Valmiki Ramayan | Original Text | Audiobook

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  • เผยแพร่เมื่อ 15 ก.ย. 2024
  • जय श्री राम
    श्रीराम का विराट व्यक्तित्व यूँ तो देश, काल, जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा आदि तमाम बंधनों से परे है, फिर भी भारत देश के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में, दिन प्रतिदिन के तमाम कामों में, दैनिक आचार व्यव्हार में, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भगवान राम, उनकी कथा अथवा उनके समकालीन किसी न किसी चरित्र या घटना का सम्बन्ध बड़ी ही सहजता से दिखाई दे जाता है। ऐसा इसलिए नहीं कि लोग जान समझकर ये करते हैं, बल्कि इसलिए कि राम इस देश के जन जन में, कण कण में अपनी पूरी सहजता के साथ बसे हुए हैं।
    दैनिक जीवन में श्रीराम का इतना सहज रूप से बसा होना जहाँ एक ओर हम भारतवासियों के लिए बड़े गौरव की बात है, वहीँ दूसरी ओर इसका एक पहलू ये भी है, कि इतना सहज सुलभ होने के कारण वास्तव में हमने श्री राम की महानता को उसके पूर्ण रूप में सम्मान देना कहीं छोड़ सा दिया है। हमने श्रीराम की भगवान् के रूप में पूजा करना तो जरूर सीख लिया, लेकिन उनके सिखाये जीवन मूल्यों को पूरी तरह से भुला दिया।
    हमने श्रीराम को उनकी महानता के कारण ईश्वर रूप में तो स्वीकार कर लिया, लेकिन उनके ईश्वर रूप को और अधिक प्रभावी बनाने के प्रयास में हमने श्रीराम के साथ इतने चमत्कार, अलंकार और दैवीय संयोग जोड़ दिए कि महामानव राम साधारण मनुष्य के लिए दुर्लभ हो गए।
    और इसका कारण हमारा अज्ञान या दुर्भावना नहीं, बल्कि अतिशय प्रेम और समर्पण है, जिसके कारण हमने स्वयं को उस विराट व्यक्तित्व से बिलकुल अलग ही कर लिया। और इसी प्रयास में हमने अनजाने में श्रीराम के जीवन भर के संघर्षों को धूमिल कर दिया। हमने उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलना छोड़कर उनकी चरणरज को पूजना शुरू कर दिया।
    इस वीडियो सीरीज के माध्यम से हमारा प्रयास आपके सामने महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के मौलिक स्वरुप को लाना है और श्रीराम का वह चरित्र प्रस्तुत करना है, जो अवतार, ईश्वर या भगवान नहीं हैं, बल्कि साधारण मानव हैं, जिन्होंने अपने कर्मों से ईश्वर का पद अर्जित किया। जो मानव होने के बाद भी ईश्वर कहलाने के सर्वथा योग्य हैं। जो जन्म से नहीं, बल्कि कर्म से ईश्वर हैं |
    उन श्रीराम का, जिन्होंने ईश्वरीय शक्ति के साथ जन्म नहीं लिया, बल्कि अपने त्याग, संघर्ष, पौरुष और धर्मपरायणता से ईश्वर का पद प्राप्त किया। जो वैकुण्ठ लोक वासी भगवान विष्णु के अवतार नहीं थे, बल्कि अपनी संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा में अनगिनत कष्ट सहते हुए उन्होंने यह पद प्राप्त किया।
    आशा करते हैं कि महामानव श्रीराम के जीवन के अनदेखे पहलुओं को उजागर करने और साधारण मनुष्य में उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने का साहस जगाने के हमारे इस प्रयास को आप स्वीकार करेंगे और इस प्रयास में अनजाने में हुई हमारी छोटी-बड़ी गलतियों को क्षमा करेंगे।
    श्रीराम की जीवन गाथा पर आधारित इस वीडियो सीरीज के आने वाले वीडियोस से जुड़े रहने के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और इस सीरीज को ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर कर श्रीराम की गाथा को सबतक पहुँचाने में योगदान दें।
    जय श्री राम |
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