हम सभी आत्मा के पाँचों स्वरूपों की स्मृति कर निरंतर याद में रहने का अभ्यास करते हैं... 1...अनादि स्वरूप... मैं आत्मा ज्योति बिंदु स्वरूप चमकती ज्योति हूँ.. Point of light.. निराकारी स्वरूप में अविनाशी.. कर्मातीत.. आत्मा हूँ.. अजर..अमर.. अविनाशी ज्योतिबिन्दु स्वरूप निराकारी आत्मा..अनादि काल से परमधाम में परमपितापरमात्मा शिव पिता के समीप रहने वाली पद्मापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ.. मेरे पिता बिंदु में सिंधु है.. सागर, हैं.. जो शान्त स्वरूप, शान्ति धाम, परम धाम के निवासी हैं.. जन्म मरण से न्यारे.. शान्ति के सागर हैं..मैं आत्मा उनकी संतान हूँ.. 84 जन्मों का पार्ट अदा करने वाली आत्मा हूँ.. बाबा.. ज्ञान के प्रकाश समान तेजोमई ज्ञान के सागर, संर्पूण पावन.. पवित्रता के सागर, प्रेम के सागर, शान्ति के सागर, सुख के सागर, आन्नद के सागर और सर्व शक्तिमान.. शक्तियों के सागर हैं...मैं आत्मा उन्हीं की संतान मास्टर ज्ञान स्वरूप, पवित्र स्वरूप, प्रेम स्वरूप, शान्त स्वरूप, सुख स्वरूप, आन्नद स्वरूप और मास्टर सर्व शक्तिमान.. शक्ति स्वरूप.. बाप समान आत्मा हूँ.. मुझ से गुणों और शक्तियों की किरणें चारों और फैल रही हैं.. मैं परमधाम में मुक्त अवस्था में ज्ञान सूर्य के सम्मुख हूँ.. चारों तरफ लाल रंग का प्रकाश.. शान्ति ही शान्ति.. परमानंन्द.. साईलेंन्स.. पवित्र वातावरण..वाईब्रेशन... {अपने आप को आत्मिक स्वरूप में देखें और अनुभूति करें..}..
Aahn ji mera athma ka sacha sathya phehle phehle swarnima madhathgar ishwariya pariwar ka phranh phyare sabh bhraman parista so devata athmahonko adhariniya phranh phyare didi jaan ji ko huparwala kuda parama pavitra parama pujya parama shresta phranh phyare pita paramapita paramathma shantidaam bhramandha nirvanadaam muktidaam paramadhama nivaasi Incorporeal invisible shining light shiva baapdada ka parama pavitra parama pujya parama shresta phranh phyare auladh ka tarabhse baghawan apka ishwariya pariwar ka phranh phyare auladh ka tarabhse purushotam sangham yugh ka janmonka sangham yugh ka advance sathya yugh ka kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti pranamh bhahuth yaadh phyer meeta meeta namaste namaste sukhriya sukhriya sukhriya sukhriya sukhriya sukhriya karthahu ji sabhko shubhodhaya shubha subhrabath sabhko shubh kaman shubh Bhavan rakhnewali mai athma nirakari nirvikari nirahankari ajaar amaar avinashi ek choti se choti chamakte huwa sitare adhi anadhi pujya sanatan devi devata athmahonko dharm ki pratham rajkumar anewale sathya yugh ka pratham rajkumar pratham rajkumar fourth coming daimonnd aged golden aged peaceful royal highness aged first daimonnd golden peaceful royal highness highest holiest richest healthiest wealthiest greatest good great richest colourful peacefulll fearless gorgeous emperor's love letter godlywood dreams godlywood first preference precious family members emperor and empress families until all the ages until our souls all heavenly precious births this is your precious kid's soul's emperor's love letter godlywood dreams come true as soon as possible.my goodness my soul's first heavenly ancestors we are carefully care for your precious all heavenly precious care until all the ages until our souls all heavenly precious births this is your precious kid's soul's emperor's love letter...om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti
