जानिए भगवान शिव के परम भक्त, महारिशि मार्कण्डेय जी के अमर होने के साथ जुड़ी रोचक कथा | 4K | दर्शन 🙏

แชร์
ฝัง
  • เผยแพร่เมื่อ 17 ต.ค. 2024
  • Credits:
    संगीत एवम रिकॉर्डिंग - सूर्य राजकमल
    लेखक - रमन द्विवेदी
    भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन.... भक्तों भगवान शिव के लिए कहा जाता है कि “शिव समान दाता नहीं, विपति विदारनहार”॥ अर्थात इस ब्रह्मांड में भगवान शिव एक मात्र ऐसे दाता (देनेवाले देवता) हैं जो अपने भक्तों की सभी समस्याओं को समूल नष्ट कर देते हैं। इसीलिए भगवान शिव को औघड़ दानी भी कहा जाता है। शास्त्रों और पुराणों में भगवान शिव की अहैतुकी कृपा की अनगिनत ऐसी कथाएँ वर्णित हैं। अनेकों ऐसे धाम हैं जहां आज भी शिव भक्तों पर भगवान शिव की कृपा बरसती है। भगवान शिव को समर्पित कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जहां से मृत्यु के देवता यमराज भी हारकर लौट गए... ऐसा ही एक मंदिर है कैथी धाम का मार्कन्डेय महादेव मंदिर....
    मंदिर के बारे में:
    भक्तों मार्कंडेय महादेव मंदिर वाराणसी से करीब 30 किमी दूर गंगा-गोमती के संगम तट कैथी गांव में स्थित है। यह स्थान वाराणसी गाजीपुर राजमार्ग पर पड़ता है। मारकण्डेय धाम के नाम से सुविख्यात ये कैथी धाम महर्षि गर्ग, महर्षि मृकंड और महर्षि मार्कन्डेय की तपस्थली होने के कारण लाखों भक्तों की आस्था का प्रतीक है। भगवान शिव को समर्पित श्री मार्कंडेश्वर महादेव धाम पूर्वांचल के प्रमुख धामों में से एक है। मार्कण्डेय पुराण में यहाँ प्रतिष्ठित शिवलिंग को द्वादश ज्योतिर्लिंग के समकक्ष बताया गया है।
    पौराणिक कथा:
    भक्तों मार्कंडेय महादेव मंदिर से जुड़ी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार- ऋषि मृकंड और उनकी पत्नी अरूंधति भगवान शिव के परम भक्त थे परंतु उनकी कोई संतान नहीं थी। वो संतान की कामना से भगवान शिव की कठिन तपस्या करने लगे। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान शिव ने उनके समक्ष साक्षात प्रकट होकर दर्शन दिए। ऋषि दंपति ने भगवान शिव से पुत्र प्राप्ति का वरदान माँगा। भगवान शिव ने कहा कि “आपके दांपत्य जीवन में पुत्र सुख नहीं है। लेकिन आपने मेरी पूजा की है, इसलिए आपके सामने दो विकल्प हैं कि सामान्य पुत्र जिसकी आयु लंबी हो या असाधारण अल्पायु पुत्र, जिसकी आयु केवल 12 वर्ष होगी। दंपति ने भगवान शिव से एक असाधारण अल्पायु पुत्र प्रदान करने का अनुरोध किया। कुछ समय बाद, अरूंधति ने एक बच्चे को जन्म दिया और उसका नाम ""मार्कंडेय"" (अर्थात् मृकंड का पुत्र) रखा। बालक मार्कन्डेय असाधारण और बचपन से ही अद्वितीय बुद्धिमान थे। बालक मार्कन्डेय हमेशा महामृत्युंजय भगवान शिव की साधना में समर्पित था वो महमृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुये समाधिस्थ रहते थे। जब बालक मार्कन्डेय 12 वर्ष के हुये तो यमराज (मृत्यु के देवता) उनका प्राण हरण करने पहुंचे। उस समय मार्कंडेय भगवान शिव की साधना में लीन थे। जब यमराज ने बालक मार्कन्डेय को अपने साथ चलने के लिए कहा, तो वो बहुत डर गए। उन्होने भगवान शिव से उसकी रक्षा करने की गुहार लगाते हुये शिवलिंग से लिपट गए। उसी समय शिवलिंग से त्वरित भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव को देखकर यमराज उनके समक्ष नतमस्तक हो गए। भगवान शिव ने बालक मार्कंडेय की प्राण रक्षा की और बालक मार्कन्डेय को दीर्घायु होने का वरदान देते हुये कहा कि “मेरा भक्त सदैव अजर अमर रहेगा और मेरी तरह इसकी भी पूजा की जाएगी, इसका नाम सदैव मेरे साथ जुड़ा रहेगा”। और भगवान भोलेनाथ ने अपने परम भक्त मार्कन्डेय को कहा कि “ आज से जो भक्त इस स्थान में आएंगे, मेरे सामने तुम्हारी पूजा-अर्चना करेंगे वो सदैव अकालमृत्यु से सुरक्षित रहेंगे। तभी से इस धाम में विराजमान भगवान शिव को मार्कंडेय महादेव के नाम से जाना जाता है।
    भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव।तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद।दर्शन! 🙏
    इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन| 🙏
    Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
    #devotional #mandir #markandeymahadevmandir #hinduism #travel #vlogs #uttarpradesh

ความคิดเห็น • 14