गढ़वाल में इसलिए मनाई जाती है "इगास" दिवाली ........ माधो सिंह भंडारी की वीरता से है इसका संबंध ............. माधो सिंह भंडारी 17 वीं शताब्दी में गढ़वाल के प्रसिद्ध भड़ (योद्धा) हुए। माधो सिंह मलेथा गांव के थे। तब श्रीनगर गढ़वाल के राजाओं की राजधानी थी। माधो सिंह भड़ परंपरा से थे। उनके पिता कालो भंडारी की बहुत ख्याति हुई। माधो सिंह, पहले राजा महीपत शाह, फ़िर रानी कर्णावती और फिर पृथ्वीपति शाह के वजीर और वर्षों तक सेनानायक भी रहे। एक गढ़वाली लोकगाथा गीत (पंवाड़ा) देखिए - "सै़णा सिरीनगर रैंदू राजा महीपत शाही महीपत शाह राजान भंडारी सिरीनगर बुलायो ...." तब गढ़वाल और तिब्बत के बीच अक्सर युद्ध हुआ करते थे। दापा के सरदार गर्मियों में दर्रों से उतरकर गढ़वाल के ऊपरी भाग में लूटपाट करते थे। माधो सिंह भंडारी ने तिब्बत के सरदारों से दो या तीन युद्ध लड़े। सीमाओं का निर्धारण किया। सीमा पर भंडारी के बनवाए कुछ मुनारे (स्तंभ) आज भी चीन सीमा पर मौजूद हैं। माधो सिंह ने पश्चिमी सीमा पर हिमाचल प्रदेश की ओर भी एक बार युद्ध लड़ा। एक बार तिब्बत युद्ध में वे इतने उलझ गए कि दिवाली के समय तक वापस श्रीनगर गढ़वाल नहीं पहुंच पाए। आशंका थी कि कहीं युद्ध में मारे न गए हों। तब दिवाली नहीं मनाई गई। दिवाली के कुछ दिन बाद माधो सिंह की युद्ध विजय और सुरक्षित होने की खबर श्रीनगर गढ़वाल पहुंची। तब राजा की सहमति पर एकादशी के दिन दिवाली मनाने की घोषणा हुई। तब से इगास बग्वाल निरंतर मनाई जाती है। गढ़वाल में यह लोक पर्व बन गया। हालांकि कुछ गांवों में फिर से आमावस्या की दिवाली ही रह गई और कुछ में दोनों ही मनाई जाती रही। इगास बिल्कुल दीवाली की तरह ही मनाई जाती है। उड़द के पकोड़े, दियों की रोशनी, भैला और मंडाण ........ शायद यह 1630 के आसपास की बात है। इन्हीं माधो सिंह भंडारी ने 1634 के आसपास मलेथा की प्रसिद्ध भूमिगत सिंचाई नहर बनाई, जिसमें उनके पुत्र का बलिदान हुआ। जीवन के उत्तरार्ध में उन्होंने तिब्बत से ही एक और युद्ध लड़ा, जिसमें उन्हें वीरगति प्राप्त हुई। इतिहास के अलावा भी अनेक लोकगाथा गीतों में माधो सिंह की शौर्य गाथा गाई जाती है। इगास दिवाली पर उन्हें याद किया जाता है - ""दाळ दळीं रैगे माधो सिंह चौंऴ छड्यां रैगे माधो सिंह बार ऐन बग्वाळी माधो सिंह सोला ऐन शराद मधो सिंह मेरो माधो निं आई माधो सिंह तेरी राणी बोराणी माधो सिंह .........." वीरगाथा गीतों में उनके पिता कालो भंडारी, पत्नियां रुक्मा और उदीना तथा पुत्र गजे सिंह और अमर सिंह का भी उल्लेख आता है। मलेथा में नहर निर्माण, संभवत पहाड़ की पहली भूमिगत सिंचाई नहर पर भी लोक गाथा गीत हैं। रुक्मा का उलाहना - " योछ भंडारी क्या तेरू मलेथा जख सैणा पुंगड़ा बिनपाणी रगड़ा ........" और जब नहर