🙏.. apko sun kar .. aisa lagta hai .. mano.. Prabhu khud hamari duvidha ka samadhan bta rhe hain... Apka Dil se dhanyawad.. ap swasth rhe aur brahmacharya Marg pe agarsar rhne ki shakti de apko... yhi kamna hai uss param Shakti se.. Hari om. 🙏
बहुत बढ़िया प्रस्तुति। आपने मूर्ति पूजा का सत्य प्रस्तुत किया है। मैं आपके विचारों से प्रभावित एवं सहमत हूं। आपके विचार मानस ईशास्था के समान है। मैं मानस ईशास्था धर्म का अनुयायी हूं। ईश्वर एवं पूजा प्रार्थना बिल्कुल ऐसी ही है।
👉भगवान को कोई भी सांसारिक वस्तु की आवश्यकता नहीं है और न ही उन्हें यह जाता है अगर कुछ जाता है तो वह सिर्फ भक्ति भाव है । 👉हम तो ये मानकर ही चलते हैं कि चढ़ावा या दान मंदिर प्रशासन को ही जा रहा है या कुछ हद तक पूजा की भूमिका में जा रहा है । 👉समर्पण , भक्ति या आराधना भाव सांसारिक वस्तु कम या नही चढ़ाने वाले के भी अधिक हो सकती है । 👉 निम्न मध्यम परिवार से संबंध रखने पर भी मुझे अमीर या ज्यादा दान या चढ़ावा देने वालों से समस्या नहीं है । 👉 परंतु समस्या तो वहां है जहां धन के न होने पर दर्शन करने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोका जाता है । जय सनातन ।।
Satya Prakash ji very good discourse ,keep it up ,it is true ishwar bhakti .you are doing good job in real sence.kalyuga murti pooja has become a big business ,it is damaging real sanatan dharma.I salute you for your noble cause to teach real sanatan sanatan dharma. in its true sense
Sir apane views achhe lage bahut dhanyawad I like you,sir me tulnatmak tarike se ye janana chahata hun ki aaj ke dore me पाखंड ज्यादा हो रहा है और सच्चाई छुपती चली जा रही है मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास आज भी मन को छू लेता है हम ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ा जाए जिससे वास्तविक वास्तविक ज्ञान मिले और मन में शंका उत्पन्न ना हो
Maine hazaro video Dekhi h Aarya smaaj me gya hu. Iskon temple se gyan liya h Pr Aarya smaaj ko gyan satya pr adharit h isme koi shak nhi Lekin aarya smaaj se mere bohot question the jo m nhi jaan paya kyuki Maine apni life me jo mehsoos kiya h vo Btana v logo ko pakhnd lgta h Mere Saare question ka jwaab muje issi chenal satya parkash guru se mila h Inki har baat me tark h Issliye satya parkash ji ki parmatma or gyan de jisse hum jaiso ko Marg darshan Ho sake
Ek request h Satyaprakash ji kripya karke videos ko jitne ho sake utna short rakhne ki kosis kare. Bhot se log long videos ko dekh kar ignore kr dete hain. Aap khud hi confirm kar skte h ki aapki videos jo ki 10-15 minutes ki hain unpar jada views aur jese jese videos ki length Badti jati hain vese hi views kam hote rhte hain.
Aap bhot hi acha kam kar rhe hain aur me aapko bhot phle se follow kar rha hu isliye chata hu ki apni videos jada se jada logo tak phoche. Jab Aapne bhot Dino tak koi bhi naya video upload nhi kiya tha tab me daar gya tha par aapki "My life journey" wali video dekh kar me bhot khus ho gya.
Aap agar brief explanation hi dena chahte h to ek doosre channel ke bare me vichar kijiyega yadi sambhav ho to. Aur apne channel ke community section par bhi thoda time dijiye taking apne subscribers ko aapke agle videos ke bare me update milta rhe. ॐ नमः शिवाय ।
Daan ki paise se hum gareebo ka madad kar sakte hai, gurukul khol sakte hai logon ko Shaastro aur Shastro ka gyan Dene k liye, Jo log dhan k abhav se Rice leke convert ho rhe hai unkemadad kar sakte hai
गुरु जी,प्रणाम, बहुत दिन हुए आपका आशीर्वाद प्राप्त हुए! आशा करता हुँ आप स्वस्थ है ईश्वर आपको लम्बी उम्र दे। 2,3 दिन से मेरी जिहवा और ठोडी व गले के बीच मे और जबड़े मे थोड़ा दर्द है मेरे पैर और मेरी हाथो की कुछ उंगलिया थोड़ा सुन्न प्रतीत हो रही है,सोकर उठने के बाद शरीर के जोड़ जाम व ऊर्जा रहित प्रतीत होते है कभी-कभि शरीर के जोड़ो मे हलका दर्द भी महसूस हो रहा है मंत्र जाप् के दौरान जीभ मे दर्द थोड़ा बढ़ जाता है मुझे शरीर व सिर मे कभी कभी बहुत् तेज् गर्माहट महसूस हो रहा है। और आध्यात्मिक परमानंद भी। लगभग पिछले मार्च महीने नवरात्रि से कुछ पूजा और मंत्र जाप कर रहा हुँ डर लग रहा है क्या मंत्र जाप ना करूँ (महामृत्युंजय बीज मंत्र 1 माला) क्या कोई आध्यात्मिक कारण है या नही क्या कोई गलती तो नही कर दी क्या पिछली बार की तरह सब नियंत्रण से बाहर तो नहीं होगा,मार्गदर्शन करे।आध्यात्म को छोड़ना नहीं चाहता हुँ जय शिव🙏🙇♂️
