शिक्षक हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट होते रहेगा । विभाग मौन टाईमपास करता रहेगा।। शिक्षक इंतजार में सेवा निवृत्त हो जाएगे। आपस में सिनियरीटी का खेल खेलते रहेंगे। विभाग का सब नियमावली फेल कोर्ट तय करेगा कौन पास कौन फेल।
बयानों से परे भी दुनिया है। शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था एक दूसरे के पूरक हैं। सभी संवर्ग के शिक्षक सम्मानित हैं। सबों ने अपना बेहतर दिया है। हमने मिडिल ट्रेंड शिक्षक से शिक्षा पाई है और उन्होंने ने भी निष्ठा, लगन और कर्त्तव्यपरायणता की मिसाल पेश करी थी। उस समय प्राथमिक विद्यालय एक शिक्षकीय हुआ करते थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के बाद मैट्रिक ट्रेंड और दो शिक्षकीय विद्यालय हुए। 1991 के समय प्रारंभिक अर्थात 1-8 विद्यालय और शिक्षण की बात आई, सभी पद उसी अनुरुप सृजित किए गए। निश्चित तौर पर, उक्त प्रक्रिया से बहाल शिक्षक, उक्त सृजित पदों के लिए वरीय हैं।
शिक्षक हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट होते रहेगा ।
विभाग मौन टाईमपास करता रहेगा।।
शिक्षक इंतजार में सेवा निवृत्त हो जाएगे।
आपस में सिनियरीटी का खेल खेलते रहेंगे।
विभाग का सब नियमावली फेल
कोर्ट तय करेगा कौन पास कौन फेल।
बिल्कुल सही कहा आपने
बयानों से परे भी दुनिया है।
शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था एक दूसरे के पूरक हैं। सभी संवर्ग के शिक्षक सम्मानित हैं। सबों ने अपना बेहतर दिया है। हमने मिडिल ट्रेंड शिक्षक से शिक्षा पाई है और उन्होंने ने भी निष्ठा, लगन और कर्त्तव्यपरायणता की मिसाल पेश करी थी। उस समय प्राथमिक विद्यालय एक शिक्षकीय हुआ करते थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के बाद मैट्रिक ट्रेंड और दो शिक्षकीय विद्यालय हुए। 1991 के समय प्रारंभिक अर्थात 1-8 विद्यालय और शिक्षण की बात आई, सभी पद उसी अनुरुप सृजित किए गए। निश्चित तौर पर, उक्त प्रक्रिया से बहाल शिक्षक, उक्त सृजित पदों के लिए वरीय हैं।