बिका ने धोखे से पांडु गोदारा से वचन ले लिया बिका पांडु जी गोदारा को अपना धर्म पिता मानता था परंतु उसने छल पूर्वक वचन भरवा लिया वचन के पक्के जाट वीर ने अपने युवराज के रूप में बिका का राजतिलक कर दिया
@@dharamveerpoonia2780 bhai Islam galat nhi he apko nhi pata Hinduism logo ne kyo choda ...ye log pahle bhut jatiwad karte the or bese bhi Jat hindu nhi the Jat central Asia se aaye the
Jb mohammad gajnavi somnath mandir gujrat ko lootkar sindh ke raste vapas loote dhan ke sath lot rha tha Multan ke pas khokhar jato mohammad gajnavi ko hi loot kr gajni bhaga diya...... 1025 ad
पांडू गोदारा ने बिश्नोई पंथ अपना लिया था उसके बाद गुरु जम्भेश्वर ने उन्हें जेसलमर राजा द्वारा उनके राज्य में बिश्नोई बसाने के आग्रह पर जैसलमेर में बसाया।
@Jat Rajasthan pandu godara ke vansaj koi bhi nhi he vo bishnoi ban kr Jaisal mer bse the uske baad unke pariwar ki htya dakuo dvara ki gyi pura panorama hai dekh liya Nagore pipasar aake . Jaat pandu Godara ke khilaf the sab kyu ki ek baar jab pula Saran ki patni ne pula ko pandu ki danviirta pe tana mara to pula ne usko bola ki usi ke piche chli ja ye baat jab pandu ko pta chli to pandu ne uski patni ko behen bna ke Saran di jisse 7 jaat vs pandu yudh huaa uske baad krni mata ne pandu ko jambho ji ke pas bheja iske alva amra sahu ji jo dhansiya ke raja the unke 5 putro me se 2 bishnoi bne jinme devraj ke vansaj ham hai
@Jat Rajasthan mene jo history padhi he uske sakshay Bikaner ke musiam me dekh lena Bika ko jambho ji ne ek Kath ki talwar di thi or bika ke sath pandu bhi tha. jo tilak krte he godara jaat jrurr he par unke vanshaj nhi he . Pandu or laskman singh parmar dono ko ek lut me maar diya gya tha . ap suni baato pe bol rhe ho hmare pas panorama sakshay he or iske alava vo kath ki Talwar aaj bhi mojud hai jo jaat pandu ko gaddar tk bol kar unka apmaan krte the vo aaj unke vanshaj bnne ke liye zid rhe hai 😀 aaj bhi jaat smaaj ke websites pe article padho unke baare me kya kya bola ja rha hai
@Jat Rajasthan par sach to yahi he bhai hmari shabdawani me bhi iska sakshy hai *पांडू जी गोदारा 'सोनकरा'* *(खरींगा जैसलमेर)* *(अनुमानत: ईस्वी सन् 1473-1536)* ये जाम्भाणी हुजुरी कवि लखमण गोदारा के भाई थे । मूल में ये गाँव *रुणियां* के थे किन्तु ईस्वी सन् 1513 में अपने भाई लखमण गोदारा के साथ जैसलमेर राज्य के *खरींगा* गाँव में बस गए थे । इनके वहां बसने की कथा अत्यन्त प्रसिध्द है । जब जाम्भोजी रावल जैतसी के आमंत्रण पर जैसलमेर गए तो ये दोनों भी *साथरियों* मे थे । रावलजी ने जैतसमन्द की प्रतिष्ठा तथा कन्या-दान का कार्य सम्पन्न होने पर, अपने राज्य में विष्णोईयों के बसाने की प्रार्थना जाम्भोजी से की । *सतगुरू आगल्य आय,* *रावळ एक विनती सारे।* *मांगे छै एक पसाव,* *उमेद मन उपंनी म्हारे।* *केहक विष्णोई देव,* *देस मांहरे बसावो।* *राख्यस रुडे भाय,* *बाहरी म करिस दावौ।* *रावल कहै चुकिस नहीं,* *कौळ बोल रूडा वहिस।* *प्रमाण ताहरा देवजी,* *सांच सील तागे बहिस।।