्य ज्ञान बता सकते लेकिन आज संत रामपाल जी महाराज जी ने श्रीमद्भागवत गीता जी का वह सत्य ज्ञान हमारे सामने रखा है जो आज से पहले हमने किसी भी धर्म गुरुओं से नहीं सुना था
Chal pagal
😍
Guru is not like a giver, but like a conscious disciple.
Wealth of three worlds, Satguru Dini charity.
Kabir, no trust of the body, Vinash Jaye Chin Mahi.
Chant the name in your breath, and nothing is done with effort.
मेडिटेशन की सही विधि क्या है?
मेडिटेशन (ध्यान / प्रभु के नाम) की सही विधि कबीर साहेब ने बताई है:-
नाम उठत नाम बैठत, नाम सोवत जागवे।
नाम खाते नाम पीते, नाम सेती लागवे।।
अर्थात परमात्मा का ध्यान/नाम सुमिरन करते रहना चाहिये
Sat saheb ji
6 दिन में सृष्टि की रचना कर 7वें दिन तख्त पर विराजमान होने वाला अल्लाह निराकार कैसे हुआ ?
पवित्र क़ुरान शरीफ सूरह फुर्कान 25 आयत 59 में लिखा है कि अल्लाह ने 6 दिन में सृष्टि की रचना की और सातवें दिन तख्त पर विराजमान हो गए।
कबीर, राम कृष्ण से को बड़ा, तिन्हूं भी गुरु कीन्ह।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगै आधीन।।
कबीर जी ने कहा है कि आप जी श्री राम तथा श्री कृष्ण जी से तो किसी को बड़ा नहीं मानते। ये तीन लोक के मालिक (धनी) होकर भी अपने गुरु जी के आगे नतमस्तक होते थे। इसलिए सर्व मानव को गुरु बनाना अनिवार्य है।
🕸️ गीता अध्याय 15 के श्लोक 17 में कहा है कि उत्तम पुरुष अर्थात पुरुषोत्तम तो अन्य ही है जिसे परमात्मा कहा जाता है जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण-पोषण करता है। वह अविनाशी परमेश्वर कबीर साहेब हैं।
कबीर परमेश्वर की सतभक्ति करके ही हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं।
Bhai Tumko Chutiya Banaya Jaa Raha hai Please Aaise Baba-Phaba ke Chakkar me Matt Padi, Mai Khud 2 Saal Se Is Madarchod Ki Bhakti Kari Fir Pata Chala Ki Ye To Fake Baba hai Isiliye Maine Isko Pujna Chhod Diya Bhai tu Bhi Chhod de Mera Time to Waste ho gaya Iski Bhakti Krne me atleast tu Khud ka Time to Khara Matt kr 🙏🙏
Puran sant hai
अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाला प्रभु काल कह रहा है कि ‘हे अर्जुन यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था ये काल ने कहा है कि वास्तव में अविनाशी परमात्मा तो इन दोनों (क्षर पुरूष तथा अक्षर पुरूष) से दूसरा ही है वही तीनों लोकों में प्रवेश करके सर्व का धारण पोषण करता है वही वास्तव में परमात्मा कहा जाता है।
*🙏बन्दीछोड सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो🙏*
गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण ने नहीं कहा है। श्री कृष्ण जी के शरीर में प्रेत वस प्रवेश करके काल ने अर्जुन से कहा
gurudev says
never hurt anyone
because
A given thing rolls back a thousand times a day
कबीर साहेब ने भी श्री राम और कृष्ण की कल्पना की है भगवान विष्णु 🙏
महाराज गीता ज्ञान कृष्ण ने नहीं दिया. कृष्ण के अंदर काल ने दिया . यह काल कृष्ण के अंदर ना आकर. अर्जुन के अंदर भी तो आ सकता था.
ब्रह्म संहिता मैं पहला श्लोक जिसमें स्वयम ब्रह्मा जी ने कहा. श्री कृष्ण सभी के पालन हार हैं.
Nice Satsang
गीता ज्ञान श्री कृष्ण जी ने नही दिया।।
देखिए अद्भुत आध्यात्मिक गूढ़ रहस्य।।
Kabir, Maut Bhoolgya Bawre, wondered who did.
Tan will be found in the soil as loan in the flour
Vedon mein kahin nahin hai ki Kabir.bhawan.hai
गीता अध्याय 18 के श्लोक 66 में "व्रज" शब्द का अर्थ आना किया है। जबकि संस्कृत हिन्दी शब्द कोश में साफ लिखा है व्रज का मतलब जाना। यानि अर्जुन तू केवल उस परमात्मा कि शरण में जा। वो परमात्मा कौन है। इस सवाल को छिपाने के लिए धर्म गुरुओ ने व्रज शब्द का मतलब ही गलत कर दिया। ये हमारे साथ धोखा है।
गीता अः 11 श्लोक नं 32 गीता भागवतदाता ब्रह्म (ब्रह्मा ,बीष्णु ,महेश के पिता) कहते है कि हे अर्जुन मै लोगों को नाश करने वाला बड़ा हुआ महाकाल हूँ मैं सबको खाने के लिए प्रवर्त हुआ हूंँ , तेरा युद्ध न करने से भी सबका विनाश हो जाएगा । अर्थात कृष्ण मे प्रेतवश महाकाल प्रवेश है ।
😁😁😁 bhut ghus gya or Lord krishna jiko pata v nahi chalpaya.. Wahh re gawar...
