जानिए सतलोक में कैसी सृष्टि है | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM
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- เผยแพร่เมื่อ 15 เม.ย. 2022
- जानिए सतलोक में कैसी सृष्टि है | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM
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बन्दीछोड परम् पिता कबीर साहेब जी की जय हो
बन्दीछोड गरीबदास जी महाराज की जय हो
स्वामी रामदेवानंद जी महाराज की जय हो
बन्दीछोड जगतगुरु तत्वदर्शी संत परमात्मा रामपालजी महाराज जी की जय हो
Great spiritual knowledge of Sant Rampal ji Maharaj 🙏🙏
संत रामपाल जी महाराज जी अपने सतज्ञान से दहेज, मृत्युभोज, भ्रूण हत्या, जाति-पाति, छुआछूत, नशे, भ्रष्टाचार आदि बुराइयों को छुड़वाकर स्वच्छ समाज का निर्माण कर रहे हैं।
सतलोक में प्रत्येक हंस आत्मा का परमात्मा जैसा नूरी शरीर है। जिसका तेज 16 सूर्यों के समान है।
जबकि पृथ्वी लोक पर सभी का पांच तत्त्व से बना नाशवान शरीर है। जिसमें हजारों तरह की बीमारियां सदैव बनी रहती हैं।
सारे विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी के अतिरिक्त तत्वदर्शी संत नहीं है,
सिद्ध तारे पिंड अपना, साधु तारे खंडl
उसको सतगुरु जानिए, जो तार देवे ब्रह्मांडll
😢😢😢❤❤❤ bhagwan ji ❤️
📕जीने की राह पुस्तक घर-घर में रखने योग्य है। अकाल मृत्यु उस भक्त की नहीं होगी जो इस पुस्तक को पढ़कर दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर साधना करेगा।
- संत रामपाल जी महाराज
सतभक्ति से हम सतलोक चले जाएंगे जहां सर्व सुख है कभी दुख नहीं होता
सतलोक सुख सागर 🙏🙏😭😭
मनुष्य जीवन का मूल कर्तव्य
सत्संग में आए बिना प्राणी को अपने मनुष्य जीवन के लक्ष्य का ज्ञान नहीं होता। हमने सत्संग सुनने से पहले जो उद्देश्य मान रखा होता है वो भौतिक होता है। सत्संग में आने से हमारा अध्यात्मिक उद्देश्य बनता है जो इस मनुष्य जीवन का मूल कर्तव्य है, आवश्यक कार्य है।
काल (ब्रह्म) पुण्यात्माओं को अपना अवतार (रसूल) बना कर भेजता है। फिर चमत्कारों द्वारा उसको भक्ति कमाई रहित करवा देता है। उसी में कुछ फरिश्तों (देवताओं) को भी प्रवेश करके
कुछ चमत्कार फरिश्तों द्वारा उनकी पूर्व भक्ति धन से करवाता है। उनको भी शक्ति हीन कर देता है।
सतभक्ति करने वालों के परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13
कबीर, सतगुरु शरण में आने से, आयी टलै बला।जो मस्तिष्क में सूली हो, कांटे से टल जाय।
सतगुरु साहिब रत्न उजागर, सत्य पुरुष मेरे सुख के सागर
कुए मैं सेख फरीद ने कैसी मीठी बोली भासा,
तुम चुन चुन कागा खा लियो मेरे हाड़ो पर का मासा।
मेरे दो नैना मत छेड़ियो मोहे राम मिलन की आसा।।
🙏कबीर भगवान🙏
True authentic knowledge
पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ) से सिद्ध होता है कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने छः दिन में सर्व सृष्टी की रचना की तथा फिर विश्राम किया।
Sarbauttam giyan hai Parmatma ji 🙏🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️
ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए। अन्यथा काल ब्रह्म भगवान से विश्वास ही उठा देता लोगों का।
हमारा निजी स्थान सतलोक है हम सभी सतलोक के वासी हैं सतलोक में अपनी गलती के कारण ही हम इस गंदे लोक में आ गए । आज परमात्मा ने उसी गलती को सुधारने का मौका दिया हैं। समय रहते यह गलती सुधार लेे सत् भक्ति करे और अपना निजी स्थान सतलोक को प्राप्त करे।
जिन गुरु जैसा जानिया, तिन को तैसा लाभ ।
ओसे प्यास न भागसी, जब लगि धसे न आभ ॥
