जीना यहां, मरना यहां, इसके सिवा जाना कहां?

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  • เผยแพร่เมื่อ 24 พ.ย. 2024

ความคิดเห็น • 9

  • @pritisingh2985
    @pritisingh2985 3 วันที่ผ่านมา +1

    बेहतरीन प्रस्तुति सर 🙏🙏🙏🙏

  • @Arvind..Cl_vish
    @Arvind..Cl_vish 4 วันที่ผ่านมา

    कुल्हड वाली चाय की बात ही कुछ खास है। बेहतरीन प्रस्तुति सर,सादर प्रणाम
    हर हर महादेव

  • @satyendrasingh7229
    @satyendrasingh7229 4 วันที่ผ่านมา

    चाय को काशी में अमृत की संज्ञा प्रदान करने वाले अरविंद भैया को हृदय से नमन

  • @monaverma446
    @monaverma446 4 วันที่ผ่านมา

    हम ज़िन्दगी को बड़े ही जिन्दादिली से जीते है,
    मजा तब आता है जब चाय दोस्तों के संग पीते है.☕️☕️

  • @seema-oe7hz
    @seema-oe7hz 4 วันที่ผ่านมา

    अति सुन्दर एवं जीवंत व्याख्या ,,,ऐसी मन अपने आप बनारस पहुँच गया सlदर प्रणाम सर

  • @skumarrai65
    @skumarrai65 3 วันที่ผ่านมา

    जीवन में पहली बार चाय के प्रकार की जानकारी हुई जो बेहतरीन थी
    आपको सादर प्रणाम🙏

  • @saketsingh0522
    @saketsingh0522 4 วันที่ผ่านมา

    चाय तो कहने को है असली मे ये बनारसी की चाह है .
    साथ ही साथ सर आप ने अपने देश के कुमारों का रोजगार बढ़ा दिया अब सभी लोग घर मे चरित्रवान चाय ही पियेंगे.

  • @KavitaSingh-mk5sw
    @KavitaSingh-mk5sw 3 วันที่ผ่านมา

    Chai ke bahane pura banaras ghum liye गोदौलिया तो meri jan thi pura shopping wahi hota tha 😂😂
    अब कुल्हड़ मे चाय पीने आना पड़ेगा 😄😆 बहुत अच्छा लगा 👌👌👍🏻🙏🏻