जो भी मेरा कमेंट पढ़ा रहा / रही है हम सब एक दसरे के लिए अंजान है फिर भी में भगवान से ये प्रेरणा कर्ता हू की आपकी लाइफ की सबी टेंशन दूर हो जाए, आप हमेशा खुश रहे या मंत्र ध्वनि भक्ति सुनते रहे 🙏🙏
Nahi bhai. Uss samay ka yudh niyam yahi tha ki ek rath mem sirf ek rathi rah saktha hum. Dusre ko rahna nahi chahiye. Shikhandi ko bhi Arjun ane rath mem nahi le liya. Shikhandi uske rath mem tha aur Arjun apne rath mem tha. Arjun ne Shikhandi ka rath ka chakr rakshak bana liya
यज्ञ क्या है, और क्यो है, इसका महत्व????? भगवद्गीता के अनुसार परमात्मा के निमित्त किया कोई भी कार्य यज्ञ कहा जाता है। हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ। 'यज्ञ' शब्द संस्कृत की यज् धातु से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है दान, देवपूजन एवं संगतिकरण। भारतीय संस्कृति में यज्ञ का व्यापक अर्थ है, यज्ञ मात्र अग्निहोत्र को ही नहीं कहते हैं वरन् परमार्थ परायण कार्य भी यज्ञ है। यज्ञ स्वयं के लिए नहीं किया जाता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए किया जाता है। यज्ञ का प्रचलन वैदिक युग से है, वेदों में यज्ञ की विस्तार से चर्चा की गयी है, बिना यज्ञ के वेदों का उपयोग कहां होगा और वेदों के बिना यज्ञ कार्य भी कैसे पूर्ण हो सकता है। अस्तु यज्ञ और वेदों का अन्योन्याश्रय संबंध है।जिस प्रकार मिट्टी में मिला अन्न कण सौ गुना हो जाता है, उसी प्रकार अग्नि से मिला पदार्थ लाख गुना हो जाता है। अग्नि के सम्पर्क में कोई भी द्रव्य आने पर वह सूक्ष्मीभूत होकर पूरे वातावरण में फैल जाता है और अपने गुण से लोगों को प्रभावित करता है। इसको इस तरह समझ सकते हैं कि जैसे लाल मिर्च को अग्नि में डालने पर वह अपने गुण से लोगों को प्रताडित करती है इसी तर सामग्री में उपस्थित स्वास्थ्यवर्धक औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती है तब वह अपना औषधीय प्रभाव व्यक्ति के स्थूल व सूक्ष्म शरीर पर दिखाती है और व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता चला जाता है। मनुष्य के शरीर में स्नायु संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन संस्थान, प्रजनन संस्थान, मूत्र संस्थान, कंकाल संस्थान, रक्तवह संस्थान आदि सहित अन्य अंग होते हैं उपरिलिखित हवन सामग्री में इन सभी संस्थानों व शरीर के सभी अंगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली औषधियां मिश्रित हैं। यह औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती हैं तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह सभी औषधियां अपने-अपने गुणों के अनुसार हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। इसके अलावा हमारे मनरूपी सूक्ष्म शरीर को भी स्वस्थ रखती हैं।