अगर आप मनुस्मृति दहन दिवस मनाएंगेतो कहीं ना कहीं लोगों को अंबेडकर साहब की मूर्ति तोड़ने के लिए बढ़ावा देंगे जलाने और तोड़ने का खेल तभी रुक सकता है जब स्वस्थ चर्चा हो,आक्रामकता भय नहीं पैदा करती आक्रामकता ही पैदा करती है,बिहार इसका ज्वालामुखी उदाहरण है जब वहां पर नक्सली सेना बनी तो रणवीर सेना भी बन गई
भारतीय संविधान 👉 भारत के प्रत्येक व्यक्ति को गहनता से अध्ययन की आवश्यकता है.....जिससे समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों की जानकारी हो👍 💙जय भीम💙
आज की मनुस्मृति मूल मनुस्मृति नहीं है जिसमें एक लाख से भी अधिक श्लोक हुआ करते थे जो संकीर्ण सोच और कुव्यवस्था से सुसज्जित थे आज की मूल स्मृति में लगभग 2600 से 2700 श्लोक बचे हुए हैं।
सर आप ध्येय ias का बेड़ा गर्त करके ही रहेंगे।एक शिक्षक होकर निष्पक्षता की जगह baes बन रहे है और स्टूडेंट्स को बांटने का काम कर रहे है।आपकी यह सोच बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
जब तक किसी भी वस्तु या किसी भी व्यक्तव्य के दोनों पहलुओं को नहीं समझ लेते तब हम उसके बारे में नहीं जान सकते एकतरफा होकर करना कुछ भी गलत है। यदि कोई इसकी शुरुआत कर रहा है तो अच्छा है हमे अच्छी चीज अपने रख लेना है बाकी का फेंक देना है । हम केले का फल खाते है तो उसके छिलके को तो फेंक देते है क्योंकि वह हमारे उपयोग का नहीं।
मैने मनुस्मृति पढ़ी है इस विषाक्त और दूषित किताब मे बहुत ही कम अच्छा मिला लेकिन अधिकतम बकवास विभाजनकारी और मानवता विरोधी ही मिला जो समाज को बहुसंख्यक 90% लोगो को जानवरो से भी गिरा हुआ स्थान देने का काम किया जिसका खामियाजा बहुसंख्यक समाज और देश आज भी जूझ रहा है 😢
और 90% लोग मनुस्मृति नहीं जला रहे हैं, किसी चीज को जला देना समाधान नहीं होता, समाधान चर्चा से निकलता है, कुछ लोग संविधान से भी सहमत नहीं है तो क्या संविधान को जला देना चाहिए, संविधान पर चर्चा करनी चाहिए, कुरान से सहमत नहीं होते हैं कुछ लोग बाइबल से नहीं होते तो क्या सबको जलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए, तर्कसंगत चर्चा की जाए, ऐसे में अगर कुछ लोग अंबेडकर से सहमत न हो तो क्या अंबेडकर की फोटो जलाना शुरू कर दे,या अंबेडकर के विचारों पर चर्चा करें
अब ऐसी सीमित बुद्धि और ओछी मानसिकता के अल्पज्ञानी व्यक्ति के विवेक पर थोड़ा सा प्रकाश डालना चाहूंगा, जिस विवेक का प्रयोग कर इन्होंने यह वीडियो बनाया और तथाकथित मनुस्मृति की व्याख्या करने की चाहत रख रहें है।( निःसंदेह हो,किंतु कुछ तथ्य है जो जानना अनिवार्य है:-) 1. ऐसे धर्मशास्त्र की व्याख्या एक ऐसे व्यक्ति के द्वारा की जाए जो न ही तथाकथित अभिजात्य वर्ग से हो ओर न ही शोषित वर्ग से। 2. गरीबी को पढ़ना और गरीबी को महसूस करना इन दोनों में जैसा अंतर है, वैसा ही इन ज्ञानी और महान विश्लेषक की मानसिकता और उद्देश्य में अंतर है, मनुस्मृति के विश्लेषण के परिप्रेक्ष्य में। (यह तो आपकी प्रस्तावना से उदघोषित हो ही रहा है कि, बिचारे अबोध डॉ.आंबेडकर ने बिना पढ़े ही मनुस्मृति को जला दिया/ जिसके बनाए संविधान के दम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्र का प्रयोग जो आप कर रहे।) अगर आप स्वघोषित तर्कशील,तटस्थ की भूमिका में है और जनसामान्य को मनुस्मृति का सारगर्भित ज्ञान देकर ज्ञानवान समाज का निर्माण करना चाहते है, तो ध्यान रखिएगा सबसे पहले आप जिस भी धर्म,समुदाय विशेष एवं विचारधारा वाले व्यक्ति है इसके बारे में अवश्य बताना न भूलें। (अन्यथा उपरोक्त तर्कशील एवं तटस्थ की भूमिका के व्यक्ति पर एक जोर का तमाचा संपूर्ण विवेकवान व्यक्तियों की तरफ से) धन्यवाद❤ अगर वास्तविक ज्ञान और तर्क सहने की क्षमता है तो इस कमेंट को डिलीट मत करना।
फिलहाल आपको इतना बता देना ही काफी होगा कि मैं मनुस्मृति के कुछ अनुवाद को चुना है,जो किसी ब्राह्मण क्षत्रिय नहीं बल्कि पिछड़े वर्ग के लेखक ने लिखी है,मुझे पता था कि आप जैसी मानसिकता के लोग आएंगे और सवाल जरूर पूछेंगे इसलिए मैंने पहले से ही इस लेखक कुछ ना जो ब्राह्मण नहीं था भूलेख कौन है या जानने के लिए थोड़ा सा आपको भी मेहनत करनी पड़ेगी और मेरे एपिसोड देखने पड़ेंगे
@@MentorSatishSinghh बिल्कुल मै आपके सहनशीलता के प्रति अपना सादर आभार प्रकट करता हूँ। एवं एक अच्छे शिक्षक के रूप में आपको साधुवाद अर्पित करना चाहता हूं। इसमें कोई संदेश नहीं कि मेरा भी तर्क,ज्ञान एवं विवेक सीमित है। किंतु मैं इस विषय में भरपूर रुचि रखता हूं, एवं इस संबंध में विस्तृत जानकारी का आकांक्षी भी हूँ। पुनः धन्यवाद आपका। ऐसे शिक्षक समाज के लिए सही मायने में प्रकाश स्तंभ है बशर्ते पर्याप्त संवेदना एवं वास्तविकता ज्ञान के अंश का आभास हो।
हमने भी पढ़ा है सर लिखने वाला कुछ बातें सही लिख देने से इससे कभी भी पूरी किताब अच्छी और सच्ची नहीं हो जाती अगर मनुस्मृति इतनी ही अच्छी है तो उसमें दंड विधान अलग अलग क्यों है पढ़ने का अधिकार तक नहीं है केवल एक विशेष जाति को पढ़ने का अधिकार है धन संपत्ति यहां तक की अच्छे कपड़े तक पहने का अधिकार नहीं है अब कोई कितने सालों बाद भी उसके पक्ष में तर्क दे तो उसे केवल विकसित मानसिकता का कहा जाएगा चाहे वह आप हो या कोई धर्म का बहुत बड़ा जानकारी प्रकांड विद्वान ही क्यों ना हो मनुस्मृति का समर्थन करने वाला एक जातिवादी मानसिकता को मानने वाला है मात्र और उससे बढ़कर कुछ नहीं आप भी अंत तक एक जातिवादी द्रोणाचार्य वाली मानसिकता के हैं धन्यवाद अपना पक्ष क्लियर करने के लिए
अगर मैं सब कुछ यहीं पर स्पष्ट कर दूंगा तो 10-12 एपिसोड में क्या करूंगा, सही बात है दंड विधान की तो मैं सहमत हूं, वैसे एक जगह यह भी लिखा है कि ब्राह्मण को सबसे अधिक कठोर दंड विधान मिलना चाहिए, क्योंकि ब्राह्मण पाप और पुण्य का अधिक ज्ञान रखता है, शायद यह आपको मनुस्मृति में नहीं दिखा होगा, और दूसरी बात रही द्रोणाचार्य की, द्रोणाचार्य को आप कुंठित और जातिवादी मानसिकता को का बता रही है, द्रोणाचार्य की प्रशंसा तो श्याम भगवान कृष्ण भी करते थे, अर्जुन भी करता था भीष्म भी करते थे, उसे द्रोणाचार्य को यह भी पता था कि दुर्योधन हार जाएगा, फिर भी वह हारने वाली सेना के पक्ष में लड़ रहा था अपने नमक का कर्ज अदा कर रहा था, जिस तरह से कुछ बातें गलत होने से पूरी किताब अच्छी नहीं हो जाती, उसी तरह किसी व्यक्ति का एक नकारात्मक पक्ष उसके पूरे व्यक्तित्व का निर्धारण नहीं करता,और यह तो आज भी है अगर आप किसी एक कंपनी में काम कर रहे हैं और दूसरी कंपनी के लिए छुपाकर काम करेंगे आपसे कंपनी अपना कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर देगी,यदि द्रोणाचार्य की अर्जुन सबसे बड़ा धनुर्धर बनेगा अर्जुन को धनुर्धर उन्हें बनाना ही था,समस्या यह है कि आप मौजूदा संविधान से लेकर वेद पुराण उपनिषद सब कुछ अपने हिसाब से लिखना चाहते हैं,सब कुछ अपने हिसाब से तो भगवान भी नहीं चला सकता आप तो अभी बच्चे हैं