बन जाती है तब - भंडारी रुक्मा से कहता है - " ऐ जाणू रुक्मा मेरा मलेथा गौं मुंड को सेरो मेरा मलेथा .........." बहुत विस्तृत है माधो सिंह भंडारी की इतिहास शौर्य गाथा और लोकगाथा भी। इंद्रमणि बडोनी जी के निर्देशन में माधो सिंह भंडारी से सम्बन्धित गाथा गीतों को 1970 के दशक में संकलित करके नृत्य नाटिका में ढाला गया था। एक डेढ़ दशक तक दर्जनों मंचन हुए। स्वर और ताल देने वाले लोक साधक 85 वर्षीय शिवजनी अब भी टिहरी के ढुंग बजियाल गांव में रहते हैं ....... लोग इगास तो मनाते रहे लेकिन इसका इतिहास और इसकी गाथा भूलते चले गए। आधा गढ़वाल भूल गया, जबकि आधा गढ़वाल में अब भी बड़े उत्साह से इगास मनाई जाती है। खास बात यह भी समझें कि मध्य काल में उत्तर की सीमाएं माधो सिंह, रिखोला लोदी, भीम सिंह बर्त्वाल जैसे गढ़वाल के योद्धाओं के कारण सुरक्षित रही हैं। चीन से भारत का युद्ध आजादी के बाद हुआ लेकिन तिब्बत से तो गढ़वाल के योद्धा शताब्दियों तक लड़ते रहे। पर्वत की घाटियों में ही तिब्बत के सरदारों को रोकते रहे। सिर्फ गढ़वाल ही नहीं भारत भूमि की रक्षा भी की। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार एक बार तो टिहरी के निकट भल्डियाणा तक चले आए थे तिब्बत के सरदार। तो फिर ...... गढ़वाल ही क्यों, पूरे भारत देश को इन योद्धाओं का ऋणी होना चाहिए। गाथा सुननी चाहिए, पढ़नी चाहिए ..............
Bhut sundar vlog🎉 phadi bhaji ❤all family membar 🎉 love you 😍 Aakash so 😍 ab bhabhi ji bhi Bolney lag gyi h 💖 Bhut achha laga bhaji 🎉 badi bhabhi bhi 💖 bhut beautiful 😍 h aur pahadi bhaji aap bindaash bolted ho good 👍
Hum bhi utrakhndi cha bhaji Jai ho devbhumi utrakhnd ki Jai ho aur mai bhi gaaziyaabaad se bonus cha aap se mulaakat Holi aap bhut achhu log baroda 🎉🎉🎉🎉
बहुत अच्छे ब्लॉग ।आप लोगों कू परिवार भी बहुत बहुत अचछूऔर संस्कारी परिवार च ।
Cute ekansh aur pyari si chachi ki masti dekh kar maza aya
जय श्रीराम आप सभी को, बहुत प्यारा एकांश🥰
प्राची-एकता बहुत प्यारी हो तुम दोनों ❤
गढ़वाल में इसलिए मनाई जाती है "इगास" दिवाली ........
माधो सिंह भंडारी की वीरता से है इसका संबंध .............
माधो सिंह भंडारी 17 वीं शताब्दी में गढ़वाल के प्रसिद्ध भड़ (योद्धा) हुए। माधो सिंह मलेथा गांव के थे। तब श्रीनगर गढ़वाल के राजाओं की राजधानी थी।
माधो सिंह भड़ परंपरा से थे। उनके पिता कालो भंडारी की बहुत ख्याति हुई। माधो सिंह, पहले राजा महीपत शाह, फ़िर रानी कर्णावती और फिर पृथ्वीपति शाह के वजीर और वर्षों तक सेनानायक भी रहे।
एक गढ़वाली लोकगाथा गीत (पंवाड़ा) देखिए -
"सै़णा सिरीनगर रैंदू राजा महीपत शाही
महीपत शाह राजान भंडारी सिरीनगर बुलायो ...."