यज्ञ की महिमा अनन्त है। यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजस्विता, विद्या, यश, पराक्रम, वंशवृद्धि, धन-धन्यादि, सभी प्रकार का राज-भोग, ऐश्वर्य, लौकिक एवं पारलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल से लेकर अब तक रुद्रयज्ञ, सूर्ययज्ञ, गणेशयज्ञ, लक्ष्मीयज्ञ, श्रीयज्ञ, लक्षचंडी भागवत यज्ञ, विष्णुयज्ञ, ग्रह-शांति यज्ञ, पुत्रेष्टि, शत्रुंजय, राजसूय, ज्योतिष्टोम, अश्वमेध, वर्षायज्ञ, सोमयज्ञ, गायत्री यज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञ होते चले आ रहे हैं। हमारा शास्त्र, इतिहास, यज्ञ के अनेक चमत्कारों से भरा पड़ा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह-संस्कार यज्ञ से ही प्रारंभ होते हैं एवं यज्ञ में ही समाप्त हो जाते हैं। क्योंकि यज्ञ करने से व्यष्टि नहीं अपितु समष्टि का कल्याण होता है। अब इस बात को वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि यज्ञ करने से वायुमंडल एवं पर्यावरण में शुद्धता आती है। संक्रामक रोग नष्ट होते हैं तथा समय पर वर्षा होती है। यज्ञ करने से सहबन्धुत्व की सद्भावना के साथ विकास में शांति स्थापित होती है।यज्ञ को वेदों में 'कामधेनु' कहा गया है अर्थात् मनुष्य के समस्त अभावों एवं बाधाओं को दूर करने वाला। 'यजुर्वेद' में कहा गया है कि जो यज्ञ को त्यागता है उसे परमात्मा त्याग देता है। यज्ञ के द्वारा ही साधारण मनुष्य देव-योनि प्राप्त करते हैं और स्वर्ग के अधिकारी बनते हैं। यज्ञ को सर्व कामना पूर्ण करने वाली कामधेनु और स्वर्ग की सीढ़ी कहा गया है। इतना ही नहीं यज्ञ के जरिए आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति भी संभव है।यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है। शास्त्रों में गायत्री को माता और यज्ञ को पिता माना गया है। कहते हैं इन्हीं दोनों के संयोग से मनुष्य का दूसरा यानी आध्यात्मिक जन्म होता है जिसे द्विजत्व कहा गया है। एक जन्म तो वह है जिसे इंसान शरीर के रूप में माता-पिता के जरिए लेता है। यह तो सभी को मिलता है लेकिन आत्मिक रूपांतरण द्वारा आध्यात्मिक जन्म यानी दूसरा जन्म किसी किसी को ही मिलता है। शारीरिक जन्म तो संसार में आने का बहाना मात्र है लेकिन वास्तविक जन्म तो वही है जब इंसान अपनी अंत: प्रज्ञा से जागता है, जिसका एक माध्यम है 'यज्ञ'।यज्ञ की पहचान है 'अग्नि' या यूं कहें 'अग्नि', यज्ञ का अहम हिस्सा है जो कि प्रतीक है शक्ति की, ऊर्जा की, सदा ऊपर उठने की।🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
कोरवो का प्रमुख उदेश्य पाडवो के वंश को मिटाना था ईस कारण अभिमन्यु को धोखे से मारा ।परंतु श्रीकृष्ण ने पुर्नजन्म गा वरदान देकर । पांडवो के वंश को जीवित रखा ।हरे कृष्णा हरे🚩🚩
अभिमन्यु जैसा भी हमेशा देश के लिए अमर रहेगा
11:42 11:43 11:43 11:41
Sanatan dharm ke lie
सभ से बड़ा महा भारत चक्रव्यूह,ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय 🚩🚩🚩🙏🙏🙏
जय श्री राधे ❣️ कृष्णा 🙏🙏🙏🚩♥️🌹
अभिमंनु अमर रहे चारो युग में जय श्री कृष्ण ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
मेरे दिल के सबसे करीब करता जो है वह वीर अभिमन्यु जी