जिस पुस्तक के कारण पूरे भारत देश की हानि हुई है उस पुस्तक का अब ए महाशय अध्ययन कर एपिसोड चलाएंगे। अगर देश समाज के लिए कुछ करना है तो सही चीज का अध्ययन करके लोगों तक पहुंचाओ।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए भारतीय संविधान लागू होने के बाद भी हम लोग कोई विश्व की सबसे बड़ी शक्ति नहीं बन पाए हैं हर व्यवस्था पर विधान में कुछ ना कुछ कमी होती है,भारतीय संविधान भी तमाम अंतर विरोध और कर्मियों से भरा पड़ा है,तो फिर जो सहमत रखते हैं उन्हें भी संविधान जलाने का अधिकार मिलना चाहिए क्या,हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दो कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था इस संविधान को जला देना चाहिए,जिस संविधान की आप दुहाई दे रहे हैं,का कहना था संविधान राक्षसों के हाथ में चला गया, तो संभव है की मनुस्मृति किसी जमाने में राक्षसों के हाथ चली गई हो
बात मनुस्मृति की नहीं है बल्कि वर्तमान में हिन्दुओं के व्यवहार की है क्या आज भी समाज में जाति के आधार पर व्यवहार नहीं किया जाता ।क्या मनुस्मृति का समर्थन करने वाले इस पर अपना क्या दृष्टिकोण क्या सकारात्मक रूप से दर्शाते है। आज समाज की वास्तविक सच्चाई को झुठलाया जा सकता है।
Baba sahab ambedkar sahi hai baki manusmriti aur Mahatma Gandhi dono galat hai Kya tmko ni lgta ki isme thode se logo k liye chand brhaman bs ko badhawa deti hai baki abhi insano ko choot manti hai yaha tak ki aurato ko b unka b shoshan karti hai ye manusmriti videsho m to aisa ni hai waha to sab ko saman rkha jata hai aur sabhi khus hai sabhi Amir hai unke dharm granth to ni aisa kuch btate ya sikhate aur yaha hindu hi hindu ko is granth k madhyam se kha rha aur to kisi aur logo ko khane ki to ye granth aukat hi ni sikhate
अब आप मुझे बोलने भी नहीं देंगे, अगर इतिहास में शूद्रों को बोलने नहीं दिया गया तो अत्याचार था, आप दबाव बनाकर मुझे बोलने से रोक रहे हैं यह क्या है,आप कह रहे हैं वह आपका मत है,पर आप इतना आक्रामक होकर दूसरों को अपना मत रखने से रोक नहीं सकते,लोकतंत्र सूचना अधिकार आपको देता है उतना ही अधिकार मुझे भी देता है
और इस संविधान के तहत मुझे भी बोलने का अधिकार है,मैं देख रहा हूंघड़ी लग गई है ऐसे लोगों की जो मेरे इस संवैधानिक अधिकार को छीन लेना चाहते हैं,वह लोग चाहते हैं कि मैं वही बोलूं जो उनके हित में है और अच्छा लगता है,पर अगर मैं आपके हिसाब से चलूंगा तो मेरे संवैधानिक अधिकारों का क्या
वह इसलिए की मनुस्मृति की अच्छी बातों को नकार दिया गया और उसको तोड़ मरोड़ कर नीची जाति वाले लोगों के शोषण का आधार बनाया गयाबस यही बताना चाह रहा हूं कि मनुस्मृति काहर युग में अपने अपने हिसाब से अपने अपने स्वार्थ के लिए किया गया,मनुस्मृति में ब्राह्मणों के लिए दंड विधान शूद्रों के लिएकी दंड विधान से अधिक कठोर है,स्वघोषित दलित उद्धारक आपको यह कभी नहींबताएंगे, स्वस्थ चर्चा का आवाहन कर रहा हूं तो कृपया सहयोग करें
गपोड़ी न बने । अंबेडकर जी ने मनुस्मृति को पढ़कर सामने बिठाए गए ब्राह्मण से जलवाया था । अंबेडकरवादी नजरिए से ही इसको देखना पड़ेगा वरना मनुवादी हावी हो जाएगा
आप उतना ही सुनते हैं जितना आपको आपके हिसाब से सही लगता है,मैं स्पष्ट रूप से कहा है अगर मनुस्मृति गलत है तो उसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए,साथ में यह भी कहा है कि अगर डा० अंबेडकर गलत है तो उनके भी कार्यों का विश्लेषण करना चाहिए पर आपने सिर्फ अपने मतलब का सुना
@MentorSatishSinghh आपने यह कहा कैसे कि बाबा साहेब गलत हैं, जो दलितों, महिलाओं, पिछड़ों के उद्धारक हैं। अगर इतनी ही सही है मनुस्मृति तो क्यों सालों से शूद्रों को पानी तक पीने का अधिकार नहीं दिला पाई, क्यों महिलाओं और शूद्रों को शिक्षा से वंचित रखा गया?
आप के हिसाब से yani मनुस्मृति सही है अगर ऐसा ही था तो देश गुलाम ना होता इतने atayachar जो हुए और जो हो रहे है वो नही होता कभी किसी को घोड़ी पर chadne के लिए मारा जाता हैं, कभी किसी को मुछ रखने के लिए मारा जाता हैं अगर आपको लगता हैं अम्बेडकर साहब ने गलत किया था तो आइए समाज मे dekhiye तब कहिये एक कैमरे के सामने आकर बोल देने से सब सही नही हो जाता हैं कुछ चीजो को Experience भी किया जाता हैं जो की आप करेंगे नही
हम सब लोग जातिवाद से बीमार है सब मतलब सब। आप भी हम भी। किसी को ज्यादा मिलता है किसी को मिलता ही नहीं । फला जाति के हो गाड़ी है पैसा है तो भी गरीब हो और सब मिलेगा लेकिन फला जाति के हो गरीब हो तब भी आपको नहीं मिलेगा क्यूंकि जाति अलग है सत्य है कड़वा भी। न्याय तो हम जैसे लोगों को संविधान भी नहीं दे सकता पूरी उम्र निकल जाती हैं न्यायालय के चक्कर लगाने में Example अतुल सुभाष और लाखों लोग।
Manusmriti ke expert kabhi bhi IAS judge nahi ban sakte hai, isliye ye bhi nahi ban paaye hai. But I respect ur right of expression and speech, dekhte kya baahar niklata hai, but ambedkar ahead of their time, legend, intellectual.
यह विषय भारतीय समाज और इतिहास में गहरी रुचि और विवाद का विषय रहा है। मनुस्मृति, जिसे प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, विभिन्न दृष्टिकोणों और व्याख्याओं के साथ जुड़ी हुई है।
01:15 Dharm parivartan kiya ja raha nahi he. Dharm ko ham chhod rahe he jo jo Dharm hane nahi manta ham uss dharm ko nahi mante, thoda brain wash kam kara karo logo ka ye aapko shobha nahi deta 😡
मतलब अब मैं वही बोलूं जो आप चाहते हैं,थोड़ा इंतजार कर लीजिए हो सकता है जो आप चाहते हैं वही मैं बोलूं,नहीं हो सकता है कि मैं आपकी हां में हां ना मिला हूं,मैं नेता नहीं हूं मैं एक शिक्षक हूं,और अगर आप लोकतंत्र को समझते हैंकिसी कोको अपना विचार रखने का अधिकार है,से सहमत होना या ना होना आपका अधिकार है,फिर तो अभी तक तो मैंने कोई एपिसोड जारी ही नहीं किया इसलिए अनावश्यक तबाह बनाकर आप मेरा ब्रेनवाश करने की कोशिश कर रहे हैं
माना कि मनुस्मृति सही है परन्तु इन्सान को इन्सान न समझना और किसी शूद्र को ब्राह्मण बनने का विकल्प नहीं था इसलिए कहा जा सकता है कि विशेष वर्ग के लोगों के लिए ही है...
