*देवाचार्यस्य महतो विश्वकर्मस्य धीमतः।* *विश्वकर्मात्मजश्चैव विश्वकर्ममयः स्मृतः॥* - (वायुपुराणम्/उत्तरार्धम्/अध्यायः 22, श्लोक - 20) अर्थात - धीमान(श्रेष्ठ बुद्धि वाले) विश्वकर्मा बड़े-बड़े देवताओं के आचार्य (गुरु) हुए और उनके पुत्र भी उन्हीं के समान गुणों वाले हुए। जीतेन्द्र विश्वकर्मा छतरपुर मप्र 🙏🚩💐💐
ॐ सर्व जगत के उत्पन्न करता विराट विश्वकर्मा 🚩 🙏यजुर्वेद अध्याय ३१ मंत्र १७ का भाष्य 🙏 ॐ अद्भ्य: सम्भृत: पृथिव्यै रसाच्च विश्वकर्मण: समवर्त्तताग्रे। अस्य त्वष्टा विदधद्रुपमेति तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे।। 🚩भाष्यम् -(अद्भ्य:संभृत:०) ॐ तेन पुरुषेण पृथिव्यै पृथिव्युत्पत्तर्थमद्भ्यो रस: संभृत: संगह्य तेन पृथिवी रचिता। एवमग्निरसेनाग्ने: सकाशादाप उत्पादिता: । अग्निश्च वायो: सकाशाद्, वायुराकाशादुत्पादित:, आकाश: प्रकृते: ,प्रकृति: स्वसामर्थ्याच्च। विश्वं सर्वं कर्म क्रियमाणमस्य स विश्वकर्मा, तस्य परमेश्वरस्य सामर्थ्यमध्ये कारणाख्येअग्रे सृष्टे: प्राग्जगत्समवर्त्तत वर्त्तमानमासीत्। तदानीं सर्वमिदं जगत्कारणभूतमेव नेदृशमिति। तस्य सामर्थ्यस्यांशान् गृहीत्वा त्वष्टा रचनकर्त्तेदं सकलं जगद्विदधत्। पनश्चेदं विश्वं रूपवत्त्वमेति। तदेव मर्त्यस्य मरणधर्मकस्य विश्वस्य मनुष्यस्यापि च रूपवत्त्वं भवति। ( आजानमग्रे) वेदाज्ञापनसमये परमात्माज्ञप्तवान् वेदरूपामाज्ञां दत्तवान् मनुष्याय- धर्मयुक्तेनैव सकामेन कर्मणा कर्मदेवत्वयुक्तं शरीरं धृत्वा विषयेन्द्रियसंयोगजन्यमिष्टं सुखं भवतु तथा निष्कामेन विज्ञानपरमं मोक्षाख्यं चेति।।१७।। भाषार्थ-(अद्भ्य: संभृत:०) उस परमेश्वर पुरुष ने पृथ्वी की उत्पत्ति के लिए जल से सारांश रस को ग्रहण करके ,पृथ्वी और अग्नि के परमाणुओं को मिला के पृथ्वी रची है । इसी प्रकार अग्नि के परमाणु के साथ जल के परमाणुओं को मिला के जल को, वायु के परमाणुओं के साथ अग्नि के परमाणुओं को मिला के अग्नि को और वायु के परमाणुओं से वायु को रचा है। वैसे ही अपने सामर्थ्य से आकाश को भी रचा है ,जो कि सब तत्वों के ठहरने का स्थान है। ईश्वर ने प्रकृति से लेके घास पर्यंत सब जगत को रचा है। 👉 इससे ये सब पदार्थ ईश्वर के रचे होने से उसका नाम विश्वकर्मा है। जब जगत उत्पन्न नहीं हुआ था ,तब वह ईश्वर के सामर्थ्य में कारण रूप से वर्तमान था। (तस्य०)जब जब ईश्वर अपने सामर्थ्य से इस कार्य रूप जगत को रचता है, तब-तब कार्य जगत रूप गुण वाला होके स्थूल बनके देखने में आता है। (तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे०) जब परमेश्वर ने मनुष्य शरीर आदि को रचा है , तब मनुष्य भी दिव्य कर्म करके देव कहाते हैं और जब ईश्वर की