संभव है कि भोजन या व्यवहार संबंधी कुछ गलतियों के कारण शरीर में कष्ट हो रहा हो। कलयुग में यदि हम अपने मन को नियंत्रित करके अपने व्यवहारिक कर्म पर ही ध्यान दें तो इतना भी पर्याप्त है। जहाँ तक मंत्र जप की बात है तो यदि किसी सिद्ध पुरुष ने मंत्र दिया हो तो बेहतर होता। जैसे : - कुंती को ऋषि दुर्वासा ने मंत्र दिया, माता पार्वती को नारद जी ने मंत्र दिया, ऋषि वाल्मीकी को भी नारद जी ने मंत्र दिया आदि और भी हैं। हम कलयुग में किसी किताब से पढ़कर मंत्र जपने लगते हैं तो इनके फलीभूत होने में संदेह रहता है। कलयुग में सिद्ध पुरुष मुझे कोई दिखाई नहीं देता। इसलिए बेहतर है कि व्रत-उपवास आदि करके मन को नियंत्रित करते हुए सत्य और ब्रह्मचर्य पर स्थिर होना भी ईश्वर से मिलन में सहायक रहेगा।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm गुरु जी,प्रणाम🙏 कल मैने आपसे अपनी स्वास्थ्य चर्चा की,मै काफी कुछ सात्विक खान पान का ध्यान रखता हुँ लेकिन एक दिन 2 जून को ताऊजी के परिवार के सब सदस्य आये हुए थे उनका खान पान अशुद्ध है मदिरा का भी सेवन उस दिन उन्होने(भाई ने) किया लेकिन मेरा मन पीने को होने के बावजूद भी मैने नहीं पिया मै उनके साथ केवल बैठा बाद मे भोजन साथ करने के कारण 1 गस्सा गलती से प्याज़ का बना हुआ सब्जी खा गया और बाद मे पुरा सब्जी भी,मैने प्याज़ मदिरा आदि बहुत दिनों से नहीं खाया। कुछ दिनों से मेरा व्यवहार भी क्रोध मे है और कट्टरपंथ समुदाय से बहुत घृणा हो गयी है किसी भी तरह से मैं इनका चेहरा नहीं देखना चाहता। और मेरे कुटुंब मे रिश्ते मे एक चाचा है उनका स्वभाव तो अच्छा है लेकिन काम की भावना उनमे प्रबल है उनसे दोस्त जैसे सम्बन्ध है कई बार समझाया कि औरतो को भोग की वस्तु ना समझे लेकिन नहीं मानते और मुझे अपने किस्से भी सुनाते रहते है कई बार उनकी बाते सुनकर मन मे काम भावना उत्त्पन्न हो गयी और कपड़े अपवित्र हो गये और स्नान करना पड़ा,बहरहाल मैने कभी गलत नहीं किया। मैने सोचा की कभी ना कभी उनमे सुधार आएगा,मेरे साथ नियमित सोमवार मे मंदिर जाते है साधारण है कमाई भी ज्यादा नहीं है। बस यही एक कमी है -वासना सोचता हुँ कमी सब मे होती है मुझमे भी थी इसलिए सम्बन्ध विच्छेद नहीं किया। क्या सम्बन्ध समाप्त कर देना चाहिए? बस यही सब कारण हो सकते है जो आध्यात्म का ह्रास हुआ। आपने कहा है कि कलयुग मे कम ही केवल सत्य ब्रह्मचर्य व्रत करने से ही ईश्वर से मिलन संभव है लेकिन मेरा मत थोड़ा भिन्न है मेरे मत से ईश्वर मिलन मे 100 प्रतिशत देना होगा मेरे मत से कलयुग मे ज्यादा निष्ठा की आवश्यकता है सतयुग की अपेक्षा,क्योकि सतयुग मे ईश्वर का चिंतन स्वतः ही हो जाता है बल्कि कलयुग मे नहीं होता। कोई भक्त हुए है शायद दत्तात्रे जिन्होंने अलग अलग 17 गुरु बनाये पृथ्वी, कव्वा आदि। ऐसे भक्तो ने परमगति कैसे प्राप्त की बिना किसी गुरु के मंत्र दिये,इन्होने पृथ्वी आदि को सांकेतिक गुरु मानकर मंत्र जाप करके पूजा पाठ आदि करके परमलक्ष्य प्राप्त किया होगा।
@@lovygupta286, आजकल कलयुग में लिखी गई किताबों में सत्य ढूंढना कई बार जोखिम भरा हो जाता है। दत्तात्रेय स्वयं विष्णुजी का अवतार थे, उनके पिता महर्षि अत्रि और माता अनुसूइया थी। महर्षि अत्रि जिनका सप्तर्षियों में स्थान हैं से बढकर श्रेष्ठ गुरू कौन होगा ! माता अनुसूइया भी त्रिदेवों की माता कहलाती हैं। सत्य और ब्रह्मचर्य को साधना भी बच्चों का खेल नहीं है। किसी ने अश्लील बातें की ओर वीर्य स्खलित हो गया, अतः ब्रह्मचर्य का दूर तक कोई संबंध नहीं है। अभी साधना का लक्ष्य बहुत दूर है। ब्रह्मचर्य के साधक को अश्लील लोगों से दूरी बनानी ही पङती है। यदि अश्लील लोग हमारे निकट संबंधी हो तो भगवान उन्हे आपसे स्वयं दूर कर देंगे। ध्यान रहे कि कोई भी मंत्र आदि की साधना भी सत्य और ब्रह्मचर्य के सध जाने बाद ही फलीभूत होते हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm गुरु जी प्रणाम,🙏 मैने आपकी सारी वीडियो देखी है कही भी आपने आत्म-साक्षात्कार के विषय मे नहीं बताया,कृपया इस विषय पर प्रकाश डालिये। वीडियो बनाइये। मन बहुत दुखी हुआ जब आपने कहा ब्रह्मचर्य नहीं है आध्यात्म बहुत दूर है। मैने ये कहा था कि अश्लील वार्तालाप से वस्त्र खराब होते है,मुझे स्कखलन नहीं होता शिशन थोड़ा गीला होता है स्नान की आवश्यकता पड़ती है। गुरु जी केवल रिश्तेदार ही नहीं आजकल सभी जगह यह वार्तालाप आम बात है सभी लोग काम- वासना को भोगना चाहते है, सभी विकारो को छोड़ने के लिए मन को लगाम लगाने की आवश्यकता है,मैने मन को अभी ढीली रस्सी से पकड़ा है इसका भी एक कारण है, अगर आपको याद हो तो मैने पहले कभी कहा था कि 8-10 साल पहले जब आध्यात्म की ओर मेरा रुख ज्यादा हुआ तब मैने हठ योग द्वारा साधना की थी,परमात्मा को जानने का जूनून सवार था हर वक्त सोते जागते पागलो की तरह से कभी किताबों मे कभी इंटरनेट पर कभी ध्यान के द्वारा आदि खोज करता रहा। और शायद वो मुझे मिला भी,शायद ऐसा ही परमानंद होता होगा जब कोइ सिध- ध्यानी समाधी की अवस्था तक पहुँचता होगा,इतना मीठा परमानंद- रस उस अवस्था मे रहता है इतनी ऊर्जा रहती हैं मश्तिश्क़ मे रात-दिन् सोते-जग्ते हर वक्त नशा रहता है परमानंद का,इतना सुख मिलता है कि मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और वही मेरे साथ तीन बार हुआ,तीन बार ऐसा लगा कि मृत्यु ज्यादा सही है ऐसी अवस्था से,अब से पहले सोचता था ये क्या हुआ है क्या परमेश्वर को भक्ति स्वीकार्य नहीं पर बहुत खोजने के बाद पता लगा की यही मार्ग है इसी से होकर साधक को जाना होता है,लेकिन यहाँ पर जरूरत होती है एक सच्चे गुरु की जिसने आत्म-साक्षात्कार कर रखा है,गुरु का कार्य है कि शिष्य की देख रेख करे कि कितनी ऊर्जा की साधक को आवश्यकता है एक बड़े ट्रांसफार्मर से जब बिजली प्रवाहित होती है तब बल्ब को बिजली की अत्यधिक ऊर्जा से नष्ट होने से बचाने के लिए एक माध्यम(स्टेप्लाईज़र)की आवश्यकता पड़ती है वही कार्य शिष्य के लिए गुरु का होता है गुरु