सही और गलत का निर्णय समय कल और परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए,उसे कल में ब्राह्मण आरक्षण सही था,इस काल में दलित पिछड़ा आरक्षण सही है,आज क्या आरक्षण के पीछे आपकी अपनी तर्क है,तो उन्होंने भी कुछ अपने तर्क दिए ही होंगे,अब जो लोग इस दुनिया में है ही नहीं, उन पर आप कोई भी आरोप लगा सकते हैं निर्भीकता के साथ क्योंकि आपको ही पता है आरोपित जवाब देने के लिए इस धरती पर उपलब्ध नहीं है
यह अच्छा प्रश्न है, हकीकत तो यह है की मनुस्मृति की मूल प्रति उपलब्धि नहीं है,केवल कुछ पांडुलिपियों को आधार बनाकर मनुस्मृति तैयार कर दी गई, अंग्रेजों द्वारा,इस मनुस्मृति को आधार बनाकर समाज को दो हिस्सों में तोड़ दिया गया है,मनुस्मृति की मूल प्रति है ही नहीं।
महात्मा गांधी तो हमेशा से चाहते थे कि दलित दलित ही रहें ....... पहले पढ़ो कि गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा किसने दिया........ तुम्हारी आत्मा भी जाग गई कियू कि यहां तुम्हारी भी जाति पर भी बात आ गई है
महात्मा गांधी चाहते थे कि दलित दलित रहे यह आपको जिसने बताया क्या उसने आपको ये नहीं बताया कि और गांधी ने नेहरू पर दबाव बनाया था कि संविधान सभा में अंबेडकर का होना बहुत जरूरी है, अगर गांधी नहीं चाहते नेहरू कभी डॉ अंबेडकर को मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते,आप सिर्फ दलित चिंतन पढ़ते हैं लेकिन मैं सभी तरह के लोगों की किताबें पढ़ लेता हूं,जातिवाद न करने जिम्मेदारी जितनी मेरी है उतनी आपकी भी है इसलिए कृपया जाति की बात ना करें
एक बात बता भाई अगर गांधी के कहने पर नेहरू मंत्रिमंडल में अंबेडकर को ना रखते तो संविधान सभा के किसी कोने में बैठे रहते अंबेडकर फिर वो संविधान निर्माण को बस दूर से देखते। अंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष सिर्फ इसलिए बनाया गया क्युकी वह कानून मंत्री थे और संसद में कानून पर चर्चा और बिल पेश करना कानून मंत्री का काम होता है। संविधान कांग्रेस ही बनाती और उसके मंत्री ही निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे क्युकी कांग्रेस का पूर्ण बहुमत था संविधान सभा में । तुम सब की ये सबसे बड़ी कमी है कि सब कुछ जानते हुए भी बस जाति को लपक लेते हो। बताओ आज जो इतना अंबेडकर चिल्ला रहे सभी । उस समय जब संविधान बना तब नेहरू के आगे आंबेडकर क्या थे 😂😂😂 भारत रत्न के लायक भी नहीं समझा जाता था आज जाति वाद के कारण 1989 में भारत रत्न दिया गया
@@MentorSatishSinghhunke pas yoygta thi wo deserve krte the isliye inko ye work diya gya or aap ye batayenge gandhi ji aamran anshan par kyu bithe the Puna pact kya tha
आप चैनल को अनसब्सक्राइब नहीं कर रहे हैं बल्कि अनसब्सक्राइब करने की धमकी देकर दबाव की राजनीति कर रहे हैं , जो आप कर रहे हैं यह भी एक तरह का मनुवाद ही है
संसद भी कॉन्स्टिट्यूशन से चल रहा है, संसद शीतकालीन सत्र में मनुस्मृति पर चर्चा हुई है,ऐसे में साक्षात्कार निबंध इत्यादि के लिए मनुस्मृति पर भी थोड़ी चर्चा कर लेना चाहिए,यह तो अच्छी बात है लोकतंत्र की आज मनुस्मृति पर चर्चा कर पा रहे हैं,नहीं तो आज से 100 साल पहले,मनुस्मृति में वही बातें माननी होती थी जो हमें बताई जाती थी,आपको मनु से नफरत है यह मोहब्बत आपका अपना विषय है मनुस्मृति का हमारे समाज पर बहुत प्रभाव है,मैं थोड़ी सकारात्मक चर्चा कर लेने में कोई बुराई नहीं है
देश कॉन्स्टिट्यूशन से चल रहा है और कॉन्स्टिट्यूशन संसद से, पर संसद में एक नहीं कई सत्रों में, मनुस्मृति पर चर्चा हुई है, क्या पढ़ना है और क्या नहीं पढ़ना है आपको निर्धारित करने का अधिकार है, थोड़ा बहुत अधिकार मुझे भी है कि क्या पढ़ाना है और क्या नहीं पढ़ाना है, तो कृपया मेरे ऊपर अनावश्यक दबाव न बनाएं, और जिस संविधान की दुहाई दे रहे हैं इस संविधान के तहत मुझे भी अपनी बात रखने का अधिकार मिला हुआ है
आज के समय मेंअपने साहस उठाया यही बहुत बड़ी बातहै,देख रहा हूं कि किस तरह भेड़िया और कुत्तों की तरह लोग आप पर झपट रहे हैं,पर इतने ही तार्किक हो तो चर्चा करो ना,दबाव बनाकरएपिसोड को टलवाने का प्रयास क्यों कर रहे हो , दरअसल यह लोग समानता नहीं चाहते बल्कि नए तरह की शोषण वादी व्यवस्था चाहते है
यहां सब मानसिक बीमार हैं जातिवाद से एक बात तो साबित है हम लोग पढ़ लिख कर जाति से ऊपर उठ ही नहीं पाते । न तो किसी को शिक्षा का मतलब पता है न ही यहां किसी को न्याय मिलता है कमजोर हो या किसी जाति के हो तो न्याय मिलेगा नहीं तो पूरी जिंदगी न्यायालय के चक्कर काट ते रहो। Ex अतुल सुभाष और न जाने कितने लोग यहां गरीब को नहीं मिलता किसी जाति के हो यह पहले महत्त्व रखती है। कमी आज भी है कानून में, बराबरी की कमी है etc......
Toh fir bar bar bakwas krta kon h manusmriti pe jao jake samvidhan padho tmse toh o bhi nhi padha jata 😂😅 manusmriti ki burai ho rhi hoti toh na kahte ki samvidhan padhao tab kahte bs manusmriti pe Gyan jahrili bato
WAH SIR AAP M BHI JATIWAAD HAI FIR MUSLIMO KO Q GLT BOLTE HO SARIYA KANON PR ARAB M VHI LAGO HAI APRADH ZERO HAI OR HaN HUMANITY FIRST HAI SARIYA M AAJ AAPNE APNA ASLI CHRA DIKHA DIYA BYE GURU JI UNSUBSCRIBE
कभी समय मिले ना सर जी तो वेटिंग फॉर विजा अंबेडकर साहब का लिखा हुआ किताब पढ़ लेना कि अंबेडकर साहब को कितना प्रताड़ित किया गया था एक केवल केवल एक कास्ट में पैदा होने की वजह से
App Sab abhi itne ....gyaani nhi huye ki ...baba saheb ke kaam ka review kr sake.......ye dhyaan rkhna....... biased....najariya hota hai ....aor baba saheb ko galt kahte ho.....
पूरे वीडियो में मैंने यह भी कहा है कि अगर मनुस्मृति गलत है तो उसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए,आपने सिर्फ उतना ही सुना जितना आपका मतलब था,इसमें मेरा कोई दोष नहीं
@MentorSatishSinghh ....Sir ji ..App Sarvan Varn me aate hain..... isiliye ye hindu granth ke... Vichar aache lgte hain apko.... Lekin inhi grantho sapurn bharat ko jinh bhinh kar diya hai..... Isliye Manusmriti ko kewal pratibandhit hi nhi ......Nast kr dena chahiye......for the better future of country.....
क्रोध और बदले की भावना ने आप लोगों को इतना अंधा कर दिया है कि आप यह भी नहीं देख पा रहे कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री सिर्फ इसलिए बन पाए क्योंकि गांधी की जिद्द थी नहीं तो नेहरू जो की जाती निरपेक्ष और धर्मनिरपेक्ष छवि के व्यक्ति थे कभी भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते,और अगर महात्मा गांधी जातिवादी होतेतू शायद आज आप अंबेडकर का संविधान नहींकोई दूसरा ही संविधान पढ़ रहे होते,दरअसल आप लोग खुद एक एजेंडा लेकर चल रहे हैं आप समझ में एक नए तरीके शोषणवाद लाना चाहते हैं,जो की संभव नहीं है क्योंकि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का बनाया संविधान हीं कुछ ऐसा है,हां अगर आप मिल सकती है तो आप नया संविधान बना लीजिए ताकि आप नई तरह की तानाशाही खड़ी कर सके,मुद्दा सिर्फ इतना है की मनुस्मृति पर स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए,अगर आप मनुस्मृति को जलाने का समर्थन करेंगे,तो कहीं ना कहींडॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां तोड़ने वालों को भी समर्थन मिल जाएगा,नए समाज का निर्माण र्जलाने या तोड़ने से नहीं होता हैकी स्वस्थ चर्चा से होता है,मैंने यह पहल करने का साहस किया है,और अब जिस तरह से आप लोग मेरे ऊपर दबाव बना रहे हैं,मैं यह काम करके रहूंगा
Ias ki tyari karne walo ko samjhna chahiye k kis cheese ki tyari app kar rahe hai tarksangat bolna he ias ki pahchan hoti hai ambedkarwadi soch se nahi
आपकी बातों सेलग रहा है कि आप पूरी तैयारी के साथबोलने जा रहे हैं,जो लोग लोकतंत्र समानता की दुहाई देते हैं वही दबाव बना रहे हैं कि आप ऐसा कुछ ना बोले कि उनका एजेंडा कमजोर पड़े
Mahatma Gandhi ko rashta pita ka darza kabhi diya hi nahi gaya tha jo unase liya jaye...... RTI se ye baat pata chali h.... IAS ki coching me kripaya galat jankari na de
संविधान के रचयिता कहना सही नहीं सिर्फ़ इन्हें ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष कहना सही होगा क्योंकि स्थाई समिति के अध्यक्ष तो राजेंद्र प्रसाद जी थे तथा और भी बहुत कमेटियां थी।
Dekhiye sir ye log bhagwan ko gali de rhe hain papi log ambedkarwadi ambedkar kabhi bhagwan nahien ho sakte mana ki hamain hak dilayen hain hamare liye masiha hain lakin bhagwan nahien
Kal paida hokr aa gye vish k sab se bde vidhvan baba sahib Ambekar k mnusmriti k jalane pr gyan dene.ap.ki kya haisayat h baba sahib Ambekar k age or unke trko k.ghor mnuwad ki bu aa rhi h ap k itne baton se .j jo judge aj kal gyan bàatn rhe h unko b lgta ap jaise hi kisi teacher ne mnusmriti pdai h jo desh ki juridicaiary ka beda gark krne pr tule hue h mnusmriti pehle b galat thi or aj b or hmesha rhegi.
