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  • เผยแพร่เมื่อ 6 ก.ย. 2024
  • बू-अली शाह कलंदर की मजार पानीपत में हरियाणा सृजन यात्रा के सदस्य मजार पर दैनिक होने वाली लाईव कव्वाली का हिस्सा बने और लोक नृत्य के साथ कलंदर साहब आशीर्वाद प्राप्त किया।
    हरियाणा सृजन यात्रा के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर व देस हरियाणा के संपादक डॉ. सुभाष चन्द्र की अगुवाई में रचनाकार 29 फरवरी को कुरुक्षेत्र में इकट्ठे हुए. इनमें पंचकूला से लोक संस्कृति लेखक सुरेन्द्र पाल सिंह, कुरुक्षेत्र से सत्यशोधक फाउंडेशन की प्रबंधक विपुला सैनी, शोधार्थी अंजू, विकास साल्यान, ब्रजपाल, हिसार से कवि राज कुमार जांगड़ा, इन्द्री कस्बे से कवि दयालचंद जास्ट, शायर मंजीत भोला, टोहाना से सामाजिक कार्यकर्ता बलवान सत्यार्थी, विक्रम वीरू, कॉलेज अध्यापक राजेश कासनिया, कवि कपिल भारद्वाज, योगेश शर्मा, नरेश दहिया और लेखक अरुण कैहरबा शामिल थे.
    हाली की मजार सूफी हजरत बू अली शाह कलंदर की दरगाह के प्रांगण में ही बनाई गई हैं. हाली पानीपती उर्दू शायरी का बहुत मकबूल नाम है. उन्हें उर्दू-फारसी शायरी के बेताज बादशाह मिर्ज़ा ग़ालिब की शागिर्दी करने का मौका मिला. ग़ालिब के इंतकाल के बाद हाली ने यादगारे गालिब ग्रंथ लिख कर अपने उस्ताद का नाम भी चमकाया और खुद भी प्रसिद्धि हासिल की. हाली से पहले शायरी में अक्सर हुस्नो-इश्क और अमीर-उमरा की चापलूसी भरी पड़ी थी. उन्होंने शायरी को नई राह दिखाई. उन्होंने अपने साहित्य में जनभाषा का प्रयोग किया. हाली ने हुब्बे वतन (देश प्रेम), चुप की दाद, बरखा रूत व निशाते उम्मीद सहित अनेक प्रसिद्ध नज्में दी हैं. उनकी नज्म मुसद्दस-ए-हाली को राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की भारत-भारती की प्रेरणा मानी जाती है. इसके अलावा हाली ने संयुक्त पंजाब में लड़कियों के लिए पहला स्कूल पानीपत में खोला. यहीं पर उनकी बेटी ने भी शिक्षा प्राप्त की. हाली ने महिलाओं के हको-हुकूक की आवाज को अपनी रचनाओं में बुलंद किया. उन्होंने अपनी नज़्म चुप की दाद में लिखा-ऐ मांओ बहनों बोटियों, दुनिया की ज़ीनत तुम से है, मुल्कों की बस्ती हो तुम्हीं, कौमों की इज्ज़त तुमसे है. हाली साम्प्रदायिक सौहार्द्र और भाईचारे के पक्षधर थे. हुब्बे वतन में उन्होंने लिखा-तुम अगर चाहते हो मुल्क की खैर. न समझो किसी हम वतन को गैर.
    हाली पानीपती ट्रस्ट के महासचिव राम मोहन राय, लेखक रमेश चन्द्र पुहाल पानीपती, डॉ. शंकर लाल, सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र छोक्कर, शिक्षा अधिकारी सरोजबाला गुर, भगत सिंह से दोस्ती मंच के जिला संयोजक दीपक कथूरिया, पायल, सुनीता आनंद, मुख्याध्यापिका प्रिया लूथरा सहित अनेक रचनाकारों ने सृजन यात्रा का स्वागत किया. सभी ने बू अली शाह कलंदर और हाली की मज़ार पर चादर चढ़ाई. संगोष्ठी में रमेश चन्द्र पुहाल की पुस्तक यादगारे हाली पानीपती का विमोचन किया गया. हाली की विरासत विषय पर संगोष्ठी में वक्ताओं ने उर्दू शायरी व शिक्षा में हाली के योगदान को रेखांकित किया. सृजन यात्रा के अगुवा डॉ. सुभाष चन्द्र ने कहा कि सृजन यात्रा सिखाने की बजाय सीखने के लिए है. हरियाणा की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है, इससे सभी को सीखने की जरूरत है.
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