Mulaqat: Folk Artist Kabutari Devi Speaks to Bhupen Singh
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- เผยแพร่เมื่อ 5 ก.ย. 2024
- आज मुलाक़ात कार्यक्रम के इस अंक में हम आपके लिए लाये हैं कबूतरी देवी से भूपेन सिंह की बात-चीत. कबूतरी ने 1970 और 80 के दशक में आकाशवाणी नजीबाबाद, रामपुर, लखनऊ और मुंबई के विभिन्न भाषा के कार्यक्रमों में गायन किया. लखनऊ दूरदर्शन केंद्र से भी उनके गायन का प्रसारण हुआ. उनकी दर्जन भर से ज्यादा रिकॉर्डिंग ऑल इंडिया रेडियो के पास हैं. इसके अलावा उन्होंने क्षेत्रीय त्योहारों, रामलीलाओं, उत्तरायणी पर्वों जैसे कई मंचों पर भी गायन किया, जिसे शायद ही संरक्षित किया गया हो. पति की मृत्यु के बाद उन्होंने सामाजिक जीवन से दूरी बना ली और वह उत्तराखंड के सीमांत जिले- पिथौरागढ़ के अपने घर में रहकर मजदूरी करके अपने परिवार को पालने लगीं. बुलंद आवाज की मलिका कबूतरी देवी ने संगीत की औपचारिक दीक्षा नहीं ली. वह ऋतुरैण (मौसम के गीत), चौती, न्योली, छपेली, धुस्का के साथ ही अपने अंदाज में गीत, गजल और ठुमरी भी गाती थीं. उन्हें उत्तराखंड की तीजनबाई या पहाड़ की बेगम अख्तर भी कहा जाता है.
वास्तव में कबूतरी देवी की आवाज क़माल की है दिल को झूमने को मजबुर कर देने वाली इनकी ही जैसी शायद इनहईउकई बहन हो सकती है पाटी जौलाडी उनके मियां शारंगी बजाते थे वे मधुर आवाज में भजन और पहाड़ी गीतों का घरघर जाकर चैत के महिने में हरगांव में गातीं थी और जोभी लोगों से मिलता था उससे भरण पोषण करते थे मैंने बचपन में उनको अनेकों बार सुना है सन् साठ से लेकर बयासी तिरासी तक सुना है
भौत मार्मिकता है़ इनकी आवाज में,अब इस तरह के गाने सुनना दुर्लभ हो गया है़,आपका तहदिल से शुक्रिया जी। 🙏
बहुत ही मार्मिक, धन्यवाद, इस साक्षात्कार को हम सभी के समक्ष रखने के लिए।🙏🙏💐💐👍👍👏👏
अगर आप उनकी फोटो व बीडिओ भी दिखाते तो अच्छा होता
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति है।
Jai Ho 🙏🙏🙏🙏Kabutari Devi g ki🙏🙏
नमन है ❤❤🙏🙏
Jai ho🙏🥀
Excellent
And how beautifully her daughter have learned from her...beautiful 👍🙏 Singing for God's love is the best use of one's voice to sing...
Hare Krishna 🙏
Thank you for sharing her भेंट...Very nice to listen...always having tears in listening her...🙏🙏
Hare Krishna 🙏
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