माया

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  • เผยแพร่เมื่อ 6 มิ.ย. 2020
  • मृत्यु क्या है? क्या है जो जन्म लेता है और मरता है? मृत्यु के पार कैसे जाएँ? आईये जाने मृत्यु की माया को , माया की श्रृंखला के इस भाग में।
    #मृत्यु #जन्म #आध्यात्म #आत्मन #मनस #ब्रह्मन #अद्वैत #वेदांत
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    पॉडकास्ट (अंग्रेजी) Podcast: pexp.podbean.com
    सत्संग Meetings: pureexperiences.blogspot.com/...

ความคิดเห็น • 27

  • @reenadixit3748
    @reenadixit3748 2 ปีที่แล้ว +3

    मृत्यु की जगह सिर्फ परिवर्तन शब्द का उपयोग होता तो व्यक्ति के मन मे मृत्यु का भय नहीं रहता ना शोक रहता। परिवर्तन होगा ही, सत्य है। ये एक अच्छा परिवर्तन है। बहुत गलत धारणाएं बैठा दी हैं मन मे समाज ने।

  • @shiprasahu8256
    @shiprasahu8256 ปีที่แล้ว +1

    🙏🙏..☀️

  • @MeenaKumari-ks6nk
    @MeenaKumari-ks6nk 3 หลายเดือนก่อน

    🙏🙏🙏🙏

  • @rakeshpratap4244
    @rakeshpratap4244 3 หลายเดือนก่อน

    🙏🙇🙏🌹

  • @dineshkumar-pu1nm
    @dineshkumar-pu1nm ปีที่แล้ว

    🙏🙏🌺🌺🌺

  • @manmathahaldar9221
    @manmathahaldar9221 2 ปีที่แล้ว +1

    🙏🙏🙏

  • @Shivam-bz2ub
    @Shivam-bz2ub ปีที่แล้ว

    Thank you so much sir ji

  • @reenadixit3748
    @reenadixit3748 2 ปีที่แล้ว +1

    धन्यवाद गुरु जी।

  • @nageshbhosale
    @nageshbhosale 3 ปีที่แล้ว +1

    धन्यवाद गुरुदेव ...कृपया आपके RIBHU GEETA.. ENGLISH प्रवचन का हिंदी अनुवाद UPLOAD करे ताकी सभी साधक लाभ ले सके...💐

  • @suvrittamishra2605
    @suvrittamishra2605 2 ปีที่แล้ว +1

    Thanks for making video 🙏🙏

  • @nitinengg7783
    @nitinengg7783 3 ปีที่แล้ว

    Koti koti pranam. Dhanyavad.

  • @smtiwari1
    @smtiwari1 2 ปีที่แล้ว

    Pranam Guruji

  • @VIPGaming_11M
    @VIPGaming_11M 3 ปีที่แล้ว

    गुरु जी प्रणाम🙏

  • @sanatanpragya
    @sanatanpragya 4 ปีที่แล้ว +2

    मन को शांत करने के दो ही उपाय हैं - स्वाध्याय और सुसंगति।
    जब अपने साथ रहो तो स्वाध्याय करते रहो और स्वाध्याय का मतलब बस किताब ही पढ़ना नहीं होता, स्वाध्याय का मतलब जीवन को पढ़ना भी होता है। लगातार तुम जीवन का अवलोकन कर रहे हो ये भी स्वाध्याय है, और जैसे ही मौका मिले किसी ऊँचे की संगति करने का उसकी संगति कर लो।
    इस भ्रम में मत रहना कि ऊँची किताबें तो उबाऊ होती हैं, बोरिंग होती हैं। इन किताबों ने कई शताब्दियों से लाखों-करोड़ों लोगों को खींच रखा है। उन किताबों में बड़ा खिंचाव है, बाकी सब विषय भूल जाओगे।
    संत के पास बैठोगे, ज्ञानी के पास बैठोगे, दुनिया के बाकी लोग फ़ीके लगने लगेंगे। फिर तुम्हारा रस ही नहीं रह जाएगा बेवकूफ़ी भरी बातों में।
    दोनों ही तरीके एक ही काम करेंगे कि बेचैन बालक मन को उससे मिला देंगे जिसकी मन को हमेशा से तलाश थी।
    🚩 *सनातन प्रज्ञा* 🚩
    #sanatanpragya

