दफन हो गई हथुआ चीनी मिल के चालू होने की आस ll Hathwa Sugar Factory Bihar
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- เผยแพร่เมื่อ 6 ก.พ. 2025
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गोपालगंज का हथुआ चीनी मिल 1996-97 सत्र में गन्ने की पेराई से बंद पड़ा है। इस चीनी मिल को दोबारा चालू करने के लिए प्रदेश की नीतीश सरकार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने दावे किए। बावजूद इसके गोपालगंज का यह हथुआ चीनी मिल आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। गोपालगंज की चार चीनी मिलों में से वर्तमान में सिर्फ तीन ही चीनी मिल चालू हैं। जबकि मीरगंज स्थित हथुआ चीनी मिल सरकारी उदासीनता से पिछले 23 सालों से बंद पड़ा है।
विदेशाें में भेजी जाती थी चीनी
हथुआ चीनी मिल बिहार का पहला ऐसा चीनी मिल था, जिसकी चीनी विदेशों में निर्यात की जाती थी। देश की उत्कृष्ट चीनी उत्पादन में से एक गोपालगंज का हथुआ चीनी मिल के भवन अब खंडहर में तब्दील होने लगे हैं। इस मिल के सभी कलपुर्जों में अब जंग लग गया है। यह जंग सिर्फ चीनी मिल के मशीनों में नहीं लगा,बल्कि मिल के कर्मियों की जिंदगी में भी गहराई तक पहुंच चुका है। वेतन के अभाव मे कई बीमार कर्मियों की मौत हो चुकी है और जो जिंदा हैं वे अब भी इस मिल के दोबारा शुरू होने की आस लगाए हुए हैं। उनका मानना है कि मिल के दोबारा शुरू होने से बदहाली के कगार पर पहुंच गए इन परिवार और गन्ना किसानों का कुछ भला हो सके।
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Bro
O ho ye kya ho gya
Isme papa kam karte the mere Lalu yadav ne to pura chaupat Diya
सरकार के गलत नीतियों के कारण ये सभी फैक्ट्रिया बंद हो गयी