हिमालय के अद्भुत संत : स्वामी सर्वेश्वरानंद जी , स्वामी सोमवारी बाबा और स्वामी हैड़ाखान बिहारी जी।

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  • เผยแพร่เมื่อ 18 ก.ย. 2024
  • #हिमालय के #संत : स्वामी #सर्वेश्वरानन्द जी
    हिमालयवासी इस कालजयीसत्ता की आयु ८०० वर्ष आँकी जाती है, पर वस्तुतः वे दो हजार से अधिक वर्षों से तपश्चयार्रत हैं और लोकमंगल के कार्य में संलग्न हैं ।
    परम पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति तपोनिष्ठ आचार्य #श्रीरामशर्मा जी की इस सूक्ष्म मागदर्शक सत्ता के सम्बन्ध इस्लाम का एक ग्रन्थ है-'तजकर रसुल गोशिया' जो इनके शिष्य श्री #गुलहसन ने लिखा है । यह पुस्तक आज भी श्री दीपसिंह हिम्मतसिंह राज लोटा, पो आंकलाव, #गुजरात में उपलब्ध है ।
    इस पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक ४८ पर #दादागुरु रूपी सूक्ष्म शरीर सत्ता का स्पष्ट उल्लेख है कि १५० वर्ष पूर्व श्री गुलहसन शाह की मुलाकात स्वामी श्री श्रवणनाथ के माध्यम से #हरिद्वार में श्री सर्वेश्वरानंद जी से हुई थी । वे इच्छानुसार जब चाहते अपना वयोवृद्ध शरीर छोड़कर १२ वर्ष के बालक बन जाते थे । उनके अनेकानेक दृश्य चमत्कारों का वर्णन #श्रीशाह ने किया है ।
    वस्तुतः ऐसे सन्तों की आयु का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता । वे चमत्कारों को देखने की ललक में आतुर सामान्य व्यक्तियों की भीड़ देख स्वयं ही सूक्ष्म शरीरधारी हो दुर्गम हिमालय प्रस्थान कर जाते हैं । यह समष्टिगत हित हेतु अपने सुपात्रों का चयन करने भूलोक पर आवागमन करते रहते हैं । भूख, प्यास आदि लौकिक बंधनों से वे मुक्त होते हैं ।
    #पायलट_बाबा रचित ग्रन्थ 'हिमालय कह रहा है' (१९८२) में पृष्ठ १४५, २३६, ५७१, ५७२, ५८७, ५८९ पृष्ठों पर विस्तार से #योगीराज श्री सर्वेश्वरानंद जी का उल्लेख आया है । स्वयं पूज्य गुरुदेव ने अपनी गुरुसत्ता के दृश्यरूप के सम्बन्ध में कभी कुछ न लिखा, न कहा । अपने हर कार्य को उनके मार्गदर्शन में सम्पन्न कराकर ही वे मानते थे । अपने हर कार्य की उपलब्धि का श्रेय सदैव परोक्ष सत्ता को देते थे । यह विनम्रता भी हो सकती है वह महामानव के रूप में स्वयं श्रेय न लेने की उनकी नीति भी, किन्तु इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस प्रकाशपुंज ने उनके जीवन के पन्द्रहवें वसंत में साक्षात्कार किया था, वह निश्चित ही उनकी गुरुसत्ता थी, जो उनकी ही तलाश में थी व उस पावन दिन उनसे एकाकार हो उन्हें विलक्षण अवतारी सत्ता बना गई ।
    हिमालय में विचरण करने वाली सूक्ष्म सत्ता के तीन संतों स्वामी हैड़ाखान बिहारी जी , स्वामी सोमवारी बाबा और स्वामी सर्वेश्वरानंद जी के बारे में दुनियाभर में बहुत कुछ लिखा गया है । गुरु गोरखनाथ जी महाराज , भोले बाबा , योगीराज लाहिड़ी महाशय और आचार्य श्रीराम शर्मा जी जैसे सत्पात्रों को यह सूक्ष्म सत्ता प्रत्यक्ष रूप से मिली थी ।
    अन्यथा इनके नाम रुप की बातें कल्पित कहानियां हैं । #हैड़ाखान बिहारी जी का नाम हर्रे हरड़ के जंगल में दिखाई पड़ने से पड़ा है । सोमवारी बाबा नाम सोमवार को दिखाई देने से पड़ा है । सर्वेश्वरानंद नाम भी कल्पित नाम है ।
    ‪@shivkumarsinghkaushikey2877‬

ความคิดเห็น • 6

  • @shivkumarsinghkaushikey2877
    @shivkumarsinghkaushikey2877 8 หลายเดือนก่อน +2

    जय गुरुदेव। पूज्यपाद स्वामी सर्वेश्वरानंद जी महाराज की जय।

    • @Balliainfo
      @Balliainfo  8 หลายเดือนก่อน

      🙏🙏 सादर प्रणाम।

  • @SANJUSHARMA-jw9pl
    @SANJUSHARMA-jw9pl 3 หลายเดือนก่อน +1

    प्रणाम 🙏🏻
    क्या इनसे संबंधित पुस्तक मिल सकती है ?

    • @Balliainfo
      @Balliainfo  3 หลายเดือนก่อน

      धन्यवाद आभार 🙏🙏
      गूगल पर सर्च करियेगा तो पुस्तकों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।

  • @ssrawlotloharki3151
    @ssrawlotloharki3151 21 วันที่ผ่านมา +1

    आपका बहुत बहुत आभार। जो आपने अत्यंत विलक्षण संतों के विषय में जानकारी साझा की।

    • @Balliainfo
      @Balliainfo  21 วันที่ผ่านมา

      धन्यवाद आभार सर 🙏🙏