आत्मा परमात्मा का अंश: मिथ्या या सच? क्या आत्मा ईश्वर का अंश हैं? Geeta Saar

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น •

  • @444History
    @444History ปีที่แล้ว +2

    दिल खुश हो गया ❤❤❤

  • @Indusarmy
    @Indusarmy ปีที่แล้ว +1

    Sahi kha ❤❤❤

  • @meerapattar6158
    @meerapattar6158 6 หลายเดือนก่อน +1

    Jai Shree RadhaKrishnay Namah 🙏🙏Hare Mukund 🙏🙏

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  6 หลายเดือนก่อน

      Jay shree Radhe Krishna 💞❤️🌹

  • @सत्यसनातन369
    @सत्यसनातन369 6 หลายเดือนก่อน +2

    सत्य कह रहे हैँ आप बिल्कुल सत्य
    आत्मा और परमात्मा ये दो अलग नही ज्ञानियों ने आत्मा को ही परमात्मा कहा है आज के कथावाचक आत्मा को परमात्मा मे विलीन करना ही मोक्ष कहते हैँ जो की वेद विरुद्ध है क्युकी वेद और भगवादगीता दोनों ही इसका साफ साफ उत्तर दे रहे हैँ भगवादगीता मे आत्मा को सर्वाव्यापी सत्ता कहा है इसका साफ मतलब यही है आत्मा ना एक है ना अनेक वो तो सर्वाव्यापी अनंत लहर है एक साथ दो शक्तियाँ सर्वाव्यापी होना ही असंभव है यानि आत्मा और परमात्मा दोनों को सर्वाव्यापी कहा गया है तो ये दो नही एक ही हैँ जिसकी पुस्टि स्वयं आत्मज्ञानियों की बानियों मे मिल जाती है कबीर जैसे परमसंत साफ कह रहे एक कहो तो है नही दो कहूं तो गारी यानि ना एकेश्वरवाद सत्य है ना द्वैतवाद और इस पंक्ति से साफ नज़र आ रहा आत्मा परमात्मा परमब्रह्म ये सब एक सर्वव्यापी को ही कहा गया है आतम राम अवर नही दूजा यानि आत्मा और राम अलग नही हैँ फिर वेद यदि कह रहा परमात्मा ने एकोअहम बहुस्यामी के संकल्प से स्वयं को अनंत रूपों मे विभक्त किया तो फिर परमात्मा अखंड कैसे हुआ?वास्तव मे एक से अनेक होना ये केवल माया के कारण प्रतीत होता है इसे ही उपनिषदो मे ब्रह्म का विकार या स्वप्न कहा गया है
    ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या
    और माया का अर्थ जो की नही है वही माया है इसीलिए सारे रूप रंग लोक परलोक माया ही है भगवदगीता मे दो प्रकार की माया कही गयी है एक अविद्या माया जो परमात्मा की स्मृति से दूर करती है और एक विद्या माया जो परमात्मा से संयोग कराती है एकोह्म बहुस्यामी के संकल्प के कारण परमात्मा तीन रूपों मे भसित हुआ ईश्वर माया और जीव. इसीलिए आत्मा को परमात्मा का अंश नही कहा है जीव को ईश्वर का अंश कहा है क्युकी ईश्वर सगुन रूप हैँ जीव भी सगुन रूप हैँ और सगुन रूप मे ही अंश अंशी की माया भासित होती है निर्गुण मे नही 😎
    ईश्वर उन सगुन रूपों को कहा है जो माया को वश मे रखके उसका संचालन करते हैँ पराव्योम मे आदिनारायण, सदाशिव, आदिशक्ति, गोलोकी कृष्ण, साकेतपती राम आदि और परमात्मा योगमाया के कारण इन अलग 2 रूपों मे उसी प्रकार भसित हो रहा जैसे एक ही सूर्य अलग अलग जल के पात्र मे भसित होता है
    इसी को पराप्रकृति कहा है भगवदगीता मे और दुसरी कालमाया है जिसके कारण अनन्तो ब्रह्माण्ड बनते हैँ इन ईश्वर रूपों द्वारा महाकल्प मे यह कालमाया या महामाया ही जीवो को संसार से बांधती है और नाना रूपों मे जीव को बांधती है
    आज सनातन धर्म मे एकेश्वरवाद और सुप्रीम गॉड वाली विदेशी बीमारि घूस गयी है मध्य काल से.. इसी कारण कौन बडा कौन शक्तिशाली यही बहस विष्णु शिव शक्ति गणेश के भक्तो मे चलती रहती है जबकी सनातन धर्म मे एकेश्वर वाद था ही नही यहाँ अद्वैत वाद ही सत्य कहा गया है एक ही परमात्मा अलग रूपों मे भाषित होके सगुन ईश्वर और मुक्त या बद्ध जीव कहलाता है मुक्त जीव माया से परे होके ईश्वर ही हो जाते हैँ और जिस ईश्वर रूप की भक्ति की होती है और भक्ति वश वो मोक्ष नही बल्कि उस ईश्वर रूप का साथ चाहते हैँ तब वो उसी के धाम को प्राप्त करते हैँ और कुछ जीव उसी ईश्वर के रूप को प्राप्त कर ब्रह्माण्ड मे त्रिदेव त्रिदेवीयां आदि पद धारण करते हैँ लेकिन माया से मुक्त ही रहते हैँ इसीलिए ईश्वर ही कहे जाते हैँ
    इसी को सारुप्य मुक्ति कहा है और कुछ जीव अपना अस्तित्व मिटा के निराकार मे मिल जाते हैँ अर्थात सब तरह ही माया से ऊपर उठ के अपने वास्तविक परमात्मा स्वरुप का बोध कर लेते हैँ
    तुम्ही जानही तुम्ही होइ जाई 🙏🏻अहम ब्रह्मस्मी मैं ही ब्रह्म हूं ये बोध माया से मुक्ति है 🙏🏻
    और दूसरे होते हैँ बद्ध जीव और बद्ध जीव हम सब हैँ इसीलिए कहा गया है ये सृस्टि ब्रह्म का स्वप्न है जिस प्रकार स्वप्न दीखता तो सत्य है किन्तु वास्तविकता मे असत्य है वैसे ही माया दिखती सत्य है वास्तव मे असत्य है उदाहरण के लिए फिल्मो मे एक ही हीरो के डबल ट्रिपल रोल दिखाए जाते हैँ तो छोटे अबोध बच्चो को लगता है तीन तीन एक ही शक्ल के हीरो हैँ लेकिन उसके पीछे टेक्नोलॉजी की माया है हीरो एक ही है लेकिन टेक्नोलॉजी से तीन चार पांच रोल मे दिख रहा 😎इसी तरह परमात्मा एक से अनेक होता हुआ प्रतीत हुआ है ना कहीं लीन होना है ना कही मुक्त होना.
    क्युकी गीता मे कह रहे कृष्ण की आत्मा कहीं आता या जाता नही पार्थ जीव का आवागमन होता है ये आवागमन मिटेगा कैसे इसके लिए कबीर कह रहे ना कहीं आना ना कहीं जाना आप से आप मे समाना यानि स्वर्ग वैकुंठ लोक परलोक की इच्छाओ से मुक्त होके स्वयं के भीतर डूब जाओ बोध हो जायेगा तुम जीव नही आत्मा हो सर्वाव्यापी हो उसी पल मुक्ति हो जाएगी ऐसे ही जीव जीवंन्मुक्त कहे जाते हैँ
    🙏🏻

