||MATA SURKANDA DEVI TEMPLE ||TEMPLE TREK ||TEHRI - DHANAULTI - UTTARAKHAND ||
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.พ. 2025
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पौराणिक कथाओ के अनुसार सती माता राजा दक्ष की पुत्री थी जिनका प्रेम विवाह शिव भगवान से हुआ । दक्ष प्रजापति ने एक भवय यज्ञ करवाया । उसस यज्ञ में ब्रह्मा , विष्णु , इंद्र और अन्य सभी देवी - देवताओं को आमंत्रित किया गया , लेकिन जान - बूझकर भगवान शिव को नहीं बुलाया । शंकरजी की पत्नी और दक्ष की पुत्री सती पिता द्वारा आमंत्रण न दिए जाने पर और शंकरजी के रोकने पर भी यज्ञ में चली गईं । यज्ञ - स्थल पर सती ने अपने पिता दक्ष से शंकर जी को आमंत्रित न करने का कारण पूछा और पिता से उग्र विरोध प्रकट किया । इस पर दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया । इस अपमान से पीड़ित हुई सती माता ने अपने शरीर को अग्नि में समर्पित किया । भगवान शंकर जब वहा प्रकट हुए तो क्रोध में आकर उन्होंने राजा दक्ष का सर धड़ से अलग किया । भगवान शंकर ने सती माता के जलते हुए शरीर को उठाकर पुरे भ्रह्मांड में घूमने लगे । सम्पूर्ण विश्व को प्रलय से बचाने के लिए जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु ने चक्र से सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से विखंडित किया दिया । । सती माता के शरीर के अंग धरती पर जहा जहा गिरे वह स्थान शक्तिपीठ कहलाए । 51 शक्तिपीठ में से ये प्रथम शक्तिपीठ कहलाता है । सुरकुट पर्वत में माता सती के सिर का अंश गिरा , इसलिए यहाँ का नाम सुरकंडा या सिरकंडा पड़ा । सुरकंडा देवी धनौल्टी से लगभग 6km , मसूरी से 33km , और देहरादून से 70km दूर है । इस जगह की ऊंचाई समुद्र तल से 2750m है । दोस्तों अगर आप धनौल्टी में घूमने के लिए आते हो तो आप सुरकंडा देवी मंदिर के दर्शन करने भी जरूर आये माँ सुरकंडा देवी आपकी हर मनोकामना पूर्ण करे । जय माँ सुरकंडा देवी । Follow Us :
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