सर जी आज के समय में आप कितना अच्छा समझाने का प्रयास कर रहे है लेकिन वो व्यक्ति नहीं समझ सकते जिनको बहुविषय तथा भविष्य की चिंता नहीं है जो भौतिक सुख मानते है ।रही बात संविधान की वह दूसरे देशों का अनुसरण करता है ये किसी को भी दिखता है ।लेकिन जो अग्यानी है वह वर्ण व्यवस्था के खिलाफ है। क्योंकि वर्ण व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें कोई भी बेरोजगार कभी नहीं होता सभी अपने आपको आज के समय में व्यवसाय से पूर्ण होते लेकिन यही किसी को नहीं चाहिए था ।अंग्रेजों ने व्यवस्था को जातिगत बना कर फूट डालो नीति अपनाई थीं।सबसे पहले उन अग्यानी को सच को समझना होगा जो इतिहास में है । गांधी जी ने पूना pact को अस्वीकार कर दिया था । और जो समझना नहीं चाहते उन्हें आप समझा नहीं सकते।रही बात कानून की तो प्रथा और रीति पर आधारित है ये बात किसी को समझ नहीं आएगी।मेरा देश महान है यहां प्रेम वास करता है लेकिन मुगलों ने और अंग्रेजों ने डच और फ्रांसीसी सभी ने यहां अपने धर्म का पालन कराने के कोशिश की है सच कोई भी अपनाना नहीं चाहता है क्योंकि यह सभी डर में है।जो अग्यानी है बही डरता है जो ज्ञानी होता है बही सच को स्वीकार कर अपने प्राणों को भी दे देता है । सहमत हो तो ।🎉
तो फिर संसद के अंदर मनुस्मृति पर चर्चा नहीं होनी चाहिए सिर्फ संविधानपरिचर्चा होनी चाहिए,हमारे नेताओं को भी मनुस्मृति पर चर्चा नहीं करनी चाहिए,संविधान पर ही करना चाहिए,
Agar ghandi ji na hote toh samvidhan na bn pata baba sahab 1950 se pahle samvidhan kyu nhi bna paye usse pahle tm logo ka kast dur nhi kr paye . Ye toh vhi baat hai begani shadi me abdul diwana😅
Manu smriti ka apman karne wale kabhi sahi nahi ho sakte jo ushko padha nahi ushko use jalane ka koi adhikar nahi chahe wo bhim rao ambedkar ne he kia ho hamare desh main na jane kitane log savidhan aj tak nahi padha aur kayi cheese savidhan main bhi galat hai to kya use jalana uchit hoga budh granth na jane kitane logo ne nahi padha to kya use jalana uchit hoga kuran jo aj jihad ka nara deti hai kya use jalana uchit hoga baba sahab k ish kritye ko uchit kahne wale utane he dosi hai jitane baba sahab thye. Per nile kabutaro ko ye samajh nahi ayega.
3 hi sahi hai, koi manusmriti ko jaleyga toh dusra Ambedkar ki murti ka bhi niradar karega. Savidhan india ka hai, ye kisi ek Ambedkar ka nahi hai, ye kehna ki savidhan ki sirf Ambedkar ne hi ki hai, bilkul galat hai.
आपने पूरी निष्पक्ष होकर तीनों महान विचारों को समाज में समझाने की कोशिश की । हा जरूर इस बात को सामने आना चाहिए कि की क्या मनुस्मृति का विचार कहता हैं। क्या मनुस्मृति इतना गलत हैं जिसने एक भारत देश को विश्व गुरु बनने के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। क्या आंबेडकर जी सही हैं जिन्होंने बिना मनुस्मृति को समझे उसे जला दिया। मैं आंबेडकर जी का पूरी ईमानदारी के साथ सम्मान करती हूं लेकिन मुझे अगर उन से एक प्रश्न पूछने का मौका मिलता तो मैं ये जरूर पूछती की क्या आपने बौद्ध धर्म को मानने का केवल दिखावा किया था कि आप सच्चे बौद्ध धर्म के समर्थक थे जब थे ही समर्थक तो आप मांस का सेवन क्यूं करते थे जब की बुद्ध ने तो अपने भाई तक को सारस को घायल करने के लिए राजा के सामने दंडित करा दिया था वह तो मांस खाने का समर्थन नहीं करते थे तो आपने क्यूं किया । क्या वह गांधी जी सही जिन्होंने अहिंसा के रास्ते चल कर राष्ट्रीयता को सर्वोपरी रखा। कौन है सही। क्या हैं किसी के पास इसका उत्तर जो पूरी निष्पक्ष भावना से इनका सही सोच बता सकता हैं 🙏🇮🇳💚
अपने ज्ञान को दुरुस्त करे। महात्मा बुद्ध जीव हिंसा के विरोधी थे मांसाहार के नहीं। थोड़ा भी पढ़ी होती और स्त्री होने का आभास होता तो आंबेडकर और संविधान पर सवाल नहीं करती। उत्तर वैदिक काल से लेकर आज तक महिलाओं की स्थिति समाज में क्या है जाकर पढ़ो फिर सवाल करना।
Ambedkar sahab zindabad
Manusmriti Dahan diwas per aap sabhi ko shubhkamnaye
अगर आप मनुस्मृति दहन दिवस मनाएंगेतो कहीं ना कहीं लोगों को अंबेडकर साहब की मूर्ति तोड़ने के लिए बढ़ावा देंगे जलाने और तोड़ने का खेल तभी रुक सकता है जब स्वस्थ चर्चा हो,आक्रामकता भय नहीं पैदा करती आक्रामकता ही पैदा करती है,बिहार इसका ज्वालामुखी उदाहरण है जब वहां पर नक्सली सेना बनी तो रणवीर सेना भी बन गई
Samvidhan padh lia 😅 kuch aata bhi hai ki bs dahan diwas ki badhao dene layak hi bn paye ho😅
Baba sahab ki mrityu dahan diwas ki badhai😅
भारतीय संविधान 👉 भारत के प्रत्येक व्यक्ति को गहनता से अध्ययन की आवश्यकता है.....जिससे समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों की जानकारी हो👍
💙जय भीम💙
सहमत हूं आपकी बात से
मनुस्मृति हिन्दू का नहीं बल्कि ब्राह्मण का ग्रंथ है।
Matlab hindu alag hai or brahman alag hai kyu
@sonutiwari4295 तो तुम ही बताओ हिन्दू कौन कौन है?
लेकिन ब्राह्मण अर्थात् बमण शब्द बौद्ध धर्म का है।
@@gyanendrakumar7345aur wo baudh dharm kis dharm ka copy paste hai
आज की मनुस्मृति मूल मनुस्मृति नहीं है जिसमें एक लाख से भी अधिक श्लोक हुआ करते थे जो संकीर्ण सोच और कुव्यवस्था से सुसज्जित थे आज की मूल स्मृति में लगभग 2600 से 2700 श्लोक बचे हुए हैं।
सहमत हूं आपकी बात से
सर आप ध्येय ias का बेड़ा गर्त करके ही रहेंगे।एक शिक्षक होकर निष्पक्षता की जगह baes बन रहे है और स्टूडेंट्स को बांटने का काम कर रहे है।आपकी यह सोच बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
Wah bhai...koi book padhane se student bat jayega!! Tum Sach me khud se padhe likhe ho ya tum kewal logo ke sunkar gyani bane ho?
आप एक महान जातिवादी teacher हैं।..... Ok💐💐
आप खुद एक कोचिंग संचालक हैं, जाहिर है आप टारगेट करने का कोई मौका क्यों छोड़ेंगे
जब तक किसी भी वस्तु या किसी भी व्यक्तव्य के दोनों पहलुओं को नहीं समझ लेते तब हम उसके बारे में नहीं जान सकते एकतरफा होकर करना कुछ भी गलत है।
यदि कोई इसकी शुरुआत कर रहा है तो अच्छा है हमे अच्छी चीज अपने रख लेना है बाकी का फेंक देना है । हम केले का फल खाते है तो उसके छिलके को तो फेंक देते है क्योंकि वह हमारे उपयोग का नहीं।
Right 👍🏻
@@jaisiyaram9495क्या dr. अंबेडकर ने सभी पहलुओं को नही समझा होगा. क्या आप अंबेडकर की समझ पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं.