पवित्र आत्मा परमार्थी स्वभाव हनुमान जी को परमेश्वर कबीर जी ने अपनी शरण में लिया। परमार्थी आत्मा को संसार तथा काल के स्वामी भले ही परोपकार का फल नहीं देते, परंतु परमेश्वर ऐसी आत्माओं को शरण में अवश्य लेते हैं क्योंकि ऐसी आत्मा ही परम भक्त बनकर भक्ति करते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं।
ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश का भी आविर्भाव तथा तिरोभाव होता है ।ये अविनाशी नहीं है ।कबीर साहेब जी अविनाशी परमात्मा है ।।
संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा बताए ज्ञान से सब विकार और बुरे विचारों पर अंकुश लगता है। और मानसिक शांति मिलती है। ज़रूर पढ़ें पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
सर्व सुख सतलोक में है ।ये ज्ञान स्वंय कबीर परमात्मा बता के गए । कविताओं के माध्यम से ज्ञान दिए ।
सतलोक अमरलोक है
।पूर्ण परमात्मा जन्म मृत्यु से परे है, वह न तो माँ के गर्भ से जन्म लेता न ही उसकी मृत्यु होती है। ईसा मसीह जैसी पवित्र आत्मा की भी दर्दनाक मृत्यु हुई। फिर आम इंसान का कैसे बचाव हो सकता है। केवल पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही अवविनाशी हैं, मोक्षदायक प्रभु हैं।
बहुत अनमोल ज्ञान👍🙏
बंदी छोड सद्गुरू रामपालजी भगवान की जय हो 🙏
Sat Saheb Bandi Chod Satguru Rampal Ji Maharaj ki Jai Ho🙏
अनंत कोटि ब्रह्मांड का, एक रति नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है, कुल के सिरजनहार।।
True spiritual knowledge
सत् साहेब जी 🙏गरीब, सतगुरू कुँ क्या दीजिए, तन मन धन और शीश।
पिंड प्राण कुर्बान कर, जिन भक्ति दई बख्सीश।।
🙇🏻♀️🥺🤲
God gyan
धन जननी,धन भूमि ,धन नगरी,धन देश ।
धन करनी,धन कुल, जहाँ संत प्रवेश।।
अद्भुत ज्ञान अद्वितीय ज्ञान
धरती पर अवतार सतगुरु रामपाल जी महाराज।
Satlokasram samli up
कबीर,तीन लोक का राज है ब्रम्हा विष्णु महेश।
ऊंचा धाम कबीर का, सतलोक प्रदेश ।।गरीब ,जल थल पृथ्वी गगन में,बाहर भीतर एक।
पूर्ण ब्रह्म कबीर है, अविगत पुरुष अलेख।।
Bandi chhod satguru Rampal Ji Maharaj ke Amrit
पूर्ण ब्रह्म कबीर देव
कबीर,
पीछे लाग्या जाऊ था, मै लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दे दिया हाथ।।
ध्यान धरो अपने सतगुरु का ,रखो अटल विश्वास
मत घबरा मन बावरे,जब सतगुरु हैं तेरे साथ।।
बंदी छोड़ सतगुरु देव रामपाल जी महाराज जी की जय हो🙏🙏🙏🙏
🏡 सतलोक में बिना किये सब सुख-सुविधा उपलब्ध है।
जबकि काल लोक/पृथ्वी लोक में बिना कर्म किये कोई भी वस्तु प्राप्त नहीं होती।
🌟अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB)
परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है।
परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है।
Very nice satsang
Chal dekho Desh hamara re ,Jahan koti padam ujiyara re🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
कबीर जी ने कहा है कि :-
जो जाकि शरणा बसै, ताको ताकी लाज। जल सौंही मछली चढ़ै, बह जाते गजराज।।
जो साधक जिस राम (देव-प्रभु) की भक्ति पूरी श्रद्धा से करता है तो वह राम उस साधक की इज्जत रखता है।
Kabir is god super god
अनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं
तीनों देवा दिल में बसें ब्रह्मा, विष्णु, महेश।
प्रथम इनकी वंदना, फिर सुन सतगुरु उपदेश।।
बंदी छोड़ की अपार लीला है। काग से हंस बना सतगुरु की दया हो जाए उनकी महिमा अपार पार है।
Parmatma Ka Amrit Amar Gyan 🙏🏻🌹❤️
Sat sahib ji
गरीब, हम तो लोहा कठिन हैं, सतगुरु बने लुहार।
जुगन-जुगन के मोरचे, तोड़ घड़े घणसार।
Anmol satsang ❤
कबीर, गुरु बिन काहू न पाया ज्ञाना, ज्यों थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना गुरु बिन वेद पढ़े जो प्राणी, समझे ना सार रहे अज्ञानी।।
{सत साहेब}
पूर्ण परमात्मा परम अक्षर ब्रह्म श्री सद्गुरु श्री कबीर साहेब जी के चरणों में बारंबार प्रणाम।
