Argala Stotram With Lyrics | अर्गलास्तोत्रम् | Durga Saptashati | Navratri Siddha Mantra

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  • เผยแพร่เมื่อ 25 พ.ย. 2024
  • Powerful Argala Stotram for the divine blessing of Maa Shakti. You can listen to this daily for prosperity and good luck. Here are the Hindi Lyrics.
    ॐ नमश्चण्डिकायै ॥
    मार्कण्डेय उवाच
    ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
    जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि । जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥
    मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः । रूपं देहि जयं देहि, यशो देहि द्विषो जहि ॥ ३ ॥
    महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ४॥
    रक्तबीजवधे देवि, चण्डमुण्डविनाशिनि । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ५ ॥
    शुम्भस्यैव निशुम्भस्य, धूम्राक्षस्य च मर्दिनि । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ६ ॥
    वन्दिताङ्घ्रियुगे देवि, सर्वसौभाग्यदायिनि । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ७ ॥
    अचिन्त्यरूपचरिते, सर्वशत्रुविनाशिनि । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ८ ॥
    नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या, चण्डिके दुरितापहे। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ९ ॥
    स्तुवद्भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां, चण्डिके व्याधिनाशिनि । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १० ॥
    चण्डिके सततं ये त्वाम, अर्चयन्तीह भक्तितः । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ ११ ॥
    देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १२ ॥
    विधेहि द्विषतां नाशं, विधेहि बलमुच्चकैः । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १३ ॥
    विधेहि देवि कल्याणं, विधेहि परमां श्रियम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १४ ॥
    सुरासुरशिरोरत्न, निघृष्टचरणेऽम्बिके | रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १५ ॥
    विद्यावन्तं यशस्वन्तं, लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १६ ॥
    प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने, चण्डिके प्रणताय मे। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १७ ॥
    चतुर्भुजे चतुर्वक्त्र, संस्तुते परमेश्वरि। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १८ ॥
    कृष्णेन संस्तुते देवि, शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ १९ ॥
    हिमाचलसुतानाथ, संस्तुते परमेश्वरि। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २० ॥
    इन्द्राणीपतिसद्भाव, पूजिते परमेश्वरि। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २१ ॥
    देवि प्रचण्डदोर्दण्ड, दैत्यदर्पविनाशिनि । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २२ ॥
    देवि भक्तजनोद्दाम, दत्तानन्दोदयेऽम्बिके । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥ २३ ॥
    पत्नीं मनोरमां देहि, मनोवृत्तानुसारिणीम् । तारिणीं दुर्गसंसार, सागरस्य कुलोद्भवाम् ॥ २४ ॥
    इदं स्तोत्रं पठित्वा तु, महास्तोत्रं पठेन्नरः । स तु सप्तशतीसंख्या, वरमाप्नोति सम्पदाम् ॥ ॥ २५ ॥
    ॐ…. इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
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ความคิดเห็น • 12

  • @sachinprajapati6581
    @sachinprajapati6581 8 วันที่ผ่านมา +1

    Jay shree durga maa

  • @madhvtomar5885
    @madhvtomar5885 17 วันที่ผ่านมา

    Jay ma kali jay ma durga

  • @anisharmaanisharma3719
    @anisharmaanisharma3719 หลายเดือนก่อน +1

    Jai mata di 🙏🏻❤️🙏🏻

  • @ashusvlog1192
    @ashusvlog1192 หลายเดือนก่อน

    ❤❤❤❤

  • @KamleshSingh-mk4kn
    @KamleshSingh-mk4kn หลายเดือนก่อน

    🌺🌺🦁 Jai mata di 🙏

    • @VedicMotion
      @VedicMotion  หลายเดือนก่อน +1

      जय माता दी 🙏

  • @kittie4149
    @kittie4149 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏

  • @Phantom-zf8zv
    @Phantom-zf8zv 26 วันที่ผ่านมา +1

    अशुद्ध उच्चारण व्यक्ति का विनाश कर देता है ।

    • @VedicMotion
      @VedicMotion  26 วันที่ผ่านมา

      जी , इसलिए हम हमेशा शुद्ध उच्चारण पर बल देते हैं । अपना विचार रखने के लिए धन्यवाद ।

    • @Phantom-zf8zv
      @Phantom-zf8zv 26 วันที่ผ่านมา +1

      @VedicMotion दीक्षित और अधिकृत साधकों को ही उत्कीलन करने के पश्चात् श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए । अनधिकृत व्यक्ति के द्वारा किया गया शुद्ध अथवा अशुद्ध पाठ ही उसके विनाश का कारण बन जाता है ।