ॐ नमः शिवाय मन वचन कर्म ईश्वर ही कर रहे हैं तुम और तुम्हारा शरीर मन के बगैर कोई काम नहीं कर सकते हैं मनासा वाचा कर्मणा शरीर बोध से हट कर आत्मा बोध में जीवन जीने से मुक्ति मिलेगी सोच विचार ही स्वरूप आत्मा है ओम शांति शांति शांति ही
आप मुक्ति की बाते कह रहै है। आत्मा तो सदैव मुक्त ही है। परन्तु आत्मा में स्वयं के बन्धन में होने की विस्मृति रच बस गई है इसलिए आप जैसे लोग आम जनों में मुक्ति का भ्रम पैदा कर रहे है।
आदरणीय श्रीमान जी,कृपया आप बताये कि शब्द कैसे निष्प्राण है?शब्द का प्राकट्य कहां से है?बाल की खाल निकालने से आपको कुछ भी प्राप्त नही होता है।आप यह भी बताये कि सत्य क्या है?आप बताये कि शब्द का क्या आकर प्रकार है?शब्द ही वह कडी है जिसके द्वारा सकल कृतियां सकल इकाई सत्यचेतन सत्ताये जुड़ी है।आप यहा प्रयोगात्मक बाते करने की कृपा करे। क्या आप सत्य से परिचित है?यदि उत्तर हां में है तब आकार,निराकर रुप अरुप नाम, अनाम,इन सबका कोई विशेष तात्पर्य नही रह जाता। आपकी सभी बाते काल्पनिक है मन के प्रवाह के अनुरूप है। चित्र से आप किसी के होने का अहसास कर सकते है। परन्तु सबसे पहले आपको यहां यह बताने कि जरुरत है कि सत्य क्या?और शब्द क्या है? आप मूल जानकारी से दूर जा रहे है और वार्त्तालाप को काल्पनिक बातों द्वारा आगे बढाते जा रहे है। सबकुछ केवल कहने सुनने मात्र है। जब तक आप बिल्कुल सीमित और बिल्कुल शून्य नही होगे तब तक आप असीमित नही हो सकतें। सप्रेम सादर नमन।
Yah duniya jab hai hi nahi kyoki ek din tumsab, apni hi budhi se apne ko hi mara maker mar jate ho. Tumsab herpal apni soch me, mirtue ka bhay leker hi jivite rahte ho, jabki mirtue kisi ki hoti nahi hai, kyoki sabhi figure me ek hi God Sacha hota hai. God ko kaun maar sakta hai kyoki wah sarir kabhi Banta hi nahi hai. Jo khud nirakar hai, usko tum apani aankho se kaise dekh sakte ho, fir bhi sabhi sarir me, wahi ek hi God true bankar bhi dikha hai.Tumsab sarir nahi ho fir bhi tumsab hi aneko sariro me hamesha se dekhe jate ho. Tumsab hi sache God hote ho isliye kabhi nahi mar sakte ho. Tumsab sansar ko jante ho, jo sansar hai hi nahi kyoki daily lakho ki sankhya me, tumsab jaise hi Arie hi Marta hai. Tumsab sarir nahi ho fir bhi sarir hi tumsab ka apna God ka hi figure hai. Ane ko pahchano, God tumsab khud bano aur hamesha jivite raho. Yah duniya hundred percent true hai, kyoki sabhi fig me ek hi true God hi dikh raha hai, apane ko pahchano murda insano aur murdo ki basti se bahar hamesha ke liye hoker, hamesha apni sabhi figure ke sath jivite hi raho. Ham tumsab ko hamesha ke liye jivite karne aaye hain. Tumsab aawo aur God khud bankar Amar ho jao.
