✴️Mahabharat Part-1🚩|| Krishna And Karna Conversation ⚡ ||

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2023
  • Mahabharat Part-1⚡|| Krishna And Karna Conversation ||
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ความคิดเห็น • 1K

  • @the_mighty_hindu_
    @the_mighty_hindu_  10 หลายเดือนก่อน +217

    Part 2
    th-cam.com/video/bBb8De1EITc/w-d-xo.htmlsi=vv1ZdfIxhfChrLY_

  • @Mannu___5012
    @Mannu___5012 9 หลายเดือนก่อน +269

    Biggest fan of karna ❤

    • @Kiyaaa_xoxo.9
      @Kiyaaa_xoxo.9 6 หลายเดือนก่อน +4

      Me too❤

    • @Dark-Gamer0000
      @Dark-Gamer0000 4 หลายเดือนก่อน +2

      Mannu u forgot me .🗿

  • @vickygarduachautala8356
    @vickygarduachautala8356 10 หลายเดือนก่อน +147

    Best warrior of Mahabharat ⚔⚔Mahaveer Karn❤

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @abhijeetgamingzone7658
    @abhijeetgamingzone7658 9 หลายเดือนก่อน +266

    Karna Life is so emotional 🥺, jai Shree Karna ji. Jai Shree Krishna🙏🕉

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

    • @joyvor-or6xe
      @joyvor-or6xe 9 หลายเดือนก่อน +6

      Yes 🥺

    • @justfordemo3044
      @justfordemo3044 9 หลายเดือนก่อน +6

      Bhai pandavo ne to Puri zindagi raaj Mahal me maze liye hain na arre murkh kabhi asli Mahabharat padh sut putra hota kon hai yeh bhi samjh

    • @adityakumar6479
      @adityakumar6479 8 หลายเดือนก่อน +1

      ​@@justfordemo3044but his life was inspiring and i really love that kind of friends

    • @justfordemo3044
      @justfordemo3044 8 หลายเดือนก่อน +2

      @@adityakumar6479 haan jo friend gandharva yudh me chhor kar bhaag Jaye aur Virat yudh me bhi saath chhor de kabhi Mahabharat padhi bhi hai guru ji ya bas yuhi gyan de rhe ho 🙄

  • @adityadevtarase7256
    @adityadevtarase7256 10 หลายเดือนก่อน +68

    जय श्री कृष्ण ❤

  • @Omkar.mishra_123
    @Omkar.mishra_123 6 หลายเดือนก่อน +39

    Karna is supreme for child but Krishna is supreme for legend 🙏🙏
    Radhe Radhe

  • @Communist_Party_of_India.
    @Communist_Party_of_India. 9 หลายเดือนก่อน +177

    "आसान नही है खुद को एकलव्य और कर्ण बनाना,
    दुश्मन बन जाता है सारा जमाना....!"😔💪😎

    • @rajeshamahapatra6507
      @rajeshamahapatra6507 6 หลายเดือนก่อน

      ​@@kailashmahato4861kya kare Mahabharat reels se jo dekhte he

  • @Nature_and_Agriculture
    @Nature_and_Agriculture 10 หลายเดือนก่อน +286

    My favourite character of Mahabharata Suryaputra Karan 🙏🙏❤️🙏🙏

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

    • @kartikguptaad5442
      @kartikguptaad5442 7 หลายเดือนก่อน +1

      Bo adharmi tha

    • @souparnasaha1495
      @souparnasaha1495 7 หลายเดือนก่อน +3

      Hoga hi kiyuki tumbhi gali dena , nari ko cherna , adharma karna sahi mate ho

  • @MY_-_MUNNA
    @MY_-_MUNNA 10 หลายเดือนก่อน +98

    ALL WORLD ALL UNIVERS
    = LORD KRISHAN

  • @NiladriDas103
    @NiladriDas103 9 หลายเดือนก่อน +22

    Shree Krishna ❤🚩🙏 1:46 Karan 🙏

  • @moviehunt2266
    @moviehunt2266 6 หลายเดือนก่อน +116

    Karna is always supreme ❤

    • @chanduop9005
      @chanduop9005 4 หลายเดือนก่อน

      Karn is asur plz read nar narayan katha

    • @user-oz2wn3lj5s
      @user-oz2wn3lj5s 4 หลายเดือนก่อน

      কলের কাজ কোরি খেটে খাই অশিকখিতো আবার কি

  • @Rohit_sah
    @Rohit_sah 9 หลายเดือนก่อน +24

    जय श्री कृष्णा 💙

  • @shailendhibar2618
    @shailendhibar2618 10 หลายเดือนก่อน +99

    He is my real Hero of Mahabharat 🙏🙏🙏

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

    • @drujjawalrathore
      @drujjawalrathore 9 หลายเดือนก่อน +1

      AAP adharm ko support kar rhe ho fir

    • @SteveHarrington-ej9st
      @SteveHarrington-ej9st 6 หลายเดือนก่อน +1

      He is real villain of Mahabharat kabhi padhi bhi mahabhart ya sirf serials hi dekhi he

  • @BikashKumar-np9zd
    @BikashKumar-np9zd 10 หลายเดือนก่อน +40

    I ❤ karna

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @kedarnath_vlog680
    @kedarnath_vlog680 9 หลายเดือนก่อน +13