ये यूरिशियन मुखपुत्र नियोग से पैदा हुआ जान पड़ता हैं😂😂
मैने मनुस्मृति पढ़ी है इस विषाक्त और दूषित किताब मे बहुत ही कम अच्छा मिला लेकिन अधिकतम बकवास विभाजनकारी और मानवता विरोधी ही मिला जो समाज को बहुसंख्यक 90% लोगो को जानवरो से भी गिरा हुआ स्थान देने का काम किया जिसका खामियाजा बहुसंख्यक समाज और देश आज भी जूझ रहा है 😢
Kya पढ़ा है, जरा एक दो श्लोक का अध्ययन किया है, ठीक से पढ़ भी नहीं पयोगे,
और 90% लोग मनुस्मृति नहीं जला रहे हैं, किसी चीज को जला देना समाधान नहीं होता, समाधान चर्चा से निकलता है, कुछ लोग संविधान से भी सहमत नहीं है तो क्या संविधान को जला देना चाहिए, संविधान पर चर्चा करनी चाहिए, कुरान से सहमत नहीं होते हैं कुछ लोग बाइबल से नहीं होते तो क्या सबको जलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाए, तर्कसंगत चर्चा की जाए, ऐसे में अगर कुछ लोग अंबेडकर से सहमत न हो तो क्या अंबेडकर की फोटो जलाना शुरू कर दे,या अंबेडकर के विचारों पर चर्चा करें
@@anantsingh8410 इसने संविधान का भी केवल अनुच्छेद 14 पढ़ा होगा 😂😂😂
Kuchh nahi padha hai bs Vahi Bhed ke line me lg gya hai aur kuchh nhi
Tumne pada h tumhi bta do@@AARYAVART101
अब ऐसी सीमित बुद्धि और ओछी मानसिकता के अल्पज्ञानी व्यक्ति के विवेक पर थोड़ा सा प्रकाश डालना चाहूंगा, जिस विवेक का प्रयोग कर इन्होंने यह वीडियो बनाया और तथाकथित मनुस्मृति की व्याख्या करने की चाहत रख रहें है।( निःसंदेह हो,किंतु कुछ तथ्य है जो जानना अनिवार्य है:-)
1. ऐसे धर्मशास्त्र की व्याख्या एक ऐसे व्यक्ति के द्वारा की जाए जो न ही तथाकथित अभिजात्य वर्ग से हो ओर न ही शोषित वर्ग से।
2. गरीबी को पढ़ना और गरीबी को महसूस करना इन दोनों में जैसा अंतर है, वैसा ही इन ज्ञानी और महान विश्लेषक की मानसिकता और उद्देश्य में अंतर है, मनुस्मृति के विश्लेषण के परिप्रेक्ष्य में।
(यह तो आपकी प्रस्तावना से उदघोषित हो ही रहा है कि, बिचारे अबोध डॉ.आंबेडकर ने बिना पढ़े ही मनुस्मृति को जला दिया/ जिसके बनाए संविधान के दम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्र का प्रयोग जो आप कर रहे।)
अगर आप स्वघोषित तर्कशील,तटस्थ की भूमिका में है और जनसामान्य को मनुस्मृति का सारगर्भित ज्ञान देकर ज्ञानवान समाज का निर्माण करना चाहते है, तो ध्यान रखिएगा सबसे पहले आप जिस भी धर्म,समुदाय विशेष एवं विचारधारा वाले व्यक्ति है इसके बारे में अवश्य बताना न भूलें। (अन्यथा उपरोक्त तर्कशील एवं तटस्थ की भूमिका के व्यक्ति पर एक जोर का तमाचा संपूर्ण विवेकवान व्यक्तियों की तरफ से)
धन्यवाद❤
अगर वास्तविक ज्ञान और तर्क सहने की क्षमता है तो इस कमेंट को डिलीट मत करना।
फिलहाल आपको इतना बता देना ही काफी होगा कि मैं मनुस्मृति के कुछ अनुवाद को चुना है,जो किसी ब्राह्मण क्षत्रिय नहीं बल्कि पिछड़े वर्ग के लेखक ने लिखी है,मुझे पता था कि आप जैसी मानसिकता के लोग आएंगे और सवाल जरूर पूछेंगे इसलिए मैंने पहले से ही इस लेखक कुछ ना जो ब्राह्मण नहीं था भूलेख कौन है या जानने के लिए थोड़ा सा आपको भी मेहनत करनी पड़ेगी और मेरे एपिसोड देखने पड़ेंगे
@@MentorSatishSinghh बिल्कुल मै आपके सहनशीलता के प्रति अपना सादर आभार प्रकट करता हूँ। एवं एक अच्छे शिक्षक के रूप में आपको साधुवाद अर्पित करना चाहता हूं।
इसमें कोई संदेश नहीं कि मेरा भी तर्क,ज्ञान एवं विवेक सीमित है। किंतु मैं इस विषय में भरपूर रुचि रखता हूं, एवं इस संबंध में विस्तृत जानकारी का आकांक्षी भी हूँ।
पुनः धन्यवाद आपका।
ऐसे शिक्षक समाज के लिए सही मायने में प्रकाश स्तंभ है बशर्ते पर्याप्त संवेदना एवं वास्तविकता ज्ञान के अंश का आभास हो।
😊@@NAVEENKUMAR-pn2fm
🔥
Jay ambedkar ji
Jay samvidhan 🙏🙏🙏🙏🙏
जिस ग्रंथ में मनुष्य को मनुष्य नहीं कहा जाए तो समझो ग्रंथ नहीं
कृपया उसे श्लोक का फोटो खींचकर मुझे भेजें
अब आप मनुस्मृति पढ़ा कर IAS banayenge , बाबा साहेब 100℅ सही थे
Tum kya ias banoge beta kuch logic ke saath manusmriti padho sach me tum log murkh the murkh ho murkh hi rahoge😂😂
Aap samvidhan pd ke Dr bhi nhi bn skte
Nirbhr krta hai ki app job chahte hai ya gyan
Padh kr kya krega kota ke beekh fir bhi mangega
Formal education ko in formal se na jodo bhai
😂😂
Teacher sahab ko bhi BJP ka ticket chahiye.....😅
हमने भी पढ़ा है सर लिखने वाला कुछ बातें सही लिख देने से इससे कभी भी पूरी किताब अच्छी और सच्ची नहीं हो जाती अगर मनुस्मृति इतनी ही अच्छी है तो उसमें दंड विधान अलग अलग क्यों है पढ़ने का अधिकार तक नहीं है केवल एक विशेष जाति को पढ़ने का अधिकार है धन संपत्ति यहां तक की अच्छे कपड़े तक पहने का अधिकार नहीं है अब कोई कितने सालों बाद भी उसके पक्ष में तर्क दे तो उसे केवल विकसित मानसिकता का कहा जाएगा चाहे वह आप हो या कोई धर्म का बहुत बड़ा जानकारी प्रकांड विद्वान ही क्यों ना हो मनुस्मृति का समर्थन करने वाला एक जातिवादी मानसिकता को मानने वाला है मात्र और उससे बढ़कर कुछ नहीं आप भी अंत तक एक जातिवादी द्रोणाचार्य वाली मानसिकता के हैं धन्यवाद अपना पक्ष क्लियर करने के लिए
गूगल असिस्टेंट से लिखे हैं तो कुछ शब्दों में हेर फेर हो सकता है पर पढ़ने वाला समझदार होगा तो समझ जाएगा
अगर मैं सब कुछ यहीं पर स्पष्ट कर दूंगा तो 10-12 एपिसोड में क्या करूंगा, सही बात है दंड विधान की तो मैं सहमत हूं, वैसे एक जगह यह भी लिखा है कि ब्राह्मण को सबसे अधिक कठोर दंड विधान मिलना चाहिए, क्योंकि ब्राह्मण पाप और पुण्य का अधिक ज्ञान रखता है, शायद यह आपको मनुस्मृति में नहीं दिखा होगा, और दूसरी बात रही द्रोणाचार्य की, द्रोणाचार्य को आप कुंठित और जातिवादी मानसिकता को का बता रही है, द्रोणाचार्य की प्रशंसा तो श्याम भगवान कृष्ण भी करते थे, अर्जुन भी करता था भीष्म भी करते थे, उसे द्रोणाचार्य को यह भी पता था कि दुर्योधन हार जाएगा, फिर भी वह हारने वाली सेना के पक्ष में लड़ रहा था अपने नमक का कर्ज अदा कर रहा था, जिस तरह से कुछ बातें गलत होने से पूरी किताब अच्छी नहीं हो जाती, उसी तरह किसी व्यक्ति का एक नकारात्मक पक्ष उसके पूरे व्यक्तित्व का निर्धारण नहीं करता,और यह तो आज भी है अगर आप किसी एक कंपनी में काम कर रहे हैं और दूसरी कंपनी के लिए छुपाकर काम करेंगे आपसे कंपनी अपना कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर देगी,यदि द्रोणाचार्य की अर्जुन सबसे बड़ा धनुर्धर बनेगा अर्जुन को धनुर्धर उन्हें बनाना ही था,समस्या यह है कि आप मौजूदा संविधान से लेकर वेद पुराण उपनिषद सब कुछ अपने हिसाब से लिखना चाहते हैं,सब कुछ अपने हिसाब से तो भगवान भी नहीं चला सकता आप तो अभी बच्चे हैं
Best Educator in TH-cam
Ise kharidkr pdne se acha h m... Constitution book khard lu taki apne rights jaan sku...😂😂😂
Phir sanshodhan ho jayega
Agr apko sachchai janni hai to kharidi nhi to jab pda nhi fir bolo bhi uske bare me
जिस पुस्तक के कारण पूरे भारत देश की
हानि हुई है उस पुस्तक का अब ए महाशय
अध्ययन कर एपिसोड चलाएंगे।
अगर देश समाज के लिए कुछ करना है तो
सही चीज का अध्ययन करके लोगों तक पहुंचाओ।
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए भारतीय संविधान लागू होने के बाद भी हम लोग कोई विश्व की सबसे बड़ी शक्ति नहीं बन पाए हैं हर व्यवस्था पर विधान में कुछ ना कुछ कमी होती है,भारतीय संविधान भी तमाम अंतर विरोध और कर्मियों से भरा पड़ा है,तो फिर जो सहमत रखते हैं उन्हें भी संविधान जलाने का अधिकार मिलना चाहिए क्या,हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दो कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था इस संविधान को जला देना चाहिए,जिस संविधान की आप दुहाई दे रहे हैं,का कहना था संविधान राक्षसों के हाथ में चला गया, तो संभव है की मनुस्मृति किसी जमाने में राक्षसों के हाथ चली गई हो
हानि तो संविधान के तमाम अंतर विरोध के कारण भी है,तो फिर मनुस्मृति के साथ संविधान जलाने में भी कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए
विविधता मूलक bharat देश संविधान से चल रहा है तो चर्चा संविधान पर होनी चाहिए .