* *(-वील्होजी कृत कथा जैसलमेर की)* जब यह बात “जमात" में सुनाई गई, तब इन दोनों ने अपनी मातृभूमि को छोडकर वहां खरींगा में बसना स्वीकार किया । *वायक फिरयौ जमाते मां,* *कोळ सतगुर कों पालै।* *रावळ सारै बीनती,* *सांई बीनती संभालें।* *लखमण पांडु धन्य,* *कहयो सतगुर को कियौ।* *तज्य बाप दादै री भोम्य,* *जाण देसोटो लीयो।* *कुटुंब कड़युंबो छांडि कै,* *गुर वायक माथे बंधियौ।* *भोम्य छाडि पर भोमे गया,* *बास खरींगै मांडियो।* *(-वील्होजी कृत कथा जैसलमेर की)* जाम्भोजी ने उनको अपनी अमानत बताते हुए रावळजी को सौंपा और सन्मार्ग पर चलने का आदेश दिया। *लखमण पांडु दोउ,* *आय गुरू पांव विळगा ।* *सहंस भुज हुवे संतोषियां*, *सतगुरु संभला ए कही ।* *रावल अमांण छै आपंणी,* *परि विनां रूढ़ां बही ।* साहबरामजी ने इसका समर्थन करते हुए इतना ओर लिखा है कि जाम्भोजी की आज्ञा से रावळजी ने दोनों के विवाह भी करवाए । *( ज़म्भसार, प्रकरण 15, पत्र 6-12 )* इनसे उनके गृहस्थ होने का पता चलता है । *35 पुन्ह* और *हिंडोलळों* मे इनका नामोल्लेख है । जैसलमेर राज्य में विष्णोई धर्म के प्रचार और व्याख्यार्थ बसने वाले ये ओर लखमण पहले विष्णोई थे । *राहि चालै राहि कै*, *आंण सतगुर की मानै* *जपे एक विसंन,* *आन तोफान न मानै ।* *अजर ज़रयौ जीव काज्य,* *वर भरमे सह भगा ।* जाम्भोजी के वैकुंठवास के पश्चात लखमणजी व पांडूजी ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे । केसौजी ने एक साखी में इनका उल्लेख किया है। *जग्यो जमाते प्रगटयो,* *झोरड साध बखाण ।* *लछमण अर पांडू परखि,* *खड़या खरींगे जाण ।* लखमण व पांडू के वंशजो ने खरींगा में नरावत भाटियों के अत्याचार से परेशान होकर खारा में आए जहां लखमण के वंशज स्थायी रूप से रहने लगे तथा पांडू के वंशज खारा, ननेऊ,सर आदि गांवो में पड़ाव लेते हुए कानासर में स्थायी निवास किया । पांडूजी के वंशज *खरींगिया गोदारा* कहलाते हैं । भाट साहित्य में इन पांडू गोदारा को हिंदवाण का पुत्र बताया जाता है जो कि गलत है। हिंदवाण का पुत्र पांडू गोदारा जो कि गोदारापट्टी का राजा था और शेखसर उनकी राजधानी थी वो अलग है। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 राजकुमार गोदारा विष्णोई *(खरींगिया गोदारा)*
सम्पूर्ण गोदारा इतिहास जानने हेतु आप "गोदारा वंशावली एवं इतिहास" पुस्तक पढें।
कहां मिलेगी किताब
So proud of you Brother
I'm govind Singh Godara jaat from mathura up
grt
गोदारा कुलदेवी कौन है
बाण माता चितौड़
I am vriender Godara from Punjab
Veere me jaiveer Godara jodhpur
जय जाट जय जय गोदारा
Good
❤❤❤ गोदारा
Jai jat
Badiya ...Jangal predesh ki asliyat kiy he. .Jara bataye
जय हो 🚩
Jay JAAT
प्रणाम भाई… रवींद्र गोदारा 🙏
Rahul Godara from Karnal
❤
गुड सर जी
JAY JATT JAT 🇮🇳💪
❤️❤️
🙏🙏🙏🙏🙏
I am godara
बिका ने धोखे से पांडु गोदारा से वचन ले लिया बिका पांडु जी गोदारा को अपना धर्म पिता मानता था परंतु उसने छल पूर्वक वचन भरवा लिया वचन के पक्के जाट वीर ने अपने युवराज के रूप में बिका का राजतिलक कर दिया
Jai Godara 🚩
@@dharamveerpoonia2780 पांडू गोदारा के वंशज खरिंगिया बिश्नोई हे ।
Jay jaat jay godara
Arya godawary se north me kaise aye satye ke kareeb nhi lagta
👌👌👌
Jaiveer Godara from jodhpur
🔥🔥
Bhai baliyan raghuvanshi ka bi itihas aap btao
Aapni history mujhe send kare
Aur apna number bhi
Jay Jaat Jay Godara
Jai Godara 💪💪💪👍👍👍
Godara name ni barand hai