    Pandav ❎ Karn 🗿✅🚩 Jai Shree Krishn🚩🚩

  • @Siddharth0997
    @Siddharth0997 4 หลายเดือนก่อน +5

    क्षत्रिय होने पर गर्व है
    Proud To Be Kshtriya 🚩🚩🚩

  • @rsranjit9458
    @rsranjit9458 10 หลายเดือนก่อน +24

    Bohat sundar video hai
    Dil ko chuliya ❤️❤️❤️

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @yashdiwan
    @yashdiwan 5 หลายเดือนก่อน +3

    ❤️❤️कर्ण❤❤

  • @user-zh3qw4rh5n
    @user-zh3qw4rh5n 8 หลายเดือนก่อน +16

    Jai shree krishna 🙏🙏🙏❤️

  • @SwarupMonda
    @SwarupMonda 10 หลายเดือนก่อน +13

    Har har Mahadev

  • @aadityakumar8810
    @aadityakumar8810 9 หลายเดือนก่อน +13

    🙏🙏SRI RAM 🙏🙏 = unimaginable universe

  • @adityadas2758
    @adityadas2758 9 หลายเดือนก่อน +19

    Jay Shree Krishna ❤❤

  • @tuskar2234
    @tuskar2234 10 หลายเดือนก่อน +23

    হরে কৃষ্ণ ❤️🙏❤️

  • @user-vi5yq7dp5z
    @user-vi5yq7dp5z 9 หลายเดือนก่อน +17

    𝑹𝒆𝒂𝒍𝒍𝒚 𝒉𝒆𝒓𝒐 𝒌𝒂𝒓𝒏𝒂 ❤❤❤

  • @ayonroy7144
    @ayonroy7144 10 หลายเดือนก่อน +95

    5 pandav + 100 korav = karn❤💙

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

    • @munnamishra6385
      @munnamishra6385 9 หลายเดือนก่อน +2

      You are wrong

    • @subhajitkayal2206
      @subhajitkayal2206 8 หลายเดือนก่อน +2

      Nice joke 😂

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 8 หลายเดือนก่อน +2

      @@subhajitkayal2206 bakwas joke tha ye, sathiya gaya Sonyputra fan 😅

    • @subhajitkayal2206
      @subhajitkayal2206 8 หลายเดือนก่อน +1

      Not only suryaputra Karn, aj ke zadatar TV serials mein Karn ka alag image dikhaya jata hai jab ki asal mein wo aisa hai nahi. Karn ka jo character serials mein dekhte hai wo pura frictional hai. Aur yehi dekhke sab kehte hai Karna is great.

  • @suryanshbundela9847
    @suryanshbundela9847 10 หลายเดือนก่อน +17

    Jai Shree Ram🕉️🙏Om Namah Shivay🕉️🙏Jai Mata Dee🕉️🙏Jai Manshadevi Ji Ki🕉️🙏Jai Ashoksundhri Ji Ki🕉️🙏Jai Naagpanchami Ji Ki🕉️🙏RadheRadhe🕉️🙏Jai Mai Ki🕉️🙏Jai Shree Ganesh Ji Ki🕉️🙏

  • @ashokacharya2962
    @ashokacharya2962 8 หลายเดือนก่อน +8

    हरे कृष्ण🕉😍🙏🏻राधे राधे🙏🏻😍🕉

  • @dharmacharanchakma1780
    @dharmacharanchakma1780 10 หลายเดือนก่อน +34

    No one is Brahman , katriya ,bais, sutrya by birth but Work
    - Gautam Buddha

    • @S.v.y3301
      @S.v.y3301 9 หลายเดือนก่อน +1

      Par me to janame she shakuch sant bhata gun the

    • @sahilkshirsagar...
      @sahilkshirsagar... 8 หลายเดือนก่อน +1

      Ye kya shree Krishna nhi kahte

    • @user-xn2sx5wg3c
      @user-xn2sx5wg3c 8 หลายเดือนก่อน

      Gautam Buddha brahman the na hi bhagwan.bhagwam vo hot hai Jo pure earth 🌎 ki raksha kare jise Krishna

    • @S.v.y3301
      @S.v.y3301 8 หลายเดือนก่อน

      @@user-xn2sx5wg3c bhagevan kon hai t nahee jante ho tumare shabado me hee bataka duga kiyuki pun shateye nahee jante ho rama parushuram yek shamaye janamit yug me hai atema alag hai alag beramad she bo yek keval gun me ho par batane she kematelav pahuch hee nahee icha thee to bata diya

    • @anuragsharma2707
      @anuragsharma2707 7 หลายเดือนก่อน

      Abe sale bhagwat Geeta ka slok chori kar liya ..tere budda ne sab chori kar lode

  • @sanjaypenthei
    @sanjaypenthei 9 หลายเดือนก่อน +44

    Karn is a good and emotional person ❤❤❤🥺🥺🥺🥺🥺🥺

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @akgamer6351
    @akgamer6351 10 หลายเดือนก่อน +12

