अक्रूर जी द्वारा कंस के प्रलोभन को अस्वीकारना | श्री कृष्ण | दिव्य कथाएँ
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- เผยแพร่เมื่อ 30 มิ.ย. 2024
- भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!
Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - • दर्शन दो भगवान | Darsh...
संसार में यदि मनुष्य को कर्म के साथ धर्म के सही सामंजस्य को समझना हो तो इसके लिए श्रीमद् भगवत गीता से बड़ा ग्रंथ नहीं हो सकता। यह ग्रंथ दिव्य है इसीलिए विश्व में सनातन धर्म के अलावा अन्य धर्मों को मानने वाले मनुष्य भी श्री मद् भगवत गीता और श्री कृष्ण के अनुयायी है। सनातन धर्म में श्री भगवान कृष्ण को सोलह कलाओं से पूर्ण अवतार माना गया है। मानव जीवन से जुड़े सभी प्रश्नो का उत्तर आपको श्रीकृष्ण के जीवन से मिल सकता है। श्री भगवत् गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद व उपदेशों का संकलन है। इन उपदेशों को आप अपने जीवन में समाहित कर परमात्मा से जुड़ सकते है। “तिलक” अपने संकलन “दिव्य कथाएं” के इस चरण में श्री कृष्ण से जुड़े प्रसंगों को आपके समक्ष प्रस्तुत करेगा। भक्ति भाव से इनका आनन्द लीजिये और तिलक से जुड़े रहिये।
कंस द्वारा बुलाए जाने पर अक्रूर जी कंस से मिलने उसके राजमहल पहुँचते है, जहाँ पर कंस उससे कहता है कि मथुरा को भारत खण्ड की राजधानी बनाने के लिए वह उस जैसे राष्टभक्तों का साथ चाहता है। इसलिए वह उसे मथुरा के आधीन एक राज्य का राजा बनाना चाहता है और चाहता है कि अगले माह मथुरा में होने वाले महेश्वर यज्ञ के अवसर पर आए हुई सारी प्रजा के सामने उसका राज तिलक किया जाए। अक्रूर जी जो कि कंस के प्रलोभन को अच्छी तरह से समझ रहे थे, वह कंस से कहता है कि आपका यदुवंशियों को एकजुट करने का विचार अच्छा है, लेकिन वह एक संशोधन चाहता है। वह राजा नहीं बन सकता क्योंकि वह राजा शूरसेन का सेवक हैं और सेवक कभी राजसिंहासन पर नहीं बैठता। इसलिए कंस को शूरसेन के पुत्र वसुदेव के सामने मित्रता का हाथ बढ़ना चाहिए। कंस अक्रूर जी के सुझाव पर सहमति जताते हुए कहता है कि इसमें जहरीला कांटा है। यदि कोई उस कांटे को जड़ से उखाड़ दे तो वह उसे मथुरा का युवराज भी घोषित कर सकते है। और वह कांटा वसुदेव और देवकी का आठवाँ पुत्र कृष्ण है। इसलिए अक्रूर जी आप उत्सव के लिए कृष्ण को हमारी तरफ से न्यौता दे। अक्रूर जी कहते है कि आप कृष्ण को यहाँ बुला कर उसकी हत्या करना चाहते है, तब कंस कहता है कि राजनीति में इसे हत्या नहीं शत्रुदमन कहते है। दोनों के मध्य तर्क-वितर्क होता है और अक्रूर जी अपने स्वामी वसुदेव के पुत्र की रक्षा करने को अपना धर्म बताते हुए वहां से चले जाते है।
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Jai shree Krishna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Shree Radhekrishna Jii 🙏❤️
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवा 💗♈❤️
Jai shree Krishna
Nice🎉🎉🎉🎉
Jio ji
❤