Godhe/godha/godar/godhara alag-alag hai ya ye ek hi hai
Jai godara jaat❤
I am from Hanumangarh Rajasthan
Geo godara ♥️🇵🇰
Jaangal pradesh ke surma se ek muslim kese ban gaya 😠
Jai Godara 🚩
@@dharamveerpoonia2780 bhai Islam galat nhi he apko nhi pata Hinduism logo ne kyo choda ...ye log pahle bhut jatiwad karte the or bese bhi Jat hindu nhi the Jat central Asia se aaye the
Jay jatt
Mama ji
भाई आप मुझे यह बताना बिहार मे jat समाज है कब जा कर वसा है 10 लाख के आस पास है अवादी
धरती की धारा गोदारा
Khokhar jutt k bary myn btayn, me mohsin jhungal old village in india talwandi jhunglan gurdas pur, tribe name khokhar jutt
Khokhar jato ne 15 March 1206 ko Mohammad ghori ko markar Prathviraj Chohan ka badla liya, khokhar jato ne sindh par hukumat ki
Jb mohammad gajnavi somnath mandir gujrat ko lootkar sindh ke raste vapas loote dhan ke sath lot rha tha
Multan ke pas khokhar jato mohammad gajnavi ko hi loot kr gajni bhaga diya...... 1025 ad
Is bahdur kaum ka mukabla tha hi nhi
Jai Jat jai Godara
पांडू गोदारा ने बिश्नोई पंथ अपना लिया था उसके बाद गुरु जम्भेश्वर ने उन्हें जेसलमर राजा द्वारा उनके राज्य में बिश्नोई बसाने के आग्रह पर जैसलमेर में बसाया।
@Jat Rajasthan pandu godara ke vansaj koi bhi nhi he vo bishnoi ban kr Jaisal mer bse the uske baad unke pariwar ki htya dakuo dvara ki gyi pura panorama hai dekh liya Nagore pipasar aake . Jaat pandu Godara ke khilaf the sab kyu ki ek baar jab pula Saran ki patni ne pula ko pandu ki danviirta pe tana mara to pula ne usko bola ki usi ke piche chli ja ye baat jab pandu ko pta chli to pandu ne uski patni ko behen bna ke Saran di jisse 7 jaat vs pandu yudh huaa uske baad krni mata ne pandu ko jambho ji ke pas bheja iske alva amra sahu ji jo dhansiya ke raja the unke 5 putro me se 2 bishnoi bne jinme devraj ke vansaj ham hai
@Jat Rajasthan mene jo history padhi he uske sakshay Bikaner ke musiam me dekh lena Bika ko jambho ji ne ek Kath ki talwar di thi or bika ke sath pandu bhi tha. jo tilak krte he godara jaat jrurr he par unke vanshaj nhi he . Pandu or laskman singh parmar dono ko ek lut me maar diya gya tha . ap suni baato pe bol rhe ho hmare pas panorama sakshay he or iske alava vo kath ki Talwar aaj bhi mojud hai jo jaat pandu ko gaddar tk bol kar unka apmaan krte the vo aaj unke vanshaj bnne ke liye zid rhe hai 😀 aaj bhi jaat smaaj ke websites pe article padho unke baare me kya kya bola ja rha hai
@Jat Rajasthan par sach to yahi he bhai hmari shabdawani me bhi iska sakshy hai
*पांडू जी गोदारा 'सोनकरा'*
*(खरींगा जैसलमेर)*
*(अनुमानत: ईस्वी सन् 1473-1536)*
ये जाम्भाणी हुजुरी कवि लखमण गोदारा के भाई थे । मूल में ये गाँव *रुणियां* के थे किन्तु ईस्वी सन् 1513 में अपने भाई लखमण गोदारा के साथ जैसलमेर राज्य के *खरींगा* गाँव में बस गए थे । इनके वहां बसने की कथा अत्यन्त प्रसिध्द है । जब जाम्भोजी रावल जैतसी के आमंत्रण पर जैसलमेर गए तो ये दोनों भी *साथरियों* मे थे । रावलजी ने जैतसमन्द की प्रतिष्ठा तथा कन्या-दान का कार्य सम्पन्न होने पर, अपने राज्य में विष्णोईयों के बसाने की प्रार्थना जाम्भोजी से की ।
