शानदार वीडियो। आपने बहुत अच्छा समझाया आत्मा के उद्देश्य के बारे में। इसी तरह के वीडियो जो इंसान के ज्ञान में वृद्धि करें और अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें अपने इस चैनल पर अपलोड करते रहिए। मेरे जीवन में मुझे अपने सतगुरु के द्वारा मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है, मैं कौन हूं का ज्ञान सतगुरु की कृपा से हो गया है। मुझे सतगुरु की कृपा से बिना किसी पूजा आराधना और ध्यान साधना के आत्म साक्षात्कार हुआ है। या दूसरे शब्दों में कहूं तो ये कह सकता हूं कि मुझे ईश्वर के दर्शन हर पल हर क्षण किसी भी कार्य को करते हुए होते है। अब मेरे सतगुरु ने मुझ पर इतनी दया की है कि मुझे बिना किसी प्रयास के बिना ईश्वर की भक्ति किए हुए ईश्वर से मिलवा दिया या ये कहूं कि मेरा परिचय स्वयं से करवा दिया है कि मैं कौन हूं। फिर भी मैं ये कहना चाहता हूं कि प्रभु की भक्ति किए बिना मैंने प्रभु के दर्शन कर तो लिए और प्रभु को पा भी लिया है लेकिन प्रभु के दर्शन करने बावजूद भी मेरे अंदर प्रभु के प्रति अपने सतगुरु के प्रति जो प्रेम होना चाहिए था जो समर्पण भाव होना चाहिए था वो जाग्रत नहीं हो पा रहा है। मेरे सतगुरु मुझे जी समझाते हैं वो सब इन्हीं विषयों से संबंधित ही समझाते हैं लेकिन सब कुछ समझते हुए भी मेरे अंदर प्रभु के प्रति प्रेम और समर्पण का अभाव है। इन्हीं बातों को लेकर मैं अक्सर आत्मचिंतन करता हूं और मैंने पाया कि जब तक मेरे अंदर संसार जीवित है तब तक प्रभु से प्रेम असंभव है। इसका हल सतगुरु कृपा से आत्मचिंतन द्वारा ये निकला कि मुझे प्रभु का एक मन चित होकर ध्यान सुबह शाम कुछ समय जरूर करना चाहिए भले ही मुझे ईश्वर के दर्शन हर पल हो रहे हों। ध्यान करने का मुझे कोई अनुभव नहीं है बस ऐसे ही बैठता हूं कुछ समय, सतगुरु कृपा है मुझ पर। कृपया आपसे यही निवेदन है ध्यान को किस तरह से किया जाए जिससे कि प्रभु से दोस्ती और गहरी हो जाए। इस विषय पर अगर वीडियो अपलोड करें तो बडी कृपा होगी। 🙏🌹🙏
शानदार वीडियो।
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इसी तरह के वीडियो जो इंसान के ज्ञान में वृद्धि करें और अध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें अपने इस चैनल पर अपलोड करते रहिए।
मेरे जीवन में मुझे अपने सतगुरु के द्वारा मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है, मैं कौन हूं का ज्ञान सतगुरु की कृपा से हो गया है।
मुझे सतगुरु की कृपा से बिना किसी पूजा आराधना और ध्यान साधना के आत्म साक्षात्कार हुआ है। या दूसरे शब्दों में कहूं तो ये कह सकता हूं कि मुझे ईश्वर के दर्शन हर पल हर क्षण किसी भी कार्य को करते हुए होते है।
अब मेरे सतगुरु ने मुझ पर इतनी दया की है कि मुझे बिना किसी प्रयास के बिना ईश्वर की भक्ति किए हुए ईश्वर से मिलवा दिया या ये कहूं कि मेरा परिचय स्वयं से करवा दिया है कि मैं कौन हूं।
फिर भी मैं ये कहना चाहता हूं कि प्रभु की भक्ति किए बिना मैंने प्रभु के दर्शन कर तो लिए और प्रभु को पा भी लिया है लेकिन प्रभु के दर्शन करने बावजूद भी मेरे अंदर प्रभु के प्रति अपने सतगुरु के प्रति जो प्रेम होना चाहिए था जो समर्पण भाव होना चाहिए था वो जाग्रत नहीं हो पा रहा है। मेरे सतगुरु मुझे जी समझाते हैं वो सब इन्हीं विषयों से संबंधित ही समझाते हैं लेकिन सब कुछ समझते हुए भी मेरे अंदर प्रभु के प्रति प्रेम और समर्पण का अभाव है।
इन्हीं बातों को लेकर मैं अक्सर आत्मचिंतन करता हूं और मैंने पाया कि जब तक मेरे अंदर संसार जीवित है तब तक प्रभु से प्रेम असंभव है।
इसका हल सतगुरु कृपा से आत्मचिंतन द्वारा ये निकला कि मुझे प्रभु का एक मन चित होकर ध्यान सुबह शाम कुछ समय जरूर करना चाहिए भले ही मुझे ईश्वर के दर्शन हर पल हो रहे हों।
ध्यान करने का मुझे कोई अनुभव नहीं है बस ऐसे ही बैठता हूं कुछ समय, सतगुरु कृपा है मुझ पर।
कृपया आपसे यही निवेदन है ध्यान को किस तरह से किया जाए जिससे कि प्रभु से दोस्ती और गहरी हो जाए। इस विषय पर अगर वीडियो अपलोड करें तो बडी कृपा होगी।
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Bahut hi achi lagi video guru dev
Atma kis se aur kiun mukt hona chah raha,,,? Aur Mukti ke baad kya yesa milega ya hoga ,,,jise Anubhav karne ke khatir,,,,,,,