अत्युत्तम प्रश्न 🙏🙏 धाराप्रवाहिता की निरंतरता के कारण - वाक्यांतर्गत शब्दों में धाराप्रवाहिता लाने के कारण ऐसा हुआ और फिर धीरे-धीरे एकल शब्दों से अंतिम अ विलुप्त हो गया (भाषा-विकास की प्रक्रिया में) । यदि ध्यान दें पता चलता है कि संधि भी इसी धाराप्रवाहिता का ही प्रतिफल है।
शुद्ध उच्चारण तो राम ही है। उच्चारण में क्षेत्र का भी प्रभाव रहता है जैसे उत्तर और मध्य भारत के लोग राम को राम् तथा दक्षिण भारत के लोग अकार पर जोर देते हुए रामा उच्चारण करते हैं।
ऐ और औ के दो उच्चारण प्रचलित हैं अइ तथा अए या ऍ और अउ तथा अओ या ऑ "है" का उच्चारण हमेशा हे सुना कभी हइ नहीं सुना। जैसे वह जाता है। इनका सही उच्चारण क्या होगा?
आपका प्रश्न उत्तम है, * अ+इ=ए (अन्य वर्ण ) हो जाता है अतः ए का उच्चारण भी अइ न होकर अन्य (ए) ही है। यदि अइ ही बोलना होता तो अ और इ की संधि करके ए क्यों बनाया जाता । * सत्य भी यही है कि यदि हम बिना व्यवधान के अ के बाद इ का उच्चारण करते हैं तो अ और इ का अस्तित्व नहीं रहता है और नई ध्वनि 'ए' निकलती है * हर वर्ण की अपनी स्वतंत्र ध्वनि है। * संधि की परिकल्पना भी यहीं से है।
@@HINDIGYANPATH मेरा प्रश्न ऐ और औ के उच्चारण से था । ए और ओ के उच्चारण में कोई शंका नहीं है। आप के ऋ और विसर्ग के उच्चारण सबसे सटीक है जो अधिकांश संस्कृत विद्वान भी नहीं जानते।
❤❤❤❤
🙏
🙏🏻
🙏🏼🙏🏼
Thx sir 😀
Welcome Sir 🙏
छा गए गुरु जी
अरे गुरूजी !
प्रयास कर रहा हूँ, आगे ईश्वर की कृपा , आपकी शुभकामनाएँ और सहयोग 🙏
हिंदी भाषा में शब्दों के अंत में अ का उच्चारण क्यों नहीं किया जाता हैं जैसे राम इस राम शब्द का अंतिम अक्षर म में अ का उच्चारण क्यों नहीं होता है
अत्युत्तम प्रश्न 🙏🙏
धाराप्रवाहिता की निरंतरता के कारण - वाक्यांतर्गत शब्दों में धाराप्रवाहिता लाने के कारण ऐसा हुआ और फिर धीरे-धीरे एकल शब्दों से अंतिम अ विलुप्त हो गया (भाषा-विकास की प्रक्रिया में) । यदि ध्यान दें पता चलता है कि संधि भी इसी धाराप्रवाहिता का ही प्रतिफल है।
शुद्ध उच्चारण तो राम ही है। उच्चारण में क्षेत्र का भी प्रभाव रहता है जैसे उत्तर और मध्य भारत के लोग राम को राम् तथा दक्षिण भारत के लोग अकार पर जोर देते हुए रामा उच्चारण करते हैं।
ऐ और औ के दो उच्चारण प्रचलित हैं
अइ तथा अए या ऍ और अउ तथा अओ या ऑ
"है" का उच्चारण हमेशा हे सुना कभी हइ नहीं सुना।
जैसे वह जाता है।
इनका सही उच्चारण क्या होगा?
आपका प्रश्न उत्तम है,
* अ+इ=ए (अन्य वर्ण ) हो जाता है अतः ए का उच्चारण भी अइ न होकर अन्य (ए) ही है।
यदि अइ ही बोलना होता तो अ और इ की संधि करके ए क्यों बनाया जाता ।
* सत्य भी यही है कि यदि हम बिना व्यवधान के अ के बाद इ का उच्चारण करते हैं तो अ और इ का अस्तित्व नहीं रहता है और नई ध्वनि 'ए' निकलती है
* हर वर्ण की अपनी स्वतंत्र ध्वनि है।
* संधि की परिकल्पना भी यहीं से है।
@@HINDIGYANPATH मेरा प्रश्न ऐ और औ के उच्चारण से था । ए और ओ के उच्चारण में कोई शंका नहीं है। आप के ऋ और विसर्ग के उच्चारण सबसे सटीक है जो अधिकांश संस्कृत विद्वान भी नहीं जानते।