Thank you sister...now I'm very clear.. this is what I was searching for ...the real use of 5 swaroop...i was previously doing it hypothetically..but now I'm clear about it...thank you very much....you helped me ..this was very useful information...shiv baba bless you..om Shanti
2...आदि स्वरूप... मैं आत्मा ही डबल सिरताज अधिकारी आत्मा पवित्रता का ताज व रत्न जड़ित हीरे मोतियों की ताजधारी आत्मा हूँ.. स्वराज्य अधिकारी विश्व महाराजन..महारानी.. प्रकृति के पांचों तत्वों पर राज्य करती प्रकृतिजीत आत्मा.. पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि, वायु मुझ आत्मा के अघीन, न बाढ़, न भूकंप,न आंधी-तूफान, न तेज बारिश.. नदियां शान्त, हवा शान्त, प्रकृति शान्त.. सर्व गुण संम्पन्न..सोलह कला संपूर्ण.. संपूर्ण र्निविकारी.. मर्यादा पुरुषोत्तम.. डबल अहींसक.. अहिंसा परमो दैवी देवता धर्म.. की आत्मा.. सतयुगी सृष्टी में श्रीलक्ष्मी श्रीनारायण.. श्रीराधा श्रीकृष्ण हूँ.. स्वंवर के बाद ही राधा कृष्ण.. लक्ष्मी नारायण बनते हैं.. कर्म-ईन्द्रीयजीत..संपूर्ण निरविकारी.. निरअहंकारी.. पाँचों तत्वों व पाँचों विकारों पर जीत पाने वाली स्वराज्य अधिकारी और मास्टर विश्वनाथ.. विश्वराज्य अधिकारी.. श्रेष्ठ आत्मा हूँ.. जिसके संकल्पों में, वचन में और कर्म में श्रेष्ठता.. सदैव अकर्म का खाता बनाती आत्मा हूँ.. मंसा.. वाचा.. कर्मणा एक समान..प्रत्येक आत्मा के प्रति शुभभावना व शुभ कामना..युक्ति युक्त पावन दृष्टि..वृति.. जिसके फलस्वरूप लम्बी आयु.. निरोगी तन होगा.. जहां अकाले मृत्यु होती ही नहीं.. रोग आदि होते ही नहीं.. सदा स्वस्थ शरीर.. अतिईन्द्रीय सुख.. और आन्नद के झूले में झूलती आत्मा हूँ.. संपूर्ण, सर्वगुण सम्पन्न आत्मा हूँ.. शक्ति स्वरूप.. मास्टर सर्व शक्तिमान.. अप्रयाप्त नहीं कुछ भी देवी देवताओं के खजाने में.. प्रालब्ध प्राप्त करती भरपूर व संपूर्ण..इस साकार सतयुगी सृष्टी.. देवकुल में जन्म लेने वाली सतयुग के पहले जन्म से त्रेता के अंत तक श्री लक्ष्मीनारायण के राज्य में विश्व पर राजाई करने वाली डबल ताजधारी आत्मा हूँ.. रतन जड़ित महलों में रहने वाली. रत्नों से भरपूर सिंहासन पर विराजमान हूँ.. सम्पूर्ण हेल्दी-वेल्दी और हेप्पी हूँ.. मैं देवता बेहद सुन्दर दिव्य शरीर धारी हूँ.. पुष्पक विमानों से सैर करने वाली.. प्रकृति से प्राप्त अत्यंत रसीले फलों.. शुभी रस का आनंद लेने वाली.. सम्पूर्ण सुखों से भरपूर आत्मा हूँ... { अपने आप को देवता स्वरूप में देखें और अनुभव करें..}... 3...पूज्य स्वरूप... मैं आत्मा ही.. मंदिरों में मूर्ति रूप में विराजमान.. विध्न विनाशक, बुद्धि दाता रहमदिल.. रिद्धि सिद्धि स्वरूप.. गणेश.. अष्ट शक्ति स्वरूप..अष्ट भुजाधारी मां दुर्गा.. के विभिन्न देवियों के रूप में हूँ.. संकट हरण.. संकट मोचन हनुमान हूँ.. लक्ष्मी नारायण हूँ.. सामने हजारों भक्त विभिन्न कामनाओं को ले खड़े हैं..सभी के विध्न नष्ट हो रहे हैं, सब जय-जय कार कर रहें हैं.. मैं आत्मा सर्व आत्माओं को मूर्ति रूप में सर्व गुणों ओर शक्तियों का अनुभव कराती हूँ.. नौंधा भक्ति करने वाली मनुश्य आत्माओं को बाबा हम मूर्ति रूप आत्माओं का ही साक्षात्कार कराते हैं... मैं द्वापर से कलयुग के अंत तक पूज्य स्वरूप में हूँ.. भक्त-जन मेरे जड़ चित्रों व मूर्तियों की पूजा करने हेतु मेरे विशाल मंदिरों के बाहर लाइन में खड़े हो मेरे दर्शनों के लिए तरस रहे हैं.. विभिन्न पूजन सामग्री के साथ श्रद्धा से मेरी प्रतिमा की पूजा कर रहे हैं.. मेरे नाम के कीर्तन कर रहे हैं.. 56 भोग अर्पित कर रहे हैं.. मैं पूज्य अपने जड़ चित्रों व मूर्तियों के माध्यम से वरदानी मुद्रा में उन्हें आर्शीर्वाद दे रही हूँ... दुआएं दे रही हूँ.. वरदान दे रही हूँ.. साकाश दे रही हूँ.. वर्षा दे रही हूँ.. परमात्म ईश्वरीय शक्तियों के द्वारा उनकी मनोकामनायें पूर्ण कर रही हूँ... {आपने आप को पूज्य स्वरूप में देखें और अनुभव करें.. }...