इसी का प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 14 श्लोक 3 से 5 तक है। ब्रह्म (काल ) कह रहा है कि प्रकृति दुर्गा तो मेरी पत्नी है, मैं ब्रह्म (काल ) इसका पति हूं। हम दोनों के संयोग से सर्व प्राणियों सहित तीनों गुणों ( रजगुण ब्रह्माजी ,सद्गुण विष्णु जी ,तमकुर शिव जी ) की उत्पत्ति हुई है। मैं (ब्रह्म) सब प्राणियों का पिता हूं। तथा प्रकृति ( दुर्गा ) इनकी माता है।
हिन्दू धमर्गुरू व प्रचारक आचार्य, शंकराचार्य तथा गीता मनीषी गीता ज्ञान देने वाले (जिसे ये श्री विष्णु का अवतार श्री कृष्ण कहते हैं) को अविनाशी बताते हैं। कहते हैं इनका जन्म-मृत्यु नहीं होता।
इनके कोई माता-पिता नहीं।
आप देखें स्वयं गीता अध्याय 2 श्लोक 12, गीता अध्याय 4 श्लोक 5, गीता अध्याय 10 श्लोक 2 में गीता ज्ञान देने वाला (इनके अनुसार श्री विष्णु उर्फ श्री कृष्ण) कहता है कि ‘‘हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं, तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ। (गीता अध्याय 4 श्लोक 5)
- जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी
Suno Baba arjun ke kehne pe bhagwan ne unhe viswaroop dikhaya tha theek, or unhe dar nhi tha Krishna ji Ka, wo kabhi bhi acche loge ke sath galat nhi karte, kabhi bhi or Kiya bhi hoga to uske piche jaroor koi baat rhi hogi
आध्यात्म को समझना होगा।कहते हैं गीता ज्ञान कृष्ण ने नहीं काल ने दिया।अब देखो।रामपाल जी महाराज ज्ञान दे रहे हैं।इनका शरीर एक दिन मर जाना है शरीर के मरने का कारण क्या होगा उनके अंदर विराजमान जीव आत्मा निकल जाना।अब शरीर को किसने मारा या शरीर क्यों मरा। सत्य है उनके अंदर विरामान जीव आत्मा की वजह शरीर के मरने का कारण बना।तो स्वयं रामपाल नाम का जीव आत्मा ही शरीर का मारने वाला काल बना।अब जो बोला रहा है रामपाल वही शरीर का काल जान पड़ रहा है।इस लिए गीता को ठीक से समझना हर किसी के बस में नहीं है।
Kabir Ko Khidke Baap ka Naam Nai Pata Wo to Wo Kaayka Bhagvaan Ho sakta hai 😂😂👌🏻
अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।
पवित्र गीता जी के ज्ञान को यदि श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रकट हुआ हूँ।
Kaal ka mahajaal.
Bhrama, Vishnu ,Mahesh me koi bhi Antar nhi h, Jo bhi h wo bhakti Kiya h, baat rhi shivpuran to usme Kai chije us samay ke rajao Dwara Jodi gyi thi, please is sab ko jyada samajne ki koshish mat Karo bhakti bahot aasan h, usme sirf pyaar or asthma ki jarurat na ki tulna ki
🌾भक्ति से भगवान तक पहुँचने का शास्त्रानुकूल मार्ग सिर्फ तत्वदर्शी संत ही बता सकते हैं।
श्रीमदभगवत गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तथा 16,17 में कहा है कि यह संसार ऐसा है जैसे पीपल का वृक्ष है। जो संत इस संसार रूपी पीपल के वृक्ष की जड़ों से लेकर तीनों गुणों रूपी शाखाओं तक सर्वांग भिन्न-भिन्न बता देता है। वह संत वेद के तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्वदर्शी संत है। जो की वर्तमान में सिर्फ संत रामपालजी महाराज हैं।
Krishna ji is not supreme God .
Kabir ji is Supreme God
Aap pahle Geetaji ko achchi tarah padh lo v samjh lo. Uske baad ghyan bantana.Aap kahte ho ki geetaji kaal ne shree krishna ke shareer mein ghuskar boli h aur kaal kisi ke samne nhi aata. To aap geetaji ke A-9/11 ko dhyan se padho. Usme kaal ne kaha h ki MOOD LOG MANUSHAY KA SHAREER DHARAN KRNE WALE MUJH SAMPURN BHOOTON KE MHAN ISHWAR KO TUCHAY SAMJHTE H. Kaal swam kah rahe h ki vo shareer dharan karte h.
kyo galat gyan de rha hai logo ko
Fake Baba ji 😂, Apki Wo Kabir Baba Abhi Bhi Sattlog me Hi kya 🤣🤣
Anmol spiritual knowledge
बहुत सुंदर ज्ञान है