2024 बिल्व निमन्त्रण बिल्व निमन्त्रण सायाह्नकाल में षष्ठी तिथि आरम्भ होने पर किया जाता है। कभी-कभी सायाह्नकाल से पूर्व ही षष्ठी तिथि समाप्त हो जाती है, किन्तु पिछले दिन अर्थात पञ्चमी तिथि की सायाह्नकाल में रहती है। यदि यह संयोग बनता है, तो पञ्चमी तिथि पर साँयकाल में बिल्व निमन्त्रण करना अधिक उपयुक्त माना जाता है। दुर्गा पूजा के समय अधिकांश लोग कल्पारम्भ, बोधन तथा अधिवास व आमन्त्रण के लिये षष्ठी तिथि का ही चुनाव करते हैं, चाहे सन्ध्याकाल तक षष्ठी तिथि हो अथवा न हो। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, सन्ध्याकाल व षष्ठी तिथि का संयोग ही बिल्व पूजा के लिये उपयुक्त समय है। हालाँकि, नवपत्रिका प्रवेश सदैव सप्तमी तिथि पर किया जाता है, भले ही सन्ध्याकाल पर षष्ठी तिथि उपलब्ध न होने के कारण बिल्व निमन्त्रण पञ्चमी तिथि पर किया गया हो। कल्पारम्भ, बोधन तथा अधिवास व आमन्त्रण, दुर्गा पूजा के प्रथम दिवस पर किये जाने वाले मुख्य अनुष्ठान हैं। यह सभी अनुष्ठान नवपत्रिका पूजा से एक दिन पहले किये जाते हैं। कल्पारम्भ सुबह प्रभात काल में किया जाता है। कल्पारम्भ के समय जल से भरे घट या कलश की स्थापना की जाती है तथा देवी दुर्गा का विधिवत पूजन किया जाता है। पूजन के पश्चात देवी दुर्गा के समक्ष अगले तीन दिनों तक सम्पूर्ण विधि-विधान से पूजन-अनुष्ठान करने का दृढ़ संकल्प किया जाता है। इन पवित्र तीन दिनों को महा सप्तमी, महा अष्टमी तथा महा नवमी के नाम से जाना जाता है। बोधन सन्ध्याकाल के समय किया जाता है, इसे अकाल बोधन के रूप में भी जाना जाता है। बोधन का अर्थ है जागरण, इस अनुष्ठान के द्वारा देवी दुर्गा को प्रतीकात्मक रूप से जागृत किया जाता है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, सभी देवी-देवता दक्षिणायन के समय छह माह के लिये निद्रा में लीन हो जाते हैं। चूँकि, इस अवधि में दुर्गा पूजा पर्व आता है, इसीलिये पूजा से पहले देवी दुर्गा को जागृत किया जाता है। देवी दुर्गा को सर्वप्रथम भगवान राम द्वारा जागृत किया गया था। भगवान राम, दशानन रावण से युद्ध करने से पूर्व देवी को प्रसन्न करना चाहते थे। देवी दुर्गा को असमय जागृत करने के कारण, बोधन अनुष्ठान को अकाल बोधन के रूप में जाना जाने लगा। बोधन अनुष्ठान में बिल्व वृक्ष के नीचे जल से भरा एक कलश स्थापित किया जाता है। बिल्व वृक्ष को बेल वृक्ष के नाम में से भी जाना जाता है, जिसके पत्ते शिवपूजन के लिये परम पवित्र माने गये हैं। बोधन के दौरान माँ दुर्गा को जगाने के लिये प्रार्थना की जाती है। बोधन अनुष्ठान के पश्चात अधिवास व आमन्त्रण संस्कार किये जाते हैं। देवी दुर्गा के आवाहन के पश्चात उन्हें प्रतीकात्मक रूप से बिल्व वृक्ष में स्थापित किया जाता है, इस क्रिया को अधिवास कहा जाता है। अधिवास संस्कार के दौरान देवी दुर्गा की स्थापना से पूर्व, बिल्व वृक्ष को पवित्र किया जाता है। अधिवास की क्रिया सम्पन्न करने के पश्चात, देवी दुर्गा से यह अनुरोध किया जाता है कि, देवी माँ अगले दिन पधार कर नवपत्रिका पूजा स्वीकार करें। देवी दुर्गा को नवपत्रिका पूजा स्वीकार करने के लिये किये गये अनुरोध एवं विधिपूर्वक पूजन को आमन्त्रण के रूप में जाना जाता है।🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🦚🦅🦉🕊🦢🐳🐍🐢🐗🐯🦁🫎🐏🐘🦄🐕🐰🐁🐱🐒🦍👣🚩📿🔔🪷🌺🌷⚘️🌹🏵💮🌸🌼🏵🌻💐🦋🙏🫂🪔
Om shaanti❤🙏🙏🙏
ओम् शांति मेरा बाबा शिव बाबा वाह वाह वाह मेरा बाबा शिव बाबा शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया मेरा शिव बाबा केदारनाथ उत्तराखंड Guptkashi सेंटर से❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
ओम शांति बहुत आ❤❤
Om shanti ❤❤❤
ऊं शांति ❤
Om Shanti baba good night 🔥🌹💥
ओम शांति, शुक्रिया
Om shanti shukriya 🙏
Good night thanks baba 🙏
Mai bhi Aaj ak pratigya leti hu ki baahar ki chizo ko chaumin, Pizza,chat,samosa.............etc kam se kam bilkul na ke barabar khaon😊😊😊😊