उपासना से विद्या, विज्ञान आदि अत्युत्तम गुणों को प्राप्त होते हैं, तब भी उन मनुष्यों का नाम देव होता है क्योंकि कर्म से उपासना और ज्ञान उत्तम है । इसमें ईश्वर की यह आज्ञा है कि जो मनुष्य उत्तम कर्म में शरीर आदि पदार्थों को चलाता है ,वह संसार में उत्तम सुख पाता है और जो परमेश्वर ही की प्राप्ति रूप मोक्ष की इच्छा करके उत्तम कर्म, उपासना और ज्ञान में पुरुषार्थ करता है, वह उत्तम देव होता है (ऋग्वेद वेद भाष्य भूमिका सृष्टि विद्या विषय अध्याय८ मंत्र१७) 🚩अखंड विश्वकर्मा ब्राह्मण महासभा कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण भारत वर्ष🚩 पंडित रामदरश शास्त्री रीवा मध्यप्रदेश 🙏 🙏ॐ नमो विश्वकर्मणे 🙏
जब टूटने लगें हौसले तो बस ये याद रखना, बिना मेहनत के हासिल तख्तो-ताज नहीं होते। ढूंड लेना अंधेरों में मंज़िल अपनी, जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।। 💖🌸💖🌸💖🌸💖🌸💖🌸💖🌸
*"धर्म" एक ऐसा शब्द है जिस पर यदि कोई टिका रहे तो संसार की कोई भी बुरी प्रवत्ति उस पर हावी नहीं हो सकती,क्युकी धर्म के पीछे सदैव ईश्वरीय शक्ति एवं मार्गदर्शन निहित रहता है🕉️💕।।* *जय सियाराम जी🚩🚩*
न तं विदाथ य इमा जजान अन्यद् युष्माकं अन्तरं बभूव। नीहारेण प्रावृता जल्प्या चासुतृप उक्थशासश्चरन्ति॥ - (ऋग्वेद - 10/82/7 , यजुर्वेद- 17/31) (मंत्र दृष्टा ऋषि - भौवन , मंत्र देवता - विश्वकर्मा) अर्थात - जिन ब्रह्म विश्वकर्मा ने उन सब प्राणियो को उत्पन्न किया था , उसे तुम नहीं जानते। तुम्हारा हृदय उस ब्रह्म परमात्मा को जानने की योग्यता नहीं रखता। उस विश्व - ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाले विश्वकर्मा परमात्मा को त्याग कर लोग अज्ञानता में पढ़कर अलग अलग व्याख्यान करते है, भोजन पकाते हुये तरह तरह की स्तुतियाँ करते है और स्वर्ग एवं मोक्ष पाने का मार्ग ढूँढते है। (अपितु , उस परमात्मा विश्वकर्मा को जानने के उपरांत और कुछ जानना शेष नहीं रह जाता। )
शास्त्रज्ञ विश्वकर्मा ऋग्वेद वैदिक परम्परा का श्री मुख है और ऋग्वेद में विश्वकर्मा ऋषि है, मंत्रद्रष्टा भी और देवता भी है।'ऋषयो मंत्रद्रष्टार:'श्रुतिवाक्योनुसार वेद मंत्रों का द्रष्टा या उनका साक्षात्कार करने वाला अथवा आध्यात्मिक तत्वों का द्रष्टा और प्रयोक्ता मंत्र द्रष्टा ऋषि कहलाता है। वेद मंत्रों का अनुभुतिजन्य तत्व दर्शन समझने वाले त्रिकालक्ष, दिव्य दृष्टि सम्पन्न परोक्ष दृष्टया को भी ऋषि कहते हैं। रत्न कोष के अनुसार ऋषि के सात प्रकार हैं __ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि,परमर्षि,काण्डर्षि,श्रुतर्षि, और राजर्षी उपनिषद में वर्णित है कि ऋषिगण जो आसक्ति से परे विशुद्ध अंत:करण वाले होते हैं,वे परमात्मा को प्राप्त हो कर ज्ञान से तृप्त और परमशान्त हो जाते हैं __संप्राप्यैनमृशयो ज्ञानतृप्ता:कृतात्मानो,वितरागा:प्रशान्ता: ।