मनुस्मृति विवाद समाज को तोड़ रहा है,संविधान के दायरे में रहकर ही चर्चा की जाएगी😊
मास्टर साहब मनुस्मृति की औकात क्या है, सिर्फ भारत जैसे विश्व के एक टुकड़े में...जबकि बाबा साहेब की पूजा विश्व के हर कोने में होती है। अमेरिका में भी।
महात्मा गांधी की भी पूजा पूरे विश्व में होती है
3-4 minute ka jitna bhi episode hai vo sab aap hi banaya kijiye sir,, aapko dekhkar double attention milta hai❤❤❤❤❤
धन्यवाद जी😊
बात मनुस्मृति की नहीं है बल्कि वर्तमान में हिन्दुओं के व्यवहार की है क्या आज भी समाज में जाति के आधार पर व्यवहार नहीं किया जाता ।क्या मनुस्मृति का समर्थन करने वाले इस पर अपना क्या दृष्टिकोण क्या सकारात्मक रूप से दर्शाते है। आज समाज की वास्तविक सच्चाई को
झुठलाया जा सकता है।
good video sir.... aapka ye episode dhyeya ias ko pure india men pahchan dilayega
लोग boycutt करेंगे अब इनका,
यह एक अच्छा प्रयास है। क्योंकि स्वध्याय बहुत आवश्यक हैं।
आप में एक अच्छे शिक्षक के सभी गुण विद्यमान हैं। ❤❤
आप लोग क्या तुले हो मनुस्मृति को सही साबित करने में
Baba sahab ambedkar sahi hai baki manusmriti aur Mahatma Gandhi dono galat hai
Kya tmko ni lgta ki isme thode se logo k liye chand brhaman bs ko badhawa deti hai baki abhi insano ko choot manti hai yaha tak ki aurato ko b unka b shoshan karti hai ye manusmriti videsho m to aisa ni hai waha to sab ko saman rkha jata hai aur sabhi khus hai sabhi Amir hai unke dharm granth to ni aisa kuch btate ya sikhate aur yaha hindu hi hindu ko is granth k madhyam se kha rha aur to kisi aur logo ko khane ki to ye granth aukat hi ni sikhate
अब आप मुझे बोलने भी नहीं देंगे, अगर इतिहास में शूद्रों को बोलने नहीं दिया गया तो अत्याचार था, आप दबाव बनाकर मुझे बोलने से रोक रहे हैं यह क्या है,आप कह रहे हैं वह आपका मत है,पर आप इतना आक्रामक होकर दूसरों को अपना मत रखने से रोक नहीं सकते,लोकतंत्र सूचना अधिकार आपको देता है उतना ही अधिकार मुझे भी देता है
Ha shi bat h, hmm sb apni apni bat rakhne ka pura adhikar h or ye adhikar smbhidhan deta h manu smruti nhi.... Isliye jay sambhidhan jay bhart...
मनु स्मिर्ति से 100% सही हैं भारत का 🙏संविधान🙏.......jai अम्बेडकर जी।.... Jai संविधान. 🌻🌻
और इस संविधान के तहत मुझे भी बोलने का अधिकार है,मैं देख रहा हूंघड़ी लग गई है ऐसे लोगों की जो मेरे इस संवैधानिक अधिकार को छीन लेना चाहते हैं,वह लोग चाहते हैं कि मैं वही बोलूं जो उनके हित में है और अच्छा लगता है,पर अगर मैं आपके हिसाब से चलूंगा तो मेरे संवैधानिक अधिकारों का क्या
आप गलत जानकर देते हैं आप को लगता है आप बाबा साहेब से ज्यादा पढे लिखे हैं शर्म करो।
Iska matlab tm dimak lekar paida hi nhi huye ki thoda ambedkar se bhi jyada padh lo aur tum bhi mahapurush bn jao . 😅
Manusmriti .. .Me jo galat hai uska asar niche jat walo pr jyada pda ..Baki logo ko mja aaya
वह इसलिए की मनुस्मृति की अच्छी बातों को नकार दिया गया और उसको तोड़ मरोड़ कर नीची जाति वाले लोगों के शोषण का आधार बनाया गयाबस यही बताना चाह रहा हूं कि मनुस्मृति काहर युग में अपने अपने हिसाब से अपने अपने स्वार्थ के लिए किया गया,मनुस्मृति में ब्राह्मणों के लिए दंड विधान शूद्रों के लिएकी दंड विधान से अधिक कठोर है,स्वघोषित दलित उद्धारक आपको यह कभी नहींबताएंगे, स्वस्थ चर्चा का आवाहन कर रहा हूं तो कृपया सहयोग करें
गपोड़ी न बने । अंबेडकर जी ने मनुस्मृति को पढ़कर सामने बिठाए गए ब्राह्मण से जलवाया था । अंबेडकरवादी नजरिए से ही इसको देखना पड़ेगा वरना मनुवादी हावी हो जाएगा
ब्राह्मण का नाम बताने का कष्ट करें
मनुस्मृति की वकालत करने वाले, जरा एक बार उन लोगों को यह उपदेश देकर देखो जिनको जाति के आधार पर उनके अधिकारों से वंचित रखा जाता है।
आप उतना ही सुनते हैं जितना आपको आपके हिसाब से सही लगता है,मैं स्पष्ट रूप से कहा है अगर मनुस्मृति गलत है तो उसे प्रतिबंधित किया जाना चाहिए,साथ में यह भी कहा है कि अगर डा० अंबेडकर गलत है तो उनके भी कार्यों का विश्लेषण करना चाहिए पर आपने सिर्फ अपने मतलब का सुना
@MentorSatishSinghh आपने यह कहा कैसे कि बाबा साहेब गलत हैं, जो दलितों, महिलाओं, पिछड़ों के उद्धारक हैं। अगर इतनी ही सही है मनुस्मृति तो क्यों सालों से शूद्रों को पानी तक पीने का अधिकार नहीं दिला पाई, क्यों महिलाओं और शूद्रों को शिक्षा से वंचित रखा गया?
@@MentorSatishSinghhmanusmriti ke kaun se niyam lagu h india me
आप के हिसाब से yani मनुस्मृति सही है
अगर ऐसा ही था तो देश गुलाम ना होता
इतने atayachar जो हुए और जो हो रहे है वो नही होता
कभी किसी को घोड़ी पर chadne के लिए मारा जाता हैं, कभी किसी को मुछ रखने के लिए मारा जाता हैं
अगर आपको लगता हैं अम्बेडकर साहब ने गलत किया था तो आइए समाज मे dekhiye तब कहिये
एक कैमरे के सामने आकर बोल देने से सब सही नही हो जाता हैं
कुछ चीजो को Experience भी किया जाता हैं जो की आप करेंगे नही
हम सब लोग जातिवाद से बीमार है सब मतलब सब।
आप भी हम भी।
किसी को ज्यादा मिलता है किसी को मिलता ही नहीं ।
फला जाति के हो गाड़ी है पैसा है तो भी गरीब हो और सब मिलेगा लेकिन फला जाति के हो गरीब हो तब भी आपको नहीं मिलेगा क्यूंकि जाति अलग है सत्य है कड़वा भी।
न्याय तो हम जैसे लोगों को संविधान भी नहीं दे सकता पूरी उम्र निकल जाती हैं न्यायालय के चक्कर लगाने में
Example अतुल सुभाष और लाखों लोग।
Sir es class ko youtube pr bhi upload kre please
😊😊
Manusmriti ke expert kabhi bhi IAS judge nahi ban sakte hai, isliye ye bhi nahi ban paaye hai. But I respect ur right of expression and speech, dekhte kya baahar niklata hai, but ambedkar ahead of their time, legend, intellectual.
Manusmriti ke log hee Adhikansh IAS bne hai ❤❤❤❤❤❤
Baba shahb ambedkar 100℅ shi hai
100% तो धरती पर भगवान भी सही नहीं हो पाया यह आपकी कट्टरता है आपकी आस्था नहीं
Thank you so much sir 😊
I will wait sir🙏
धन्यवाद
Nice
Mai ambedkar ko manta lekin aapki class ka intezar hai
यह विषय भारतीय समाज और इतिहास में गहरी रुचि और विवाद का विषय रहा है। मनुस्मृति, जिसे प्राचीन हिंदू धर्मशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, विभिन्न दृष्टिकोणों और व्याख्याओं के साथ जुड़ी हुई है।
Only br Ambedkar ❤❤❤
Es Class ko youtube per bhi laeye sir
01:15 Dharm parivartan kiya ja raha nahi he. Dharm ko ham chhod rahe he jo jo Dharm hane nahi manta ham uss dharm ko nahi mante, thoda brain wash kam kara karo logo ka ye aapko shobha nahi deta 😡
मतलब अब मैं वही बोलूं जो आप चाहते हैं,थोड़ा इंतजार कर लीजिए हो सकता है जो आप चाहते हैं वही मैं बोलूं,नहीं हो सकता है कि मैं आपकी हां में हां ना मिला हूं,मैं नेता नहीं हूं मैं एक शिक्षक हूं,और अगर आप लोकतंत्र को समझते हैंकिसी कोको अपना विचार रखने का अधिकार है,से सहमत होना या ना होना आपका अधिकार है,फिर तो अभी तक तो मैंने कोई एपिसोड जारी ही नहीं किया इसलिए अनावश्यक तबाह बनाकर आप मेरा ब्रेनवाश करने की कोशिश कर रहे हैं
Why people are defending Manusmriti they can’t. It is only possible, If they will interpret it with their convenience
Dr. B. R. Ambedkar 🙏🙏
बहुत अच्छा
Kindly isko TH-cam pr v upload kren each episodes kyoki ye public domain me rhega to sbka gyanwardhan hoga
आपके सुझाव पर विचार किया जाएगा
Aap explain kare good hai but ab tak n jane kitne baar usme word ko remove karke new word dale gaye hai to uska kya
बिल्कुल सही बात है
और संविधान ने तो जाति को संवैधानिक बना दिया ।।
तो काम तो मनुस्मृति वाला ही किया
😊😊
Manu smriti bilkul band hona chahiye
माना कि मनुस्मृति सही है परन्तु इन्सान को इन्सान न समझना और किसी शूद्र को ब्राह्मण बनने का विकल्प नहीं था इसलिए कहा जा सकता है कि विशेष वर्ग के लोगों के लिए ही है...
