वक्ता की निर्मांता, साधर्मी वात्सल्य, तत्त्व की महिमा | Babuji Yugalji
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- เผยแพร่เมื่อ 7 ก.พ. 2025
- सन् १९९९ में आदरणीय बाबूजी जुगल किशोर जी 'युगल' ने मुंबई में श्री शांतिभाई ज़वेरी के निवास 'नीलांबर' पर २५ दिन बिताये, और अद्भुद, सूक्ष्म तत्त्वज्ञान की वर्षा बहायी। यात्रा के अंतिम दिन की चर्चा का अंश प्रस्तुत है।
मुख्य बिंदु -
साधर्मियों का बाबूजी के प्रति आदर और वात्सल्य भाव
बाबूजी का उद्बोधन जो एक वक्ता की निर्मान्ता का प्रतीक है
सब जिनवाणी और गुरुदेव का ही है, अपना क्या है?
बाबूजी द्वारा लिखित गुरुदेवश्री को समर्पित कविता "कर्मकाण्ड के बालू के भूद्धर खिसकने लगे"
अध्यात्म रस से लबालब, जिनवाणी के सूक्ष्म से सूक्ष्म रहस्यों को सुनने के लिए - नीलांबर तत्त्व चर्चा पर सभी प्रवचन: • नीलांबर तत्त्वचर्चा, म...
Jai Jinendra 🙏🙏🙏