लाइक 2, सर्वप्रथम सादर धन्यवाद आदरणीय सर, बहुत सुंदर कवित्त समझाया आपने🙏 आजकल तो मोबाइल आदि आधुनिक साधनों के होते हुए भी यदि किसी का फोन न उठे तो प्रियजन कैसे व्याकुल हो उठते हैं और उस समय तो ऐसा साधन भी नहीं था कई दिनों बाद संदेश आ पाते थे तब विरह व्यथा क्या होती थी ये रत्नाकर के उद्धव शतक से प्रतीत होती है 😢🙏
परिवर्तन ही जीवन है, वर्तमान से सब असंतुष्ट हैं, भविष्य की सुखद कल्पना की जाती है और, बाद में वर्तमान ही अतीत और स्मृतियों की पूंजी बन जाता है। आपकी परीक्षा सफल हो,श्रेष्ठ अंक प्राप्त हो,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।🌹🌹🌹
लाइक 2, सर्वप्रथम सादर धन्यवाद आदरणीय सर, बहुत सुंदर कवित्त समझाया आपने🙏 आजकल तो मोबाइल आदि आधुनिक साधनों के होते हुए भी यदि किसी का फोन न उठे तो प्रियजन कैसे व्याकुल हो उठते हैं और उस समय तो ऐसा साधन भी नहीं था कई दिनों बाद संदेश आ पाते थे तब विरह व्यथा क्या होती थी ये रत्नाकर के उद्धव शतक से प्रतीत होती है 😢🙏
परिवर्तन ही जीवन है, वर्तमान से सब असंतुष्ट हैं, भविष्य की सुखद कल्पना की जाती है और, बाद में वर्तमान ही अतीत और स्मृतियों की पूंजी बन जाता है।
आपकी परीक्षा सफल हो,श्रेष्ठ अंक प्राप्त हो,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।🌹🌹🌹
Keep it up guruji❤
Thank you very much dear.❤️
चरण स्पर्श गुरुदेव जी
अति सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय।
कृपया लाइक कर दीजिए।
सादर प्रणाम गुरु जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
नमस्कार एवं धन्यवाद।