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः सङ्कर्षणाय नमः शिवायॐ नमः शिवाय ऊँ नमो नमः नमो भगवते तस्मै अरोचत अस्ति तत् आश्चर्येण पश्यन्ति ते तत्र दिनत्रयं यावत् आरक्षकाः सैनिकाः अपि शिबिरस्य पृष्ठभागे आगतवान् तदा सः ध्यानं कुर्वती आसीत् तस्य विवाहः जातः अस्ति अत्र सन्ति ते एव परं तेन सह युद्धं कर्तुं शक्नोति स्म एवम् अस्य राज्यस्य प्रमुखाः भारतीयाः अमुं वृत्तान्तं सर्वं त्यक्त्वा अग्रे अपि कार्यं कुर्वन्ति इति कालिदासः नाटकं रचितवान् अस्ति तत् न सत्यम् अवदत् अस्माकम् अधिकारिणः भवितुम् अर्हति तथैव तावुभौ गच्छतः स्म एवम् अस्य मण्डलस्य केन्द्रम् अपि अस्ति अस्य मण्डलस्य पूर्वभागे विद्यमानः अस्ति अत्र सन्ति ते अपि विद्यते अयम् उत्सवः अस्ति यत् पक्षी वृक्षः लता मंगेशकर पुरस्काराने सन्मानित अस्ति तत् आश्चर्येण पृच्छति स्म ते मुखानि दृष्ट्वैव अस्माभिः अवगम्यते कुरान् ग्रन्थस्य नाम अभवत् तदा स्कन्दः समुद्भूतस्तारकस्तेन पातितः अभवत् तथा नूतनाः निर्देशाः च अस्ति एव आवश्यकता भवति इति तु चिकित्सा सफला अभवत् तथा तथा नूतनाः जीविनः उत्पद्यन्ते स्म एवम् अस्य मण्डलस्य केन्द्रम् आसीत् तदा तया बहवः राजानः अभूवन् तस्य स्थानस्य महत्वम् स्थापयति तदा सः ध्यानं कुर्वती अस्मि अहम् अतीव प्राचीनः देवालयः अस्ति अस्य मण्डलस्य पूर्वे तमिऴनाडुराज्यम् अस्य मण्डलस्य केन्द्रः वर्तते यत् अहम् अत्र सन्ति अस्य मण्डलस्य पूर्वभागे विद्यमानः ग्रामः अस्ति यत् अस्य नगरस्य वातावरणं सर्वदा मनोहरं सुखदं भवति इति विश्वासः आसीत् तस्य मनसि वैराग्यस्य विचारः आगतः अस्मि अहम् अत्र सन्ति अत्र आगत्य निवासं कुर्वन्ति स्म ते मुखानि दृष्ट्वैव किं वा अनृणो भवति तदा सः अत्र आगत्य तं प्रति अगच्छत् यत्र तु विज्ञेयः सर्वसिद्धिकरः शिवः तत्र प्रेषिता अस्ति यत् अत्र आगत्य देवीं कात्यायनीं च अस्ति यत् अस्य नगरस्य वातावरणम् अनुकूलं च अभवत् तदा तेन सह युद्धं कर्तुं शक्नोति अपितु तदपेक्षया सः महावीरस्य आत्मना एव परं वीक्षते वा अस्य नगरस्य इतिहासः दृश्यताम् इत्यत्र अभवत् अतः प्रवेशं न दत्तवन्तः अस्य मण्डलस्य पूर्वभागे विद्यमानः कश्चन देशः वर्गः अस्ति अत्र सन्ति इति विस्मृत्य पृष्ठे न भूमौ तथा च मम आवश्यकता वर्तते अत्र अन्तर्भवन्ति इत्येतत् महते च अस्य नगरस्य वातावरणं मनोहरं दृश्यं दृश्यते यत् अहम् अस्य नगरस्य इतिहासः दृश्यताम् अस्य मण्डलस्य पूर्वे तमिऴनाडुराज्यम् अस्य मण्डलस्य पूर्वभागे विद्यमानः अयं प्रसिद्धः विज्ञानी अयम् अत्यन्तं प्रिय मृगः अभवत् यत् अहम् एतत् स्थानं भजते मामनन्यभाक्
Jai shree radhe ❣️ Krishna ji 🙏🙏🙏🚩♥️🌹
अभिमन्यु एक वीर योध्दा था
Ooo
Sabse veer tha Abhimanyu
वीर अभिमन्यु की जय हो
अभिमन्यु सबसे शक्तिशाली योद्धा
Karn
S@@maheshbondar935shahadev thy par vachan de diya tha bagvan Krishna ji ko
Jay Shree Krishna Ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
💖💘💞 जय श्री कृष्ण 💞💘💖
अर्जुन फिर अर्जुन है सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर
जय श्री कृष्ण 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
अभिमन्यु जैसा वीर सपूत सदा अमर रहेगा
Achaa bhai
@@NitinKumar-rr6hr 😊
Veer Abhimanyu Amar Rahenge Hamesha
2023 mein kan kan dekh raha hai shree krishna
🙏🙏🙏🏻Jai shree krishna🙏🙏🙏🏻
Haar bhartiyo ko ye dekhna chahiye 🙏🙏🚩🚩❤️❤️
जो भी मेरा कमेंट पढ़ा रहा / रही है हम सब एक दसरे के लिए अंजान है फिर भी में भगवान से ये प्रेरणा कर्ता हू की आपकी लाइफ की सबी टेंशन दूर हो जाए, आप हमेशा खुश रहे या मंत्र ध्वनि भक्ति सुनते रहे 🙏🙏
Qq
