अंधकार में पहला जन्म स्वयं ईश्वर का ही होता है l उनके अंधकार में उतरते ही अनेकों जीवात्मा अंधकार की महानिशा में तारों की तरह छा जाती हैं l वे सभी ईश्वर अपितु वास्तव में दिव्य जननी का ही अंश है l तदुपरांत जीवात्मा को देह देने हेतु जगत जननी स्वयं अपनी आहुति देती हैं l इसी आहुति के द्वारा पार्थिव तत्त्व (matter) का जन्म होता है जो जीवात्माओं के उत्तरोत्तर विकास के लिए एक खाँचे का एवम अभिव्यक्ति का माध्यम बनता है l यह जड़ पदार्थ ही विकास के द्वारा पेड़ पौधे पशु मनुष्य की देह बनकर चेतना की सीमा निर्धारित करती है l इस बाहरी विकास के साथ साथ अंदर जीवात्मा का भी विकास चलता रहता है l ईश्वर तथा उनकी शक्ति इस प्रकार एक सीमित पुरुष प्रकृति बन जाती है l पशु में केवल प्रकृति ही प्रकट होती है l पुरुषत्व बिल्कुल दबा रहता है l मनुष्य में पहली बार दोनों प्रकट होने लगते है l ये बहुत बाद में होता है l इसका प्रयोजन original birth sublime को सार्थक करना है l Birth का यहां अर्थ है सीमाबद्ध होना l सीमाओं को स्वीकार करके अनेकता प्रकट होती है l सीमित को असीम से जोड़ देने से अनेकता में दिव्यता प्रकट होती है l यही मानव जन्म का वास्तविक प्रयोजन है l
REALLY SAVITRI TAKES MY BREATH AWAY!!!!! THANKS TO SRI AUROBINDO FOR SUCH A BLESSING ON HUMANITY.
Amazing dutta, nice to see young blood in spirituality
Beautiful explanation of esoteric truths in the inspired text of Savitri.
आलोक दा आपके साथ श्री मां की अनवरत कृपा है । आपके साथ हम लोग भी सावित्री का थोड़ा सा प्रसाद पाते हैं। ॐ श्री मातृ मीरा अरविंदाय शरणम💐
🙏💐⚘🙏ma ma
Oh! Mother you send blessings through pade's talk
☀🌹🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
I LOVE TO LISTEN TO HIS TALKS IN HINDI....PLEASE KEEP MAKING THESE VIDEOS!!!
Good To Sound Young People Listen talk like this
🌹🙏🌹🙏🌹
Very good program in hidi I love it
Wonderful knowledge Love the mother.
V c pande
Nagpur
Maa maa maa
Sir, so nicely explained!🙏
many many thanks
0m Namo Bhagavathe Sri Aravindya
ओम श्री माता मीरा मम शरणम।
Maa maa maa maa maa maa maa
JAY MAA LET THY WILL BE DONE
Thanks sir
Great
Satiy ma
KHUB BHALO LAGLO SIR.
We are very happy to listen Savitri in Hindi
Excellent talk.. Who is this sadhak brother.
Sanjay Kumar Dr. Alok panday
Jai maa .I love you maa .dr.alok ji hum ko aap k m.no mileg plz pandi chari aa ne k kuch pucha na hai.
Vai bande mataram.
🙏
'Birth sublime' के तहत आत्मा जब जीवात्मा बनकर जन्म लेती है अंधकार में तब वह पहला जन्म कौन सा होता है, मनुष्य या कोई अन्य प्राणी?
अंधकार में पहला जन्म स्वयं ईश्वर का ही होता है l उनके अंधकार में उतरते ही अनेकों जीवात्मा अंधकार की महानिशा में तारों की तरह छा जाती हैं l वे सभी ईश्वर अपितु वास्तव में दिव्य जननी का ही अंश है l तदुपरांत जीवात्मा को देह देने हेतु जगत जननी स्वयं अपनी आहुति देती हैं l इसी आहुति के द्वारा पार्थिव तत्त्व (matter) का जन्म होता है जो जीवात्माओं के उत्तरोत्तर विकास के लिए एक खाँचे का एवम अभिव्यक्ति का माध्यम बनता है l यह जड़ पदार्थ ही विकास के द्वारा पेड़ पौधे पशु मनुष्य की देह बनकर चेतना की सीमा निर्धारित करती है l इस बाहरी विकास के साथ साथ अंदर जीवात्मा का भी विकास चलता रहता है l ईश्वर तथा उनकी शक्ति इस प्रकार एक सीमित पुरुष प्रकृति बन जाती है l पशु में केवल प्रकृति ही प्रकट होती है l पुरुषत्व बिल्कुल दबा रहता है l मनुष्य में पहली बार दोनों प्रकट होने लगते है l ये बहुत बाद में होता है l इसका प्रयोजन original birth sublime को सार्थक करना है l Birth का यहां अर्थ है सीमाबद्ध होना l सीमाओं को स्वीकार करके अनेकता प्रकट होती है l सीमित को असीम से जोड़ देने से अनेकता में दिव्यता प्रकट होती है l यही मानव जन्म का वास्तविक प्रयोजन है l
@@AuroMaa
🙏
आलोक भैया अपना ईमेल भेज सकें तो बड़ी कृपा होगी।
contact@auromaa.org
wo satya jo sabke andar guhyà rup se chhupa hua hai use hi pane ke liye na jane kitna sangharsh
Isasase behayar kuchh nahi ho sakta
Great