परमेश्वर से आने वाली उस असाधारण ऊर्जा को संतुलित रखने का कार्य करते है यदि भक्ति मार्ग की बात की बात की जाये तो भी सच्चे भक्त को भी यह अवस्था ऐसी ही होती है कहते है मीरा भी ऐसी ही भक्ति मे पहुंचकर कृष्ण की प्रतिमा मे लीन हो गयी,शरीर नहीं मिला था,यहा मैने समझा कि मीरा के लिए कोई और द्वार खुल गया था जिससे कृष्ण और मीरा के बीच का भेद मिट गया होगा,और मीरा ही कृष्ण की प्रतिमा मे एकाकर हो गयी,अर्थात मीरा, कृष्ण हो गयी। मै आपको गुरु कहता हुँ और आप सदैव रहेंगें भी क्योकि आपने अनेको बार मेरी शंकाओ का निवारण किया है लेकिन मुझे एक ऐसे गुरु की आवश्यकता है जो मेरी परमेश्वर तक की यात्रा मे इस सेतुः का कार्य कर सके, यदि आप कर सके तो मुझे दीक्षा(मंत्र)दीजिये,जिस्से मेरी तलाश पूर्ण हो सके। मेरी भक्ति मे कोई कमी नहीं है लेकिन अपना जीवन भी मैं पूर्ण करना चाहता हुँ संतुलित मानसिक स्तिथि से होकर परमेश्वर को प्राप्त होना चाहता हुँ। इंटरनेट पर तलाशने के बाद मुझे तीन गुरु मिले जो यू tube पर वीडियो बनाते है- 1 कौलांतक नथ-इश्पुत्र् 2 world of happiness-प्रेम् विराट 3 आप है 1- यहाँ मुझे लगा है इशपुत्र सबसे सही है ये हिमालय मे योग ध्यान करते है काफी सारी वीडियो मे इन्होने बहुत मार्गदर्शन किया,साधक को शिक्षा के लिए इनके पास(हिमाचल) ही जाना होगा जो मै वहां सब छोड़ छाड़ कर नहीं जा सकता। वहाँ प्रवेश के लिए कुछ 10,11 हजार भी ये चार्ज करते है मैने इनके किसी वीडियो मे कहे अनुसार इनको ही ऐसे ही मन से इनको गुरु मान लिया। 2-प्रेम् विराट जो कि मेरे लगभग हम उम्र ही है इनकी आध्यत्मिक् कहानी मेरी आध्यात्मिक यात्रा से थोड़ा मेल खाती है ये भी कुछ अपॉइंटमेंट शुल्क बात करने का चार्ज कर रहे है और आध्यात्मिक यात्रा कराने का 50000 सम्पूर्ण जीवन शुल्क ले रहे है। मेरे पास खर्च करने को पैसे नहीं है 3- आपके पास मुझे लगा कि पृथवी, विष्णु भगवान आदि का जैसे वृततांत आपने वीडियो मे दिया है वो कही नहीं मिलेगा आपने ये कहा की यदि गुरु आध्यात्मिक यात्रा कराने के पैसे मांगता है तो वह गुरु झूठा है लेकिन उपरोक्त प्रेम विराट कहते है कि मैं एक् बिजनेस करता हुँ और सब छोड़कर 1 साधक के साथ पूरा 5 दिन रहूंगा तो इसमे हर्ज क्या है। मुझे आपकी बात सबसे उत्तम लगी आध्यात्म पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है। मुझे लगता है आपके पास ज्ञान है लेकिन आप वीडियो बहुत कम बनाते है कृपया मार्गदर्शन करे। आप्से 🙏प्रार्थना करता हुँ यदि परमात्मा का साक्षात्कार आपने किया है तो मुझे दीक्षा दीजिये, जय शिव🙏🙇♂️ ये वीडियो प्रेम विराट की है अवश्य देखिये th-cam.com/video/yxdjZFdR20Q/w-d-xo.html
@@lovygupta286 , यदि ईश्वर को पाने के लिए एक रुपया भी खर्च करना पङे तो समझना कि भगवान बहुत महंगा है। धन से वासना का सामान खरीदा जा सकता है, ईश्वर का प्रेम नहीं। यदि धन से ही ईश्वर को पाया जा सकता तो सुदामा और शबरी को ईश्वर कभी नहीं मिल सकते थे। गुरू केवल मार्गदर्शन करता है, उस मार्ग पर शिष्य को अकेले ही चलना होता है। जो गुरू मार्ग पर साथ चलने के पैसे मांगता है तो वह कोई व्यवसायी है। तुम व्यर्थ चिंता करते हो, ईश्वर से मिलने की जितनी जिज्ञासा तुम्हे है उससे कहीं अधिक जिज्ञासा तो ईश्वर को अपने भक्त से मिलने की होती है, परन्तु हम अपने विकारो को पहचान नहीं पाते। ये विकार ही हमारे और ईश्वर के मिलन में रुकावट बनते हैं। जब कोई अश्लील वार्तालाप करे और आपकी इन्द्रियाँ बेकाबू हो जाए तो समझो अभी वासना ने मन पर डेरा डाला हुआ है। जब आप ईश्वर के ध्यान में इतना खो जाए कि किसी के अश्लील वार्तालाप या किसी के अश्लील नृत्य से भी मन पर कोई प्रभाव नहीं हो रहा हो तो समझना कि अब ईश्वर से मिलने के समय आ गया है। ईश्वर की साधना एक लम्बी यात्रा है, इसका कोई शॉर्टकट नहीं है। मैने अपने जीवन परिचय के बारे में एक वीडियो में बताया था कि मेरी पत्नी के आचरण के कारण मेरा आध्यात्मिक मार्ग अधिक लंबा हो गया। इसी कारण मैं वीडियो नहीं बना पाता। अभी भी कुछ ऐसी ही व्यथा है। यदि इस व्यथा से मुक्त हो पाया तो वीडियो बनाऊंगा अन्यथा कुछ कह नहीं सकता।
भगवान शिव निराकार ब्रह्म हैं, वे सदा-सर्वदा विद्यमान रहते हैं, चाहे सृष्टि हो या प्रलय हो। हमारा सौरमंडल जहाँ है वहीं शिव का मूलाधार चक्र है, वही शिवलिंग है, परन्तु अदृष्य रूप से।
Sir, मैंने सुना है कि शंकर जी के तीन पुत्र हैं गणेश जी, कर्तिके जी और अय्याप्पा स्वामी। क्या ये सच है, यदि नहीं तो अय्याप्पा स्वामी कौन है।? Plz comment
जिन्होंने ये कैरेक्टर खङा किया है वही इसके बारे में बता सकते हैं। शिव महापुराण और अन्य पुराणों में इनका जिक्र नहीं है। मैं बेतुकी बातों में विश्वास नहीं करता।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm Jalandhar ko bhi Shiv ji ka putra hi mana jata h kyunki vh unke ansh se hi peda hua tha. Ayyappa ki kahani Dakshin Bharat Ki hain Ek Asur tha jise ye vardan tha ki uski mrityu 2 aadmiyo ke sayog se peda hua bache se hogi. Iss liye Shiv ji aur Vishnu ji ke avtar Mohini se uss putra ka janam vo the Ayyappa. Shiv ji ke ek aur putra bhi the Andhak naam se jinke naam ka mention Shiv puran me bhi hain. Mein ye kahunga ki me ye nhi kha rha ki ye sab sach h ya juth hain ye to vo baate h jo meme khi se suni h ya padi hain.