तब गढ़वाल और तिब्बत के बीच अक्सर युद्ध हुआ करते थे। दापा के सरदार गर्मियों में दर्रों से उतरकर गढ़वाल के ऊपरी भाग में लूटपाट करते थे। माधो सिंह भंडारी ने तिब्बत के सरदारों से दो या तीन युद्ध लड़े। सीमाओं का निर्धारण किया। सीमा पर भंडारी के बनवाए कुछ मुनारे (स्तंभ) आज भी चीन सीमा पर मौजूद हैं। माधो सिंह ने पश्चिमी सीमा पर हिमाचल प्रदेश की ओर भी एक बार युद्ध लड़ा।
एक बार तिब्बत युद्ध में वे इतने उलझ गए कि दिवाली के समय तक वापस श्रीनगर गढ़वाल नहीं पहुंच पाए। आशंका थी कि कहीं युद्ध में मारे न गए हों। तब दिवाली नहीं मनाई गई।
दिवाली के कुछ दिन बाद माधो सिंह की युद्ध विजय और सुरक्षित होने की खबर श्रीनगर गढ़वाल पहुंची। तब राजा की सहमति पर एकादशी के दिन दिवाली मनाने की घोषणा हुई।
तब से इगास बग्वाल निरंतर मनाई जाती है। गढ़वाल में यह लोक पर्व बन गया। हालांकि कुछ गांवों में फिर से आमावस्या की दिवाली ही रह गई और कुछ में दोनों ही मनाई जाती रही। इगास बिल्कुल दीवाली की तरह ही मनाई जाती है। उड़द के पकोड़े, दियों की रोशनी, भैला और मंडाण ........
शायद यह 1630 के आसपास की बात है। इन्हीं माधो सिंह भंडारी ने 1634 के आसपास मलेथा की प्रसिद्ध भूमिगत सिंचाई नहर बनाई, जिसमें उनके पुत्र का बलिदान हुआ।
जीवन के उत्तरार्ध में उन्होंने तिब्बत से ही एक और युद्ध लड़ा, जिसमें उन्हें वीरगति प्राप्त हुई। इतिहास के अलावा भी अनेक लोकगाथा गीतों में माधो सिंह की शौर्य गाथा गाई जाती है। इगास दिवाली पर उन्हें याद किया जाता है -
""दाळ दळीं रैगे माधो सिंह
चौंऴ छड्यां रैगे माधो सिंह
बार ऐन बग्वाळी माधो सिंह
सोला ऐन शराद मधो सिंह
मेरो माधो निं आई माधो सिंह
तेरी राणी बोराणी माधो सिंह .........."
वीरगाथा गीतों में उनके पिता कालो भंडारी, पत्नियां रुक्मा और उदीना तथा पुत्र गजे सिंह और अमर सिंह का भी उल्लेख आता है। मलेथा में नहर निर्माण, संभवत पहाड़ की पहली भूमिगत सिंचाई नहर पर भी लोक गाथा गीत हैं।
रुक्मा का उलाहना -
" योछ भंडारी क्या तेरू मलेथा
जख सैणा पुंगड़ा बिनपाणी रगड़ा ........"
और जब नहर बन जाती है तब -
भंडारी रुक्मा से कहता है -
" ऐ जाणू रुक्मा मेरा मलेथा
गौं मुंड को सेरो मेरा मलेथा .........."
बहुत विस्तृत है माधो सिंह भंडारी की इतिहास शौर्य गाथा और लोकगाथा भी। इंद्रमणि बडोनी जी के निर्देशन में माधो सिंह भंडारी से सम्बन्धित गाथा गीतों को 1970 के दशक में संकलित करके नृत्य नाटिका में ढाला गया था। एक डेढ़ दशक तक दर्जनों मंचन हुए। स्वर और ताल देने वाले लोक साधक 85 वर्षीय शिवजनी अब भी टिहरी के ढुंग बजियाल गांव में रहते हैं .......