4...संग.म युगी ब्रहामण स्वरूप... मैं आत्मा ही संगम युगी श्रेष्ठ आत्मा हूँ.. मुझे स्वयं भगवान ने चुना है.. बाबा का साथ..हाथ..आज मेरे साथ है..बाबा मुझ आत्मा को संपूर्ण ज्ञान आदि, मध्य और अंत का, संस्कारों का, सृष्टि चक्र का.. बाप, टीचर और सतगुरू के रूप में.. सतयुगी सृष्टि के लिए लक्ष्मी नारायण बनाने के लिये दे रहा है.. सर्व गुणों से भरपूर सम्पन्न बना कर बाबा मुझ में धैर्यता व अंर्तमुख्ता से सामना कर संयमित हो समाने की.. उस विस्तार को संर्कीण कर सर्व के सहयोग सेे वस्तु.. स्तिथि को परख.. सकारात्मक निर्णय द्वारा समेटने की शक्ति प्रदान कर मास्टर सर्व शक्तिमान बना रहा है.. समय और शक्तियों का संतुलन रख प्रवृति में रहते पवित्र कर्मयोगी, सहज योगी..सर्व राज को जानने वाला राज योगी बना रहा है.. मैं ही परमात्म पालना में पलने वाली, सर्व गुणों व शक्तियों से भरपूर.. मास्टर सर्व शक्तिमान, भाग्यवान, विजयी रत्न आत्मा हूँ.. वाह.. बाबा वाह.. कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भगवान इतने समीप आ मेरा हो जायेगा..उसने मुझ वरदान दिये हैं..अखूट खजानों से सम्पन्न कर दिया है.. मैं कल्याणकारी संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा हूँ.. शिव बाबा का इस धरा पर कलयुग के अंत के भी अंत समय पर दिव्य आलौकिक अवतरण हुआ.. ब्रह्मा बाप के मुख कमल द्वारा हम बच्चों को ब्राह्मण रूप में एडॉप्ट किया है.. उच्च चोटी के ब्राह्मण रूप में हमारा यह नया जन्म है.. हम बच्चे इस संगम पर ही शिव बाबा से डायरेक्ट मिलन मनाते हैं.. शिव बाबा से इश्वरीय ज्ञान प्राप्त करते हैं.. शिव बाबा से मिली श्रीमत पर चलते हैं.. इस ज्ञान और श्रीमत को अपने जीवन में धारण करते हैं.. अपने को आत्मा समझ देही अभिमानी बन एक बाप परमात्मा को याद कर 63 जन्मों के पाप को समाप्त करने का सफल पुरषार्थ करते हैं.. निश्चय बुद्धि बन तीव्र- पुरषार्थ कर कर्मातीत अवस्था तक पहुंच जाते हैं... {अपने आप को तीव्र पुरषार्थी-ब्राह्मण स्वरूप में देखें और अनुभव करें.. }... 5...फरिश्ता स्वरूप... मैं आत्मा अब बाबा द्वारा ज्ञान, गुणों, शक्तियों की प्राप्ति व धारणा से कर्मातीत.. कर्म-ईन्द्रीयजीत हो डबल लाईट व माईट स्वरूप बन संर्पूणता की स्तिथि.. उड़ता फरिश्ता हूँ.. बाबा की संपूर्ण किरणें मुझ पर पड़ रही हैं.. इस देह और देह के सर्व संबंधियों, संबंधों, संस्कार व पदार्थों से मेरा कोई रिश्ता नहीं है..सिर्फ एक बाबा.. दूजा न कोई.. मैं आत्मा देही अभिमानी, विदेही, अशरीरी.. अवस्था का अनुभव करते करते..