प्रभुविश्वासी,प्रभुप्रेमी,शरणागत! 36(अ) - Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj
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- เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
- Swami Sri Sharnanand Ji Maharaj's Discourse in Hindi
स्वामी श्रीशरणानन्दजी महाराज जी का प्रवचन
प्रभु ने ज्ञान केवल इसलिए दिया है कि मानव स्वाधीन होकर, अजर-अमर होकर सदा-सदा उनको लाड़ लड़ाता रहे, रस देता रहे। उन्हीं का दिया हुआ यह प्रेम है, उस से उनकी नित्य पूजा की जाए, सतत पूजा की जाए और उन्हें रस दिया जाए। वे कैसे हैं? इसे तो शायद वे भी नहीं जानते। किन्तु उनके सम्बन्ध में जिस किसी ने जो कुछ कहा है, वह कम है। क्यों भाई? आप स्वयं सोचिए, सब कुछ देकर, सब कुछ लेकर जो अपने आप को न्यौछावर कर सकता है, अपने में सदा के लिए स्थान दे सकता है, उसकी महिमा का, उसकी सामर्थ्य का, उसके सौन्दर्य का क्या कोई पारावार हो सकता है? कभी नहीं हो सकता। पर दुःख की बात तो यह है कि फिर भी क्या वे इतने अपने मालूम होते हैं, जितनी कि उनकी दी हुई वस्तु, सामर्थ्य, योग्यता अपनी मालूम होती है ?
Sadhuwad❤.
जय श्रीराम
शरणानन्दजी के समान मैं मानता नहीं हूँ किसी सन्त को, उन्होंने जो लिखा है उसके आगे कुछ नहीं है -रामसुखदास जी
Jay Ho
Naman swami ji💐🙏
आजु धन्य मैं धन्य अति जद्यपि सब विधि हीन,
निज जन जानि राम मोहि संत समागम दीन.
स्वामीजी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन.
गुरुदेवजी के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन.
बुधवार १४ अप्रैल २०२१
Bare hi bhag A sss e yeh vani sunne k o milti
Om
Om pranam
शरण ,आनंद ,,को हम पापी कामी लोभी क्या जान सकते हैं गुरु देव जी शाष्टांग दंडवत प्रणाम ❤️🙏
Om pranam Swami ji
Jai
Shri thakur ji
ॐ नमो नारायण
मेरे तो गिरिधर गुपाल, दूसरो न कोय -- परम पूज्य भक्तमीरा-जी के इस वाक्य में भगवद्प्रेम- साधना एवं शरणागति का सर्व सारांश छिपा हुआ है / परम पूज्य भक्त शरणानन्दजी भी स्वानुभव के आधार पर वही बात कह रहे हैं / प्रार्थना है कि इस का परमार्थ हम साधारण लोग भी पूर्णतया जान सके ! धन्यवाद !
Prem ki aisi vilakshan avastha aaj tak kabhi nahi dekhi
Maharaj ji ko Dandvat Pranam.
Itna madhur parvachan down load karne ke liye danyavad
परम पूज्य स्वामी शरणानंदजी महाराज को कोटि कोटि प्रणाम करते हैं
राम राम
ऐसा लगता है कि साक्षात् श्री भक्तमीरा के श्रीमुख से उनके रचित, उनसे गाई गयी "मेरे तो गिरिधर गुपाल, दूसरा न कोय" गीतिका सुन रहा हूँ / साथ साथ परम प्रेम स्वरूप की बांसुरी की अमर ध्वनि भी सुनाई पड़ती है / जहां भगवती मीरा का गायन है वहां कृष्ण बांसुरी भी हम सुन सकते है, न ? भगवत् प्रेम का पारम्य सम्पूज्य श्री शरणानन्द-जी की पुनीत वाणी में सुन पाता हूँ / धन्यवाद !
साक्षात स्वयं श्री कृष्ण दोबारा से गीता कह रहे हैं
Jay ho
Nice
जय हो
Prem ki aisi vilakshan avastha aaj tak kabhi nahi dekhi
अद्भुद वाणी