(मुण्डकोपनिषद _३,२,५) । गीता ५,२५में ऋषियों को 'सर्वभुत हितेरता: सभी प्राणियों के हित में रत रहने वाले को ऋषि कहा गया है, अमरकोश ३,७,४३ में 'ऋषय: सत्यवचस: सत्य वाणीधारक को ऋषि कहा गया है। वैदिक ऋषियों ने वेदों में न केवल विश्वकर्मा के देवत्व एवं विराट स्वरूप अपने प्रातिम चक्षु से दर्शन किया अपितु उसका ऋषित्व भी प्रतिपादित हुआ ,,, एक ऋषि के रूप में विश्वकर्मा का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद के दशम् मण्डल के दो सूक्त ८१ एवं ८२ के १४ मंत्रों का ऋषि 'भौवन विश्वकर्मा ' है और वही इन सुक्तों का देवता भी विश्वकर्मा ही है। यही १४ मंत्र यजुर्वेद के अध्याय १७ में मंत्र संख्या १७से३२ तक अति है। यजुर्वेद में १४ मंत्रों के अति दो और मंत्र हैं।इन मंत्रों के ऋषि और देवता विश्वकर्मा हैं। इन्हें विश्वकर्मा सुक्त सूक्त कहते हैं। इसी अध्याय _१७ के मंत्र ७८ का ऋषि विश्वकर्मा हैं। वैदिक ऋषि विश्वकर्मा को वैदिक 'देवता विश्वकर्मा 'के प्रति उपर्युक्त संदर्भित मंत्रों में व्यक्त विचार अद्भुत और अलौकिक है।इन मंत्रों में ' विश्वकर्मा देवता ' ऋग्वैदिक युग की सर्वोच्च दैवी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए उसके काम और नाम में साम्य परिलक्षित होता है क्योंकि वह देव,अदेव,जीव,जगत, पृथ्वी, जलवायु, सूर्य चंद्र आदि सभी का सृजन करता है। विशाल और वैविध्य पूर्ण जगत की तरह उसका विराट स्वरूप था। विश्वतचक्षुरुत विश्वतोमुख विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात्,सं बाहुम्यां धमति सं पतत्रैर्द्यावाभूमि जनयन देव एक: ।(ऋग्वेद १०,८१,३) पं गोपाल शर्मा पांचाल अखंड विश्वकर्मा ब्राह्मण महासभा अध्यक्ष यू पी,, रजिस्टर्ड सम्पूर्ण भारत ग्राम पचमा पोस्ट जमुई पंडित निचलौल जिला महराजगंज यू पी मोबाइल नं 7518554573 क्रमशः
सभी जरूरी मॉडल को तैयार करने वाले श्री विश्वकर्मा जयंती पर भारतीय मजदूर संघ"राष्ट्रीय श्रम दिवस"के रूप में मनाने आह्वान करते हैं, सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
Bahut sundar Katha 🙏🏽🚩
जय देव शिल्पी विश्वकर्मा भगवान♥️🌷🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
जय बाबा विश्वकर्मा भगवान जी नमो नमः 🕉️🌺🙏
जय श्री विश्वकर्मा
jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 prabhu
Jay vishwakarma bhagwan ki
JAIY VISHWAKARMA ❤
Jai Baba Vishwakarma ♥️♥️♥️
Jai baba vishwakarma 🙏🙏🙏...
