श्री जोटींगा पार्श्वनाथ भगवान के दर्शन

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  • เผยแพร่เมื่อ 30 ก.ย. 2024
  • Voice - Anjanbhai
    #108Parshwnathdarshan #tirthdarshan
    श्री जोटींगडा पार्श्वनाथ- मुंजपुर तीर्थ
    प्रथम नजर में प्रतिमा के दर्शन
    मुंजपुर तीर्थ में मूळनायक श्री शान्तिनाथ भगवान के नुतन शिखरबंधी जिनालय मे मूळनायक प्रभुजी के बाएँ तरफ श्री जोटींगडा पार्श्वनाथजी पद्मासन मुद्रा मे बिराजमान है ।यह प्राचीन प्रतिमाजी श्वेत पाषाण के और बहुत ही मनोहर है । मुल प्रतिमा के मस्तक पर फणे नही थे । वर्तमान मे हुए जीर्णोद्धार के पश्चात नये परिकर के साथ नौ फणों से प्रभुजी को शुशोभित किया गया है । प्रतिमाजी की ऊंचाई 28 ईंच और चौड़ाई 23 ईंच है । यह प्रतिमाजी संप्रतिकालीन होने का अनुमान है ।
    अतीत की गहराइयों मे एक डूबकी
    श्री शंखेश्वरथी महातीर्थ के निकटवर्ती ईशान कोण मे 6.5 माईल की दूरी पर मुंजपुर नाम का एक प्राचीन और ऐतिहासिक बडा गाँव है । शंखेश्वरजी तीर्थ के एक पडोशी के रूप मे पिछली कई शताब्दीयो से मुंजपुर साक्षी बना हुआ है । मुंजपुर गाँव की स्थापना का निर्देश करती हुयी एक लोगों के ज़ुबान पर चढ़ी हुयी लोक किंवदंती इस प्रकार से है ।
    “भोजराज संघल हण्यो , ने पुत्र राजहकारण , ते हत्या उतारवा , आव्यो क्षेत्र धर्मारण्य , परमावंश प्रथीने अमल , छत्र धर्यो राय भोज शिर , वासियो मुंजे मुंजपुर , संवर त्रण ईकलंतर. “
    इस लोक किंवदंती के अनुसार परमारवंशीय राजा मुंज ने सं. 1003 मे मुंजपुर गाँव बसाया था । मूळराज सोलंकी ने यह गाँव एक पंडित को दान मे दिया होने का भी जानने को मिलता है । जिससे मुंजपुर अगियारहवी शताब्दी का होने का अनुमान लगता है । दुसरे मत के अनुसार यह गाँव सं. 1301 में मुंज राजा ने बसाया होने का अनुमान है ।
    “सोम सौभाग्य “ काव्य के अनुसार , पंदरहवी शताब्दी मे मुजिंग नगर के मुंट नाम के श्रेष्ठी ने धातु की असंख्य चोवीसी के बिंबो का निर्माण करवा कर पूज्य सोमसुंदरसूरिजी के वरद हस्तक प्रतिष्ठा करवायी थी ।यह मुजिंगनगर ही वर्तमान का मुंजपुर होने का माना जाता है । जो यह अनुमान सत्य हो तो , पंदरहवी शताब्दी में यहाँ पर मंदिर होने का अनुमान हो सकता है । सं. 1569 में कुतबपुरापक्षीय तपागच्छाधिराज श्री ईंद्रनंदसूरिजी के उपदेश से मुजिंगपुर के श्री संघ ने नाडलाई के जिनालय मे देवकुलिकाएँ करवायी थी ऐसा एक शिलालेख से जानकारी मिलती है ।
    सं. 1648 मे ललितप्रभसुरिजी द्वारा रचित “पाटण चैत्य परिपाटी ' मे उस समय मे मुंजपुर मे तीन जिनालय होने की उन्होंने जानकारी दी है । संवत 1666 तक श्री जोटींगा पार्श्वनाथ का यहाँ पर जिनालय था । अभी यहाँ पर दो मंदिर है । तीसरा मंदिर कब नष्ट हुआ उस संबंध मे यहाँ पर हुयी एक संग्राम की घटना का उल्लेख है जिसमे इस मंदिर के नष्ट होने का बताया गया था ।
    प्रतिमाजी संप्रतिकालीन होने का अनुमान है । मूळनायक श्री शांतिनाथजी का यह जिनालय 400 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है , दुसरा श्री गोडी पार्श्वनाथ का जिनालय दो मंजिला और शिखरबद्ध है । श्री शांतिनाथ जिनालय की वर्षगाँठ मागशर सुद- 11 के प्रतिष्ठादिन के रूप मे प्रतिवर्ष मनायी जाती है । सं. 2001 मे भी जीर्णोद्धार हुआ था ।
    वर्तमान मे श्री जोटींगा पार्श्वनाथ का स्वतंत्र जिनालय नही है । श्री जोटींगडा पार्श्वनाथ प्रभुजी का प्रतिमा श्री शांतिनाथ जिनालय मे बिराजमान है । श्री शांतिनाथ भगवान का यह जिनालय भूकंप और तूफ़ान के कारण जीर्ण होने से पुनः जीणोद्धार करने मे आया था । सभी प्रतिमाओ का उत्थापन वि. स. 2071 के मागसर वद ७ शुक्रवार को किया था । नूतन जिनालय के लिए ज़मीन शाह समुबेन गोदडलाल मोहनलाल परिवार ने संघ को अर्पण की थी । मुख्य नूतन जिनालय जीणोद्धारना मुख्य दाताश्री शेठ जीवणदास गोडीदास शंखेश्वर पार्श्वनाथजी जैन देरासर ट्रस्ट - शंखेश्वर अने शेठ आणंदजी कल्याणजी पेढी अमदावाद है । नूतन जिनालय की प्रतिष्ठा संवत 2071 पोष वद 13 तारीख 12/01/2015 के शुभ दिन हुयी थी ।
    पता
    श्री श्वेताम्बर मूर्तिपूजक जैन संघ
    मु.पो. मुंजपुर , ता. समी , जि. महेसाणा , पीन- 384240
    फोन नम्बर -02733 281 343

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