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ऊँ नमः शिवाय हर हर महादेव ऊँ नमः भगवते वासुदेवाय श्री कृष्णाय जय श्री राम हरे कृष्ण हरे राम हरे कृष्ण हरे राम
भीम भैया को अभिमन्यु के रथ पर सवार हो जाना चाहिए था उस टाइम तब अभिमन्यु का प्राण बचगया होता
Nahi bhai. Uss samay ka yudh niyam yahi tha ki ek rath mem sirf ek rathi rah saktha hum. Dusre ko rahna nahi chahiye. Shikhandi ko bhi Arjun ane rath mem nahi le liya. Shikhandi uske rath mem tha aur Arjun apne rath mem tha. Arjun ne Shikhandi ka rath ka chakr rakshak bana liya
Abhimanyu kyun chala chakravyuh ko bhedne❤❤❤❤❤jai shree krishna 🙏🙏🙏🙏🙏
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
युधिष्ठिर के बाद सम्राट परिक्षित अभिमन्यु के पुत्र थै,,, महान सम्राट बने
जय श्री राधे राधे जय श्री कृष्ण कृष्ण
Jay shree krishn bhagwan ji 🙏🙏🙏
就
吗
。🐄🐃😈
Radhe Radhe 🚩🕉️❤️🙏
Mahabharat ke lie B.R. Chopra se achha koi ho hi nahi sakta hai❤❤❤❤❤❤❤❤Arjun best hero
अभिमन्यु युगों युगों तक अमर हो गए लेकिन अभिमन्यु से वीरता से लड़ने में कर्ण भी सक्षम नहीं था तभी आठ लोगों ने डरकर अभिमन्यु का वध किया था
Karn Duryodhan ki Sangati me rahkar thoda Adharmi ho gaya tha.
All right bola bhai ❤❤❤❤❤
Yes so brilliant ❤
😢amarsingh@@prateekpathak3614
K ni@@prateekpathak3614
Sri radhe jay jay Sri radhe ❤❤❤
जय श्री कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏
Jay Shri krishna🙏🙏
Jai shree Krishna 🚩❤️🥰
Wah abhimanneu wah tumhari jay ho🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Va abhimanyu jb tk dharti rhegi aap ki virta ko yaad kea jayega
Jai Shree Krishna Jii 🙏♥️🌸🌼📿💕✨
Abhimanyu ki jai ho❤❤
❤❤❤
हरे कृष्ण ❤❤❤
श्री कृष्णा 💝💕
अगर भी अभिमन्यु के रथ पर सवार हो जाते।।
युद्ध और ही निर्णायक हो जाता।। तब अभिमन्यु का जान भी नहीं जाता❤❤❤❤❤❤
Jai shree Krishna 🙏🙏🙏🚩♥️🌹
Jay she Krishna❤❤❤❤
Abhimanyu jaisa veer na koi tha na koi hoga amar rahega Abhimanyu ka kary🚩🙏
Abhimanu sada aamer rehne
उश समय कास सहदेव से पुश लिया होता तो परीणाम कुछ ओर होता लेकिन समय के आगे किसी की नहीं चलती
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Radhe Radhe ji 🙏🙏🚩
Jay Shree Radhe Radhe ji
Jai Shri Krishna Bhagwan Dwarkadhish Ji
4:38 मेरा माथा ठनका था
JAI SHREE KRISHNA JI BHAGWAN KI JAI
Abhimanyu sarvshreshth yoddha hai uski barabari koi nahin kar sakta
अंगराज कर्ण की जय हो
Abhimanyu amar rhenge❤❤❤
🙏🙏
कपाल रगड़ने से लिखा भाग्य रेखा नही मिटती है लेकिन कृष्णा जब सारथी है जीवन रथ का तो भाग्य ही बदल जाता हैं। इसलिए सदा जगन्नाथ को सिमरन किया करो
अभिमन्यु जैसा योद्धा को सत सत नमन🙏🙏🚩
Jai Shree Krishna 🙏🙏
KALKI NARAYAN AA CHUKE HAi KALKI KIRTAN MANDAL DILHI JAI JAGANNATH PURI ODISHA🥊💯🐎🐎🐎🐎🐎💯💯🥊🥊🥊🥊🥊🥊💯🐎🐎🐎🐎🐎🐎🐎🏇🏽🏇🏽💯💯🥊🥊💯💯💯🥊🥊💯💯💯💯🥊🥊🥊
अभिमन्यु अभिमन्यु के जैसा वीर पुत्र इस धरती पर कभी नहीं है नहीं
वीर अभिमन्यु की जय ❤
Jai shri Krishna 🙏🙏🙏🚩🚩🚩
Abhimanu jaisha putar sab ko de
Jay Shree Abhimanyu
यज्ञ क्या है, और क्यो है, इसका महत्व?????
