बोल हरी बोल हरी हरी हरि बोल, केशव माधव गोविन्द बोल , गौतम नार उद्धार कियो प्रभु,आगे चल बढ़के रघुराई, घाट के तीर खड़े दोऊ बान्धव, ऊँच किये कर टेर लगाई, घट घट वासी अन्तर्यामी, जान गए मन गयो डराई, बारम्बार श्री राम कहे तूँ नाव ला केवट नाव ला भाई , बोल हरी,बोल हरी,हरी हरी बोल…… गौतम नार ज्यूँ नाव उड़े प्रभु,भूखे मरे परिवार लुगाई, हूँ धनहीन गरीब घणो,मोसे दूसरी नाव न जाय बनाई, चरण कमल निहार कहूँ नाथ , मोसे दूसरी नाव न जाय बनाई, बारम्बार मलाह कहैे , या दूसरी नाव न जाय बनाई , बोल हरी…….. नर तन धार सुकर्म कियो मम, बोल्या न झूठ न किन्ही ठगाई , प्राण जाय पर वचन न जाई , रघुकुल रीत सदा चली आयी , ना तेरी नाव उड़े नभ को, तूँ लावत ना मन नेक सच्चाई , बारम्बार दयालु कहे , तूँ नाव ला केवट नाव ला भाई , बोल हरी ……… नाव उडी न जो नार भई तो, दो स्त्रीयन में होसी लड़ाई , कूद पड़ूँ गहरे जल में , कटिलौं पानी मैं हाथ बताई , लक्ष्मण रोष भये भय ठाई , दीठ मल्लाह करे निठुराई, दीन सो जान के हाथ उठे ना, मार के गंगा में देत बुहाई, बोल हरी…….. गणिका गीध अजामिल से, खल पार कियो प्रभु सजन कसाई , पापी नेक लिखी नही गणिका , नाम लियो निज लगन लगाई , पार उतार कछु बार नही नाथ , जो में लेउँ चरण धुलाई , बारम्बार मलाह कहे या दूसरी नाव न जाय बनाई , बोल हरी…….. राम हँसे मन मुदित भयै, दीन्हों निज शीस पे हाथ फिराई , भय को त्याग अभय मन बनज्या, कहो मलाह कौन ठगाई , पग धो चाहे कर धो चाहै , गंग की धार में लेवो नुव्हाई , बारम्बार श्री राम कहे तूँ , नाव ला केवट नाव ला भाई , बोल हरी…….. काठ कठौ में पानी भरो, बाँकी भामनी है संग में चली आई , धोकर चरण प्राण में बा, फूली न जाय अंग में समाई , धन धन आज पति मेरे केवट, घर चल के आये रघुराई , बारम्बार मलाह कहे नाथ दूसरी नाव न जाय बनाई , बोल हरी…….. जात से जात न लेत मजूरी, यही रीति सनातन से चली आई , धोबी की धोबी से नाही धुलाई तो नाइ की नाइ से नाही मुंडाई , तुम केवट भाव सागर के प्रभु, मै केवट छोटी सरताई आये घाट दयालु हमारे मैंने दिए है पार लगाई जो किन घाट तुम्हारे पे आऊं, मो संग करियो ना निठुराई बारम्बार मलाह कहे नाथ ना चाहे मुझको उतराई , बोल हरी
🙏🙏🙏जय हो श्री श्री १००८श्री रतिनाथजी महाराज की🙏🙏🙏
जय श्री नाथ जी की
जय हो भक्तराज केवट की
जय सियाराम
जय हो कृष्ण कन्हैयालाल की
जय श्री नाथ जी बऊधाम🙏
Hari hari jai jai shree nath ji
बोल हरी बोल हरी हरी हरि बोल,
केशव माधव गोविन्द बोल ,
गौतम नार उद्धार कियो प्रभु,आगे चल बढ़के रघुराई,
घाट के तीर खड़े दोऊ बान्धव, ऊँच किये कर टेर लगाई,
घट घट वासी अन्तर्यामी, जान गए मन गयो डराई,
बारम्बार श्री राम कहे तूँ नाव ला केवट नाव ला भाई ,
बोल हरी,बोल हरी,हरी हरी बोल……
गौतम नार ज्यूँ नाव उड़े प्रभु,भूखे मरे परिवार लुगाई,
हूँ धनहीन गरीब घणो,मोसे दूसरी नाव न जाय बनाई,
चरण कमल निहार कहूँ नाथ , मोसे दूसरी नाव न जाय बनाई,
बारम्बार मलाह कहैे , या दूसरी नाव न जाय बनाई ,
बोल हरी……..
नर तन धार सुकर्म कियो मम, बोल्या न झूठ न किन्ही ठगाई ,
प्राण जाय पर वचन न जाई , रघुकुल रीत सदा चली आयी ,
ना तेरी नाव उड़े नभ को, तूँ लावत ना मन नेक सच्चाई ,
बारम्बार दयालु कहे , तूँ नाव ला केवट नाव ला भाई ,
बोल हरी ………
नाव उडी न जो नार भई तो, दो स्त्रीयन में होसी लड़ाई ,
कूद पड़ूँ गहरे जल में , कटिलौं पानी मैं हाथ बताई ,
लक्ष्मण रोष भये भय ठाई , दीठ मल्लाह करे निठुराई,
दीन सो जान के हाथ उठे ना, मार के गंगा में देत बुहाई,
बोल हरी……..
गणिका गीध अजामिल से, खल पार कियो प्रभु सजन कसाई ,
पापी नेक लिखी नही गणिका , नाम लियो निज लगन लगाई ,
पार उतार कछु बार नही नाथ , जो में लेउँ चरण धुलाई ,
बारम्बार मलाह कहे या दूसरी नाव न जाय बनाई ,
बोल हरी……..
राम हँसे मन मुदित भयै, दीन्हों निज शीस पे हाथ फिराई ,
भय को त्याग अभय मन बनज्या, कहो मलाह कौन ठगाई ,
पग धो चाहे कर धो चाहै , गंग की धार में लेवो नुव्हाई ,
बारम्बार श्री राम कहे तूँ , नाव ला केवट नाव ला भाई ,
बोल हरी……..
काठ कठौ में पानी भरो, बाँकी भामनी है संग में चली आई ,
धोकर चरण प्राण में बा, फूली न जाय अंग में समाई ,
धन धन आज पति मेरे केवट, घर चल के आये रघुराई ,
बारम्बार मलाह कहे नाथ दूसरी नाव न जाय बनाई ,
बोल हरी……..
जात से जात न लेत मजूरी, यही रीति सनातन से चली आई ,
धोबी की धोबी से नाही धुलाई तो नाइ की नाइ से नाही मुंडाई ,
तुम केवट भाव सागर के प्रभु, मै केवट छोटी सरताई
आये घाट दयालु हमारे मैंने दिए है पार लगाई
जो किन घाट तुम्हारे पे आऊं, मो संग करियो ना निठुराई
बारम्बार मलाह कहे नाथ ना चाहे मुझको उतराई ,
बोल हरी
Jai shree nath ji Maharaj ki Jai
Jai srinath ji ki
Jai Shree Nath ji ki
#shriRamBhajan
आदेश। जय श्री नाथ जी की
Jai ho nath ji ke
Jai shri nath ji ki
Good 😂😂😂😂
Jai shree nath ji ki
Jai shree nath ji ki