Happy vishwakarma jayanti
Jai vishwakarma bhagwan
*देवाचार्यस्य महतो विश्वकर्मस्य धीमतः।*
*विश्वकर्मात्मजश्चैव विश्वकर्ममयः स्मृतः॥*
- (वायुपुराणम्/उत्तरार्धम्/अध्यायः 22, श्लोक - 20)
अर्थात - धीमान(श्रेष्ठ बुद्धि वाले) विश्वकर्मा बड़े-बड़े देवताओं के आचार्य (गुरु) हुए और उनके पुत्र भी उन्हीं के समान गुणों वाले हुए।
जीतेन्द्र विश्वकर्मा छतरपुर मप्र
🙏🚩💐💐
Jay baba Vishwakarma ji
*जय विश्वकर्मा महाराज की।।*
*जय श्री गणेश💗💗💗*
*जय श्री राम💗💗💗*
*ॐ नमः शिवाय💗💗💗*
Om jay shree bishow Karna baba ki jay
Yuej4j tbsp thirty-nine Virginia bimbo
जय विश्वकर्मा🙏🙏🙏🙏❤
Jay shri vishwakrma bhgwan ji
JAI VISHWAKARMA BABA
Jai viswakarma ji
Jai baba
जय हो विशकारम भागवान की जय हो 🙏
Nice song vishwakarma pooja Jay baba
🙏🙏Guru Maharajah Shiree Wishavkarma Ji Ke Charno Me Koti Koti Naman 🙏❤🙏
Jay shree viswakarma 🙏🚩
Vishwakarma bhagwan ki Jay
Jai shri vishwakarma bhagwaan 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🙏🚩🕉🚗
जहर का भी अजीब हिसाब है साहब
मरने के लिए थोड़ा सा और जीने के लिए बहुत सारा पीना पड़ता है
🍀⚘🍀⚘🍀⚘🍀
I love you
Best song
🙏🙏🙏🌹🌹जय बाबा विश्वकर्मा की जय हो🌹🌹🌹🙏🙏
BHOT GOOD HA
Ab viswakarma ke bina duniya nahi chalega jay jay jay viswakarma bhagwan ki jay sab par kripa karana prabhu
Nice
Vishwakarma sat sat pranamj🙏🙏🙏krupakarna
Vishwakarma sat. Sat. Pranamj . Krupakar
Nice song
विश्वकर्मा भगवान की जय 🌱👏👏👏👏👏👏👏👏👏
Jai vishwakarma shiv kumar netam
🙏 Happy 🙏🙏 Vishwakarma 🙏🙏 Jaintry 🙏
Meri bhawan ko koti koti namskar vishvakarma baba ki jay ho
ॐ सर्व जगत के उत्पन्न करता विराट विश्वकर्मा 🚩
🙏यजुर्वेद अध्याय ३१ मंत्र १७ का भाष्य 🙏
ॐ अद्भ्य: सम्भृत: पृथिव्यै रसाच्च विश्वकर्मण: समवर्त्तताग्रे। अस्य त्वष्टा विदधद्रुपमेति तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे।।
🚩भाष्यम् -(अद्भ्य:संभृत:०)
ॐ तेन पुरुषेण पृथिव्यै पृथिव्युत्पत्तर्थमद्भ्यो रस: संभृत: संगह्य तेन पृथिवी रचिता।
एवमग्निरसेनाग्ने: सकाशादाप उत्पादिता: ।
अग्निश्च वायो: सकाशाद्, वायुराकाशादुत्पादित:, आकाश: प्रकृते: ,प्रकृति: स्वसामर्थ्याच्च।
विश्वं सर्वं कर्म क्रियमाणमस्य स विश्वकर्मा, तस्य परमेश्वरस्य सामर्थ्यमध्ये कारणाख्येअग्रे सृष्टे: प्राग्जगत्समवर्त्तत वर्त्तमानमासीत्।
तदानीं सर्वमिदं जगत्कारणभूतमेव नेदृशमिति।
तस्य सामर्थ्यस्यांशान् गृहीत्वा त्वष्टा रचनकर्त्तेदं सकलं जगद्विदधत्। पनश्चेदं विश्वं रूपवत्त्वमेति।
तदेव मर्त्यस्य मरणधर्मकस्य विश्वस्य मनुष्यस्यापि च रूपवत्त्वं भवति। ( आजानमग्रे) वेदाज्ञापनसमये परमात्माज्ञप्तवान् वेदरूपामाज्ञां दत्तवान् मनुष्याय- धर्मयुक्तेनैव सकामेन कर्मणा कर्मदेवत्वयुक्तं शरीरं धृत्वा विषयेन्द्रियसंयोगजन्यमिष्टं सुखं भवतु तथा निष्कामेन विज्ञानपरमं मोक्षाख्यं चेति।।१७।।