मैं लाईट स्वरूप में हल्का हो अपनी चमकीली ड्रेस में फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो गई हूँ.. सर्व आत्माओं को साक्षी दृष्टा बन लाईट और माईट प्रदान कर रही हूँ.. कितना हल्कापन महसूस हो रहा है.. मैं आत्मा बाबा से किरणें ले कर सर्व मनुश्य आत्माओं और प्रकृति के पाँचों तत्वों को बाबा की लाईट व माईट द्वारा शान्ति और शक्ति का वाईब्रेशन दे रही हूँ... आदि देव स्वरूप.. आकारी स्वरूप.. लाइट का सूक्ष्म शरीर.. हर बंधन से सर्वदा मुक्त.. हर सम्बन्ध से मुक्त.. हर चीज वस्तुओं व स्थान बंधन से भी मुक्त हूँ.. इस धरती के स्पर्श से भी मुक्त हूँ.. मुक्ति और जीवन मुक्ति के लिये मैं दिन में कई बार इस स्वरूप में सूक्ष्म वतन में जाकर बापदादा से विजयी तिलक लगवाकर.. वरदानों से झोली भरकर.. 63 जन्मों के पाप भस्म कर सफलतापूर्वक ड्रिल करती हूँ.. साथ..साथ.. विश्व सकाश देने के लिए फरिश्ता स्वरूप में पृथ्वी ग्लोब के उपर स्थित होकर शिव बाबा से सर्व गुणों व कल्याणकारी शक्तियां ले सम्पन्न बन फिर इन किरणों को पृथ्वी पर वाईब्रेशन्स द्वारा सकाश देने की सेवा करती हूँ.. दुखी, अशान्त, रोगी आत्माओं को.. प्रकति के पांचो तत्वों को.. पृथ्वी को वाईब्रेशन.. सकाश.. देने की सेवा करती हूँ... {अपने आप को सदैव फरिश्ता स्वरूप में देखें और अनुभव करें.. }.. ओम् शान्ति..शान्ति..शान्ति...
Aanadhi Swaroop athma paramapita paramathma bhramanda Shantidaama paramadamma nirvanhadaama vaasi nirakar Shiva baba ek and everything dusara na kohi... Om Shanti Om Shanti Om Shanti
अगर हम अपने सोलमेट के साथ भी काम वासना से ही शारीरिक संबंध बनाएंगे तो इसमें क्या परिवर्तन आएगा .....फिर तो हम अपने आप को सतयुगी दुनिया में नहीं ले जा पाएंगे ...अगर हम सोलमेट के साथ भी शारीरिक संबंध बनाएंगे तो हम अभी भी काम विकार के अधीन ही रहेंगे हमारे अंदर क्या परिवर्तन आएगा हम अभी भी तो कामवासना में ही डूबे हुए हैं चाहे वह हम अपने सोलमेट के साथ हो या नहीं |
ओम शांति मीठे मीठे बापदादा जी शुक्रिया दीदी जी👌🙏👌🙏👌🙏👌🙏
Om shanti baap dada ji 🙏🙏🙏
Excellent didiji.....Aap hamesha ese hame gyan dete rahe aur aap bahut age badhte rahe...Om shanti
Aapki vedios aaj tk ki bestest h fully understood hoti h
Bhut achi explanation....
Om Shanti g❤️❤️❤️❤️
Om shanti 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👏
Wonderful thoughts Didi, really empowering and deep explanation, Om shanti🙏
Om shanti🌷🌷🌷
Om shanti Baba 🌹🌹
Didi apne to mere dono ke dono aakhe khol Diya thank you for your Clair knowledge om shanti
हम सभी आत्मा के पाँचों स्वरूपों की स्मृति कर निरंतर याद में रहने का अभ्यास करते हैं...
1...अनादि स्वरूप...