ये जो आप भगवान राम के शिव पूजा के बारे में बोल रहे हो ये वाल्मीकि रामायण में नही ...तुलसी की रामचरित मानस में ह जो कि 500 साल पहले लिखी गयी ह....इसलिए भगवान राम को शिव भक्त मत बनाइये वो ॐ के भक्त थे वेदों को सर्वोपरि मानते थे
Sir murti puja aadi anadi kal se ho rahi hay murti me pran nahi prerana hoti hay ush mahan vibhuti ke jesha karm karne ki or puja yagya havan vedik parampara hay tan man or aatma ki sudhikaran ka prachin aarya sanskriti prakruti kohi ishwar manti hay tabhi to ped podhe pashu pakshi nadi sagar parvat or pure brahmad me virajit nirakar siv shakti ki ling rup me aaradhna hoti hay
@@somu328 ha ho raha hay kuch pakhandi one dhandha bana ke rakh diya hay ish ka matlab ye to nahi hum apni parampara chod de dan punay to sanatan sanskriti hay lekin patra dekh dan punay kare sir
(साकार और निराकार रूप से भगवत्प्राप्ति) अर्जुन उवाच एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते । ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ (१) भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे भगवन! जो विधि आपने बतायी है उसी विधि के अनुसार अनन्य भक्ति से आपकी शरण होकर आपके सगुण-साकार रूप की निरन्तर पूजा-आराधना करते हैं, अन्य जो आपकी शरण न होकर अपने भरोसे आपके निर्गुण-निराकार रूप की पूजा-आराधना करते हैं, इन दोनों प्रकार के योगीयों में किसे अधिक पूर्ण सिद्ध योगी माना जाय? (१) श्रीभगवानुवाच मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते । श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः ॥ (२) भावार्थ : श्री भगवान कहा - हे अर्जुन! जो मनुष्य मुझमें अपने मन को स्थिर करके निरंतर मेरे सगुण-साकार रूप की पूजा में लगे रहते हैं, और अत्यन्त श्रद्धापूर्वक मेरे दिव्य स्वरूप की आराधना करते हैं वह मेरे द्वारा योगियों में अधिक पूर्ण सिद्ध योगी माने जाते हैं। (२) ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते। सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम् ॥ (३) सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः । ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः ॥ (४) भावार्थ : लेकिन जो मनुष्य मन-बुद्धि के चिन्तन से परे परमात्मा के अविनाशी, सर्वव्यापी, अकल्पनीय, निराकार, अचल स्थित स्वरूप की उपासना करते हैं, वह मनुष्य भी अपनी सभी इन्द्रियों को वश में करके, सभी परिस्थितियों में समान भाव से और सभी प्राणीयों के हित में लगे रहकर मुझे ही प्राप्त होते हैं। (३,४)
Bahot hi achchha laga. Lekin ghar par hi shivling kharidkar oospar kramas dudh, dahi, sahed(honey), ghee chadhaakar use baad me charanamrit swarup prasad banaakar baataa diyaa jaa sakta hai.
कोई भी भगवान किसी भी इंसान को दि हुई रिश्वत स्विकार नहीं करते भगवान प्रेम चाहते हैं जो इंसान भगवान से बिना स्वार्थ प्रेम करेगा उसिके ऊपर भगवान की छञछाया हमेशा बनी रहती है दान चढ़ावा चढ़ाने से भगवान शिव शंभू कभी प्रसन्न नहीं होते प्रसन्न मंदिर के पुजारी होते है
अच्छी शिक्षा देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
🙏.. apko sun kar .. aisa lagta hai .. mano.. Prabhu khud hamari duvidha ka samadhan bta rhe hain... Apka Dil se dhanyawad.. ap swasth rhe aur brahmacharya Marg pe agarsar rhne ki shakti de apko... yhi kamna hai uss param Shakti se.. Hari om. 🙏
om namah shivay
बहुत बढ़िया प्रस्तुति। आपने मूर्ति पूजा का सत्य प्रस्तुत किया है। मैं आपके विचारों से प्रभावित एवं सहमत हूं।
आपके विचार मानस ईशास्था के समान है। मैं मानस ईशास्था धर्म का अनुयायी हूं। ईश्वर एवं पूजा प्रार्थना बिल्कुल ऐसी ही है।
Tum bhi wrong number me ho bhai
Hindu dharam me.aa jao
Very informative video,,,,,
Ati sundar vishleshan. Thank you so much sir.
Bahut bahut pranam aapko
आप सही सही केह रहे हे, अधर्म बढ राहा हैं...
Very very thanks to you for your good openions. I am very happy to hear your thoughts and openions. God may bless you full happiness with family.
Ek ek baat satya kahi aapne. Dhanyavaad.
आपकी बातों से मै पूर्ण रूप से सहमत हूं।
Aap ne bilkul Sahi bola Thnx
हमें दान उसी मंदिर मे देना चाहिये जिसमें दान के पैसे गुरुकुल आदि मे खर्च होता है
जिससे धर्म की रक्षा भी हो जायेंगे
right
Sahi hai
right
Mere sare sawalon ke jawab mil gaye bahot bahot shukriya aap ka 🙏
Sir ji, namaskar
You have perfectly described the concept of Bhakti and Pooja. When everything is created by the God, then who are we to give him?
,😍😍😍 👏👏👏 प्रणाम आदरणीय अंकल जी😃😃😃 aapke videos bht bht achhe hote hai
Ek dam sai bola aapne. Mera maan ki baat..
आपने बिल कुल सही कहा सरजी🙏
Aap ne jo bhi kahe hai o sab sahi hai mai es bat se parsn hu
सर जी आपने बहुत अच्छा ज्ञान बताया हम सहमत हैं
अति सुन्दर आपने आध्यात्म की बहुत अच्छी जानकारी है और अच्छे से व्याख्या कर रहे हो
Eye opener.
Thanks a lot.
👉भगवान को कोई भी सांसारिक वस्तु की आवश्यकता नहीं है और न ही उन्हें यह जाता है अगर कुछ जाता है तो वह सिर्फ भक्ति भाव है ।
👉हम तो ये मानकर ही चलते हैं कि चढ़ावा या दान मंदिर प्रशासन को ही जा रहा है या कुछ हद तक पूजा की भूमिका में जा रहा है ।
👉समर्पण , भक्ति या आराधना भाव सांसारिक वस्तु कम या नही चढ़ाने वाले के भी अधिक हो सकती है ।
👉 निम्न मध्यम परिवार से संबंध रखने पर भी मुझे अमीर या ज्यादा दान या चढ़ावा देने वालों से समस्या नहीं है ।
👉 परंतु समस्या तो वहां है जहां धन के न होने पर दर्शन करने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोका जाता है ।
जय सनातन ।।
Bahut hi sundar vishleshan guruji
bilkul sahi, great video. one of your best. namaste
Dhanya apka jivan lambi aayu de aapko Bhagwan Jay guru datt
મૂર્તિ પૂજા અને મંદિરો શ્રદ્ધા અને ધર્મ ભાવના ને જન્મ આપે છે.. પોઝિટિવ વિચારો માં વધારો થાય છે આત્મ વિશ્વાસ વધે છે 🌹🙏પ્રણામ
Good knowledge give the people dhanyawaad 👌👌👌👌👌👌👌
Satya Prakash ji very good discourse ,keep it up ,it is true ishwar bhakti .you are doing good job in real sence.kalyuga murti pooja has become a big business ,it is damaging real sanatan dharma.I salute you for your noble cause to teach real sanatan sanatan dharma. in its true sense
Dhanyavaad Aapka. Kya Superb Example Se Samjhaya Aapne. Aapki Vaani Ekdum Pure Hai. Aisa Lagta Hai Sunte Hee Jao.. please Jitna Gyaan Baat Sakte Ho Zaroor Batiyega.