सही और गलत का निर्णय समय कल और परिस्थिति को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए,उसे कल में ब्राह्मण आरक्षण सही था,इस काल में दलित पिछड़ा आरक्षण सही है,आज क्या आरक्षण के पीछे आपकी अपनी तर्क है,तो उन्होंने भी कुछ अपने तर्क दिए ही होंगे,अब जो लोग इस दुनिया में है ही नहीं, उन पर आप कोई भी आरोप लगा सकते हैं निर्भीकता के साथ क्योंकि आपको ही पता है आरोपित जवाब देने के लिए इस धरती पर उपलब्ध नहीं है
@@MentorSatishSinghh आरक्षण अब सबको मिलता है।
परंतु बहुजनो को आजकल किसी भी परिस्थिति हो , उन्हें हेय दृष्टि आज भी देखा जा सकता है
सर मनुस्मृति की मूल कृति का नाम बताया जाए। जिसमें मिलावट न हो।
यह अच्छा प्रश्न है, हकीकत तो यह है की मनुस्मृति की मूल प्रति उपलब्धि नहीं है,केवल कुछ पांडुलिपियों को आधार बनाकर मनुस्मृति तैयार कर दी गई, अंग्रेजों द्वारा,इस मनुस्मृति को आधार बनाकर समाज को दो हिस्सों में तोड़ दिया गया है,मनुस्मृति की मूल प्रति है ही नहीं।
@MentorSatishSinghh फिर भी कोई ऐसा प्रकाशन तो होगा जिसपर विश्वास किया जा सके।
महात्मा गांधी तो हमेशा से चाहते थे कि दलित दलित ही रहें ....... पहले पढ़ो कि गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा किसने दिया........ तुम्हारी आत्मा भी जाग गई कियू कि यहां तुम्हारी भी जाति पर भी बात आ गई है
महात्मा गांधी चाहते थे कि दलित दलित रहे यह आपको जिसने बताया क्या उसने आपको ये नहीं बताया कि और गांधी ने नेहरू पर दबाव बनाया था कि संविधान सभा में अंबेडकर का होना बहुत जरूरी है, अगर गांधी नहीं चाहते नेहरू कभी डॉ अंबेडकर को मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते,आप सिर्फ दलित चिंतन पढ़ते हैं लेकिन मैं सभी तरह के लोगों की किताबें पढ़ लेता हूं,जातिवाद न करने जिम्मेदारी जितनी मेरी है उतनी आपकी भी है इसलिए कृपया जाति की बात ना करें
एक बात बता भाई अगर गांधी के कहने पर नेहरू मंत्रिमंडल में अंबेडकर को ना रखते तो संविधान सभा के किसी कोने में बैठे रहते अंबेडकर फिर वो संविधान निर्माण को बस दूर से देखते। अंबेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष सिर्फ इसलिए बनाया गया क्युकी वह कानून मंत्री थे और संसद में कानून पर चर्चा और बिल पेश करना कानून मंत्री का काम होता है।
संविधान कांग्रेस ही बनाती और उसके मंत्री ही निर्माण में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे क्युकी कांग्रेस का पूर्ण बहुमत था संविधान सभा में ।
तुम सब की ये सबसे बड़ी कमी है कि सब कुछ जानते हुए भी बस जाति को लपक लेते हो। बताओ आज जो इतना अंबेडकर चिल्ला रहे सभी । उस समय जब संविधान बना तब नेहरू के आगे आंबेडकर क्या थे 😂😂😂
भारत रत्न के लायक भी नहीं समझा जाता था आज जाति वाद के कारण 1989 में भारत रत्न दिया गया
@@MentorSatishSinghhunke pas yoygta thi wo deserve krte the isliye inko ye work diya gya or aap ye batayenge gandhi ji aamran anshan par kyu bithe the Puna pact kya tha
एकदम सही राह पर है
अब मनु स्मृति भी बदल गई होगी...
It's true Manu smriti ko koi achi Tarah se samajh nhi paya
केवल इन मेंटर साहब के वजह से चैनल ही अनसब्सक्राइब कर रहा
जय संविधान
आप चैनल को अनसब्सक्राइब नहीं कर रहे हैं बल्कि अनसब्सक्राइब करने की धमकी देकर दबाव की राजनीति कर रहे हैं , जो आप कर रहे हैं यह भी एक तरह का मनुवाद ही है
मिर्ची लगती है असलियत सुन कर 😂
मनु स्मृति को एक बार पढ़ा जरूर जाना चाहिए....
Desh aj constitution se chl rha h ar manusmriti ki class chlayege religion ki padhai suru dhey tv pr
संसद भी कॉन्स्टिट्यूशन से चल रहा है, संसद शीतकालीन सत्र में मनुस्मृति पर चर्चा हुई है,ऐसे में साक्षात्कार निबंध इत्यादि के लिए मनुस्मृति पर भी थोड़ी चर्चा कर लेना चाहिए,यह तो अच्छी बात है लोकतंत्र की आज मनुस्मृति पर चर्चा कर पा रहे हैं,नहीं तो आज से 100 साल पहले,मनुस्मृति में वही बातें माननी होती थी जो हमें बताई जाती थी,आपको मनु से नफरत है यह मोहब्बत आपका अपना विषय है मनुस्मृति का हमारे समाज पर बहुत प्रभाव है,मैं थोड़ी सकारात्मक चर्चा कर लेने में कोई बुराई नहीं है
देश कॉन्स्टिट्यूशन से चल रहा है और कॉन्स्टिट्यूशन संसद से, पर संसद में एक नहीं कई सत्रों में, मनुस्मृति पर चर्चा हुई है, क्या पढ़ना है और क्या नहीं पढ़ना है आपको निर्धारित करने का अधिकार है, थोड़ा बहुत अधिकार मुझे भी है कि क्या पढ़ाना है और क्या नहीं पढ़ाना है, तो कृपया मेरे ऊपर अनावश्यक दबाव न बनाएं, और जिस संविधान की दुहाई दे रहे हैं इस संविधान के तहत मुझे भी अपनी बात रखने का अधिकार मिला हुआ है
💯 sir , who blamed manusmriti actually they didn't read a shlok they just hating on their whatsapp university knowledge. @@MentorSatishSinghh
आज के समय मेंअपने साहस उठाया यही बहुत बड़ी बातहै,देख रहा हूं कि किस तरह भेड़िया और कुत्तों की तरह लोग आप पर झपट रहे हैं,पर इतने ही तार्किक हो तो चर्चा करो ना,दबाव बनाकरएपिसोड को टलवाने का प्रयास क्यों कर रहे हो , दरअसल यह लोग समानता नहीं चाहते बल्कि नए तरह की शोषण वादी व्यवस्था चाहते है
2500 saal pahle ka granth aakhir tha kya
❤❤❤❤❤❤
यहां सब मानसिक बीमार हैं जातिवाद से
एक बात तो साबित है हम लोग पढ़ लिख कर जाति से ऊपर उठ ही नहीं पाते ।
न तो किसी को शिक्षा का मतलब पता है न ही यहां किसी को न्याय मिलता है कमजोर हो या किसी जाति के हो तो न्याय मिलेगा नहीं तो पूरी जिंदगी न्यायालय के चक्कर काट ते रहो।
Ex अतुल सुभाष और न जाने कितने लोग
यहां गरीब को नहीं मिलता किसी जाति के हो यह पहले महत्त्व रखती है।
कमी आज भी है कानून में, बराबरी की कमी है etc......
मनुस्मृति दहन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉🎉🎉🎉
Ab tum samvidhan ko nahi IAS PCS ke students ko manusmriti padhao
संविधान भी BN rau का लिखा है😂
Toh fir bar bar bakwas krta kon h manusmriti pe jao jake samvidhan padho tmse toh o bhi nhi padha jata 😂😅 manusmriti ki burai ho rhi hoti toh na kahte ki samvidhan padhao tab kahte bs manusmriti pe Gyan jahrili bato
आप जातिवादी विचार से ग्रस्त है ...
मैं बजरंगबली नहीं हूं जो सीना खोल कर आपको दिखा सकूं,और ऐसा करने के लिए मैं बात भी नहीं हूं,अगर आपको ऐसा लगता है तो यह आपका पूर्वाग्रह है
WAH SIR AAP M BHI JATIWAAD HAI
FIR MUSLIMO KO Q GLT BOLTE HO
SARIYA KANON PR ARAB M VHI LAGO HAI APRADH ZERO HAI OR HaN HUMANITY FIRST HAI SARIYA M
AAJ AAPNE APNA ASLI CHRA DIKHA DIYA BYE GURU JI UNSUBSCRIBE
क्यों साले चर्चा करने की हिम्मत नहीं है, दबाव बना रहे हो
कभी समय मिले ना सर जी तो वेटिंग फॉर विजा अंबेडकर साहब का लिखा हुआ किताब पढ़ लेना कि अंबेडकर साहब को कितना प्रताड़ित किया गया था एक केवल केवल एक कास्ट में पैदा होने की वजह से
अवश्य पढ़ूंगा अगर आपके पास पीडीएफ हो तो आप मुझे अवेलेबल भी कर सकते हैं,सकारात्मक आलोचना का सदैव स्वागत है
@@MentorSatishSinghhmanusmriti ki puri book mil gyi ye pdf nhi mil rhi h aapko😮
ye pahal sarahniya hai…😊😊😊😊
App Sab abhi itne ....gyaani nhi huye ki ...baba saheb ke kaam ka review kr sake.......ye dhyaan rkhna....... biased....najariya hota hai ....aor baba saheb ko galt kahte ho.....
पूरे वीडियो में मैंने यह भी कहा है कि अगर मनुस्मृति गलत है तो उसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए,आपने सिर्फ उतना ही सुना जितना आपका मतलब था,इसमें मेरा कोई दोष नहीं
@MentorSatishSinghh ....Sir ji ..App Sarvan Varn me aate hain..... isiliye ye hindu granth ke... Vichar aache lgte hain apko....
Lekin inhi grantho sapurn bharat ko jinh bhinh kar diya hai.....
Isliye Manusmriti ko kewal pratibandhit hi nhi ......Nast kr dena chahiye......for the better future of country.....
Video heading be like: खाने की वस्तुओं में मिलावट करना सही या गलत?
