ब्रज रज रंजित सरीर सुभ उद्धव को: रत्नाकर (उद्वव शतक)

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  • เผยแพร่เมื่อ 7 ม.ค. 2025

ความคิดเห็น • 8

  • @HindiSaarbySwabhiman
    @HindiSaarbySwabhiman 2 วันที่ผ่านมา +3

    लाइक 2, सर्वप्रथम सादर धन्यवाद आदरणीय सर, बहुत सुंदर कवित्त समझाया आपने🙏 आजकल तो मोबाइल आदि आधुनिक साधनों के होते हुए भी यदि किसी का फोन न उठे तो प्रियजन कैसे व्याकुल हो उठते हैं और उस समय तो ऐसा साधन भी नहीं था कई दिनों बाद संदेश आ पाते थे तब विरह व्यथा क्या होती थी ये रत्नाकर के उद्धव शतक से प्रतीत होती है 😢🙏

    • @RiddhiSiddhiPravah
      @RiddhiSiddhiPravah  2 วันที่ผ่านมา +1

      परिवर्तन ही जीवन है, वर्तमान से सब असंतुष्ट हैं, भविष्य की सुखद कल्पना की जाती है और, बाद में वर्तमान ही अतीत और स्मृतियों की पूंजी बन जाता है।
      आपकी परीक्षा सफल हो,श्रेष्ठ अंक प्राप्त हो,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।🌹🌹🌹

  • @m12160m
    @m12160m วันที่ผ่านมา +2

    Keep it up guruji❤

  • @bckadala
    @bckadala 2 วันที่ผ่านมา +1

    चरण स्पर्श गुरुदेव जी
    अति सुन्दर

    • @RiddhiSiddhiPravah
      @RiddhiSiddhiPravah  2 วันที่ผ่านมา

      बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय।
      कृपया लाइक कर दीजिए।

  • @ruchipandey4166
    @ruchipandey4166 วันที่ผ่านมา +1

    सादर प्रणाम गुरु जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

    • @RiddhiSiddhiPravah
      @RiddhiSiddhiPravah  วันที่ผ่านมา

      नमस्कार एवं धन्यवाद।