बहुत ही सुन्दर ढंग से समझाया सर जी धन्यवाद।।। धर्म परिवर्तन के बारे में विडियो बनाईये सर ।। ईसाई के बारे में
भाई साहब आपने एकदम सही बात कही।
नमस्कार।
Sir abhi tk amne to khai nhi pada hai ki mere guru शिव ne bhang ya dhature ka nasaa kiya
Main aapki har video dekhta Hoon,
Very good video.
बहुत अच्छा ।
Very Good Mahasai Apna Sahi Bola.
Education system wala example bahoot sahi hai..
❤️❤️❤️❤️👆💯👌👌
थैंक्स गिविंग/ पूजा- धन्य स्रधा का प्रतीक है और मंदिर सामाजिक व्यस्था को चलाने की व्यस्था थी और अब कलयुग है।
सही ज|नकारी दी है सर आपने कृपा कम से कम महीने में 10-15 ऐसी ही वीडियो जरूर दीजिये plz. 🙏
Best information on Sanatan dharma..Hats off
सही मार्गदर्शन। 🙏🙏🙏🙏🙏
देखिए भगवान को जल,पुष्प,फल पूर्ण श्रद्धा से चड़ाया जाय, दान गरीबों का हिस्सा है।
ऊं श्री गुरुवे नमः
ऊं नमो नारायणाय नमः
Nice video...aese hi daily upload karna Suru kro...ji
प्रणाम 🙏🏼
Ram ram bhai ap ka bat se 100% sahmat hain sir apka bani dete rahen said hindu samaj kuchh...
Appreciaceble 👌👌🙏🙏
Parnam
Sir are great knowledge
Bhuhut super
Parnam guru ji
Sir apane views achhe lage bahut dhanyawad I like you,sir me tulnatmak tarike se ye janana chahata hun ki aaj ke dore me पाखंड ज्यादा हो रहा है और सच्चाई छुपती चली जा रही है मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास आज भी मन को छू लेता है हम ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ा जाए जिससे वास्तविक वास्तविक ज्ञान मिले और मन में शंका उत्पन्न ना हो
You are right sir
Bahut sahi baat 🙏🙏
Maine hazaro video Dekhi h Aarya smaaj me gya hu. Iskon temple se gyan liya h
Pr Aarya smaaj ko gyan satya pr adharit h isme koi shak nhi
Lekin aarya smaaj se mere bohot question the jo m nhi jaan paya kyuki Maine apni life me jo mehsoos kiya h vo Btana v logo ko pakhnd lgta h
Mere Saare question ka jwaab muje issi chenal satya parkash guru se mila h Inki har baat me tark h
Issliye satya parkash ji ki parmatma or gyan de jisse hum jaiso ko Marg darshan Ho sake
Your Right 🙏👍👍
Ram ram ji...
Apki khai bato me sachai h...
Esi trah he ap humko jagrit kartye rahye...
Tnku ..
Ek request h Satyaprakash ji kripya karke videos ko jitne ho sake utna short rakhne ki kosis kare. Bhot se log long videos ko dekh kar ignore kr dete hain. Aap khud hi confirm kar skte h ki aapki videos jo ki 10-15 minutes ki hain unpar jada views aur jese jese videos ki length Badti jati hain vese hi views kam hote rhte hain.
Aap bhot hi acha kam kar rhe hain aur me aapko bhot phle se follow kar rha hu isliye chata hu ki apni videos jada se jada logo tak phoche. Jab Aapne bhot Dino tak koi bhi naya video upload nhi kiya tha tab me daar gya tha par aapki "My life journey" wali video dekh kar me bhot khus ho gya.
Aap agar brief explanation hi dena chahte h to ek doosre channel ke bare me vichar kijiyega yadi sambhav ho to. Aur apne channel ke community section par bhi thoda time dijiye taking apne subscribers ko aapke agle videos ke bare me update milta rhe.
ॐ नमः शिवाय ।
मैं बहुत प्रयास करता हूँ कि वीडियो छोटा बने, परन्तु धर्म की उलझी गुत्थियां सुलझाने में वीडियो लम्बा हो जाता है।
Sir I became your fan today.
Thank you for good knowledge.
🙏
Nice sir 👍
One of the best video seen to know true religion. Thanks sir.
Kya bat hi
Parmatma ka dhayan ham ghar me baith ke bhi kar sakte h.
ॐ नम : शिवाय
जय भोलेनाथ की
Daan ki paise se hum gareebo ka madad kar sakte hai, gurukul khol sakte hai logon ko Shaastro aur Shastro ka gyan Dene k liye, Jo log dhan k abhav se Rice leke convert ho rhe hai unkemadad kar sakte hai
Sir parmarth par bhi ek vedio bnaiye hme kis prakaar ke logo ki help krni chahiye kyunki aaj ke time me sab mtlbi hote hain aur faydaa uthate hain.
ईश्वर धर्म से परे है, अधर्म से परे है, कार्य से परे है, एवं कारण से भी परे है।
101%satya h
Nice topic, sir ye Mount Meru Kya hai aur Kaha hain., iske upar ek video banaye 🙏
मेरू पर्वत के बारे में सही जानकारी नहीं मिलती। कहते हैं कि मेरू पर्वत बहुत विशाल एक ही पत्थर की चट्टान है जो हिमालय पर सबसे ऊंची चट्टान है।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm Thank you sir for this information 😊
Good
Sir aapko or bhi video banne chahiye
Nice video
Or video banayeeaa...
गुरु जी,प्रणाम,
बहुत दिन हुए आपका आशीर्वाद प्राप्त हुए!