भाषार्थ-(अद्भ्य: संभृत:०) उस परमेश्वर पुरुष ने पृथ्वी की उत्पत्ति के लिए जल से सारांश रस को ग्रहण करके ,पृथ्वी और अग्नि के परमाणुओं को मिला के पृथ्वी रची है । इसी प्रकार अग्नि के परमाणु के साथ जल के परमाणुओं को मिला के जल को, वायु के परमाणुओं के साथ अग्नि के परमाणुओं को मिला के अग्नि को और वायु के परमाणुओं से वायु को रचा है। वैसे ही अपने सामर्थ्य से आकाश को भी रचा है ,जो कि सब तत्वों के ठहरने का स्थान है। ईश्वर ने प्रकृति से लेके घास पर्यंत सब जगत को रचा है। 👉
इससे ये सब पदार्थ ईश्वर के रचे होने से उसका नाम विश्वकर्मा है।
जब जगत उत्पन्न नहीं हुआ था ,तब वह ईश्वर के सामर्थ्य में कारण रूप से वर्तमान था। (तस्य०)जब जब ईश्वर अपने सामर्थ्य से इस कार्य रूप जगत को रचता है, तब-तब कार्य जगत रूप गुण वाला होके स्थूल बनके देखने में आता है। (तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे०) जब परमेश्वर ने मनुष्य शरीर आदि को रचा है , तब मनुष्य भी दिव्य कर्म करके देव कहाते हैं और जब ईश्वर की उपासना से विद्या, विज्ञान आदि अत्युत्तम गुणों को प्राप्त होते हैं, तब भी उन मनुष्यों का नाम देव होता है क्योंकि कर्म से उपासना और ज्ञान उत्तम है । इसमें ईश्वर की यह आज्ञा है कि जो मनुष्य उत्तम कर्म में शरीर आदि पदार्थों को चलाता है ,वह संसार में उत्तम सुख पाता है और जो परमेश्वर ही की प्राप्ति रूप मोक्ष की इच्छा करके उत्तम कर्म, उपासना और ज्ञान में पुरुषार्थ करता है, वह उत्तम देव होता है
(ऋग्वेद वेद भाष्य भूमिका सृष्टि विद्या विषय अध्याय८ मंत्र१७)
🚩अखंड विश्वकर्मा ब्राह्मण महासभा कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण भारत वर्ष🚩
पंडित रामदरश शास्त्री रीवा मध्यप्रदेश 🙏
🙏ॐ नमो विश्वकर्मणे 🙏
jai ho bishwakarma may baba bless all of us plzz🙏🏻🙏🏻🤲🏻🤲🏻❤️❤️😇😇
Il
Happy vishwakarma pooja🙏🙏🙏
Nice 🙏🙏🙏♥️
🙏🙏🙏🙏🙏 nice song
Good
Jaiii Shri Viskarma Ji Maharaj 📿🌺🌹🐚🐚🙏🏻🙏🏻💕🎸
Nice video 😊😊
Vishkarma ki jai
🙏🙏🙏
Vishwakarma Bhagwan
Jay baba vishwakarma Ji ki jay ho 💐🏵️💐🙏🙏🙏🌹🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🙏❤️❤️
Prince vishwkarama 🙏🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍👍 good morning beautiful
जब टूटने लगें हौसले तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो-ताज नहीं होते।
ढूंड लेना अंधेरों में मंज़िल अपनी,
जुगनू कभी रोशनी के मोहताज़ नहीं होते।।
💖🌸💖🌸💖🌸💖🌸💖🌸💖🌸
Om namah shivaya
*"धर्म" एक ऐसा शब्द है जिस पर यदि कोई टिका रहे तो संसार की कोई भी बुरी प्रवत्ति उस पर हावी नहीं हो सकती,क्युकी धर्म के पीछे सदैव ईश्वरीय शक्ति एवं मार्गदर्शन निहित रहता है🕉️💕।।*
*जय सियाराम जी🚩🚩*
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संस्कारों से बड़ी कोई वसीयत नहीं,
ईमानदारी से बड़ी कोई विरासत नहीं..!!
🙏🏼🌻🙏🌻🙏🌻🙏🌻🙏🌻🙏🌻
Deepak
Mr
Jai Shri Vishwakarma ji thank you thank you thank you so much dearest universe 🙏💕❤️
जय बाबा विश्वकर्मा
Nice
good morning👍
Nice looking
So sweet 💕💕💕💕😊😊😊😊😊😊💖💖💖💖🥺🥺🥺🥺
Happy vishkarma puja
इस दुनिया में छाई है.