    • @mdsayurveda1127
      @mdsayurveda1127 4 ปีที่แล้ว +1

      यह माया भ्रम जाल कहावत

    • @mdsayurveda1127
      @mdsayurveda1127 4 ปีที่แล้ว

      यह माया भ्रम जाल कहावत

  • @smtiwari1
    @smtiwari1 2 ปีที่แล้ว +2

    Mritu parivartan hai- parivartan maya hai- Maya ya Chitta bhi Nad rachnaye hai- means Some form of energy hai. So when somebody dies some energy goes out in the form of Chitta with Karan Sharir. Until this karan shashir carries the energy/maya the cycle of death and birth continues and eventually when all the energy or maya is shed away karan sharir is liberated and merges with Brahma or Anubhav- karta. thus energy balance of universe is maintained . Life becomes suffering because of ignorance/Agyan. If this understanding is correct then question is why ignorance /Agyan takes precedence over knowledge / Gyan ?

    • @bodhivarta
      @bodhivarta  2 ปีที่แล้ว

      No this is not correct. Without direct experiences, everything is only an imagination. Try to utilize proper means of knowledge. Start with basics of Gyan Marg.
      ज्ञानमार्ग की श्रृंखला से आरंभ करें। क्रम से देखिये।
      th-cam.com/play/PLGIXB-TUE6CQ6_eata_SWu-HKz2OSZUAN.html

    • @smtiwari1
      @smtiwari1 2 ปีที่แล้ว

      @@bodhivarta 🙏🙏

  • @user-kr1sp8bk7c
    @user-kr1sp8bk7c 3 ปีที่แล้ว

    नमस्ते,
    आप सदैव अनुभवकर्ता/ दृष्टा की बात करते हैं
    अगर हम एक पल के लिए मान ले कि
    अनुभवकर्ता वही है जो हमारे भौतिक शरीर में आँखें हैं, जो देख रही है, साक्षी है ।
    तो क्या ऐसा भी हो सकता है कि स्वप्नावस्था में हम चित्तनिर्मित दर्पण बना लें और अनुभवकर्ता को देखने की कोशिश करें.. क्या मैं सही हूँ ।

    • @bodhivarta
      @bodhivarta  3 ปีที่แล้ว

      आंखें अनुभवकर्ता नहीं हैं । अनुभव है, उसको इन्द्रि कहते हैं ।
      अनुभवकर्ता आप है, इसे जानने के लिए ज्ञानमार्ग की श्रृंखला पूरी देखें ।

  • @messiah.complexx
    @messiah.complexx 3 ปีที่แล้ว

    माफ़ करना पर मेरा इसमें एक आपको प्रश्न है की यह बात आपको प्रज्ञामय और तर्कशील लगती है के शरीर का संपूर्ण नाश अग्नि में धुआँ होकर राख होने से या जमीं में संपूर्ण मिटटी में सड़कर मिलने के बाद ही होता है? क्योंकि अगर ऐसा है तो आपको शायद पता हो तो पुराने ज़माने में और अभी भी शरीर के साथ काफी प्रयोग हो रहे है, और कई लोगो के शरीर को प्रिज़र्वे करके रखा गया है, तो क्या उसकी मृत्यु नहीं हुए है ?🙏🏻

    • @bodhivarta
      @bodhivarta  3 ปีที่แล้ว +2

      बहुत आसान है, यदि उस शरीर को पुनर्जीवित न किया जा सके तो मृत्यु कहलाएगी , फिर कैसे भी रखा हो वो मृत है । मिट्टी जैसा ही है ।

  • @manmathahaldar9221
    @manmathahaldar9221 3 ปีที่แล้ว

    🙏🙏🙏

  • @manmathahaldar9221
    @manmathahaldar9221 3 ปีที่แล้ว

    🙏🙏🙏

  • @manmathahaldar9221
    @manmathahaldar9221 3 ปีที่แล้ว

    🙏🙏🙏