    Karan ❤

  • @ayushshah775
    @ayushshah775 10 หลายเดือนก่อน +10

    Jay shree Krishna ❤

  • @nainarajawat9511
    @nainarajawat9511 6 หลายเดือนก่อน +15

    Karna ❤

  • @SushilYadav-qs3ct
    @SushilYadav-qs3ct 10 หลายเดือนก่อน +9

    JaiShriKrishnRadheRadhe

  • @user-bs8tv2nr8f
    @user-bs8tv2nr8f 6 หลายเดือนก่อน +15

    I am biggest fan of karn

  • @lalusunani5834
    @lalusunani5834 8 หลายเดือนก่อน +19

    Karn is the best hero of mahabharth ..and duryodhan is tho best friend for karn❤

  • @hellobroda6686
    @hellobroda6686 9 หลายเดือนก่อน +3

    Radhe Radhe 🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️👑👑👑👑💪💪💪💪💪Karn king 👑😈💪❤❤❤❤❤❤❤❤❤

  • @shivamshorts6118
    @shivamshorts6118 7 หลายเดือนก่อน +15

    Karn is not a warear he is a lagend❤❤

  • @anubhavhaldia9667
    @anubhavhaldia9667 10 หลายเดือนก่อน +6

    राधे कर्ण 🙏🙏❤️❤️👌👌

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @ProdipSarkar-jf5ig
    @ProdipSarkar-jf5ig 7 หลายเดือนก่อน +2

    Radha Krishna Karna

  • @adityadevtarase7256
    @adityadevtarase7256 10 หลายเดือนก่อน +37

    राधे राधे ❤

  • @subhosarkar4251
    @subhosarkar4251 10 หลายเดือนก่อน +13

    Dost ho to Karn jaisa Jo dost ke liya bhagwan se bhi Yudh karee❤

    • @swehlamarma4591
      @swehlamarma4591 10 หลายเดือนก่อน +1

      Sahi baat bola

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @THE_PODCAST_EDITz.
    @THE_PODCAST_EDITz. 8 หลายเดือนก่อน +26

    Respect To Karn 🚩🙌

  • @user-jj6jl1tx9g
    @user-jj6jl1tx9g 10 หลายเดือนก่อน +8

    Prem se bolo Radhe Radhe ji 🙏

  • @hiphop1396
    @hiphop1396 29 วันที่ผ่านมา +2

    Arjun+Dharm > Unlimited Karn ❤
    Jay Shree Krishna ❤️

  • @avinashkhandare2732
    @avinashkhandare2732 9 หลายเดือนก่อน +3

    Radhekarn❤️

  • @prasenjitpal420
    @prasenjitpal420 10 หลายเดือนก่อน +3

    জয় শ্রী কৃষ্ণা 🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

  • @Rangidevi7139
    @Rangidevi7139 8 หลายเดือนก่อน +6

    2:40 is best line 😊😊

  • @ramhnuman34
    @ramhnuman34 10 หลายเดือนก่อน +80

    श्री राम =100 कोरव+5 पांडव+ 1कर्ण ❤

    • @aryanvyas8282
      @aryanvyas8282 9 หลายเดือนก่อน +18

      Bhai comparsion mat karo shri Ram bhagwan ke aaspaas Bhi Nahin Hai yah sab. 🙏🙏

    • @aryanvyas8282
      @aryanvyas8282 9 หลายเดือนก่อน +9

      Bacchon ke sath papa ko comparison Nhi karte h
      Jai shree Ram🙏🚩

    • @kajuu0805
      @kajuu0805 9 หลายเดือนก่อน +3

      mahabharat me shree ram ji🙄... Ye kab hua🙂

    • @24mviews17
      @24mviews17 9 หลายเดือนก่อน +1

      Ram ji ke ek tir k bara bar b ni
      Expect karan agr us k pas kundl kawach ho tbi tik sakta h
      Thodi der

    • @abhishektripathi1985
      @abhishektripathi1985 9 หลายเดือนก่อน +1

      ​@@24mviews17bhai kuch bhi ho kawach kundal kuch bhi, Shree Ram ji samne koi ek chhad bhi nahi tik sakta

  • @prozonegaming2006
    @prozonegaming2006 5 หลายเดือนก่อน +3

    Whole Mahabharat = one leader Karna 🙏🏻

  • @indiandynamicshub1677
    @indiandynamicshub1677 9 หลายเดือนก่อน +46

    Karna was greatest but he did some bad karma for duryodhan. 😢

    • @souparnasaha1495
      @souparnasaha1495 8 หลายเดือนก่อน +2

      Sorry to say but Jo dosti apne dosto ko bwinash ki taraf le Jaye wo dosti kese achi dosti ho sakti hai mujhe Nehi pata ,dosti honi chaiye krisna and Arjun ki tarah jab jab Arjun galti karte the krisna use dat te the fir Arjun gussa na karke bat ko samjhkar uski agya ka palan korte the naki karne ki tarah Mitra ta ki nam de kar adharm karta first apnehi dosto ko adharma karne ke liye utsahit karta nahi karne deta , karn was literally a very very very bad person who is the sign of jealous,wrong friends,chatur dushman,who take desitions in anger ness or without thinking about another one

    • @armylover3489
      @armylover3489 7 หลายเดือนก่อน +1

      Bhai swyam ram ne kha tha
      Agar mitra kisi vipatti me ho ya esa samay ho ki yudh hi ant he to bhi mitra ka sath dena dharm he

