मेरे देश की ऑंखें

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  • เผยแพร่เมื่อ 28 ส.ค. 2024
  • वागर्थ की विशेष प्रस्तुति :
    रचना : मेरे देश की ऑंखें
    रचनाकार : अज्ञेय
    रचना पाठ : शुभ्रास्था
    ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु
    वाद्य साभार : श्रीवाणी, प्रशेख एवं अभिषेक बोरकर
    दृश्य संयोजन एवं संपादन : उपमा ऋचा
    प्रस्तुति : वागर्थ,भारतीय भाषा परिषद्

ความคิดเห็น • 6

  • @jranddarsana1374
    @jranddarsana1374 2 ปีที่แล้ว +2

    Very beautiful images and haunting words. 🙏🏽

  • @sanjayjaiswal2248
    @sanjayjaiswal2248 2 ปีที่แล้ว +2

    अच्छी कविता की प्रभावी प्रस्तुति।जो हम नहीं देख पा रहे हैं, वह कवि की आंखें देख रही हैं।हमें कम से कम सुन जरूर लेना चाहिए।आजादी के अमृत महोत्सव के दौर में यह समझदार और यथार्थपूर्ण हस्तक्षेप है।वागर्थ की पूरी टीम को बधाई।

  • @neha1661
    @neha1661 2 ปีที่แล้ว +3

    बहुत खूब ❤❤❤🙏

  • @anjalisharma-gf8os
    @anjalisharma-gf8os 2 ปีที่แล้ว +1

    Baught hee sunder prastuti....
    Satya.....sunder rakhna..

  • @neetaanamika3536
    @neetaanamika3536 2 ปีที่แล้ว +2

    बहुत खूब!!!

  • @riya2775
    @riya2775 2 ปีที่แล้ว +1

    👌👌❤️❤️