*सतगुरू आगल्य आय,*
*रावळ एक विनती सारे।*
*मांगे छै एक पसाव,*
*उमेद मन उपंनी म्हारे।*
*केहक विष्णोई देव,*
*देस मांहरे बसावो।*
*राख्यस रुडे भाय,*
*बाहरी म करिस दावौ।*
*रावल कहै चुकिस नहीं,*
*कौळ बोल रूडा वहिस।*
*प्रमाण ताहरा देवजी,*
*सांच सील तागे बहिस।।*
*(-वील्होजी कृत कथा जैसलमेर की)*
जब यह बात “जमात" में सुनाई गई, तब इन दोनों ने अपनी मातृभूमि को छोडकर वहां खरींगा में बसना स्वीकार किया ।
*वायक फिरयौ जमाते मां,*
*कोळ सतगुर कों पालै।*
*रावळ सारै बीनती,*
*सांई बीनती संभालें।*
*लखमण पांडु धन्य,*
*कहयो सतगुर को कियौ।*
*तज्य बाप दादै री भोम्य,*
*जाण देसोटो लीयो।*
*कुटुंब कड़युंबो छांडि कै,*
*गुर वायक माथे बंधियौ।*
*भोम्य छाडि पर भोमे गया,*
*बास खरींगै मांडियो।*
*(-वील्होजी कृत कथा जैसलमेर की)*
जाम्भोजी ने उनको अपनी अमानत बताते हुए रावळजी को सौंपा और सन्मार्ग पर
चलने का आदेश दिया।
*लखमण पांडु दोउ,*
*आय गुरू पांव विळगा ।*
*सहंस भुज हुवे संतोषियां*,
*सतगुरु संभला ए कही ।*
*रावल अमांण छै आपंणी,*
*परि विनां रूढ़ां बही ।*
साहबरामजी ने इसका समर्थन करते हुए इतना ओर लिखा है कि जाम्भोजी की आज्ञा से रावळजी ने दोनों के विवाह भी करवाए ।
*( ज़म्भसार, प्रकरण 15, पत्र 6-12 )*
इनसे उनके गृहस्थ होने का पता चलता है । *35 पुन्ह* और *हिंडोलळों* मे इनका नामोल्लेख है । जैसलमेर राज्य में विष्णोई धर्म के प्रचार और व्याख्यार्थ बसने वाले ये ओर लखमण पहले विष्णोई थे ।
*राहि चालै राहि कै*,
*आंण सतगुर की मानै*
*जपे एक विसंन,*
*आन तोफान न मानै ।*
*अजर ज़रयौ जीव काज्य,*
*वर भरमे सह भगा ।*
जाम्भोजी के वैकुंठवास के पश्चात लखमणजी व पांडूजी ने भी अपने प्राण त्याग दिए थे ।
केसौजी ने एक साखी में इनका उल्लेख किया है।
*जग्यो जमाते प्रगटयो,*
*झोरड साध बखाण ।*
*लछमण अर पांडू परखि,*
*खड़या खरींगे जाण ।*
लखमण व पांडू के वंशजो ने खरींगा में नरावत भाटियों के अत्याचार से परेशान होकर खारा में आए जहां लखमण के वंशज स्थायी रूप से रहने लगे तथा पांडू के वंशज खारा, ननेऊ,सर आदि गांवो में पड़ाव लेते हुए कानासर में स्थायी निवास किया ।
पांडूजी के वंशज *खरींगिया गोदारा* कहलाते हैं ।
भाट साहित्य में इन पांडू गोदारा को हिंदवाण का पुत्र बताया जाता है जो कि गलत है।
हिंदवाण का पुत्र पांडू गोदारा जो कि गोदारापट्टी का राजा था और शेखसर उनकी राजधानी थी वो अलग है।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
राजकुमार गोदारा विष्णोई
*(खरींगिया गोदारा)*
सम्पूर्ण गोदारा इतिहास जानने हेतु आप "गोदारा वंशावली एवं इतिहास" पुस्तक पढें।
बावलीबुच पांडू दादा के बड़े बेटे नकोदर ने अपनाया था
जय सनातनी
I am godara rajput
Mujhe naaj hai ki mai godara gotre mai janam Liya
Jai godara ( shatriye)
❤❤❤❤😂
Jai Godara 🚩
Kya backwash Likha he puri January nahi he
Ramniwas Godar churu
राव बिका भगोड़ा में क्या भाई क्या बोल रहे हो बकवास बात कर रहे तुम राव बिका एक वीर योद्धा अपने मन में जो आए वैसी बकवास बातें मत किया करो भाई
Godara boy
Bhai hum sab arya hain,
Godara jaat
Saran ke sath gadari kr godara ne bekaner ko rathola ko de deya. Jat jati ke me dosle jato ke sath godara jato ne sadev dhokha keya h.
Ritu Godara from Rohtak