    • @souparnasaha1495
      @souparnasaha1495 7 หลายเดือนก่อน +1

      @@armylover3489 pehli bat to karn ki wajah se yudh Tak bat gayi hai , eisa mitro to mujhe Nehi chaiye Jo har bar mereko lalchaye yudh ke liye aur last Tak yudh Tak le Jaye , gandharba ke sath yudh main to yo bhag Gaya tha jab ki Duryadhan bandi ho gaya tha churane ke liye pandaba ko bheja gaya tha
      Dusri bat ram ek aur yuge ka tha har yug main kahani alada hota hai jaise ki Satya yug main raksas aur Devo 2 alag lok main rahte the , wahi Treta yug main alag deso main and Dwapar Yug main ekhi Ghar main
      Isliye ye krisna aur ram ka character main bohot farak hai ram ko mar kar Krishna ho kar alag se janama Lena para nehi to wo khudi immortal reh sakte the

    • @indiandynamicshub1677
      @indiandynamicshub1677 7 หลายเดือนก่อน +1

      ​@@souparnasaha1495 You are right 👍🏼

    • @entertainment66996
      @entertainment66996 6 หลายเดือนก่อน +1

      ​@@armylover3489 pehli baat toh ye hai ki Shree Ram ji ne vo baat kahi jo khud hmesha dharm ke marg pe chale hai or dusro ko bhi dharm ke marg pe chalne ko kaha h or unke mitr bhi dharm ke hi raste chale or uss jgah par agr unko unke mitr ke liye koi adharm karna pda jisse kisi dharm ki hi sthapana ho rhi ho toh vo adharm dharm hi keh layega..
      Shree Ram ne ye nahi kaha ki tumhara mitra adharmi ho or tum usse apna mitra bana lo or fir uski madad karo toh vo dharm keh layega 🥲

  • @JangyaseniBarik
    @JangyaseniBarik หลายเดือนก่อน +2

    Krishna jis pakhya khade uski jit sunishit hai chahe maharathi karna kyu na ho # bolo radhe Krishna

  • @beby143
    @beby143 7 หลายเดือนก่อน +2

    Jay Shree Krishna 🌺🌼🦚🙏

  • @Entertainment_family2024
    @Entertainment_family2024 9 หลายเดือนก่อน +4

    I love Karn ❤❤❤❤❤❤❤

  • @darklordff7413
    @darklordff7413 7 หลายเดือนก่อน +3

    Jay shree krishna radhe radhe radhe 💗💗💗🙏🙏🙏

  • @Mr.SumitEDIT888
    @Mr.SumitEDIT888 9 หลายเดือนก่อน +2

    Jay Shree ram 🙏🙏

  • @Unknown_Soul07
    @Unknown_Soul07 10 หลายเดือนก่อน +1338

    5 pandav=1 karn❤

    • @trendingkannada3892
      @trendingkannada3892 10 หลายเดือนก่อน +66

      Mazak

    • @gopalmajumder3654
      @gopalmajumder3654 10 หลายเดือนก่อน +75

      Mohabarat=karn🖤🔥🏹

    • @JayasiKheto-tr5mc
      @JayasiKheto-tr5mc 10 หลายเดือนก่อน +24

      Akdom

    • @boundless707
      @boundless707 10 หลายเดือนก่อน +95

      serial dekh dekh Kar kabhi mahabharat padha to nhi hoga😂😂

    • @poliroy1557
      @poliroy1557 10 หลายเดือนก่อน +8

      ​@@gopalmajumder3654sirf, Krisha or bad de kor😊

  • @RajaKumar.trader
    @RajaKumar.trader 8 หลายเดือนก่อน +4

    Jai shree radhe Krishna ji ki Jai ho 💖😊🙏😘Jai Shree Karan dev ji ki Jai ho😘🙏😊💖💓👍❤️💛👌🧡💗🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @djakyjigamer5717
    @djakyjigamer5717 หลายเดือนก่อน +1

    Jai Shree Krishna ki Jai ❤❤❤❤❤
    Jai Shree Karan ki Jai ❤❤❤❤❤

  • @Black_gamer082
    @Black_gamer082 10 หลายเดือนก่อน +12

    Radhe karn❤

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @Pramodprajapati-mj9mh
    @Pramodprajapati-mj9mh 10 หลายเดือนก่อน +5

    Karna ki jay ho❤❤❤❤❤jay shree Krishna ❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @PrinceKumar-oy8zt
    @PrinceKumar-oy8zt 9 หลายเดือนก่อน +2

    Jai Shree Krishna🙏

  • @anilsha6680
    @anilsha6680 3 หลายเดือนก่อน +1

    Jai shree radhe krishna 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🚩🙏🏻

  • @Love.m-in1qz
    @Love.m-in1qz 10 หลายเดือนก่อน +4

    Jay shree Ganesh ji jay shree krishna Jay shree ram Jay shree Hanuman ji jay shree shyam Jay shree mahakal Jay maa Durga ❤❤

  • @user-gi6nm8tw5k
    @user-gi6nm8tw5k 10 หลายเดือนก่อน +27

    Unlimited karn =1 krishna ❤

    • @shivpratap2606
      @shivpratap2606 9 หลายเดือนก่อน +4

      Unlimited krishna= 1 mahadev❤

    • @wowvideobangla
      @wowvideobangla 9 หลายเดือนก่อน +1

      ​@@shivpratap2606galat bola

    • @wowvideobangla
      @wowvideobangla 9 หลายเดือนก่อน +2

      ​@@shivpratap2606tere ko koi gyaan nehi

    • @godofdanger687
      @godofdanger687 9 หลายเดือนก่อน +2

      @@shivpratap2606 krishna = mahadev 😂😂😂 yehi andhbhkti thik nhi ek hi bhagwan hai ...