मैं आत्मा ज्योति बिंदु स्वरूप चमकती ज्योति हूँ.. Point of light.. निराकारी स्वरूप में अविनाशी.. कर्मातीत.. आत्मा हूँ.. अजर..अमर.. अविनाशी ज्योतिबिन्दु स्वरूप निराकारी आत्मा..अनादि काल से परमधाम में परमपितापरमात्मा शिव पिता के समीप रहने वाली पद्मापदम भाग्यशाली आत्मा हूँ.. मेरे पिता बिंदु में सिंधु है.. सागर, हैं.. जो शान्त स्वरूप, शान्ति धाम, परम धाम के निवासी हैं.. जन्म मरण से न्यारे.. शान्ति के सागर हैं..मैं आत्मा उनकी संतान हूँ.. 84 जन्मों का पार्ट अदा करने वाली आत्मा हूँ.. बाबा.. ज्ञान के प्रकाश समान तेजोमई ज्ञान के सागर, संर्पूण पावन.. पवित्रता के सागर, प्रेम के सागर, शान्ति के सागर, सुख के सागर, आन्नद के सागर और सर्व शक्तिमान.. शक्तियों के सागर हैं...मैं आत्मा उन्हीं की संतान मास्टर ज्ञान स्वरूप, पवित्र स्वरूप, प्रेम स्वरूप, शान्त स्वरूप, सुख स्वरूप, आन्नद स्वरूप और मास्टर सर्व शक्तिमान.. शक्ति स्वरूप.. बाप समान आत्मा हूँ.. मुझ से गुणों और शक्तियों की किरणें चारों और फैल रही हैं.. मैं परमधाम में मुक्त अवस्था में ज्ञान सूर्य के सम्मुख हूँ.. चारों तरफ लाल रंग का प्रकाश.. शान्ति ही शान्ति.. परमानंन्द.. साईलेंन्स.. पवित्र वातावरण..वाईब्रेशन...
{अपने आप को आत्मिक स्वरूप में देखें और अनुभूति करें..}..
U are very pure hearted... Renuji.. Omshanti
Verry nicely explained, jo abhi tak samajh he nahi aaya tha, na kabhi kisi ne aise explain kiya tha. Thank u didi
Bhut achhi video h very nice
Nice mitha baba
Om Shanti
Jay ma ambe
Aahn ji mera athma ka sacha sathya phehle phehle swarnima madhathgar ishwariya pariwar ka phranh phyare sabh bhraman parista so devata athmahonko adhariniya phranh phyare didi jaan ji ko huparwala kuda parama pavitra parama pujya parama shresta phranh phyare pita paramapita paramathma shantidaam bhramandha nirvanadaam muktidaam paramadhama nivaasi Incorporeal invisible shining light shiva baapdada ka parama pavitra parama pujya parama shresta phranh phyare auladh ka tarabhse baghawan apka ishwariya pariwar ka phranh phyare auladh ka tarabhse purushotam sangham yugh ka janmonka sangham yugh ka advance sathya yugh ka kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti kotti pranamh bhahuth yaadh phyer meeta meeta namaste namaste sukhriya sukhriya sukhriya sukhriya sukhriya sukhriya karthahu ji sabhko shubhodhaya shubha subhrabath sabhko shubh kaman shubh Bhavan rakhnewali mai athma nirakari nirvikari nirahankari ajaar amaar avinashi ek choti se choti chamakte huwa sitare adhi anadhi pujya sanatan devi devata athmahonko dharm ki pratham rajkumar anewale sathya yugh ka pratham rajkumar pratham rajkumar fourth coming daimonnd aged golden aged peaceful royal highness aged first daimonnd golden peaceful royal highness highest holiest richest healthiest wealthiest greatest good great richest colourful peacefulll fearless gorgeous emperor's love letter godlywood dreams godlywood first preference precious family members emperor and empress families until all the ages until our souls all heavenly precious births this is your precious kid's soul's emperor's love letter godlywood dreams come true as soon as possible.my goodness my soul's first heavenly ancestors we are carefully care for your precious all heavenly precious care until all the ages until our souls all heavenly precious births this is your precious kid's soul's emperor's love letter...om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti om shanti
Om shanti di g
Omshanti
Thanks.omshanti
Thank you sister...now I'm very clear.. this is what I was searching for ...the real use of 5 swaroop...i was previously doing it hypothetically..but now I'm clear about it...thank you very much....you helped me ..this was very useful information...shiv baba bless you..om Shanti
Om shanti didiji
Om Shanti 🌹🌹🌹
2...आदि स्वरूप...