ॐ शांति.🌹🌹🙏🙏🤔🤗👌👌😔
Omshanti
Wonderful news
Good morning Shiv Baba ❤️❤️
Thank you so much 😊😊😊😊😊 for your support ❤️🙏💖❤️❤️
Om Shanti all Brahmins
Good morning 🌞😊😊😊😊😊❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Om Shanti Shivani didi
BK rajshare om shanti
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2024 बिल्व निमन्त्रण
बिल्व निमन्त्रण सायाह्नकाल में षष्ठी तिथि आरम्भ होने पर किया जाता है। कभी-कभी सायाह्नकाल से पूर्व ही षष्ठी तिथि समाप्त हो जाती है, किन्तु पिछले दिन अर्थात पञ्चमी तिथि की सायाह्नकाल में रहती है। यदि यह संयोग बनता है, तो पञ्चमी तिथि पर साँयकाल में बिल्व निमन्त्रण करना अधिक उपयुक्त माना जाता है।
दुर्गा पूजा के समय अधिकांश लोग कल्पारम्भ, बोधन तथा अधिवास व आमन्त्रण के लिये षष्ठी तिथि का ही चुनाव करते हैं, चाहे सन्ध्याकाल तक षष्ठी तिथि हो अथवा न हो। धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, सन्ध्याकाल व षष्ठी तिथि का संयोग ही बिल्व पूजा के लिये उपयुक्त समय है।
हालाँकि, नवपत्रिका प्रवेश सदैव सप्तमी तिथि पर किया जाता है, भले ही सन्ध्याकाल पर षष्ठी तिथि उपलब्ध न होने के कारण बिल्व निमन्त्रण पञ्चमी तिथि पर किया गया हो।
कल्पारम्भ, बोधन तथा अधिवास व आमन्त्रण, दुर्गा पूजा के प्रथम दिवस पर किये जाने वाले मुख्य अनुष्ठान हैं। यह सभी अनुष्ठान नवपत्रिका पूजा से एक दिन पहले किये जाते हैं।
कल्पारम्भ सुबह प्रभात काल में किया जाता है। कल्पारम्भ के समय जल से भरे घट या कलश की स्थापना की जाती है तथा देवी दुर्गा का विधिवत पूजन किया जाता है। पूजन के पश्चात देवी दुर्गा के समक्ष अगले तीन दिनों तक सम्पूर्ण विधि-विधान से पूजन-अनुष्ठान करने का दृढ़ संकल्प किया जाता है। इन पवित्र तीन दिनों को महा सप्तमी, महा अष्टमी तथा महा नवमी के नाम से जाना जाता है।
बोधन सन्ध्याकाल के समय किया जाता है, इसे अकाल बोधन के रूप में भी जाना जाता है। बोधन का अर्थ है जागरण, इस अनुष्ठान के द्वारा देवी दुर्गा को प्रतीकात्मक रूप से जागृत किया जाता है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार, सभी देवी-देवता दक्षिणायन के समय छह माह के लिये निद्रा में लीन हो जाते हैं। चूँकि, इस अवधि में दुर्गा पूजा पर्व आता है, इसीलिये पूजा से पहले देवी दुर्गा को जागृत किया जाता है। देवी दुर्गा को सर्वप्रथम भगवान राम द्वारा जागृत किया गया था। भगवान राम, दशानन रावण से युद्ध करने से पूर्व देवी को प्रसन्न करना चाहते थे। देवी दुर्गा को असमय जागृत करने के कारण, बोधन अनुष्ठान को अकाल बोधन के रूप में जाना जाने लगा।
बोधन अनुष्ठान में बिल्व वृक्ष के नीचे जल से भरा एक कलश स्थापित किया जाता है। बिल्व वृक्ष को बेल वृक्ष के नाम में से भी जाना जाता है, जिसके पत्ते शिवपूजन के लिये परम पवित्र माने गये हैं। बोधन के दौरान माँ दुर्गा को जगाने के लिये प्रार्थना की जाती है।
बोधन अनुष्ठान के पश्चात अधिवास व आमन्त्रण संस्कार किये जाते हैं। देवी दुर्गा के आवाहन के पश्चात उन्हें प्रतीकात्मक रूप से बिल्व वृक्ष में स्थापित किया जाता है, इस क्रिया को अधिवास कहा जाता है। अधिवास संस्कार के दौरान देवी दुर्गा की स्थापना से पूर्व, बिल्व वृक्ष को पवित्र किया जाता है।
अधिवास की क्रिया सम्पन्न करने के पश्चात, देवी दुर्गा से यह अनुरोध किया जाता है कि, देवी माँ अगले दिन पधार कर नवपत्रिका पूजा स्वीकार करें। देवी दुर्गा को नवपत्रिका पूजा स्वीकार करने के लिये किये गये अनुरोध एवं विधिपूर्वक पूजन को आमन्त्रण के रूप में जाना जाता है।🪔🕉🌞🌏🌝🪐🌈🐚✌️🔱🏹⚔️⚖️🐓🦜🦚🦅🦉🕊🦢🐳🐍🐢🐗🐯🦁🫎🐏🐘🦄🐕🐰🐁🐱🐒🦍👣🚩📿🔔🪷🌺🌷⚘️🌹🏵💮🌸🌼🏵🌻💐🦋🙏🫂🪔
Om shanti baba good morning baba💐🙏💐 sukriya baba sukriya💐🙏💐🙏💐
Om 🕉 shanti pyare meethe baba ❤🎉❤🎉❤
Om Shanti Shivani didi