    • @gopal4325
      @gopal4325 9 หลายเดือนก่อน

      Abe gadhe tujhe pata to hai na srikrishna swaya bhagan hai .unke samne mahadev ke alava koi bhi tik nahi sakta . Karn ko nicha dikhane kiliye bhagwan se compare kar raha hai . Bhai vo bhagwan hai unke samane karn ho ya arjun koi tik nahi sakta . Itna to pata hena arjunbhakta 😂😂😂

  • @lordshivanggaming9366
    @lordshivanggaming9366 3 วันที่ผ่านมา +1

    Jay Shri Kirshn 🙏🚩🕉

  • @anandarya8697
    @anandarya8697 6 หลายเดือนก่อน +1

    जय श्री कृष्णा

  • @pagaldeewana161
    @pagaldeewana161 10 หลายเดือนก่อน +3

    Jay shree krishna 🙏🚩🚩🚩🕉️🕉️🕉️🔱🔱🔱

  • @BiswajitDas-mk2zb
    @BiswajitDas-mk2zb 9 หลายเดือนก่อน +9

    Radhe Karan ❤ always my favourite 😊 ❤️

  • @AyushKumar-qc8ke
    @AyushKumar-qc8ke 3 หลายเดือนก่อน +1

    Jai shree krishna radhe radhe radhekrishna ❤❤❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏...............infinite times

  • @KaranSinghsaab-lo8bl
    @KaranSinghsaab-lo8bl 10 หลายเดือนก่อน +8

    Most powerful angraj Karan ❤❤❤💪💪💪💪💪

  • @tusarghosh2113
    @tusarghosh2113 10 หลายเดือนก่อน +4

    জয় মহাভারত

  • @runff2844
    @runff2844 6 หลายเดือนก่อน +1

    🦚🌼🌺 Radhe Radhe 🌺🌼🦚

  • @twostargamers6659
    @twostargamers6659 หลายเดือนก่อน

    Agr naa diya hota o bachan maine kunti mata ko...to pandavo ke khun se main dhota apne hato ko......this line❤️

  • @Idiot9079
    @Idiot9079 10 หลายเดือนก่อน +3

    JAI SHREE KRISHAN 🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

  • @shankhadeepmanna7585
    @shankhadeepmanna7585 9 หลายเดือนก่อน +11

    Karna is really a great warrior

    • @kishanchauhan678
      @kishanchauhan678 8 หลายเดือนก่อน +1

      To dropati ki saree kyu kichi

    • @shankhadeepmanna7585
      @shankhadeepmanna7585 6 หลายเดือนก่อน

      ​@@kishanchauhan678tum kya Mahabharat nhi pade kya
      Pahle pado then comment karo

    • @user-vn6gu3pm3i
      @user-vn6gu3pm3i 3 หลายเดือนก่อน

      Woh toh mjk kr rha tha😂​@@kishanchauhan678

  • @riteshkumarmaurya920
    @riteshkumarmaurya920 21 วันที่ผ่านมา

    Har Har Mahadev Jai Shree Krishna Ji Maharaj ♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @sandeepsinghkurmi
    @sandeepsinghkurmi 27 วันที่ผ่านมา +1

    फेन ऑफ सूर्यपुत्र महारथी कर्ण

  • @Waifu_Department
    @Waifu_Department 10 หลายเดือนก่อน +6

    In the past we have thousands of legends which have superpower,my question is where is that all powers go now ? Did something happened in that past is that why no one remembers how to use those super powers😮❤

    • @ultravegito9497
      @ultravegito9497 10 หลายเดือนก่อน +1

      Bro are you talking about the knowledge of Astra then the last guy who have the knowledge of Astra were lord Krishna and Arjun after lord Krishna death the knowledge remained with Arjun but Arjun didn't share the knowledge because he knew that the coming people didn't know what to use in battlefield by this I mean if two people clashed and use their Astra for a non sense fight then the Astra will end the world because when two powerful Astra clashed then their energy will destroy the whole world that is why he didn't share it and if you are talking about strength then it depends on which yuga the people exist Mahabharat took place in dwaparyug and people of dwaparyug strength was counted by 1 elephant strength and the yug we exist is kal yug and in these yug people are the weakest in strength their strength is counted by a horse power

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

    • @ultravegito9497
      @ultravegito9497 9 หลายเดือนก่อน +1

      @@ramcharan615 bro are you not a Hindu

    • @S.v.y3301
      @S.v.y3301 9 หลายเดือนก่อน

      Nahee bo shaketiye vigeyan geyan me shakuch hai par bo shaletiye khandit hogai the or jaha bhagesur balebaba ke pash pun shidhi hai jishe alag nahee bahut lagate

  • @rahul_saini_put
    @rahul_saini_put 9 หลายเดือนก่อน +8

    King of kings suryaputra karn❤❤

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @darklordff7413
    @darklordff7413 7 หลายเดือนก่อน +2

