गुरु कबीर भजन प्रस्तुत★🙅तुम न सुनोगे तो कौन सुनेगा बहुत ही प्यारा भजन★🎁सन्त श्री राघव साहेब

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  • เผยแพร่เมื่อ 6 ก.ย. 2024
  • गुरु कबीर भजन प्रस्तुत★🙅तुम न सुनोगे तो कौन सुनेगा बहुत ही प्यारा भजन★🎁सन्त श्री राघव साहेब
    • गुरु कबीर भजन प्रस्तुत...
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    "तुम ना सुनोगे तो कौन सुनोगे गुरुदेव" यह पंक्ति शिष्य और गुरु के बीच के गहरे संबंध और गुरु के उपदेशों के महत्व को रेखांकित करती है। यह विचार इस बात पर जोर देता है कि गुरु के शब्द और शिक्षाएँ शिष्य के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और यदि शिष्य उन्हें नहीं सुनेगा, तो वह अपना मार्ग खो देगा।
    *गुरु का महत्व:* गुरु जीवन के शिक्षक होते हैं, जो शिष्य को सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। उनके पास जीवन के अनुभव और ज्ञान का भंडार होता है, जो शिष्य के लिए अनमोल होते हैं। गुरु का ज्ञान और उनके उपदेश शिष्य के लिए मार्गदर्शक होते हैं, जिससे वह जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।
    *शिष्य का कर्तव्य:* शिष्य का कर्तव्य है कि वह अपने गुरु के शब्दों को ध्यानपूर्वक सुने और उनका पालन करे। गुरु की शिक्षाओं को नज़रअंदाज़ करना, अपने विकास और उन्नति के अवसरों को खो देना है। शिष्य को गुरु के उपदेशों को अपनाना चाहिए, क्योंकि वे उसके जीवन को सही दिशा में ले जा सकते हैं और उसे सही मार्ग दिखा सकते हैं।
    *आध्यात्मिक उन्नति:* गुरु के उपदेश शिष्य की आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। वे उसे आत्म-ज्ञान, आत्म-विकास, और आत्म-शुद्धि की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। गुरु के उपदेशों का पालन करने से शिष्य अपने आंतरिक शांति और संतोष की प्राप्ति कर सकता है।
    *अनमोल अवसर:* "तुम ना सुनोगे तो कौन सुनोगे गुरुदेव" का अर्थ है कि गुरु का उपदेश एक अनमोल अवसर है, जिसे शिष्य को गंवाना नहीं चाहिए। गुरु के पास सीमित समय और धैर्य होता है, और यदि शिष्य उनके उपदेशों को नहीं सुनेगा, तो वह इस अनमोल अवसर को खो देगा।
    *निष्कर्ष:* यह पंक्ति शिष्य को जागरूक करने का एक तरीका है कि वह गुरु के शब्दों को गंभीरता से ले और उनका पालन करे। गुरु के उपदेश शिष्य के जीवन को संवार सकते हैं और उसे सही मार्ग दिखा सकते हैं। इसलिए, शिष्य का यह कर्तव्य है कि वह अपने गुरु के उपदेशों को सुने और उनका पालन करे, ताकि वह अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सके।

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