आप जितनी भी बाते बोल रहे है ये सब शब्द ही है और आप कह रहे है कि शब्द सत्य नही है। क्या आप सबकुछ बिल्कुल झूठ बोल रहे है।सभी संतों ने सत्य को शब्दों के द्वारा ही कहा है। नाम ही इस सृष्टि में अति महत्वपूर्ण है। बिना नाम के आप कोई भी कर्म नही कर सकते। बिना शब्द के आप बिल्कुल निष्कर्य हो जायेंगे। नाम या शब्द को कहने वाला कौन है? जब आपको ऐसी जानकारी हो जायेगी तब आपका ऐसा समस्त वार्तालाप निर्थक व शून्य हो जायेगा। यदि आपके पिता का ,आपकी माता का और आपका कोई नाम ही नही है तब आपका इस सृष्टि में होना और न होना बिल्कुल व्यर्थ हो जाये गा। आपका समस्त ज्ञान व जानकारी निरर्थक हो जायेगी।आपके द्वारा बोले गये सभी शब्द बेकार है और अप्रयोगात्मक भी है। क्योंकि कोई भी साधना ध्यान, समाधि, प्रेम वैराग्य,काम क्रोध, गृहस्थ विरक्त मनसा वाचा कर्मणा ये सभी कृत्य शरीर के द्वारा ही संभव है और बिना शरीर के आप न सत्य को समझ सकते ,न शब्द को समझ सकते है। शरीर एक माध्यम है और माध्यम के लिए नाम और शब्द दोनो ही अनिवार्य है विराट और अनन्त को जानने के लिए ,स्वयं में समाहित करने के लिए नाम व शब्द की आवश्यकता है।आपकी संपूर्ण वार्ता बिल्कुल काल्पनिक व अप्रयोगात्मक जान पडती है। नाम से बटवारा होता है परन्तु इस बटवारे के बिना आप अनन्त में शून्य में , ध्यान में,समाधि में शरीर में कैसे इ जा रहे है?आप इस प्रश्न का उत्तर नही दे सकते। सप्रेम सादर नमन।
Harsit Sekhawat , Nahi. Tumsab insano ne apane ko, ek dusre se alag Maan liye ho, jis karan tum sochte ho ki, wah insan dusre hai, kyoki tujhe do sarir alag alag dikhta hai.jabki dono sarir ek hi hai, sirf figure aur colour alag hai isliye, tumsab ek dusre ko alag hona Maan lete ho aur ek dusre ke mare huay sarir ko maarte rahte ho. Tumsab hame batao ki kiska sarir hai jo hamesha rahta hai. Jab sabhi logo ka sarir hi bacha se budha hoker mar jata hai to kaun militant aur kaun insan. Yah duniya tumsab ko sachi dikhti hai kyoki, Tera sarir sabhi kaam karte huay, bolte huay , awaj sunte huay apni aankhon se dekhta hai. Tum sab ko lagta hai ki Tera sarir hi sabhi kaam kar raha hai. Sarir to murda hota hai isliye yah sarir kuchh bhi nahi karta hai. sabhi sarir se kaam Tera permatma karta hai, jo nirakar rup se tere sarir ko energy deata hai. Permatma energy bhi nahi hai kyoki use koi Jan nahi sakta hai. Nirakar ko tum kaise Jaan sakte ho, jo khud tumsab hi ho. Tumsab ka God, Allah, ishwar etc hamesha se tumsab ke sarir ke bhiter hi hota hai isliye tumsab marte nahi ho. Ek hi nirakar God sabhi figure me, Satya ka dikhta rahta hai, jabse duniya hai, lekin permatma sabhi figure me sadiyon se dikhker bhi figure nahi hai. Tumsab ko God se kya Lena. Tumsab God ko mante bhi ho aur sab ke sab marte bhi ho. Tumsab murda insano me God ko koi nahi janta hai, kyoki God ko jaan lene wala, kabhi mara hi nahi hai. Tumsab sarir nahi ho kyoki sarir to roj Teri aankho ke samne mar Raha hai. Tumsab Marne wala sarir kaise ho sakte ho. Tumsab khud God ho isliye kisi ki mirtue hoti nahi hai, kyoki tumsab sarir me sache dikhte jarur ho, lekin sarir kabhi huay nahi ho. Tumsab ko ham hamesha apne sath jivite rakh sakte hai. Tumsab hamare pass aaker dekh lo. Ham is dharti se, tumsab ki mirtue ko hamesha ke liye samapt kar denge, ager tumsab chaho to.
ऐसा लगता है मां सरस्वती स्वयं आपकी वाणी के वास कर हम भटके हुओ को मार्ग दिखा रही हैं
प्रणाम
🙏satya ke nikat jane ke liye apka ye video bahut kaam ka hai. Apne jo jo is video ke madhyam se hamein samjaya apka bahut... Thanyawad🙏
Pranam🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Aho aho bhav🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹
🙏🌱🌿🌸🌷
अद्भुत व्याख्या,सत्य,प्रेम और नाम सहित जीवन का। आभार!