भगवद्गीता के अनुसार परमात्मा के निमित्त किया कोई भी कार्य यज्ञ कहा जाता है।
हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ। 'यज्ञ' शब्द संस्कृत की यज् धातु से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है दान, देवपूजन एवं संगतिकरण।
भारतीय संस्कृति में यज्ञ का व्यापक अर्थ है, यज्ञ मात्र अग्निहोत्र को ही नहीं कहते हैं वरन् परमार्थ परायण कार्य भी यज्ञ है। यज्ञ स्वयं के लिए नहीं किया जाता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए किया जाता है।
यज्ञ का प्रचलन वैदिक युग से है, वेदों में यज्ञ की विस्तार से चर्चा की गयी है, बिना यज्ञ के वेदों का उपयोग कहां होगा और वेदों के बिना यज्ञ कार्य भी कैसे पूर्ण हो सकता है।
अस्तु यज्ञ और वेदों का अन्योन्याश्रय संबंध है।जिस प्रकार मिट्टी में मिला अन्न कण सौ गुना हो जाता है, उसी प्रकार अग्नि से मिला पदार्थ लाख गुना हो जाता है। अग्नि के सम्पर्क में कोई भी द्रव्य आने पर वह सूक्ष्मीभूत होकर पूरे वातावरण में फैल जाता है और अपने गुण से लोगों को प्रभावित करता है।
इसको इस तरह समझ सकते हैं कि जैसे लाल मिर्च को अग्नि में डालने पर वह अपने गुण से लोगों को प्रताडित करती है इसी तर सामग्री में उपस्थित स्वास्थ्यवर्धक औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती है तब वह अपना औषधीय प्रभाव व्यक्ति के स्थूल व सूक्ष्म शरीर पर दिखाती है और व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता चला जाता है।
मनुष्य के शरीर में स्नायु संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन संस्थान, प्रजनन संस्थान, मूत्र संस्थान, कंकाल संस्थान, रक्तवह संस्थान आदि सहित अन्य अंग होते हैं उपरिलिखित हवन सामग्री में इन सभी संस्थानों व शरीर के सभी अंगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली औषधियां मिश्रित हैं।
यह औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती हैं तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह सभी औषधियां अपने-अपने गुणों के अनुसार हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं।
इसके अलावा हमारे मनरूपी सूक्ष्म शरीर को भी स्वस्थ रखती हैं।यज्ञ की महिमा अनन्त है। यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजस्विता, विद्या, यश, पराक्रम, वंशवृद्धि, धन-धन्यादि, सभी प्रकार का राज-भोग, ऐश्वर्य, लौकिक एवं पारलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
प्राचीन काल से लेकर अब तक रुद्रयज्ञ, सूर्ययज्ञ, गणेशयज्ञ, लक्ष्मीयज्ञ, श्रीयज्ञ, लक्षचंडी भागवत यज्ञ, विष्णुयज्ञ, ग्रह-शांति यज्ञ, पुत्रेष्टि, शत्रुंजय, राजसूय, ज्योतिष्टोम, अश्वमेध, वर्षायज्ञ, सोमयज्ञ, गायत्री यज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञ होते चले आ रहे हैं।
हमारा शास्त्र, इतिहास, यज्ञ के अनेक चमत्कारों से भरा पड़ा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह-संस्कार यज्ञ से ही प्रारंभ होते हैं एवं यज्ञ में ही समाप्त हो जाते हैं।
क्योंकि यज्ञ करने से व्यष्टि नहीं अपितु समष्टि का कल्याण होता है। अब इस बात को वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि यज्ञ करने से वायुमंडल एवं पर्यावरण में शुद्धता आती है।