क्रोध और बदले की भावना ने आप लोगों को इतना अंधा कर दिया है कि आप यह भी नहीं देख पा रहे कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री सिर्फ इसलिए बन पाए क्योंकि गांधी की जिद्द थी नहीं तो नेहरू जो की जाती निरपेक्ष और धर्मनिरपेक्ष छवि के व्यक्ति थे कभी भी डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को अपने मंत्रिमंडल में जगह नहीं देते,और अगर महात्मा गांधी जातिवादी होतेतू शायद आज आप अंबेडकर का संविधान नहींकोई दूसरा ही संविधान पढ़ रहे होते,दरअसल आप लोग खुद एक एजेंडा लेकर चल रहे हैं आप समझ में एक नए तरीके शोषणवाद लाना चाहते हैं,जो की संभव नहीं है क्योंकि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का बनाया संविधान हीं कुछ ऐसा है,हां अगर आप मिल सकती है तो आप नया संविधान बना लीजिए ताकि आप नई तरह की तानाशाही खड़ी कर सके,मुद्दा सिर्फ इतना है की मनुस्मृति पर स्वस्थ चर्चा होनी चाहिए,अगर आप मनुस्मृति को जलाने का समर्थन करेंगे,तो कहीं ना कहींडॉ भीमराव अंबेडकर की मूर्तियां तोड़ने वालों को भी समर्थन मिल जाएगा,नए समाज का निर्माण र्जलाने या तोड़ने से नहीं होता हैकी स्वस्थ चर्चा से होता है,मैंने यह पहल करने का साहस किया है,और अब जिस तरह से आप लोग मेरे ऊपर दबाव बना रहे हैं,मैं यह काम करके रहूंगा
Aap shahi hai Sir
मिलेंगे एक तारीख को
स्वागत हैआपका
👏👏👏👏
Dal me Kuchh kala hai, esko teacher bolana bhi Teacher ka apman hoga, ye sahab academy ka bhi bera gark kar dega.Jai Bharat...
Ambedkarwadi soch se manusmriti hamesa galat he najar ayegi app sahi rah per hai sir per kitane nile kabutar lal pile ho jayenge
Ias ki tyari karne walo ko samjhna chahiye k kis cheese ki tyari app kar rahe hai tarksangat bolna he ias ki pahchan hoti hai ambedkarwadi soch se nahi
आपकी बातों सेलग रहा है कि आप पूरी तैयारी के साथबोलने जा रहे हैं,जो लोग लोकतंत्र समानता की दुहाई देते हैं वही दबाव बना रहे हैं कि आप ऐसा कुछ ना बोले कि उनका एजेंडा कमजोर पड़े
Ye sb RSS ke agent h ye koi institutions thodi h, RSS ki branches h
ग्रेट बाबा साहेब
ambedar sahab jindabad
Mahatma Gandhi ko rashta pita ka darza kabhi diya hi nahi gaya tha jo unase liya jaye...... RTI se ye baat pata chali h....
IAS ki coching me kripaya galat jankari na de
Nhi nhi tum hi sahi ho .
Jay bhim
इंतजार रहेगा आपकी classes ka
शुक्रिया
जय भीम 🙏🙏🙏
Jai sariya jai cement jai gitti Balu jai morang , jai chota bhim😊
संविधान के रचयिता कहना सही नहीं सिर्फ़ इन्हें ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष कहना सही होगा क्योंकि स्थाई समिति के अध्यक्ष तो राजेंद्र प्रसाद जी थे तथा और भी बहुत कमेटियां थी।
Dekhiye sir ye log bhagwan ko gali de rhe hain papi log ambedkarwadi ambedkar kabhi bhagwan nahien ho sakte mana ki hamain hak dilayen hain hamare liye masiha hain lakin bhagwan nahien
😊😊😊
😂😂😂
Bhagwan ne aapko kaun sa huq dilaya h
Ye admi Teacher ke layak nahi
Kal paida hokr aa gye vish k sab se bde vidhvan baba sahib Ambekar k mnusmriti k jalane pr gyan dene.ap.ki kya haisayat h baba sahib Ambekar k age or unke trko k.ghor mnuwad ki bu aa rhi h ap k itne baton se .j jo judge aj kal gyan bàatn rhe h unko b lgta ap jaise hi kisi teacher ne mnusmriti pdai h jo desh ki juridicaiary ka beda gark krne pr tule hue h mnusmriti pehle b galat thi or aj b or hmesha rhegi.
सर जी आज के समय में आप कितना अच्छा समझाने का प्रयास कर रहे है लेकिन वो व्यक्ति नहीं समझ सकते जिनको बहुविषय तथा भविष्य की चिंता नहीं है जो भौतिक सुख मानते है ।रही बात संविधान की वह दूसरे देशों का अनुसरण करता है ये किसी को भी दिखता है ।लेकिन जो अग्यानी है वह वर्ण व्यवस्था के खिलाफ है। क्योंकि वर्ण व्यवस्था एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें कोई भी बेरोजगार कभी नहीं होता सभी अपने आपको आज के समय में व्यवसाय से पूर्ण होते लेकिन यही किसी को नहीं चाहिए था ।अंग्रेजों ने व्यवस्था को जातिगत बना कर फूट डालो नीति अपनाई थीं।सबसे पहले उन अग्यानी को सच को समझना होगा जो इतिहास में है । गांधी जी ने पूना pact को अस्वीकार कर दिया था । और जो समझना नहीं चाहते उन्हें आप समझा नहीं सकते।रही बात कानून की तो प्रथा और रीति पर आधारित है ये बात किसी को समझ नहीं आएगी।मेरा देश महान है यहां प्रेम वास करता है लेकिन मुगलों ने और अंग्रेजों ने डच और फ्रांसीसी सभी ने यहां अपने धर्म का पालन कराने के कोशिश की है सच कोई भी अपनाना नहीं चाहता है क्योंकि यह सभी डर में है।जो अग्यानी है बही डरता है जो ज्ञानी होता है बही सच को स्वीकार कर अपने प्राणों को भी दे देता है । सहमत हो तो ।🎉
Or tu saari cheese achhi hi batyega un 12 adhyomein
तुम्हारी अम्मा ने सपने में आकर बताया था क्या बे
Aap sahi ko sahi or galat ko galat kahte ho
Manusmruti
Samvidhan padhaye aap desh usi se chal ra hai
तो फिर संसद के अंदर मनुस्मृति पर चर्चा नहीं होनी चाहिए सिर्फ संविधानपरिचर्चा होनी चाहिए,हमारे नेताओं को भी मनुस्मृति पर चर्चा नहीं करनी चाहिए,संविधान पर ही करना चाहिए,
Thanks 🙏 sir ji
स्वागतहै आपका
Baba ji sahi hai
Ghandhi wrong
1 जनवरी से मेरे आ रहे हैं एपिसोड जरूर देखें😊
Agar ghandi ji na hote toh samvidhan na bn pata baba sahab 1950 se pahle samvidhan kyu nhi bna paye usse pahle tm logo ka kast dur nhi kr paye .
Ye toh vhi baat hai begani shadi me abdul diwana😅
@@shwetatiwari1076hum logon ke kst kast Dene Wale kaun the ?
Manu smriti ka apman karne wale kabhi sahi nahi ho sakte jo ushko padha nahi ushko use jalane ka koi adhikar nahi chahe wo bhim rao ambedkar ne he kia ho hamare desh main na jane kitane log savidhan aj tak nahi padha aur kayi cheese savidhan main bhi galat hai to kya use jalana uchit hoga budh granth na jane kitane logo ne nahi padha to kya use jalana uchit hoga kuran jo aj jihad ka nara deti hai kya use jalana uchit hoga baba sahab k ish kritye ko uchit kahne wale utane he dosi hai jitane baba sahab thye.
Per nile kabutaro ko ye samajh nahi ayega.
3 hi sahi hai, koi manusmriti ko jaleyga toh dusra Ambedkar ki murti ka bhi niradar karega. Savidhan india ka hai, ye kisi ek Ambedkar ka nahi hai, ye kehna ki savidhan ki sirf Ambedkar ne hi ki hai, bilkul galat hai.
आपने पूरी निष्पक्ष होकर तीनों महान विचारों को समाज में समझाने की कोशिश की । हा जरूर इस बात को सामने आना चाहिए कि की क्या मनुस्मृति का विचार कहता हैं।
क्या मनुस्मृति इतना गलत हैं जिसने एक भारत देश को विश्व गुरु बनने के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
क्या आंबेडकर जी सही हैं जिन्होंने बिना मनुस्मृति को समझे उसे जला दिया। मैं आंबेडकर जी का पूरी ईमानदारी के साथ सम्मान करती हूं
लेकिन मुझे अगर उन से एक प्रश्न पूछने का मौका मिलता तो मैं ये जरूर पूछती की क्या आपने बौद्ध धर्म को मानने का केवल दिखावा किया था कि आप सच्चे बौद्ध धर्म के समर्थक थे जब थे ही समर्थक तो आप मांस का सेवन क्यूं करते थे जब की बुद्ध ने तो अपने भाई तक को सारस को घायल करने के लिए राजा के सामने दंडित करा दिया था वह तो मांस खाने का समर्थन नहीं करते थे तो आपने क्यूं किया । क्या वह गांधी जी सही जिन्होंने अहिंसा के रास्ते चल कर राष्ट्रीयता को सर्वोपरी रखा। कौन है सही। क्या हैं किसी के पास इसका उत्तर जो पूरी निष्पक्ष भावना से इनका सही सोच बता सकता हैं 🙏🇮🇳💚
😊😊😊😊
Usi manusmriti me women ke bare me kya likha Tha usako bhi padh leti
👍😂@@abhishekabhishek3813
अपने ज्ञान को दुरुस्त करे। महात्मा बुद्ध जीव हिंसा के विरोधी थे मांसाहार के नहीं। थोड़ा भी पढ़ी होती और स्त्री होने का आभास होता तो आंबेडकर और संविधान पर सवाल नहीं करती। उत्तर वैदिक काल से लेकर आज तक महिलाओं की स्थिति समाज में क्या है जाकर पढ़ो फिर सवाल करना।
मनुस्मृति का अपमान नही सहेगा हिंदुस्तान