उपनिषद गंगा में एक कहानी देखी थी जिसमें एक गुरू ने अपने शिष्य को समझाया था कि सभी में ब्रह्म है तो शिष्य एक दिन जब जंगल में यज्ञ की समिधा लेने गए तो वहां एक व्यक्ति भागे भागे उसकी और चिल्लाता हुआ आ रहा था और कह रहा था मेरा हाथी मेरे नियंत्रण से बाहर है तुम यहां से हट जाओ लेकिन शिष्य मन में सोचता है सभी में ब्रह्म है ईश्वर है उस हाथी मे भी ईश्वर है तो ईश्वर मुझे क्या नुकसान पहुंचाएगा यह सोचकर शिष्य नहीं हटा फिर अगला व्यक्ति आया उसने भी बताया कि हटो हाथी आने वाला है वह फिर भी नहीं हटा और अतः हाथी ने उस शिष्य को उठाकर पटक दिया और शिष्य को कुछ लोग उसके गुरु के पास उठाकर ले गए जहां उसने अपने गुरु से पूछा कि जब सभी मे ब्रह्म है ईश्वर है तो उस हाथी ने मुझे क्यों पटका तो गुरू ने उत्तर दिया कि इस घटना से पहले क्या तुम्हें यह जानकारी मिली थी कि हाथी आ रहा है तो उसने कहा हां कुछ लोगों ने बार बार मुझे कहा लेकिन मै आपकी बात की वजह से अटल था कि हाथी मे भी इश्वर है तो इसलिए नहीं हटा तो गुरू ने उत्तर दिया कि जो लोग तुम्हें सचेत कर रहे थे उनमें भी तो ईश्वर था उनकी बात को अन्यथा क्यों लिया जबकि उन मनुष्यों में तो विवेक था कि उनमें ईश्वर है क्या हाथी मे यह विवेक है तो शिष्य समझ गया कि गलती कहां हुई। अर्थात ईश्वर देखना है सभी में लेकिन जिसमें देख रहे हैं उनके अंदर यह विवेक है या नहीं कि सामने वाले के अंदर ईश्वर है या नहीं यह भी देखना है और यहां बात स्वयं के लिए हो रही है जब बात धर्म कि आती है तो अपने विवेक से यह भी देखना है कि सामने वाला अधर्मी तो नहीं अगर अधर्मी है तो देवताओं की भांति न्याय के लिए शस्त्र से हिंसा करके धर्म की स्थापना करना भी अहिंसा है। ब्रह्म राक्षस मे भी है और देवताओं मे भी तो हमें विवेक से भी काम लेना है। ॐ नमो नारायण 🙏
ॐ दीदी कोटि कोटि प्रणाम 🙏 ॐ नमो नारायण 🙏
ओम परमपूज्य साथ्वी दीदी जी के चरणों में शत-शत नमन कोटि-कोटि वंदन करते हैं
ओम नमन वंदन एवं हार्दिक अभिनंदन माते श्री जी आपको. जय हो आपकी सदैव ही ❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤
ॐ दीदी सादर प्रणाम🙏😍
🕉🙏कोटि2नमन प्रणाम देवीजी आपकी पढ़ाई बहुत अच्छी लगती है आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
सादर चरणस्पर्श परम श्रद्धामयी पुज्या माॅं
Sadhar Charan sparsh pujay didi man Ko 🙏🙏
Nice sweet self inspiring gyan. Thanks a lot Sister. OM.
🙏🏻🙏🏻🚩🚩
Sister g apke charno me Naman
🙏❤️
सादर नमस्ते आचार्यी जी
दीदी प्रणाम आपके वचन
ऊं,आपकी मिठास भरी वाणी से मूढ़ से मूढ़ प्राणी भी समझ कर तर जाएगा!