ॐ नमः शिवाय मन वचन कर्म ईश्वर ही कर रहे हैं तुम और तुम्हारा शरीर मन के बगैर कोई काम नहीं कर सकते हैं मनासा वाचा कर्मणा शरीर बोध से हट कर आत्मा बोध में जीवन जीने से मुक्ति मिलेगी सोच विचार ही स्वरूप आत्मा है ओम शांति शांति शांति ही
Nice
Nice Shiv
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
nice😊
ओम नमः शिवाय जय गुरुदेव।
Ati sundar hai Prabhu ji
Shaandar jaandaar
Ahobhav 🪷♥️🙏🙏🙏
बहुत सुन्दर व्याख्या 'अति सुन्दर '
GOOD POST 👌🙏
You are a great sir really
सत्य तो केवल भागवत गीता ही लेकर जा सकती है
ताओ भी और संसार भी समा जाता है
"माम एकम शरणं व्रज" के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं
आप मुक्ति की बाते कह रहै है। आत्मा तो सदैव मुक्त ही है। परन्तु आत्मा में स्वयं के बन्धन में होने की विस्मृति रच बस गई है इसलिए आप जैसे लोग आम जनों में मुक्ति का भ्रम पैदा कर रहे है।
Very well explained Eternal.Deep gratitude 🎉🎉
🙏🙏🙏
😇🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻❤️🌹
सत्य यह है कि सीमा भी सत्य है और असीमत भी सत्य है
BHARAT. INDIA. Jaipur President.
sir ji kathoupnishad ka pura videio banaye
Nachiketa -yamraj के नाम से playlist है, check करो
@@SwayamSeSatyaTak rite bohut sundar
आपको अनंत प्रणाम
आपकी वाणी में स्वयं मां भगवती का वास है
Saty pardardhit santulit hai saty kabhi bhed nahi karata saty hi bramh hai esi shashwat saty ko dharan karana sanatan dharm hai 🙏🙏
आदरणीय श्रीमान जी,कृपया आप बताये कि शब्द कैसे निष्प्राण है?शब्द का प्राकट्य कहां से है?बाल की खाल निकालने से आपको कुछ भी प्राप्त नही होता है।आप यह भी बताये कि सत्य क्या है?आप बताये कि शब्द का क्या आकर प्रकार है?शब्द ही वह कडी है जिसके द्वारा सकल कृतियां सकल इकाई सत्यचेतन सत्ताये जुड़ी है।आप यहा प्रयोगात्मक बाते करने की कृपा करे। क्या आप सत्य से परिचित है?यदि उत्तर हां में है तब आकार,निराकर रुप अरुप नाम, अनाम,इन सबका कोई विशेष तात्पर्य नही रह जाता।
आपकी सभी बाते काल्पनिक है मन के प्रवाह के अनुरूप है। चित्र से आप किसी के होने का अहसास कर सकते है। परन्तु सबसे पहले आपको यहां यह बताने कि जरुरत है कि सत्य क्या?और शब्द क्या है? आप मूल जानकारी से दूर जा रहे है और वार्त्तालाप को काल्पनिक बातों द्वारा आगे बढाते जा रहे है। सबकुछ केवल कहने सुनने मात्र है। जब तक आप बिल्कुल सीमित और बिल्कुल शून्य नही होगे तब तक आप असीमित नही हो सकतें। सप्रेम सादर नमन।
Rohit Jo nai bolo Shabd mein usko do aap bolate ho suniye bolate ho kya bolate ho
Go through Ashtvakr Gita , it's already there.Nothing is new
Tao कोई सब्ध नही है ना इसका कोई मार्ग है इसका अर्थ है बहाव जा तुम हो उसके साथ flow kar जाओ
Yah duniya jab hai hi nahi kyoki ek din tumsab, apni hi budhi se apne ko hi mara maker mar jate ho. Tumsab herpal apni soch me, mirtue ka bhay leker hi jivite rahte ho, jabki mirtue kisi ki hoti nahi hai, kyoki sabhi figure me ek hi God Sacha hota hai. God ko kaun maar sakta hai kyoki wah sarir kabhi Banta hi nahi hai. Jo khud nirakar hai, usko tum apani aankho se kaise dekh sakte ho, fir bhi sabhi sarir me, wahi ek hi God true bankar bhi dikha hai.Tumsab sarir nahi ho fir bhi tumsab hi aneko sariro me hamesha se dekhe jate ho. Tumsab hi sache God hote ho isliye kabhi nahi mar sakte ho. Tumsab sansar ko jante ho, jo sansar hai hi nahi kyoki daily lakho ki sankhya me, tumsab jaise hi Arie hi Marta hai. Tumsab sarir nahi ho fir bhi sarir hi tumsab ka apna God ka hi figure hai. Ane ko pahchano, God tumsab khud bano aur hamesha jivite raho. Yah duniya hundred percent true hai, kyoki sabhi fig me ek hi true God hi dikh raha hai, apane ko pahchano murda insano aur murdo ki basti se bahar hamesha ke liye hoker, hamesha apni sabhi figure ke sath jivite hi raho. Ham tumsab ko hamesha ke liye jivite karne aaye hain. Tumsab aawo aur God khud bankar Amar ho jao.