आपकी ही सुंदर रचना
सुख और दुख में नाम
आपका हरदम जपना।
विश्वकर्मा पूजा 2021
की हार्दिक शुभकामनाएं
🙏🙏🙏🙏🙏
RR 5 in my. ,j
WoW
@@kamladevijindal2067 b
Gang T28
Nice voice
Jai ho vishwakarma bhagwan 🙏🙏 ki jai ho
👹💞🌹
Good morning hii
Jai viskarma bhawan ki jai ho🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌😃😃
Super Mario Bhajan
Gurujiramramji
Baba bissokarma Pauma chhu bd
Nice 💌❤️❤️💓💞
🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌷🌹🌺
🙏🙏🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
Kirkpaakaro hy babaa
न तं विदाथ य इमा जजान अन्यद् युष्माकं अन्तरं बभूव।
नीहारेण प्रावृता जल्प्या चासुतृप उक्थशासश्चरन्ति॥
- (ऋग्वेद - 10/82/7 , यजुर्वेद- 17/31)
(मंत्र दृष्टा ऋषि - भौवन , मंत्र देवता - विश्वकर्मा)
अर्थात - जिन ब्रह्म विश्वकर्मा ने उन सब प्राणियो को उत्पन्न किया था , उसे तुम नहीं जानते। तुम्हारा हृदय उस ब्रह्म परमात्मा को जानने की योग्यता नहीं रखता। उस विश्व - ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाले विश्वकर्मा परमात्मा को त्याग कर लोग अज्ञानता में पढ़कर अलग अलग व्याख्यान करते है, भोजन पकाते हुये तरह तरह की स्तुतियाँ करते है और स्वर्ग एवं मोक्ष पाने का मार्ग ढूँढते है। (अपितु , उस परमात्मा विश्वकर्मा को जानने के उपरांत और कुछ जानना शेष नहीं रह जाता। )
🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺
J wisakaram ji ki j
Main aapka bahut Kone Gar hun Vishkarma ji Lakshman Ke layak Bhi Nahin hun Mere andar ki negative Gandi Buri Aatma ko khatm kar do 🙏🙏
शास्त्रज्ञ विश्वकर्मा
ऋग्वेद वैदिक परम्परा का श्री मुख है और ऋग्वेद में विश्वकर्मा ऋषि है, मंत्रद्रष्टा भी और देवता भी है।'ऋषयो मंत्रद्रष्टार:'श्रुतिवाक्योनुसार वेद मंत्रों का द्रष्टा या उनका साक्षात्कार करने वाला अथवा आध्यात्मिक तत्वों का द्रष्टा और प्रयोक्ता मंत्र द्रष्टा ऋषि कहलाता है। वेद मंत्रों का अनुभुतिजन्य तत्व दर्शन समझने वाले त्रिकालक्ष, दिव्य दृष्टि सम्पन्न परोक्ष दृष्टया को भी ऋषि कहते हैं। रत्न कोष के अनुसार ऋषि के सात प्रकार हैं __ब्रह्मर्षि, देवर्षि, महर्षि,परमर्षि,काण्डर्षि,श्रुतर्षि, और राजर्षी उपनिषद में वर्णित है कि ऋषिगण जो आसक्ति से परे विशुद्ध अंत:करण वाले होते हैं,वे परमात्मा को प्राप्त हो कर ज्ञान से तृप्त और परमशान्त हो जाते हैं __संप्राप्यैनमृशयो ज्ञानतृप्ता:कृतात्मानो,वितरागा:प्रशान्ता: ।(मुण्डकोपनिषद _३,२,५) । गीता ५,२५में ऋषियों को 'सर्वभुत हितेरता: सभी प्राणियों के हित में रत रहने वाले को ऋषि कहा गया है, अमरकोश ३,७,४३ में 'ऋषय: सत्यवचस: सत्य वाणीधारक को ऋषि कहा गया है।