लोग इगास तो मनाते रहे लेकिन इसका इतिहास और इसकी गाथा भूलते चले गए। आधा गढ़वाल भूल गया, जबकि आधा गढ़वाल में अब भी बड़े उत्साह से इगास मनाई जाती है।
खास बात यह भी समझें कि मध्य काल में उत्तर की सीमाएं माधो सिंह, रिखोला लोदी, भीम सिंह बर्त्वाल जैसे गढ़वाल के योद्धाओं के कारण सुरक्षित रही हैं।
चीन से भारत का युद्ध आजादी के बाद हुआ लेकिन तिब्बत से तो गढ़वाल के योद्धा शताब्दियों तक लड़ते रहे। पर्वत की घाटियों में ही तिब्बत के सरदारों को रोकते रहे। सिर्फ गढ़वाल ही नहीं भारत भूमि की रक्षा भी की। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार एक बार तो टिहरी के निकट भल्डियाणा तक चले आए थे तिब्बत के सरदार।
तो फिर ...... गढ़वाल ही क्यों, पूरे भारत देश को इन योद्धाओं का ऋणी होना चाहिए। गाथा सुननी चाहिए, पढ़नी चाहिए ..............
Bahut sahi bhai or ye igaas hui buddhi bagwal to ek mahine baad aati mangseer bagwal
इगास बग्वाल की हार्दिक शुभकामनायें आपके पूरे परिवार को 🙏🙏
Excellent blog keep it up
Vah dono bahuon ne sasu maa ko achche se taiyar kiya hai
Vese apki sasu maa bahut khoobsurat hai
बहुत सुंदर❤ वीडियो
बहुत प्यारा बेबी हैं Ekansh❤❤
Humne to momo khaye Egaas bagwal m 😅😅
Bhut sundar vlog🎉 phadi bhaji ❤all family membar 🎉 love you 😍 Aakash so 😍 ab bhabhi ji bhi Bolney lag gyi h 💖 Bhut achha laga bhaji 🎉 badi bhabhi bhi 💖 bhut beautiful 😍 h aur pahadi bhaji aap bindaash bolted ho good 👍
Hum bhi utrakhndi cha bhaji Jai ho devbhumi utrakhnd ki Jai ho aur mai bhi gaaziyaabaad se bonus cha aap se mulaakat Holi aap bhut achhu log baroda 🎉🎉🎉🎉
Aunty kitni beautiful lgri hai❤❤
इगास की आप थै बहुत बहुत बधाई ❤❤🎉
Awesome
Bhai ekansh my favourite ❤
Bahut hi pyari family ❤
Nice vlog 👌
सास भी अच्छी और बहु भी अच्छी
Saransh k dada ji ko aaj dekha, garhwali films k aloknath ha ye to.
जय श्री राम🙏
Priya bhabhi is a very
sweet & nice person ❤😊
Swale,daal ki puri bnayi
Ekansh bahut cute hai
Jai shree Ram 🚩
Bhai Gabba kiska naam hai
Anniversary mna lo achhi see
Nice❤❤❤❤
Super 🙏
Aapke gr m gadwali bhu badi hai kya
Cute Ekansh
❤❤❤❤
Humne daal ke pakode aur poori bnayi
🙏
बंदे हम पौड़ी से चलते छाती चौड़ी से 😎😎
अरे पहाड़ी भाइयों एक बात बताओ दोनों भाई में दोनों सामान लगते हो आप मुझे यह बताओ आकांक्षा और पहाड़ी भेजी कौन कौन है🎉
Aapke papa bhgaan beti m the kya koi gadwali film kri h
Alag rahte Hain to kya hua rahte to pyar se hai Na sath mein rahakar ladai karne se achcha ke liye hi theek hai
Bhabhiji achhi gadwali bolne lag gayi ab bhaiji apni buawari ko bhi sikhao
Bhari puri aur daal ke pakode saath mein chai ki chuski
हमको पहले से पता था ऐसे चूड़ियां डालते हैं अभी जवान है मम्मी पापा आपके विक्की भुला तुम अलग क्यों रहते हो बग्वाल की बधाई भैला हमने भी खेला है
भाई साहब पहाड़ से भाभी जी कोटा से आपकी लव मैरिज कैसे हुई🎉🎉
Choti nhi buddhi Diwali hoti hai
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