हमारा रागद्वेष क्या होता है आपने आज पूजा नहीं की सामयिक नहीं की जाओ हमें आज आपसे बात नहीं करनी है आपने आज रात्रि भोजन त्याग नहीं किया जाओ आज तुमसे बात नहीं करेंगे
Konik के हाथ में मवाद था पिता अगर उस अंगूठे को चूसकर नहीं निकाला होते तो konik का बचना मुश्किल था ,आज हम बीस पचास रुपए का कैडबरी खिला रहे है आज ऐसी ऐसी माताएं है जिनके पास बीस रुपए सब्जी खरीदने नहीं है
नमोस्तु गुरूवर! आपने सही बात रंगी, धार्मिक बनने से पहले व्यावहारिक बनें
Namostu bhagban ji
Namostu gurudev 🙏🙏🙏🙏
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आपने वास्तव स्थिति सामने रखकर आईंना दिखाया महाराजजी
हम जीन शब्दों को धार्मिक क्षेत्र में जोड़कर रखा है उसी शब्द को पारिवारिक क्षेत्र में जोड़ते है तो जीवन खूबसूरत बन जाता है
उपदेश एक लालसा है लालसा नहीं होती तो आज उपदेश सुनने नहीं आते
हमारा रागद्वेष क्या होता है आपने आज पूजा नहीं की सामयिक नहीं की जाओ हमें आज आपसे बात नहीं करनी है आपने आज रात्रि भोजन त्याग नहीं किया जाओ आज तुमसे बात नहीं करेंगे
Konik के हाथ में मवाद था पिता अगर उस अंगूठे को चूसकर नहीं निकाला होते तो konik का बचना मुश्किल था ,आज हम बीस पचास रुपए का कैडबरी खिला रहे है आज ऐसी ऐसी माताएं है जिनके पास बीस रुपए सब्जी खरीदने नहीं है
Konik और राजा श्रेणिक का वर्णन ,पहले आप अपना घर में संबोधन को सुधारिए
Namostu Gurudev ji 🙏🙏