  • @rajuparveen488
    @rajuparveen488 4 หลายเดือนก่อน +1

    Om namah Shviay 👏 🙏 ❤

  • @itzishant99
    @itzishant99 ปีที่แล้ว +2

    🙏🙏🙏

  • @vijayparadkar1284
    @vijayparadkar1284 7 หลายเดือนก่อน +3

    परमात्मा ने दुनिया को धारण कर चला रहा है।
    जीवात्मा परमात्मा के अनेक
    शरीरधारी अंश है।

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  7 หลายเดือนก่อน +1

      जी ❤️👍

  • @rajuparveen488
    @rajuparveen488 4 หลายเดือนก่อน +1

    God is one

  • @shankarsom1902
    @shankarsom1902 10 หลายเดือนก่อน +2

    हमारा शरीर परमात्मा का ही एक अंश है। परमात्मा ने हमे एक उद्देश्य की वजह से इस धरती पे भेजा है। जब हमारा इस सांसारिक जीवन में अच्छे कर्म करेंगे तो तभी हम परमात्मा में विलीन हो सकेंगे। इस वजह से परमात्मा तक पहुंचने के लिए हमे कड़ी परीक्षा पर करनी पड़ेगी। और मनुष्य जीवन का असली उद्देश्य अपनी आत्मा को वापस परमात्मा से जोड़ना है।

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  10 หลายเดือนก่อน

      बिलकुल सही 🥰 हमारे जीवन का उद्देश्य स्वयं को जान कर उस परमात्मा में लीन होना हैं 🙏🙏🙏

  • @KhadakBahadurThapa-g2z
    @KhadakBahadurThapa-g2z 3 หลายเดือนก่อน +1

    Ishwar.ek.hai.god
    Is.one.

    • @hridyavani108
      @hridyavani108  3 หลายเดือนก่อน

      हाँ, जी 💞🙏

  • @comedy-123-y6o
    @comedy-123-y6o 5 ชั่วโมงที่ผ่านมา

    Sab bakwaas hain koi Bhi Paratma nahi hai