आरती श्री पूर्णमल की Shree Puranmal ki Arti baba Puranmal

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  • เผยแพร่เมื่อ 26 ธ.ค. 2021
  • 卐 आरती श्री पूर्ण भक्त की 卐
    ॐ जय श्री पूर्ण जती, बाबा जय श्री पूर्ण जती,
    जो जन तुझको ध्यावे, बाबा जी को सदा मनावे।
    उनकी विपत्ति हरि, ॐ जय श्री पूर्ण जती।
    मूंझ लंगोटा सोहे, चिमटा खप्पर धारी। बाबा।
    अंग भभूत रमाई बाल ब्रह्मचारी।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती।
    कानन मुद्रा साजे, गल सेली सोहे। बाबा।
    मस्तक चंद्र विराजत, अद्भुत छवि मोहे।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती ।
    रुद्राक्ष की माला, जटा शीश धारी। बाबा।
    पद्मासन में मृग छाला, भय भंजन हारी।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती।
    चरण खड़ाऊ सजी, पग मुट्ठी में तारा। बाबा।
    अलख अगम के वासी, पद निर्वाण धारा।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती।
    थाल भरे व्यंजन के, खप्पर मे लीने। बाबा।
    संत जन भोग लगावे, अमृत कर दीने।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती।
    हम भिक्षुक तेरे दर के, तुम दाता भारी। बाबा।
    भक्ति दान मोहे दीजो, भक्तन हितकारी।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती।
    पूर्ण भक्त की आरती, जो कोई नर गावे। बाबा।
    कहत लक्ष्मी सेवक, मन वांछित फल पावे।
    ॐ जय श्री पूर्ण जती।
  • บันเทิง

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