Om ekdantay vidmahe | Ganesh Gayatri Mantra 108 Times | एक दंताय विद्माहे वक्रतुंडाय धीमहि |

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
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    'एकदंताय विद्महे' एक गणेश मंत्र है. इस मंत्र का पूरा रूप है - 'एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्'. इस मंत्र का अर्थ है:
    एक दंत - भगवान गणेश का ही नाम है.
    वक्रतुण्ड - घुमावदार सूंड वाले भगवान का ध्यान करते हैं.
    धीमहि - हम ध्यान करते हैं और बेहतर बुद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं.
    तन्नो दंती - हम एक दांत वाले हाथी के दांत वाले के सामने झुकते हैं.
    प्रचोदयात् - हमारे मन को ज्ञान से प्रकाशित करें.
    श्री गणेश जी की विशेष मंत्रों से पूजा अत्यंत फलदायी मानी गई है.विघ्न और संकटों से बचाकर जीवन के हर सपने व इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी गई है। हिन्दू संस्कृति और पूजा में भगवान श्रीगणेश जी को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश पूजा अनिवार्य बताई गई है। देवता भी अपने कार्यों को बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है।
    कहा जाता है कि अगर आपको किसी विशेष कार्य में बहुत दिनों से सफलता नहीं प्राप्त हो रही है, तो कार्य को शुरू करने से पहले शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है। अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर गणेश गायत्री मंत्र का 108 बार जप कर लें.
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