वैदिक ऋषियों ने वेदों में न केवल विश्वकर्मा के देवत्व एवं विराट स्वरूप अपने प्रातिम चक्षु से दर्शन किया अपितु उसका ऋषित्व भी प्रतिपादित हुआ ,,, एक ऋषि के रूप में विश्वकर्मा का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। ऋग्वेद के दशम् मण्डल के दो सूक्त ८१ एवं ८२ के १४ मंत्रों का ऋषि 'भौवन विश्वकर्मा ' है और वही इन सुक्तों का देवता भी विश्वकर्मा ही है। यही १४ मंत्र यजुर्वेद के अध्याय १७ में मंत्र संख्या १७से३२ तक अति है। यजुर्वेद में १४ मंत्रों के अति दो और मंत्र हैं।इन मंत्रों के ऋषि और देवता विश्वकर्मा हैं। इन्हें विश्वकर्मा सुक्त सूक्त कहते हैं। इसी अध्याय _१७ के मंत्र ७८ का ऋषि विश्वकर्मा हैं।
वैदिक ऋषि विश्वकर्मा को वैदिक 'देवता विश्वकर्मा 'के प्रति उपर्युक्त संदर्भित मंत्रों में व्यक्त विचार अद्भुत और अलौकिक है।इन मंत्रों में ' विश्वकर्मा देवता ' ऋग्वैदिक युग की सर्वोच्च दैवी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए उसके काम और नाम में साम्य परिलक्षित होता है क्योंकि वह देव,अदेव,जीव,जगत, पृथ्वी, जलवायु, सूर्य चंद्र आदि सभी का सृजन करता है। विशाल और वैविध्य पूर्ण जगत की तरह उसका विराट स्वरूप था।
विश्वतचक्षुरुत विश्वतोमुख विश्वतोबाहुरुत विश्वतस्पात्,सं बाहुम्यां धमति सं पतत्रैर्द्यावाभूमि जनयन देव एक: ।(ऋग्वेद १०,८१,३)
पं गोपाल शर्मा पांचाल
अखंड विश्वकर्मा ब्राह्मण महासभा अध्यक्ष यू पी,, रजिस्टर्ड सम्पूर्ण भारत
ग्राम पचमा पोस्ट जमुई पंडित निचलौल जिला महराजगंज यू पी
मोबाइल नं 7518554573
क्रमशः
Vishvakarma Bhagwan ji Ki Jai 🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙏🙇🙇🙇🙇🙇🙇
Hfritop
Vyavastha yykjfjl
🙏🙏 जय विश्वकर्मा भगवान जी की जय 🙏🙏
HEMRAJ. MANDAVI. HU. GAV. HATKA. CHARAMA. TAHSIL. NARHARPUR. JILA. UTAR. BSTAR. KANKER. STED. CHHATTISHGARHI. JAI. BHARAT. JAI. HINDUSTAN.. JAI. VISWKARMA.. BHAGVAN.. JAI. HO.
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💘💘💘💘🌹🌹🌹🌹🌹nice
Supap
HEMRAJ. MANDAVI. HUGAV. HATKA. CHARAMA. TAHSIL. NARHARUR. JILA. UTAR. BSTAR. KANKER. STED. CHATISHGARHI. JAI. BHARAT. JAI. HINDUSTAN.. JAI. VISWAKARMA. BHAGVAN. JAI. HO.
Ranju kumari
आप सभी देशवासियों को श्री विश्वकर्मा पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं🌤🔱
WV
सभी जरूरी मॉडल को तैयार करने वाले श्री विश्वकर्मा जयंती पर भारतीय मजदूर संघ"राष्ट्रीय श्रम दिवस"के रूप में मनाने आह्वान करते हैं, सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं
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Good
🙏🙏🙏🙏🙏
Tumko Na Kahan se aayi Ho
Harshkumar
Hi
Haiii
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A , k
Bishakarma ka puja karke ks ika galat mat karna
Jay Ho Vishwakarma ji🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Vishwkarma Bhagwan ki jai Ho 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai vishwakarma jai Angira rishi jai parshuram
Jay shree vishwakarma ji ki 🙏🙏 koti koti pranam 🙏🙏
Jay baba Vishwakarma
Jai Shri Vishwakarma bhagwan
श्री विश्वकर्मा जी भगवान की जय
Baba vishwakarmaji ki jay