मैं आत्मा ही डबल सिरताज अधिकारी आत्मा पवित्रता का ताज व रत्न जड़ित हीरे मोतियों की ताजधारी आत्मा हूँ.. स्वराज्य अधिकारी विश्व महाराजन..महारानी.. प्रकृति के पांचों तत्वों पर राज्य करती प्रकृतिजीत आत्मा.. पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि, वायु मुझ आत्मा के अघीन, न बाढ़, न भूकंप,न आंधी-तूफान, न तेज बारिश.. नदियां शान्त, हवा शान्त, प्रकृति शान्त.. सर्व गुण संम्पन्न..सोलह कला संपूर्ण.. संपूर्ण र्निविकारी.. मर्यादा पुरुषोत्तम.. डबल अहींसक.. अहिंसा परमो दैवी देवता धर्म.. की आत्मा.. सतयुगी सृष्टी में श्रीलक्ष्मी श्रीनारायण.. श्रीराधा श्रीकृष्ण हूँ.. स्वंवर के बाद ही राधा कृष्ण.. लक्ष्मी नारायण बनते हैं.. कर्म-ईन्द्रीयजीत..संपूर्ण निरविकारी.. निरअहंकारी.. पाँचों तत्वों व पाँचों विकारों पर जीत पाने वाली स्वराज्य अधिकारी और मास्टर विश्वनाथ.. विश्वराज्य अधिकारी.. श्रेष्ठ आत्मा हूँ.. जिसके संकल्पों में, वचन में और कर्म में श्रेष्ठता.. सदैव अकर्म का खाता बनाती आत्मा हूँ.. मंसा.. वाचा.. कर्मणा एक समान..प्रत्येक आत्मा के प्रति शुभभावना व शुभ कामना..युक्ति युक्त पावन दृष्टि..वृति.. जिसके फलस्वरूप लम्बी आयु.. निरोगी तन होगा.. जहां अकाले मृत्यु होती ही नहीं.. रोग आदि होते ही नहीं.. सदा स्वस्थ शरीर.. अतिईन्द्रीय सुख.. और आन्नद के झूले में झूलती आत्मा हूँ.. संपूर्ण, सर्वगुण सम्पन्न आत्मा हूँ.. शक्ति स्वरूप.. मास्टर सर्व शक्तिमान.. अप्रयाप्त नहीं कुछ भी देवी देवताओं के खजाने में.. प्रालब्ध प्राप्त करती भरपूर व संपूर्ण..इस साकार सतयुगी सृष्टी.. देवकुल में जन्म लेने वाली सतयुग के पहले जन्म से त्रेता के अंत तक श्री लक्ष्मीनारायण के राज्य में विश्व पर राजाई करने वाली डबल ताजधारी आत्मा हूँ.. रतन जड़ित महलों में रहने वाली. रत्नों से भरपूर सिंहासन पर विराजमान हूँ.. सम्पूर्ण हेल्दी-वेल्दी और हेप्पी हूँ.. मैं देवता बेहद सुन्दर दिव्य शरीर धारी हूँ.. पुष्पक विमानों से सैर करने वाली.. प्रकृति से प्राप्त अत्यंत रसीले फलों.. शुभी रस का आनंद लेने वाली.. सम्पूर्ण सुखों से भरपूर आत्मा हूँ...
{ अपने आप को देवता स्वरूप में देखें और अनुभव करें..}...
3...पूज्य स्वरूप...
