ऊधो मन ना भए, दस बीस.. स्वर-लक्ष्मण मीणा (भूराखेड़ी)

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  • เผยแพร่เมื่อ 14 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 10

  • @anildubey4882
    @anildubey4882 14 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    बहुत दिनों बाद सुनने को मिला ये भजन ❤ धन्यवाद🙏

  • @meenajipradeep449
    @meenajipradeep449 3 ปีที่แล้ว +2

    Gjb bhajan

  • @devmalav4083
    @devmalav4083 4 ปีที่แล้ว +1

    Wah kya bat hai jordaar

  • @balrammeena5345
    @balrammeena5345 4 ปีที่แล้ว +1

    Gjb mama ji

  • @ramnaresh5675
    @ramnaresh5675 5 ปีที่แล้ว +1

    VA Yar Kya bat he

  • @manobalstudio
    @manobalstudio 2 ปีที่แล้ว +1

    वाह वाह जी

  • @marutimaruti1174
    @marutimaruti1174 4 ปีที่แล้ว +1

    gjb

  • @shyampremi1179
    @shyampremi1179 5 ปีที่แล้ว +1

    nice bhajn👌👌👌👌

  • @pavanngar4000
    @pavanngar4000 5 ปีที่แล้ว +1

    VERY NICE

  • @hindiekkhoj7800
    @hindiekkhoj7800 ปีที่แล้ว +2

    ऊधौ मन न भए दस बीस।
    एक हुतौ सो गयौ स्याम सँग, को अवराधै ईस ।।
    इंद्री सिथिल भई केसव बिनु, ज्यौं देही बिनु सीस ।
    आसा लागि रहति तन स्वासा, जीवहिं कोटि बरीस ।।
    तुम तौ सखा स्याम सुन्दर के सकल जोग के ईस ।
    सूर हमारै नंदनंदन बिनु, और नहीं जगदीस ॥ 8 ॥
    (भ्रमर गीत) सूरदास)
    youtube.com/@hindiekkhoj7800?si=K8LVP-owIusuyKJa