    Jay shree krishna radhe radhe radhe 💗💗💗🙏💗💗

  • @user-wi5fg6gp9q
    @user-wi5fg6gp9q 9 หลายเดือนก่อน +1

    जय shree krishna

  • @user-sagar785
    @user-sagar785 10 หลายเดือนก่อน +8

    Karna sabse bada yodha tha mahabharat ka
    Karna is great❤❤❤

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

  • @riteshburnwal5991
    @riteshburnwal5991 10 หลายเดือนก่อน +5

    ❤😍🤩😎💖👍next topic shivpuran and vedon anushar ke according parambrahma panchamukhi sadashiv the creator of universe and lord Brahma Vishnu Mahesh's father lord panchamukhi sadashiv per 10 minutes ka documentary video explanation kariye 🔱🕉🚩🙏 Har Har Mahadev Shiv Shiv 🙏🚩🕉🔱

  • @thefunnyguy.3.0
    @thefunnyguy.3.0 10 หลายเดือนก่อน +1

    Prabhu 💖🙏💖

  • @vishal-ri1zo
    @vishal-ri1zo 9 หลายเดือนก่อน +2

    Radhe radhe 💝

  • @ChandrabatiMohapatra-tu4oi
    @ChandrabatiMohapatra-tu4oi 10 หลายเดือนก่อน +31

    After all lord Krishna is Almighty

    • @S.v.y3301
      @S.v.y3301 9 หลายเดือนก่อน

      Jo ush yug ke shagun uneheme the

    • @AbhishekKumar-qw1jl
      @AbhishekKumar-qw1jl 4 หลายเดือนก่อน

      Shree Jagannath...Lord of the Universe...Jai shree krishna 🙏♥️

  • @rajkamalsingh9145
    @rajkamalsingh9145 10 หลายเดือนก่อน +7

    Mahabharat ka sabse bada yodhha Karna❤

    • @knowledgeconsumer1289
      @knowledgeconsumer1289 10 หลายเดือนก่อน +1

      Nice joke

    • @shivamdas552
      @shivamdas552 10 หลายเดือนก่อน

      @@knowledgeconsumer1289 αrjun nє kαrn kσ mαrα nícє jσkє

    • @knowledgeconsumer1289
      @knowledgeconsumer1289 10 หลายเดือนก่อน +1

      @@shivamdas552 haa 13 baar haraya hai last fight me mara bhi hai serial dekhoge kaise pata chalega

    • @shivamdas552
      @shivamdas552 10 หลายเดือนก่อน

      @@knowledgeconsumer1289 tum ѕєríαl dєkhtє hσ íѕílíчє αrjun kσ ѕrєѕt mαntє hσ lєkín ѕαchα чσdhα tσ kαrn hí hє kαrnα ❤️ ѕurчα putrα 🌞, ααngrαj 👑 ,dígвíjαчí 🚩, mαhαrαthí ⚔️,αdírαth putrα 💙, rαdhєч putrα ❤️ , pαndєv jєѕth 🙏🏻 , kumtí putrα 💙,ααdítчα nαndαn 🌞, αrkαputrα 🔥, rαвíѕunu 🌞 , ѕαвítrα 💙 , ѕαmpαdhítα 🌸, ѕαmpαnα ❤️, rєѕhα 💙, вєktínα ❤️, вαѕuѕєnα 💪🏻, ααdí rαthí 🔥 , ѕutαѕutα 💙, ѕαudí ❤️, rαхmírαthí 🔥, ѕutѕun 💙, ѕutαѕutα ❤️, ѕutαtαnαчα ,💙, rαdhα ѕut ❤️, kuruvєєr 💪🏻, kuruчσdh 🔥, kσlαчα 💙, gσputrα 🚩🚩, ѕαвítrα ❤️, ѕαmpαdhítα 🌸 , ѕαmpαnα 💙 , rєѕhα ❤️ , víjαчdhαrí 🔥, dαnvєєr 🔥, kαвαj dhαrí 🌞 ѕutputrα ⚡ pαrѕhurαm 🚩ѕíѕhчα 🚩, míttunjαч 🙏🏻 , 👉 ( rαdhє ❤️ kαrn 😌❤️)🔥
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    • @karangurjar181
      @karangurjar181 10 หลายเดือนก่อน

      करण कभी अर्जुन से हरा ही नहीं था उसे सिर्फ धोखे से हराया गया था

  • @user-nq3eh5rq2z
    @user-nq3eh5rq2z 9 หลายเดือนก่อน +1

    Jai shree ram ji jai hanuman ji jai shree ram ji jai hanuman ji jai shree krishna ji

  • @NIL395
    @NIL395 9 หลายเดือนก่อน

    Radha radha krishna krishna krishna

  • @lv.1gaming646
    @lv.1gaming646 8 หลายเดือนก่อน +3

    Radhe karn 🙏🏻🖤

  • @ExperiencesOfMohidul
    @ExperiencesOfMohidul 9 หลายเดือนก่อน +12

    Karna is also my favourite character, i think he is realistic fictional character