आप जितनी भी बाते बोल रहे है ये सब शब्द ही है और आप कह रहे है कि शब्द सत्य नही है। क्या आप सबकुछ बिल्कुल झूठ बोल रहे है।सभी संतों ने सत्य को शब्दों के द्वारा ही कहा है। नाम ही इस सृष्टि में अति महत्वपूर्ण है। बिना नाम के आप कोई भी कर्म नही कर सकते। बिना शब्द के आप बिल्कुल निष्कर्य हो जायेंगे। नाम या शब्द को कहने वाला कौन है? जब आपको ऐसी जानकारी हो जायेगी तब आपका ऐसा समस्त वार्तालाप निर्थक व शून्य हो जायेगा।
यदि आपके पिता का ,आपकी माता का और आपका कोई नाम ही नही है तब आपका इस सृष्टि में होना और न होना बिल्कुल व्यर्थ हो जाये गा। आपका समस्त ज्ञान व जानकारी निरर्थक हो जायेगी।आपके द्वारा बोले गये सभी शब्द बेकार है और अप्रयोगात्मक भी है। क्योंकि कोई भी साधना ध्यान, समाधि, प्रेम वैराग्य,काम क्रोध, गृहस्थ विरक्त मनसा वाचा कर्मणा ये सभी कृत्य शरीर के द्वारा ही संभव है और बिना शरीर के आप न सत्य को समझ सकते ,न शब्द को समझ सकते है। शरीर एक माध्यम है और माध्यम के लिए नाम और शब्द दोनो ही अनिवार्य है विराट और अनन्त को जानने के लिए ,स्वयं में समाहित करने के लिए नाम व शब्द की आवश्यकता है।आपकी संपूर्ण वार्ता बिल्कुल काल्पनिक व अप्रयोगात्मक जान पडती है। नाम से बटवारा होता है परन्तु इस बटवारे के बिना आप अनन्त में शून्य में , ध्यान में,समाधि में शरीर में कैसे इ जा रहे है?आप इस प्रश्न का उत्तर नही दे सकते।
सप्रेम सादर नमन।
Jo satya hai woh mon hai mean silence hai
Silence ka koi shand nhi hota....
Hope you got
Harsit Sekhawat , Nahi. Tumsab insano ne apane ko, ek dusre se alag Maan liye ho, jis karan tum sochte ho ki, wah insan dusre hai, kyoki tujhe do sarir alag alag dikhta hai.jabki dono sarir ek hi hai, sirf figure aur colour alag hai isliye, tumsab ek dusre ko alag hona Maan lete ho aur ek dusre ke mare huay sarir ko maarte rahte ho. Tumsab hame batao ki kiska sarir hai jo hamesha rahta hai. Jab sabhi logo ka sarir hi bacha se budha hoker mar jata hai to kaun militant aur kaun insan. Yah duniya tumsab ko sachi dikhti hai kyoki, Tera sarir sabhi kaam karte huay, bolte huay , awaj sunte huay apni aankhon se dekhta hai. Tum sab ko lagta hai ki Tera sarir hi sabhi kaam kar raha hai. Sarir to murda hota hai isliye yah sarir kuchh bhi nahi karta hai. sabhi sarir se kaam Tera permatma karta hai, jo nirakar rup se tere sarir ko energy deata hai. Permatma energy bhi nahi hai kyoki use koi Jan nahi sakta hai. Nirakar ko tum kaise Jaan sakte ho, jo khud tumsab hi ho. Tumsab ka God, Allah, ishwar etc hamesha se tumsab ke sarir ke bhiter hi hota hai isliye tumsab marte nahi ho. Ek hi nirakar God sabhi figure me, Satya ka dikhta rahta hai, jabse duniya hai, lekin permatma sabhi figure me sadiyon se dikhker bhi figure nahi hai. Tumsab ko God se kya Lena. Tumsab God ko mante bhi ho aur sab ke sab marte bhi ho. Tumsab murda insano me God ko koi nahi janta hai, kyoki God ko jaan lene wala, kabhi mara hi nahi hai. Tumsab sarir nahi ho kyoki sarir to roj Teri aankho ke samne mar Raha hai. Tumsab Marne wala sarir kaise ho sakte ho. Tumsab khud God ho isliye kisi ki mirtue hoti nahi hai, kyoki tumsab sarir me sache dikhte jarur ho, lekin sarir kabhi huay nahi ho. Tumsab ko ham hamesha apne sath jivite rakh sakte hai. Tumsab hamare pass aaker dekh lo. Ham is dharti se, tumsab ki mirtue ko hamesha ke liye samapt kar denge, ager tumsab chaho to.
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Aapki baat samajh hi nahi aati hai.
कोई बात नहीं, किसी और से समझो ☺
😂Aap Sidhi baat karte ho Sir @@SwayamSeSatyaTak