आशा करता हुँ आप स्वस्थ है ईश्वर आपको लम्बी उम्र दे।
2,3 दिन से मेरी जिहवा और ठोडी व गले के बीच मे और जबड़े मे थोड़ा दर्द है मेरे पैर और मेरी हाथो की कुछ उंगलिया थोड़ा सुन्न प्रतीत हो रही है,सोकर उठने के बाद शरीर के जोड़ जाम व ऊर्जा रहित प्रतीत होते है कभी-कभि शरीर के जोड़ो मे हलका दर्द भी महसूस हो रहा है मंत्र जाप् के दौरान जीभ मे दर्द थोड़ा बढ़ जाता है मुझे शरीर व सिर मे कभी कभी बहुत् तेज् गर्माहट महसूस हो रहा है। और आध्यात्मिक परमानंद भी।
लगभग पिछले मार्च महीने नवरात्रि से कुछ पूजा और मंत्र जाप कर रहा हुँ
डर लग रहा है क्या मंत्र जाप ना करूँ (महामृत्युंजय बीज मंत्र 1 माला) क्या कोई आध्यात्मिक कारण है या नही क्या कोई गलती तो नही कर दी क्या पिछली बार की तरह सब नियंत्रण से बाहर तो नहीं होगा,मार्गदर्शन करे।आध्यात्म को छोड़ना नहीं चाहता हुँ
जय शिव🙏🙇♂️
संभव है कि भोजन या व्यवहार संबंधी कुछ गलतियों के कारण शरीर में कष्ट हो रहा हो।
कलयुग में यदि हम अपने मन को नियंत्रित करके अपने व्यवहारिक कर्म पर ही ध्यान दें तो इतना भी पर्याप्त है।
जहाँ तक मंत्र जप की बात है तो यदि किसी सिद्ध पुरुष ने मंत्र दिया हो तो बेहतर होता। जैसे : - कुंती को ऋषि दुर्वासा ने मंत्र दिया, माता पार्वती को नारद जी ने मंत्र दिया, ऋषि वाल्मीकी को भी नारद जी ने मंत्र दिया आदि और भी हैं। हम कलयुग में किसी किताब से पढ़कर मंत्र जपने लगते हैं तो इनके फलीभूत होने में संदेह रहता है। कलयुग में सिद्ध पुरुष मुझे कोई दिखाई नहीं देता। इसलिए बेहतर है कि व्रत-उपवास आदि करके मन को नियंत्रित करते हुए सत्य और ब्रह्मचर्य पर स्थिर होना भी ईश्वर से मिलन में सहायक रहेगा।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm गुरु जी,प्रणाम🙏
कल मैने आपसे अपनी स्वास्थ्य चर्चा की,मै काफी कुछ सात्विक खान पान का ध्यान रखता हुँ लेकिन एक दिन 2 जून को ताऊजी के परिवार के सब सदस्य आये हुए थे उनका खान पान अशुद्ध है मदिरा का भी सेवन उस दिन उन्होने(भाई ने) किया लेकिन मेरा मन पीने को होने के बावजूद भी मैने नहीं पिया मै उनके साथ केवल बैठा बाद मे भोजन साथ करने के कारण 1 गस्सा गलती से प्याज़ का बना हुआ सब्जी खा गया और बाद मे पुरा सब्जी भी,मैने प्याज़ मदिरा आदि बहुत दिनों से नहीं खाया।
कुछ दिनों से मेरा व्यवहार भी क्रोध मे है और कट्टरपंथ समुदाय से बहुत घृणा हो गयी है किसी भी तरह से मैं इनका चेहरा नहीं देखना चाहता।
और मेरे कुटुंब मे रिश्ते मे एक चाचा है उनका स्वभाव तो अच्छा है लेकिन काम की भावना उनमे प्रबल है उनसे दोस्त जैसे सम्बन्ध है कई बार समझाया कि औरतो को भोग की वस्तु ना समझे लेकिन नहीं मानते और मुझे अपने किस्से भी सुनाते रहते है कई बार उनकी बाते सुनकर मन मे काम भावना उत्त्पन्न हो गयी और कपड़े अपवित्र हो गये और स्नान करना पड़ा,बहरहाल मैने कभी गलत नहीं किया।
मैने सोचा की कभी ना कभी उनमे सुधार आएगा,मेरे साथ नियमित सोमवार मे मंदिर जाते है साधारण है कमाई भी ज्यादा नहीं है। बस यही एक कमी है -वासना
सोचता हुँ कमी सब मे होती है मुझमे भी थी इसलिए सम्बन्ध विच्छेद नहीं किया।
क्या सम्बन्ध समाप्त कर देना चाहिए?
बस यही सब कारण हो सकते है जो आध्यात्म का ह्रास हुआ।
आपने कहा है कि कलयुग मे कम ही केवल सत्य ब्रह्मचर्य व्रत करने से ही ईश्वर से मिलन संभव है लेकिन मेरा मत थोड़ा भिन्न है
मेरे मत से ईश्वर मिलन मे 100 प्रतिशत देना होगा मेरे मत से कलयुग मे ज्यादा निष्ठा की आवश्यकता है सतयुग की अपेक्षा,क्योकि सतयुग मे ईश्वर का चिंतन स्वतः ही हो जाता है बल्कि कलयुग मे नहीं होता।
कोई भक्त हुए है शायद दत्तात्रे जिन्होंने अलग अलग 17 गुरु बनाये पृथ्वी, कव्वा आदि। ऐसे भक्तो ने परमगति कैसे प्राप्त की बिना किसी गुरु के मंत्र दिये,इन्होने पृथ्वी आदि को सांकेतिक गुरु मानकर मंत्र जाप करके पूजा पाठ आदि करके परमलक्ष्य प्राप्त किया होगा।
@@lovygupta286, आजकल कलयुग में लिखी गई किताबों में सत्य ढूंढना कई बार जोखिम भरा हो जाता है। दत्तात्रेय स्वयं विष्णुजी का अवतार थे, उनके पिता महर्षि अत्रि और माता अनुसूइया थी। महर्षि अत्रि जिनका सप्तर्षियों में स्थान हैं से बढकर श्रेष्ठ गुरू कौन होगा ! माता अनुसूइया भी त्रिदेवों की माता कहलाती हैं।
सत्य और ब्रह्मचर्य को साधना भी बच्चों का खेल नहीं है। किसी ने अश्लील बातें की ओर वीर्य स्खलित हो गया, अतः ब्रह्मचर्य का दूर तक कोई संबंध नहीं है। अभी साधना का लक्ष्य बहुत दूर है। ब्रह्मचर्य के साधक को अश्लील लोगों से दूरी बनानी ही पङती है। यदि अश्लील लोग हमारे निकट संबंधी हो तो भगवान उन्हे आपसे स्वयं दूर कर देंगे। ध्यान रहे कि कोई भी मंत्र आदि की साधना भी सत्य और ब्रह्मचर्य के सध जाने बाद ही फलीभूत होते हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm गुरु जी प्रणाम,🙏
मैने आपकी सारी वीडियो देखी है कही भी आपने आत्म-साक्षात्कार के विषय मे नहीं बताया,कृपया इस विषय पर प्रकाश डालिये। वीडियो बनाइये।
मन बहुत दुखी हुआ जब आपने कहा ब्रह्मचर्य नहीं है आध्यात्म बहुत दूर है।
मैने ये कहा था कि अश्लील वार्तालाप से वस्त्र खराब होते है,मुझे स्कखलन नहीं होता शिशन थोड़ा गीला होता है स्नान की आवश्यकता पड़ती है।
गुरु जी केवल रिश्तेदार ही नहीं आजकल सभी जगह यह वार्तालाप आम बात है सभी लोग काम- वासना को भोगना चाहते है,
सभी विकारो को छोड़ने के लिए मन को लगाम लगाने की आवश्यकता है,मैने मन को अभी ढीली रस्सी से पकड़ा है इसका भी एक कारण है,