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1. तीन देव की भग्ती में, भूल पड़ियो संसार।
कहे कबीर निज नाम बिना, कैसे उतरें पार।।
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2. जेता मीठा बोलता, तेतां संत न होय।
खरी खरी जो कहत है, संत कहावे सोय।
{सत साहेब}
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Satguru bhagwan ki jay ho
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा द्वारा सर्व भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान अर्थात् स्वस्थ ज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु ही आते हैं।
ऐसा निर्मल ज्ञान है जो निर्मल करे शरीर।
और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।
राम नाम रटते रहो, जब लग घट में प्राण।
कबहु तो दीनदयाल के, भनक पड़ेगी कान।।
कबीर तन पंछी भया, जहां मन तहां उडी जाइ,।
जो जैसी संगती कर, सो तैसा ही फल पाइ.।।
अर्थ :➡️कबीर कहते हैं कि संसारी व्यक्ति का शरीर पक्षी बन गया है और जहां उसका मन होता है, शरीर उड़कर वहीं पहुँच जाता है। सच है कि जो जैसा साथ करता है, वह वैसा ही फल पाता है।
Very nic pic kabeer is God nic video satsang gyan charcha sarguru Rampal Ji Maharaj ji ke Mangal Amrit Vachan 👌
हमारा असली घर तो सतलोक में ही है यहां तो हम सजा काट रहे हैं अगर हम सच्चे तरीके से भक्ति करके पार नहीं हुए तो दुख ही दुख है
Bhagwan bahar kab aayenge, mujhe bhi milke naam lena hai 😢
Koti koti dandwat pernam ho aapke charno me malik sat saheb ji ✋✋ 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
सुनो धर्मराया हम संखों हंसा पद परसाया। जिन लीन्हां हमारा प्रवाना सो हंसा हम किए अमाना।।
Very nice
एक राम दशरथ घर डोले, एक राम घट घट में बोले ।
एक राम का सकल पसारा , एक राम त्रिभुवन न्यारा ।।
Aadi Ram Kabir
The only True Guru Sant Rampal Ji
नौ मन सूत है उलझिया ,ऋषि मुनि रहे झकमार |
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, फिर उलझे न दूजी बार ||
Anmol gyan 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
💠गीता जी के अध्याय 18 के श्लोक 64 तथा अध्याय 15 के श्लोक 4 में स्पष्ट है कि स्वयं काल ब्रह्म कह रहा है कि हे अर्जुन! मेरा उपास्य देव (इष्ट) भी वही परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) ही है तथा मैं भी उसी की शरण हूँ तथा वही सनातन स्थान (सतलोक) ही मेरा परम धाम है। क्योंकि ब्रह्म भी वहीं (सतलोक) से निष्कासित है।
संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक ज्ञान का डंका सारे विश्व में बज रहा है। समाज सुधार और मानव कल्याण के अद्भुत काम करने वाले ऐसे महान संत की महिमा के चर्चे घर-घर में हो रहे हैं।
🌟 उत्पत्ति ग्रन्थ 1:28
परमेश्वर ने उन्हें यह आशिष दी, ‘फलो-फूलो और पृथ्वी को भर दो, और उसे अपने अधिकार में कर लो। समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों और भूमि के समस्त गतिमान जीव-जन्तुओं पर तुम्हारा अधिकार हो।’
परमात्मा ने मांस खाने का आदेश नहीं दिया।
ना जाने काल कि कर डाले,
किस विध ढल जा पासा वॅ।
जिन्हा तै सिर तै मौत खुडक दी
उन्हा नू केड़ा हासा वे ॥
SANE
Satguru satsaheb ji ki jai
कर साई की चाकरी, हरी नाम ना छोड़।
जाना है उस देश को , प्रीत पिया से जोड़ ।।👏
जिन हरि जैसा सुमरिया,तिन तैसा होय लाभ।ओस से प्यास न भागै,जब लगी न धौंस आभ।।
| पूर्ण सतगुरु की क्या पहचान है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक ज्ञान गंगा
कबीर से सब होत है,सन्दे से कछु नाहीं।राई से पर्वत करे, पर्वत से फिर राई।।
कबीरा काहे गरबियो काल गहे कर कैश !