मैं आत्मा ही.. मंदिरों में मूर्ति रूप में विराजमान.. विध्न विनाशक, बुद्धि दाता रहमदिल.. रिद्धि सिद्धि स्वरूप.. गणेश.. अष्ट शक्ति स्वरूप..अष्ट भुजाधारी मां दुर्गा.. के विभिन्न देवियों के रूप में हूँ.. संकट हरण.. संकट मोचन हनुमान हूँ.. लक्ष्मी नारायण हूँ.. सामने हजारों भक्त विभिन्न कामनाओं को ले खड़े हैं..सभी के विध्न नष्ट हो रहे हैं, सब जय-जय कार कर रहें हैं.. मैं आत्मा सर्व आत्माओं को मूर्ति रूप में सर्व गुणों ओर शक्तियों का अनुभव कराती हूँ.. नौंधा भक्ति करने वाली मनुश्य आत्माओं को बाबा हम मूर्ति रूप आत्माओं का ही साक्षात्कार कराते हैं... मैं द्वापर से कलयुग के अंत तक पूज्य स्वरूप में हूँ.. भक्त-जन मेरे जड़ चित्रों व मूर्तियों की पूजा करने हेतु मेरे विशाल मंदिरों के बाहर लाइन में खड़े हो मेरे दर्शनों के लिए तरस रहे हैं.. विभिन्न पूजन सामग्री के साथ श्रद्धा से मेरी प्रतिमा की पूजा कर रहे हैं.. मेरे नाम के कीर्तन कर रहे हैं.. 56 भोग अर्पित कर रहे हैं.. मैं पूज्य अपने जड़ चित्रों व मूर्तियों के माध्यम से वरदानी मुद्रा में उन्हें आर्शीर्वाद दे रही हूँ... दुआएं दे रही हूँ.. वरदान दे रही हूँ.. साकाश दे रही हूँ.. वर्षा दे रही हूँ.. परमात्म ईश्वरीय शक्तियों के द्वारा उनकी मनोकामनायें पूर्ण कर रही हूँ...
{आपने आप को पूज्य स्वरूप में देखें और अनुभव करें.. }...
4...संग.म युगी ब्रहामण स्वरूप...
मैं आत्मा ही संगम युगी श्रेष्ठ आत्मा हूँ.. मुझे स्वयं भगवान ने चुना है.. बाबा का साथ..हाथ..आज मेरे साथ है..बाबा मुझ आत्मा को संपूर्ण ज्ञान आदि, मध्य और अंत का, संस्कारों का, सृष्टि चक्र का.. बाप, टीचर और सतगुरू के रूप में.. सतयुगी सृष्टि के लिए लक्ष्मी नारायण बनाने के लिये दे रहा है.. सर्व गुणों से भरपूर सम्पन्न बना कर बाबा मुझ में धैर्यता व अंर्तमुख्ता से सामना कर संयमित हो समाने की.. उस विस्तार को संर्कीण कर सर्व के सहयोग सेे वस्तु.. स्तिथि को परख.. सकारात्मक निर्णय द्वारा समेटने की शक्ति प्रदान कर मास्टर सर्व शक्तिमान बना रहा है.. समय और शक्तियों का संतुलन रख प्रवृति में रहते पवित्र कर्मयोगी, सहज योगी..सर्व राज को जानने वाला राज योगी बना रहा है.. मैं ही परमात्म पालना में पलने वाली, सर्व गुणों व शक्तियों से भरपूर.. मास्टर सर्व शक्तिमान, भाग्यवान, विजयी रत्न आत्मा हूँ.. वाह.. बाबा वाह.. कभी कल्पना भी नहीं की थी कि भगवान इतने समीप आ मेरा हो जायेगा..उसने मुझ वरदान दिये हैं..अखूट खजानों से सम्पन्न कर दिया है.. मैं कल्याणकारी संगमयुगी ब्राह्मण आत्मा हूँ.. शिव बाबा का इस धरा पर कलयुग के अंत के भी अंत समय पर दिव्य आलौकिक अवतरण हुआ.. ब्रह्मा बाप के मुख कमल द्वारा हम बच्चों को ब्राह्मण रूप में एडॉप्ट किया है.. उच्च चोटी के ब्राह्मण रूप में हमारा यह नया जन्म है.. हम बच्चे इस संगम पर ही शिव बाबा से डायरेक्ट मिलन मनाते हैं.. शिव बाबा से इश्वरीय ज्ञान प्राप्त करते हैं.. शिव बाबा से मिली श्रीमत पर चलते हैं.. इस ज्ञान और श्रीमत को अपने जीवन में धारण करते हैं.. अपने को आत्मा समझ देही अभिमानी बन एक बाप परमात्मा को याद कर 63 जन्मों के पाप को समाप्त करने का सफल पुरषार्थ करते हैं.. निश्चय बुद्धि बन तीव्र- पुरषार्थ कर कर्मातीत अवस्था तक पहुंच जाते हैं...
{अपने आप को तीव्र पुरषार्थी-ब्राह्मण स्वरूप में देखें और अनुभव करें.. }...
5...फरिश्ता स्वरूप...