अगर आपको याद हो तो मैने पहले कभी कहा था कि 8-10 साल पहले जब आध्यात्म की ओर मेरा रुख ज्यादा हुआ तब मैने हठ योग द्वारा साधना की थी,परमात्मा को जानने का जूनून सवार था हर वक्त सोते जागते पागलो की तरह से कभी किताबों मे कभी इंटरनेट पर कभी ध्यान के द्वारा आदि खोज करता रहा।
और शायद वो मुझे मिला भी,शायद ऐसा ही परमानंद होता होगा जब कोइ सिध- ध्यानी समाधी की अवस्था तक पहुँचता होगा,इतना मीठा परमानंद- रस उस अवस्था मे रहता है इतनी ऊर्जा रहती हैं मश्तिश्क़ मे रात-दिन् सोते-जग्ते हर वक्त नशा रहता है परमानंद का,इतना सुख मिलता है कि मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है और वही मेरे साथ तीन बार हुआ,तीन बार ऐसा लगा कि मृत्यु ज्यादा सही है ऐसी अवस्था से,अब से पहले सोचता था ये क्या हुआ है क्या परमेश्वर को भक्ति स्वीकार्य नहीं पर बहुत खोजने के बाद पता लगा की यही मार्ग है इसी से होकर साधक को जाना होता है,लेकिन यहाँ पर जरूरत होती है एक सच्चे गुरु की जिसने आत्म-साक्षात्कार कर रखा है,गुरु का कार्य है कि शिष्य की देख रेख करे कि कितनी ऊर्जा की साधक को आवश्यकता है एक बड़े ट्रांसफार्मर से जब बिजली प्रवाहित होती है तब बल्ब को बिजली की अत्यधिक ऊर्जा से नष्ट होने से बचाने के लिए एक माध्यम(स्टेप्लाईज़र)की आवश्यकता पड़ती है वही कार्य शिष्य के लिए गुरु का होता है गुरु परमेश्वर से आने वाली उस असाधारण ऊर्जा को संतुलित रखने का कार्य करते है
यदि भक्ति मार्ग की बात की बात की जाये तो भी सच्चे भक्त को भी यह अवस्था ऐसी ही होती है कहते है मीरा भी ऐसी ही भक्ति मे पहुंचकर कृष्ण की प्रतिमा मे लीन हो गयी,शरीर नहीं मिला था,यहा मैने समझा कि मीरा के लिए कोई और द्वार खुल गया था जिससे कृष्ण और मीरा के बीच का भेद मिट गया होगा,और मीरा ही कृष्ण की प्रतिमा मे एकाकर हो गयी,अर्थात मीरा, कृष्ण हो गयी।
मै आपको गुरु कहता हुँ और आप सदैव रहेंगें भी क्योकि आपने अनेको बार मेरी शंकाओ का निवारण किया है लेकिन मुझे एक ऐसे गुरु की आवश्यकता है जो मेरी परमेश्वर तक की यात्रा मे इस सेतुः का कार्य कर सके,
यदि आप कर सके तो मुझे दीक्षा(मंत्र)दीजिये,जिस्से मेरी तलाश पूर्ण हो सके।
मेरी भक्ति मे कोई कमी नहीं है लेकिन अपना जीवन भी मैं पूर्ण करना चाहता हुँ संतुलित मानसिक स्तिथि से होकर परमेश्वर को प्राप्त होना चाहता हुँ।
इंटरनेट पर तलाशने के बाद मुझे तीन गुरु मिले जो यू tube पर वीडियो बनाते है-
1 कौलांतक नथ-इश्पुत्र्
2 world of happiness-प्रेम् विराट
3 आप है
1- यहाँ मुझे लगा है इशपुत्र सबसे सही है ये हिमालय मे योग ध्यान करते है काफी सारी वीडियो मे इन्होने बहुत मार्गदर्शन किया,साधक को शिक्षा के लिए इनके पास(हिमाचल) ही जाना होगा जो मै वहां सब छोड़ छाड़ कर नहीं जा सकता। वहाँ प्रवेश के लिए कुछ 10,11 हजार भी ये चार्ज करते है मैने इनके किसी वीडियो मे कहे अनुसार इनको ही ऐसे ही मन से इनको गुरु मान लिया।
2-प्रेम् विराट जो कि मेरे लगभग हम उम्र ही है इनकी आध्यत्मिक् कहानी मेरी आध्यात्मिक यात्रा से थोड़ा मेल खाती है ये भी कुछ अपॉइंटमेंट शुल्क बात करने का चार्ज कर रहे है और आध्यात्मिक यात्रा कराने का 50000 सम्पूर्ण जीवन शुल्क ले रहे है।
मेरे पास खर्च करने को पैसे नहीं है
3- आपके पास मुझे लगा कि पृथवी, विष्णु भगवान आदि का जैसे वृततांत आपने वीडियो मे दिया है वो कही नहीं मिलेगा आपने ये कहा की यदि गुरु आध्यात्मिक यात्रा कराने के पैसे मांगता है तो वह गुरु झूठा है
लेकिन उपरोक्त प्रेम विराट कहते है कि मैं एक् बिजनेस करता हुँ और सब छोड़कर 1 साधक के साथ पूरा 5 दिन रहूंगा तो इसमे हर्ज क्या है।
मुझे आपकी बात सबसे उत्तम लगी आध्यात्म पैसे से नहीं खरीदा जा सकता है।
मुझे लगता है आपके पास ज्ञान है लेकिन आप वीडियो बहुत कम बनाते है
कृपया मार्गदर्शन करे।
आप्से 🙏प्रार्थना करता हुँ यदि परमात्मा का साक्षात्कार आपने किया है तो मुझे दीक्षा दीजिये,
जय शिव🙏🙇♂️
ये वीडियो प्रेम विराट की है अवश्य देखिये
th-cam.com/video/yxdjZFdR20Q/w-d-xo.html
@@lovygupta286 , यदि ईश्वर को पाने के लिए एक रुपया भी खर्च करना पङे तो समझना कि भगवान बहुत महंगा है।
धन से वासना का सामान खरीदा जा सकता है, ईश्वर का प्रेम नहीं।
यदि धन से ही ईश्वर को पाया जा सकता तो सुदामा और शबरी को ईश्वर कभी नहीं मिल सकते थे।
गुरू केवल मार्गदर्शन करता है, उस मार्ग पर शिष्य को अकेले ही चलना होता है। जो गुरू मार्ग पर साथ चलने के पैसे मांगता है तो वह कोई व्यवसायी है।
तुम व्यर्थ चिंता करते हो, ईश्वर से मिलने की जितनी जिज्ञासा तुम्हे है उससे कहीं अधिक जिज्ञासा तो ईश्वर को अपने भक्त से मिलने की होती है, परन्तु हम अपने विकारो को पहचान नहीं पाते। ये विकार ही हमारे और ईश्वर के मिलन में रुकावट बनते हैं।
जब कोई अश्लील वार्तालाप करे और आपकी इन्द्रियाँ बेकाबू हो जाए तो समझो अभी वासना ने मन पर डेरा डाला हुआ है।
जब आप ईश्वर के ध्यान में इतना खो जाए कि किसी के अश्लील वार्तालाप या किसी के अश्लील नृत्य से भी मन पर कोई प्रभाव नहीं हो रहा हो तो समझना कि अब ईश्वर से मिलने के समय आ गया है।
ईश्वर की साधना एक लम्बी यात्रा है, इसका कोई शॉर्टकट नहीं है।
मैने अपने जीवन परिचय के बारे में एक वीडियो में बताया था कि मेरी पत्नी के आचरण के कारण मेरा आध्यात्मिक मार्ग अधिक लंबा हो गया। इसी कारण मैं वीडियो नहीं बना पाता। अभी भी कुछ ऐसी ही व्यथा है। यदि इस व्यथा से मुक्त हो पाया तो वीडियो बनाऊंगा अन्यथा कुछ कह नहीं सकता।
I too believe in nirakaar swaroop against murti pooja
सर कहाँ है आप
ऊं परम तत्त्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नमः