क्या जाने कित्त मारसी क्या घर क्या परदेश !!
उत्पत्ति ग्रन्थ 1:28
परमेश्वर ने उन्हें यह आशिष दी, ‘फलो-फूलो और पृथ्वी को भर दो, और उसे अपने अधिकार में कर लो। समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों और भूमि के समस्त गतिमान जीव-जन्तुओं पर तुम्हारा अधिकार हो।’
परमात्मा ने मांस खाने का आदेश नहीं दिया।
शिवरात्रि पर जानें कि ॐ नमः शिवाय का जाप करने से मुक्ति संभव है या नही?
शिवजी से लाभ प्राप्त करने का मूल मंत्र क्या है ? जानने के लिए पढ़ें पुस्तक "ज्ञान गंगा"
गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में गीता ज्ञान दाता ने तत्वदर्शी संत (सच्चा सतगुरु) की पहचान बताते हुए कहा है कि वह संत संसार रूपी वृक्ष के प्रत्येक भाग अर्थात जड़ से लेकर पत्ती तक का विस्तारपूर्वक ज्ञान कराएगा।
गरीब,साचा शब्द कबीर का, सुनकर लागे आग ।
अज्ञानी जौ जल-जल मरे,पर ज्ञानी जावे जाग ।।
Spiritual knowledge
साथी हमारे चले गए,हम भी चलन हार।कागज में थोड़ा बाकी है,जाकी लागी वार।।
Real Spiritual knowledge
जाय झरोखे सोवता, फूलन सेज बिछाय |
सो अब कहँ दीसै नहीं, छिन में गये बिलाय ||
ऊँची अटारी की खिड़कियों पर फूलों की शैया बिछाकर जो सोते थे वे देखते देखते विनिष्ट हो गये | अब सपने में भी नहीं दिखते
Shrimad bhagwat Geeta aur ved donusar sadhna Sant Rampal Ji Maharaj batate Hain
वेदों में प्रमाण है कि कबीर साहेब भगवान है
यह संसार समझदा नाही,कहदां श्याम दुपहरनूं। गरीबदास यह वक्त जात है, रोवोगें इस पहरे नूं।।
सतगुरू बिन मोक्ष संभव नहीं है
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
🌟पवित्र बाईबल के उत्पत्ति ग्रंथ पृष्ठ 1 से 3 में लिखा है कि परमेश्वर ने 6 दिन में सृष्टि की सातवें दिन सिंहासन पर विराजमान हो गए। फिर आगे बाईबल में काल का जाल शुरू हो गया और सबको काल ने अपने जाल में फंसाने के लिए परमेश्वर के ज्ञान में मिलावट कर दी।
अध्याय 11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाला प्रभु काल कह रहा है कि ‘हे अर्जुन यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।‘
माया छाया एक सी , बिरला जाने कोय |
भागत के पीछे लगे , सन्मुख भागे सोय ||
परमात्मा साकार है या निराकार _जानने के लिए पढ़ें आध्यात्मिक पुस्तक "ज्ञान गंगा"।
राम नाम रटते रहो जब तक घट में परण कभुहू तो दीन दयाल के भनक पड़गी कान।