मैं आत्मा अब बाबा द्वारा ज्ञान, गुणों, शक्तियों की प्राप्ति व धारणा से कर्मातीत.. कर्म-ईन्द्रीयजीत हो डबल लाईट व माईट स्वरूप बन संर्पूणता की स्तिथि.. उड़ता फरिश्ता हूँ.. बाबा की संपूर्ण किरणें मुझ पर पड़ रही हैं.. इस देह और देह के सर्व संबंधियों, संबंधों, संस्कार व पदार्थों से मेरा कोई रिश्ता नहीं है..सिर्फ एक बाबा.. दूजा न कोई.. मैं आत्मा देही अभिमानी, विदेही, अशरीरी.. अवस्था का अनुभव करते करते..मैं लाईट स्वरूप में हल्का हो अपनी चमकीली ड्रेस में फरिश्ता स्वरूप में स्थित हो गई हूँ.. सर्व आत्माओं को साक्षी दृष्टा बन लाईट और माईट प्रदान कर रही हूँ.. कितना हल्कापन महसूस हो रहा है.. मैं आत्मा बाबा से किरणें ले कर सर्व मनुश्य आत्माओं और प्रकृति के पाँचों तत्वों को बाबा की लाईट व माईट द्वारा शान्ति और शक्ति का वाईब्रेशन दे रही हूँ... आदि देव स्वरूप.. आकारी स्वरूप.. लाइट का सूक्ष्म शरीर.. हर बंधन से सर्वदा मुक्त.. हर सम्बन्ध से मुक्त.. हर चीज वस्तुओं व स्थान बंधन से भी मुक्त हूँ.. इस धरती के स्पर्श से भी मुक्त हूँ.. मुक्ति और जीवन मुक्ति के लिये मैं दिन में कई बार इस स्वरूप में सूक्ष्म वतन में जाकर बापदादा से विजयी तिलक लगवाकर.. वरदानों से झोली भरकर.. 63 जन्मों के पाप भस्म कर सफलतापूर्वक ड्रिल करती हूँ.. साथ..साथ.. विश्व सकाश देने के लिए फरिश्ता स्वरूप में पृथ्वी ग्लोब के उपर स्थित होकर शिव बाबा से सर्व गुणों व कल्याणकारी शक्तियां ले सम्पन्न बन फिर इन किरणों को पृथ्वी पर वाईब्रेशन्स द्वारा सकाश देने की सेवा करती हूँ.. दुखी, अशान्त, रोगी आत्माओं को.. प्रकति के पांचो तत्वों को.. पृथ्वी को वाईब्रेशन.. सकाश.. देने की सेवा करती हूँ...
{अपने आप को सदैव फरिश्ता स्वरूप में देखें और अनुभव करें.. }..
ओम् शान्ति..शान्ति..शान्ति...
omshanti excellent
Thanku didi Om shanti
Om shanti didi
.n
Aanadhi Swaroop athma paramapita paramathma bhramanda Shantidaama paramadamma nirvanhadaama vaasi nirakar Shiva baba ek and everything dusara na kohi... Om Shanti Om Shanti Om Shanti
Om Shanti g🎉
🙏👌
om santi
Om shanti
om shanto ba ba good morning mera ba ba ba ba
Om shanti sister
on santi
God m
OS Didi, Dhanjevad BaBa
niecemurli💖☺
very nice
Mandeep Kaur murli
अगर हम अपने सोलमेट के साथ भी काम वासना से ही शारीरिक संबंध बनाएंगे तो इसमें क्या परिवर्तन आएगा .....फिर तो हम अपने आप को सतयुगी दुनिया में नहीं ले जा पाएंगे ...अगर हम सोलमेट के साथ भी शारीरिक संबंध बनाएंगे तो हम अभी भी काम विकार के अधीन ही रहेंगे
हमारे अंदर क्या परिवर्तन आएगा हम अभी भी तो कामवासना में ही डूबे हुए हैं चाहे वह हम अपने सोलमेट के साथ हो या नहीं |
No problam
Jaise jaise soul consciousness badhegaa....vaise vaise body conscious kam ho jaayegaa...it takes time...gyaan..yog se yeh possible hain
om shanti sister
Om shanti didi
Om shanti sis
Om shanti
Om shanti sis
Om shanti
Mujha kam vikar ka bare ma samjh ma nahi aya
Om shanti