परमात्मा को कैसे प्राप्त करें

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  • เผยแพร่เมื่อ 31 ธ.ค. 2022
  • परमात्मा को कैसे प्राप्त करें
    जब जब भी हम प्रयास करके परमात्मा को पाना चाहते हैं हम उस से विमुख हो जाते हैं , हमसे दूर हो जाते हैं। हम उसके सम्मुख नहीं होते। परमात्मा का पहला गुण है समानता। वह सबके लिए समान है, जब वह सबके लिए समान है तो असमान तरीके से कभी नहीं मिलेगा। प्रयास सब के असमान होते हैं किसी के कम होते हैं किसी के ज्यादा होते है क्योंकि वे कण अकण सबके लिए समान है तो फिर किस तरह से आपको प्रयास से मिल सकता है, हर जीव का प्रयास अलग अलग होता है इसीलिए परमात्मा कभी भी ढूंढने से नहीं मिलेगा। किसी भी दिशा में ढूंढ लीजिए किसी के पास जाकर ढूंढ लीजिए, चाहे अंदर ढूंढ लीजिए चाहे बाहर ढूंढ लीजिए चाहे कितना ध्यान लगा लीजिए। चाहे जितना अध्ययन कर लीजिए चाहे अच्छे-अच्छे एक्सपर्ट्स के पास जा कर बैठ जाइए, लेकिन आपको भगवान नहीं मिलेगा आपको परमात्मा नहीं मिलेगा परमात्मा ऐसे नहीं मिलता तो आप उसे बाहर ढूंढोगे उसे अंदर ढूंढोगे परमात्मा मिलता है अपनी सभी खोजों को विराम दे देने के बाद। कई लोगों को लगता है के परमात्मा जो अध्यात्म जगत से जुड़े हैं , जो ग्रंथों को पढ़ते हैं, जो किसी ज्ञानी की शरण में है उनको परमात्मा मिलेगा और वही परमात्मा को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन यह गलत है। ऐसा कोई जीव नहीं अनंत सृष्टि में जो परमात्मा को ढूंढ ना रहा हो जाने-अनजाने में सब परमात्मा को ही ढूंढ रहे हैं। कोई धन में ढूंढ रहा है कोई अपने जीवन की सफलताओं में ढूंढ रहा है। सब को शांति चाहिए सब कुछ विश्राम चाहिए और अमर विश्राम ही तो परमात्मा है। अमर शांति ही तो परमात्मा है जिसके बाद अशांत ना हुआ जाए। और मन हमेशा शांत अशांत शांत अशांत होता रहता है, इसलिए वह कभी भी विश्राम की अवस्था में नहीं आ सकता, इसलिए यदि कोई सोचे कि परमात्मा को कुछ एक पार्टिकुलर लोक या कोई पार्टीकुलर ग्रुप ही ढूंढ रहा है तो वह उनकी गलती है। हर कोई परमात्मा को ढूंढ रहा है और ढूंढने की वजह से ही वह किसी को नहीं मिलता। कोई बेहद मेहनत कर रहा है धन दौलत कमाने के लिए कि धन कमा उसको शांति प्राप्त हो जाएगी। वो धन दौलत कमाने को ही परमात्मा मिलने जैसा समझ रहा है, वह अनजाने में ऐसा समझ रहा है लेकिन ढूंढ वह भी रहा है। हर व्यक्ति परमात्मा को ढूंढ रहा है। इसलिए इस अहंकार में तो मत रहिए कि जो खोजी है जो वहुत समय से किसी की शरण में है किसी ज्ञान में है हम बहुत विद्वान हैं, अपने आप को जितना महान और विद्वान समझोगे उतना ही परमात्मा से दूर चले जाते रहोगे। परमात्मा के लिए सब समान है। वो समानता से ही मिलेगा वह प्रयास से कभी नहीं मिलेगा। आप जब खोजने की बात अपने मन में कभी ध्यान लगाते हो कभी पूजा-पाठ करते हो जितने भी प्रयोग आप परमात्मा को पाने के लिए करते हो इससे अभी तक आपको परमात्मा नहीं मिला है केवल परमात्मा के नाम पर आप अपने आप को प्रताड़ित कर रहे हैं। अपना खुद का शोषण आप कर रहे हैं, परमात्मा बड़ी सहजता से मिलता है, बड़ी आसानी से बड़ी सरलता से।

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