005 Yog Darshan 1.3-4, Achary Satyajit Arya | योग दर्शन, आचार्य सत्यजित आर्य | आर्ष न्यास
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- เผยแพร่เมื่อ 24 ธ.ค. 2015
- Understand and practicing of Yog darshan by Aachary satyajit ji,
Aarshnyas is organization driven by vedic scholars, which has sole purpose of making ved , upanishad and darshan understanding in easy and scientific way. Aarshnyas conduct regular question and answer session where simple question like meditation technique and very complex topics such as moksha are explained.
वेद ज्ञान पर आधारित ऋषि कृत ग्रन्थ उपनिषद , ब्राह्मण ग्रन्थ , दर्शन, मीमांसा अदि आर्ष ग्रन्थ कहलाते है,आर्ष ग्रंथो के ज्ञान को समझ कर मानव दुखो से छूट कर परम सुख मोक्ष को प्राप्त कर सकता है.
इन आर्ष ग्रंथो के सरलतम रूप मे प्रचार प्रसार एवं इससे सम्बंधित कार्य मैं कार्यरत ब्रम्ह्चारी, सन्यासी आर्य वीरो के सहयोग हेतु आर्ष न्यास का गठन दिनांक 16 अगस्त 2011 को स्वामी विश्वांग, आचार्य सत्यजीत, श्री सुभाष स्वामी , श्री आदित्य स्वामी एवं श्री रामगोपाल गर्ग के द्वारा अजमेर मैं किया गया. आर्ष न्यास आध्त्यमिक एवं व्यवाहरिक विषयों को जिज्ञासा समाधान , उपनिषद भाष्य, पुस्तक एवं कथा के माध्यम से प्रस्तुत करने मे अग्रणी है..
www.aarshnyas.org/
/ aarshnyas
Bahut bahut dhanyawad 🙏🙏🙏🙏
🙏🙏 आचार्य जी और आर्ष न्यास का बहुत बहुत आभार जो वैदिक दर्शन के गूढ़ ज्ञान को इतने सरल तरीक़े से सबके समक्ष रखकर मानव मात्र का कल्याण किया गया 🙏🙏
Om Guruvay Namaha.
धन्यवाद आपका सादर प्रणाम
आचार्य श्रेष्ठ सादर अभिवादन
Pronam Acharya ji 🙏 😊dhanyobad
आत्मा और परमात्मा एक ही है
आत्मा और परमात्मा एक नहीं हैं बल्कि दोनों अलग अलग है
आपको कोटि कोटि नमन🙏
🙏
सादर प्रणाम, आचार्य जी,
आपको सादर नमन इस अतिमहत्वपूर्ण जानकारी के लिए।
आप को प्रणाम आप द्वारा बहुत अच्छा से समझाया गया है मैं आप को कोटि कोटि धन्यवाद देते हैं
बहुत बढ़िया ।
🙏 namaste
ईश्वर आपको दीर्घायु दे।
व्युत्थानावस्था को बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया है
नमस्ते...स्वामीजी..धन्यवाद |
Very Nice explaination.
om
Baijayanti ooom sadare namaste swamiji 🙏
जब चित्त के द्वारा कुछ भी नहीं जाना जाता वह असम्प्रज्ञात योग कहलाता है को बहुत ही अच्छे ढंग से समझाया गया है.
नमस्ते जी ।।
❤
Good morning satyajit ji so nice !!
🙏ओ३म्
धन्यवाद आचार्य जी 🙏
धन्यवाद सादर प्रणाम
सादर नमस्ते आचार्य जी 👏👏👏🕉️🕉️💐💐
मुझे लागता था कि दर्शन बहुत कठिन हैं लेकिन आपसे शुनकर अब ऐसा प्रतीत नहि होता । प्रणाम गुरुजी 🙏🙏🙏🙏
00:17:55 तीसरा सूत्र
आत्मा कभी तदाकार नहीं होता जबकि चित्त वस्तु के अनुरूप हो जाता है को जाना.
Acharyaji Pranam ...bahut bahut dhanyavad.. etane Sundar tarikese apane muze diya
🕉️🙏 Namaste Swamiji 🙏
🙏
नमस्ते, आचार्य जी ।
Lecture begins at 25.10
NAMASTEA ACHARYAJE. VERY NICE EXPLANATION
ऊम नमस्कार गुरुजी
नमस्कार गुरुजी
"दृश्यत्वेन स्व पुरुषस्य""अयस्कान्तमणि कल्पं चित्तं"💠वाह💠
धन्य हो प्रभु आप धन्य है ।प्रणाम
अति सुंदर कक्षा
बहुत सुंदर
Om gurudiv
नमस्ते जी
💠"एकमेव दर्शनम् ।ख्यतिरेव दर्शनम् ।""चित्तं अयस्कान्तमणि इव सन्निधिमात्र उपकारी"सरलता से समझाया💠
रामजित् मुनि
रामजित् मुनि
Great clarity of thought
Lecture starts at th-cam.com/video/Am3Le71kY_o/w-d-xo.html
इस ज्ञान को जानने के लिए बहुत गहरा उतरना होगा।
विषय जटिल है क्योंकि व्यक्ति जब निरुधावस्था में आत्मा के द्वारा परमात्मा के साक्षात्कार करता है तो भी संस्कार बने रहते हैं क्योंकि आत्मा को बोध होता है कि वह परमात्मा से साक्षात्कार कर रहा है.
00:31:23 चौथा सूत्र
4th 00:25:40