परम पूज्यनीय साध्वी दीदी को शत शत नमन❤❤❤❤❤
🕉️प्रातःस्मरणीय पूज्यनीय आदरणीय साध्वी माँ के श्रीचरणों में कोटि-कोटि वंदन ।
जी पूज्याजी
❤🎉🌹🙏Man ko Param Pavitra Paramatma Shiv Pita se connect kar ne se man apne bas me hogi. ❤🎉🌹🙏🙏🙏
मेरा हो मन समर्पण,
मेरा हो तन समर्पण,
मर जाऊँ तो भी होवे,
मेरा होवे सरवस्व समर्पण,
आचार्या जी आपके चरणों में।
Radhe radhe bahut aachha sunate ho didi
Dhan Kanwar Suman Jhalawadr
Namaste acharya ji 🎉
સદગુરુ મહારાજ ની જય હો 🎉
परम पूज्याजी साध्वी दीदी माँ🙏🙏🙏❤
🚩🕉️🙏🚩
जी पूज्याजी, हम पाप करते हैं मानसिक व भावात्मक स्तर पर
Svikritee ke bhav me samadhan purvak sambandh me gine se Sukh milta hai
ईश्वरप्रणिधान
रजोगुण का शांत हो गया विकार जिसका
उपनिषद गंगा में एक कहानी देखी थी जिसमें एक गुरू ने अपने शिष्य को समझाया था कि सभी में ब्रह्म है तो शिष्य एक दिन जब जंगल में यज्ञ की समिधा लेने गए तो वहां एक व्यक्ति भागे भागे उसकी और चिल्लाता हुआ आ रहा था और कह रहा था मेरा हाथी मेरे नियंत्रण से बाहर है तुम यहां से हट जाओ लेकिन शिष्य मन में सोचता है सभी में ब्रह्म है ईश्वर है उस हाथी मे भी ईश्वर है तो ईश्वर मुझे क्या नुकसान पहुंचाएगा यह सोचकर शिष्य नहीं हटा फिर अगला व्यक्ति आया उसने भी बताया कि हटो हाथी आने वाला है वह फिर भी नहीं हटा और अतः हाथी ने उस शिष्य को उठाकर पटक दिया और शिष्य को कुछ लोग उसके गुरु के पास उठाकर ले गए जहां उसने अपने गुरु से पूछा कि जब सभी मे ब्रह्म है ईश्वर है तो उस हाथी ने मुझे क्यों पटका तो गुरू ने उत्तर दिया कि इस घटना से पहले क्या तुम्हें यह जानकारी मिली थी कि हाथी आ रहा है तो उसने कहा हां कुछ लोगों ने बार बार मुझे कहा लेकिन मै आपकी बात की वजह से अटल था कि हाथी मे भी इश्वर है तो इसलिए नहीं हटा तो गुरू ने उत्तर दिया कि जो लोग तुम्हें सचेत कर रहे थे उनमें भी तो ईश्वर था उनकी बात को अन्यथा क्यों लिया जबकि उन मनुष्यों में तो विवेक था कि उनमें ईश्वर है क्या हाथी मे यह विवेक है तो शिष्य समझ गया कि गलती कहां हुई। अर्थात ईश्वर देखना है सभी में लेकिन जिसमें देख रहे हैं उनके अंदर यह विवेक है या नहीं कि सामने वाले के अंदर ईश्वर है या नहीं यह भी देखना है और यहां बात स्वयं के लिए हो रही है जब बात धर्म कि आती है तो अपने विवेक से यह भी देखना है कि सामने वाला अधर्मी तो नहीं अगर अधर्मी है तो देवताओं की भांति न्याय के लिए शस्त्र से हिंसा करके धर्म की स्थापना करना भी अहिंसा है। ब्रह्म राक्षस मे भी है और देवताओं मे भी तो हमें विवेक से भी काम लेना है। ॐ नमो नारायण 🙏
तुष्टि दोष यानि ये भाव कि मैं तो ठीक ही हूँ
प्रशांत मन वाले योगी को ही परम सुख शांति मिल सकती है🙏
जो भी।है। नमस्कार जीव,के।हाथ।मे।कुछ।नहि। करने कराने।वाला।कोई।और।है।अगर। ज्ञान।हो।जाए।तो।थोड़ा।बोहोत।हो।सकता
कपङे की तरह पहले पानी से स्थूल व साबुन से सूक्ष्म दोष बाहर करना
Most difficult is family life with sanyasi