  • @user-bj7jy2zg8x
    @user-bj7jy2zg8x 4 หลายเดือนก่อน

    Jai Sri krishna radhe radhe

  • @lordshivanggaming9366
    @lordshivanggaming9366 28 วันที่ผ่านมา +1

    Jay Shri Kirshn

  • @statesbyRaushan
    @statesbyRaushan 9 หลายเดือนก่อน +18

    Arjun is dengerous ❤

    • @nayanmahata1039
      @nayanmahata1039 9 หลายเดือนก่อน +5

      Karna is very dangerous

    • @SteveHarrington-ej9st
      @SteveHarrington-ej9st 6 หลายเดือนก่อน

      @@nayanmahata1039 wohi karn na jo gandharv yuddh me pehli fursat me bhaga tha wohi na jo Virat yuddh me arjun ke haatho se haar gya tha , wohi karn na jo swayam bheem se haar gya tha , wohi karn na jo narayani sena ke senapati satyaki se haar Gaya tha kuchh aur bhi Janna ho karn ke baare me to maharishi ved vyas rachit mahabhart padho Lena naki tv serials se Gyan prapt karna murkh

    • @teamtitanofficial6157
      @teamtitanofficial6157 6 หลายเดือนก่อน

      ​@@SteveHarrington-ej9stvagban sri krishna jiske sath hoga uska jit hoga par karna jante the ki oo vagban ke virudh ladai kar Raha he kon jiyada saktisali he?

  • @Karma-yi5ki
    @Karma-yi5ki 10 หลายเดือนก่อน +3

    2:41 कर्ण शूद्र ही था, लेकिन समाज मे चलन है सभी नायकों को ब्राह्मण या क्षत्रिय बना देने का। मरने के बाद मे उसे जन्म से क्षत्रिय बता दिया गया जिससे उस जैसा दुबारा ना आए।

    • @vaidik_vivek
      @vaidik_vivek 9 หลายเดือนก่อน

      Krishn ji yahan Karn ko neech kehte hai ↓ tareef kahin nahi kiye Karn ki kabhi.. Mahabharat ke Karn Parv ke shlok hai ye, jaake check krle ↓
      • तमब्रवीद् वासुदेवो रथस्थो राधेय दिष्ट्या स्मरसीह धर्मम् ⁠। प्रायेण नीचा व्यसनेषु मग्ना निन्दन्ति दैवं कुकृतं न तु स्वम् ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      उस समय रथ पर बैठे हुए भगवान् श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा-‘राधानन्दन! सौभाग्य की बात है कि अब यहाँ तुम्हें धर्मकी याद आ रही है! प्रायः यह देखने में आता है कि नीच मनुष्य विपत्ति में पड़ने पर दैव की ही निन्दा करते हैं। अपने किये हुए कुकर्मों की नहीं ⁠।⁠।⁠ १ ⁠।⁠।
      • यद् द्रौपदीमेकवस्त्रां सभाया- मानाययेस्त्वं च सुयोधनश्च ⁠। दुःशासनः शकुनिः सौबलश्च न ते कर्ण प्रत्यभात्तत्र धर्मः ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! जब तुमने तथा दुर्योधन, दुःशासन और सुबलपुत्र शकुनि ने एक वस्त्र धारण करनेवाली रजस्वला द्रौपदी को सभा में बुलवाया था, उस समय तुम्हारे मन में धर्म का विचार नहीं उठा था? ⁠।⁠।⁠ २ ⁠।⁠।
      • यदा सभायां राजानमनक्षज्ञं युधिष्ठिरम् ⁠। अजैषीच्छकुनिर्ज्ञानात् क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      ‘जब कौरव सभा में जूए के खेल का ज्ञान न रखने वाले नमन योग्य सर्वश्रेष्ठ राजा युधिष्ठिर को शकुनि ने जान-बूझकर छलपूर्वक हराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ३ ⁠।⁠।
      • यद् भीमसेनं सर्पैश्च विषयुक्तैश्च भोजनैः ⁠। आचरत् त्वन्मते राजा क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ५ ⁠।⁠।
      ‘जब दुर्योधन ने तुम्हारी ही सलाह लेकर भीमसेन को जहर मिलाया हुआ अन्न खिलाया और उन्हें सर्पों से डँसवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ।⁠।
      • यद् वारणावते पार्थान् सुप्ताञ्जतुगृहे तदा ⁠। आदीपयस्त्वं राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! उन दिनों वारणावत नगर में लाक्षाभवन के भीतर सोये हुए कुन्तीकुमारों को जब तुमने जलाने का प्रयत्न कराया था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ६ ⁠।⁠।
      • यदा रजस्वलां कृष्णां दुःशासनवशे स्थिताम् ⁠। सभायां प्राहसः कर्ण क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! भरी सभा में दुःशासन के वश में पड़ी हुई रजस्वला द्रौपदी को लक्ष्य करके जब तुमने उपहास किया था, तब तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ७ ⁠।⁠।
      • यदनार्यैः पुरा कृष्णां क्लिश्यमानामनागसम् ⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      ‘राधानन्दन! पहले नीच कौरवों द्वारा क्लेश पाती हुई निरपराध द्रौपदी को जब तुम निकट से देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ गया था? ⁠।⁠।⁠ ८ ⁠।⁠।
      • विनष्टाः पाण्डवाः कृष्णे शाश्वतं नरकं गताः ⁠। पतिमन्यं वृणीष्वेति वदंस्त्वं गजगामिनीम् ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠। उपप्रेक्षसि राधेय क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।
      ‘(याद है न, तुमने द्रौपदीसे कहा था) ‘कृष्णे! पाण्डव नष्ट हो गये, सदा के लिये नरक में पड़ गये। अब तू किसी और पति का वरण कर ले। जब तुम ऐसी बात कहते हुए गजगामिनी द्रौपदीको निकट से आँखें फाड़-फाड़कर देख रहे थे, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ९ ⁠।⁠।
      • राज्यलुब्धः पुनः कर्ण समाव्यथसि पाण्डवान् ⁠। यदा शकुनिमाश्रित्य क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ १० ⁠।⁠।
      ‘कर्ण! फिर राज्य के लोभ में पड़कर तुमने शकुनि की सलाह के अनुसार जब पाण्डवों को दुबारा जूए के लिये बुलवाया, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।
      • यदाभिमन्युं बहवो युद्धे जघ्नुर्महारथाः ⁠। परिवार्य रणे बालं क्व ते धर्मस्तदा गतः ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      ‘जब युद्ध में तुम बहुत-से महारथियों ने मिलकर बालक अभिमन्यु को चारों ओर से घेरकर मार डाला था, उस समय तुम्हारा धर्म कहाँ चला गया था? ⁠।⁠।⁠ ११ ⁠।⁠।
      • यद्येष धर्मस्तत्र न विद्यते हि किं सर्वथा तालुविशोषणेन ⁠। अद्येह धर्म्याणि विधत्स्व सूत तथापि जीवन्न विमोक्ष्यसे हि ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।
      ‘यदि उन अवसरों पर यह धर्म नहीं था तो आज भी यहाँ सर्वथा धर्म की दुहाई देकर तालु सुखाने से क्या लाभ? सूत! अब यहाँ धर्म के कितने ही कार्य क्यों न कर डालो, तथापि जीते-जी तुम्हारा छुटकारा नहीं हो सकता ⁠।⁠।⁠ १२ ⁠।⁠।