सत्य प्रकाश sir, भगवान शिव के लिंग रूप कैसे सृष्टि हुई?। यानी भगवान शिव लिंग रूप में कैसे प्रकट हुए?। please reply sir
भगवान शिव निराकार ब्रह्म हैं, वे सदा-सर्वदा विद्यमान रहते हैं, चाहे सृष्टि हो या प्रलय हो। हमारा सौरमंडल जहाँ है वहीं शिव का मूलाधार चक्र है, वही शिवलिंग है, परन्तु अदृष्य रूप से।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm thanks
Sir aapse contact kaise karu ? kiya appka koi website hai ? @Secrets of Hindu Dharm
Really True
Sir, मैंने सुना है कि शंकर जी के तीन पुत्र हैं गणेश जी, कर्तिके जी और अय्याप्पा स्वामी।
क्या ये सच है, यदि नहीं तो अय्याप्पा स्वामी कौन है।? Plz comment
मेरी मान्यतानुसार स्वामी कार्तिकेय और गणेश जी ही शिवजी के पुत्र हैं।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm sir, तो अय्याप्पा स्वामी कौन है।
जिन्होंने ये कैरेक्टर खङा किया है वही इसके बारे में बता सकते हैं। शिव महापुराण और अन्य पुराणों में इनका जिक्र नहीं है। मैं बेतुकी बातों में विश्वास नहीं करता।
@@Secrets_of_Hindu_Dharm Jalandhar ko bhi Shiv ji ka putra hi mana jata h kyunki vh unke ansh se hi peda hua tha. Ayyappa ki kahani Dakshin Bharat Ki hain Ek Asur tha jise ye vardan tha ki uski mrityu 2 aadmiyo ke sayog se peda hua bache se hogi. Iss liye Shiv ji aur Vishnu ji ke avtar Mohini se uss putra ka janam vo the Ayyappa. Shiv ji ke ek aur putra bhi the Andhak naam se jinke naam ka mention Shiv puran me bhi hain. Mein ye kahunga ki me ye nhi kha rha ki ye sab sach h ya juth hain ye to vo baate h jo meme khi se suni h ya padi hain.
Ayppa swami hi kartikey hena sir....
ये जो आप भगवान राम के शिव पूजा के बारे में बोल रहे हो ये वाल्मीकि रामायण में नही ...तुलसी की रामचरित मानस में ह जो कि 500 साल पहले लिखी गयी ह....इसलिए भगवान राम को शिव भक्त मत बनाइये वो ॐ के भक्त थे वेदों को सर्वोपरि मानते थे
नमो नारायण जी
Nice
Sahi margdarsan
Sir murti puja aadi anadi kal se ho rahi hay murti me pran nahi prerana hoti hay ush mahan vibhuti ke jesha karm karne ki or puja yagya havan vedik parampara hay tan man or aatma ki sudhikaran ka prachin aarya sanskriti prakruti kohi ishwar manti hay tabhi to ped podhe pashu pakshi nadi sagar parvat or pure brahmad me virajit nirakar siv shakti ki ling rup me aaradhna hoti hay
Byaapar ho rhe hey.
App thik sey samjhein
@@somu328 ha ho raha hay kuch pakhandi one dhandha bana ke rakh diya hay ish ka matlab ye to nahi hum apni parampara chod de dan punay to sanatan sanskriti hay lekin patra dekh dan punay kare sir
Sir I need your help 🙏
(साकार और निराकार रूप से भगवत्प्राप्ति)
अर्जुन उवाच
एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।
ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ (१)
भावार्थ : अर्जुन ने पूछा - हे भगवन! जो विधि आपने बतायी है उसी विधि के अनुसार अनन्य भक्ति से आपकी शरण होकर आपके सगुण-साकार रूप की निरन्तर पूजा-आराधना करते हैं, अन्य जो आपकी शरण न होकर अपने भरोसे आपके निर्गुण-निराकार रूप की पूजा-आराधना करते हैं, इन दोनों प्रकार के योगीयों में किसे अधिक पूर्ण सिद्ध योगी माना जाय? (१)
श्रीभगवानुवाच
मय्यावेश्य मनो ये मां नित्ययुक्ता उपासते ।
श्रद्धया परयोपेतास्ते मे युक्ततमा मताः ॥ (२)
भावार्थ : श्री भगवान कहा - हे अर्जुन! जो मनुष्य मुझमें अपने मन को स्थिर करके निरंतर मेरे सगुण-साकार रूप की पूजा में लगे रहते हैं, और अत्यन्त श्रद्धापूर्वक मेरे दिव्य स्वरूप की आराधना करते हैं वह मेरे द्वारा योगियों में अधिक पूर्ण सिद्ध योगी माने जाते हैं। (२)
ये त्वक्षरमनिर्देश्यमव्यक्तं पर्युपासते।
सर्वत्रगमचिन्त्यं च कूटस्थमचलं ध्रुवम् ॥ (३)
सन्नियम्येन्द्रियग्रामं सर्वत्र समबुद्धयः ।
ते प्राप्नुवन्ति मामेव सर्वभूतहिते रताः ॥ (४)
भावार्थ : लेकिन जो मनुष्य मन-बुद्धि के चिन्तन से परे परमात्मा के अविनाशी, सर्वव्यापी, अकल्पनीय, निराकार, अचल स्थित स्वरूप की उपासना करते हैं, वह मनुष्य भी अपनी सभी इन्द्रियों को वश में करके, सभी परिस्थितियों में समान भाव से और सभी प्राणीयों के हित में लगे रहकर मुझे ही प्राप्त होते हैं। (३,४)
A rational approach to religion.
पूजा व्यक्तिगत होती है जो की जाती है कराई नही जाती
Jai Bheem
Aap kha se hai guruji
Guruji pranam
Kya aapse mil sakte Hain
Bahot hi achchha laga. Lekin ghar par hi shivling kharidkar oospar kramas dudh, dahi, sahed(honey), ghee chadhaakar use baad me charanamrit swarup prasad banaakar baataa diyaa jaa sakta hai.
👍👌👌👌
god does want money they need your devotion
God don't want money only those person who were there to loot sone ki chiriyan... Only temples 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Jai shree ram
कोई भी भगवान किसी भी इंसान को दि हुई रिश्वत स्विकार नहीं करते भगवान प्रेम चाहते हैं जो इंसान भगवान से बिना स्वार्थ प्रेम करेगा उसिके ऊपर भगवान की छञछाया हमेशा बनी रहती है दान चढ़ावा चढ़ाने से भगवान शिव शंभू कभी प्रसन्न नहीं होते प्रसन्न मंदिर के पुजारी होते है
U r wrong sir...jin logo ne ghar par murti puja samarpan bhav se virajman ke hae..unka kya.....
दान का औचित्य अधिक वेग के जल(धन) को कम वेग जल (धन) में बांटना,भंडारे करना,दान देना,गुरुकुलीय शिक्षा देना,प्रकृति सुरक्षा,जानवर पालन आदि है