संक्रामक रोग नष्ट होते हैं तथा समय पर वर्षा होती है। यज्ञ करने से सहबन्धुत्व की सद्भावना के साथ विकास में शांति स्थापित होती है।यज्ञ को वेदों में 'कामधेनु' कहा गया है अर्थात् मनुष्य के समस्त अभावों एवं बाधाओं को दूर करने वाला। 'यजुर्वेद' में कहा गया है कि जो यज्ञ को त्यागता है उसे परमात्मा त्याग देता है।
यज्ञ के द्वारा ही साधारण मनुष्य देव-योनि प्राप्त करते हैं और स्वर्ग के अधिकारी बनते हैं। यज्ञ को सर्व कामना पूर्ण करने वाली कामधेनु और स्वर्ग की सीढ़ी कहा गया है। इतना ही नहीं यज्ञ के जरिए आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति भी संभव है।यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है।
शास्त्रों में गायत्री को माता और यज्ञ को पिता माना गया है। कहते हैं इन्हीं दोनों के संयोग से मनुष्य का दूसरा यानी आध्यात्मिक जन्म होता है जिसे द्विजत्व कहा गया है। एक जन्म तो वह है जिसे इंसान शरीर के रूप में माता-पिता के जरिए लेता है। यह तो सभी को मिलता है लेकिन आत्मिक रूपांतरण द्वारा आध्यात्मिक जन्म यानी दूसरा जन्म किसी किसी को ही मिलता है।
शारीरिक जन्म तो संसार में आने का बहाना मात्र है लेकिन वास्तविक जन्म तो वही है जब इंसान अपनी अंत: प्रज्ञा से जागता है, जिसका एक माध्यम है 'यज्ञ'।यज्ञ की पहचान है 'अग्नि' या यूं कहें 'अग्नि', यज्ञ का अहम हिस्सा है जो कि प्रतीक है शक्ति की, ऊर्जा की, सदा ऊपर उठने की।🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
जय श्री राम
Arjun Putra Abhimanyu ki Jay Ho
Jay.shree.krishan🙏
Wa abhimanyu wa
एक महान प्रकृति योद्धा को नमन करते जय श्री कृष्णा❤❤ लखन की ओर
Jai shree Krishna❤️❤️❤️😘🙏🙏🚩😘❤️
jai shri krishan bhagwan ji ki jai💖
KALKI NARAYAN AA CHUKE HAi KALKI KIRTAN MANDAL DILHI JAI JAGANNATH JAGANNATH PURI ODISHA🥊💯💯🐎🐎💯💯🥊🥊🥊🥊🥊💯💯💯💯💯💯🥊🥊🥊🥊🥊
कोरवो का प्रमुख उदेश्य पाडवो के वंश को मिटाना था ईस कारण अभिमन्यु को धोखे से मारा ।परंतु श्रीकृष्ण ने पुर्नजन्म गा वरदान देकर । पांडवो के वंश को जीवित रखा ।हरे कृष्णा हरे🚩🚩
❤😂🎉😢😮😅😊 1:24
वीर अभिमन्यु की जय हो कोटि कोटि प्रणाम है करो डरते थे सब ने मिलकर हत्या वीरगति को प्राप्त हुए जय वीर अभिमन्यु की जय
I am big fan VEER ABHIMANYU 😊😊😊😊
Jo bhagwan ka bhanja ho usse kon Jeet sakta je shree Krishna
राम कृष्ण
Abhimanyu appmahan ho app jaisa yodha aur koinahi
Jay lkshminarayan ki jay 🙏🪷🙏
Hi so best💯 mahabharat around the world🌎🌎🌎🌎🌎🌎
Jay shree krishna Radhe Radhe ❤😮😢
जय श्री कृष्ण❤
❤❤❤❤❤❤❤❤😊😊😊😊
Jai ho baba shiree kirsan ❤️🙏
Jay shree Krishna
करण की जय हो
सर्वदामन बॅनर्जी 🙏🙏
जय वीर अभिमन्यु मैं आप की वीरता को प्रणाम करता हु❤
🔥🔥🔥🔥
Om namah bhagavate vashu Deva
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
লৈছোলৈছোআততমপুণয়আততমশ্ৰীনয়নততৰৰাৰৰাডেককাককালৈছোলৈছোআততমপুণয়আততমমহহাবৰৰততলৈছোলৈছোআততমপুণয়াআততমশ্ৰীনয়নততৰৰাৰৰাডেককাককালৈছোলৈছোআততমপুণয়াআততমমহহাবৰৰততলৈছোলৈছো
Jay ho veer abhimanyu ham aakpe virta ko pranam 🙏 karte hain
रवी,, सोलंकी चंद्रवंशी क्षत्रिय
Jayshree krishna 🙏🙏🙏
Radhe Radhe 🙏🙏
Jay 🙏ho
Abhimanu yugo yugo me Amar 🙏
Dhan Hai Veer Abhimanyu Chakravyuh Jaise Mahan बयूए ko Akele hi दुहसत् करने निकल पडा