    • @GamerZone-xq5ru
      @GamerZone-xq5ru 9 หลายเดือนก่อน

      Mahabharat read kar woh kunti ke first son tha 😅

    • @Karma-yi5ki
      @Karma-yi5ki 9 หลายเดือนก่อน

      @@GamerZone-xq5ru likh diya jata h yr...smjho..

  • @starko9846
    @starko9846 25 วันที่ผ่านมา

    Hare Krishna

  • @MelodyMusicSoul
    @MelodyMusicSoul 9 หลายเดือนก่อน +5

    All pandav+all kourav=karn❤

    • @satyanashisubhajit9654
      @satyanashisubhajit9654 7 หลายเดือนก่อน

      True 🔥

    • @SteveHarrington-ej9st
      @SteveHarrington-ej9st 6 หลายเดือนก่อน

      1 arjun > 100000 karn

    • @satyanashisubhajit9654
      @satyanashisubhajit9654 6 หลายเดือนก่อน

      @@SteveHarrington-ej9st custom made mahabharat parda hain kya ?

    • @SteveHarrington-ej9st
      @SteveHarrington-ej9st 6 หลายเดือนก่อน

      @@satyanashisubhajit9654 dekh bhai tere comment se to saaf pata chalta he ki tune mahabhart nahi padhi sirf serials dekhi he

    • @SteveHarrington-ej9st
      @SteveHarrington-ej9st 6 หลายเดือนก่อน

      @@satyanashisubhajit9654 me tujhe open challange karta hu ek baar maharishi ved vyas rachit mahabhart padh le baad me kehna ki arjun kon tha aur karn ki kya aukat thi

  • @rahulghosh301
    @rahulghosh301 10 หลายเดือนก่อน +4

    All Pandav +Karna + 100 kaurav = 1 BishmaPitaamh

    • @Unknown_Soul07
      @Unknown_Soul07 10 หลายเดือนก่อน +1

      5 pandav=1 karn

    • @rahulghosh301
      @rahulghosh301 10 หลายเดือนก่อน

      @@Unknown_Soul07 100 Karn = 1 BishmaPitaamh

    • @trendingkannada3892
      @trendingkannada3892 10 หลายเดือนก่อน +1

      Karna + bishma pithamaha+ dronacharya+ ashwatham+karna+100 kaurav= 1 Arjun 50 persant effort 🔥

    • @rahulghosh301
      @rahulghosh301 10 หลายเดือนก่อน +1

      @@trendingkannada3892 bcz of Shree Krishna 🤣

    • @PetrunkoDig-bm6fi
      @PetrunkoDig-bm6fi 10 หลายเดือนก่อน

      ​@@rahulghosh301bhishma was great

  • @Total_gaming_0.0280
    @Total_gaming_0.0280 23 วันที่ผ่านมา +3

    5 pandav+1000 korav =karn 👑👑👑👑👑

  • @user-fk9ru8xk1c
    @user-fk9ru8xk1c 10 หลายเดือนก่อน +4

    1 Arjun>>>>>>>>>>>≥>Bhagoda Karn+Kauravas

    • @yashuuu1431
      @yashuuu1431 3 หลายเดือนก่อน

      Arjun ne karn ko kaise mara pata nhi tuze 😂 Mahabharat dekh karn ajun jaise 6 aur ko mar shakta tha