Chandragupta Maurya's Trainings Acharya Chanakya's Pratham Vidya | Ravi Singh Choudhary |

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  • เผยแพร่เมื่อ 23 ธ.ค. 2024

ความคิดเห็น • 58

  • @SangamTalks
    @SangamTalks  11 หลายเดือนก่อน +2

    Get your copy. Chanakya's Intelligence by Ravi Singh Choudhary amzn.eu/d/dCg3Dyz

  • @gooddayok
    @gooddayok 2 ปีที่แล้ว +21

    We need more videos on this subject - the speaker humbly presented a great amount of information in an hour.

  • @AhamBrahmaAsmi0025
    @AhamBrahmaAsmi0025 2 ปีที่แล้ว +4

    All your lectures are simply wow

  • @mohanrathod7470
    @mohanrathod7470 ปีที่แล้ว +2

    Wonderful .. excellent .. do share your knowledge treasure of our ancient Rishis & Gurus ..

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 ปีที่แล้ว

      You can refer my book Rishi Intelligence

  • @PB-lb4kj
    @PB-lb4kj ปีที่แล้ว +1

    I am so hooked up to listening you Raviji! I feel like becoming your student for the rest of my life. Let me know what I could do to contribute I. Becoming a particle of bringing Takeshila and Nalanda university level platform together!

  • @vanhannu
    @vanhannu ปีที่แล้ว +2

    Detailed explanation of every aspect is needed Ravi ji. Very informative session.

  • @ishaanrohmetra3447
    @ishaanrohmetra3447 ปีที่แล้ว +1

    this wisdom is incredibly important for students of any phase.
    this can be implemented in life to achieve any thing.
    nice lecture.

  • @11176
    @11176 2 ปีที่แล้ว +1

    🙏सत्यमेव जयते🇮🇳 💯
    🚩सर्वधर्म समभाव🤝जय हिन्दू राष्ट्र🙏🇮🇳💯

  • @jaalimsinhjaadejaa8283
    @jaalimsinhjaadejaa8283 2 ปีที่แล้ว +2

    बहुत सुंदर प्रयत्न 🙏🙏👍
    कुछ प्रश्नोत्तरी में व्याख्या सतही हो गई है ।
    वृद्धोपसेवा
    में वृद्ध का समाज रूढ़ अर्थ यानी बूढ़े लोग ऐसा समाजते है लेकिन वृद्ध अथवा कोई भी शब्द का निरुक्त अनुसार जो अर्थ है उसको समजके ही भावार्थ ध्वन्यार्थ शब्दार्थ को समाज सकते है क्योंकि पुरातन काल मे ऋषि साहित्य में स्लेंग टाइप लेंग्वेज का प्रयोग नही होता था मिथ्या मृषा इर्रेलेवन्ट एक भी अक्षर का उपयोग नही होता था।
    वृद्ध का अर्थ है बढ़ने वाला बढाहुआ
    अनुभव और ज्ञान में बढा हुआ ज्ञानवृद्ध सहअनुभवसह।
    हमारे यहां कहा जाता है कि
    जिस विषय में आपको दक्ष बनना है उस विषय के सिद्ध का सेवन करे ।
    सिद्ध की एक व्याख्या है कि जिसने थियरी को समजकर उसके एप्लाइड सायन्स समजकर उसको क्रियान्वित कर वास्विक सिद्धि कर ली है केवल शब्द ज्ञान नही
    "आचारो प्रथमो धर्म"
    आचरण प्रथम धर्म है
    अर्थ शास्त्र का प्रथम श्लोक है
    "अर्थे शुचिह् प्रथमो शुचि"
    आर्थिक व्यवहार में शुद्धि प्रामाणिकता नैतिकता
    शुचि की प्राथमिक आवश्यकता है यहां प्राथमिक का अर्थ प्राइमरी लेवल नही है
    लेकिन नींव की शुद्धि ऐसा है ।

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 2 ปีที่แล้ว

      प्रणाम 🙏😊, जी धन्यवाद

  • @peacockLife
    @peacockLife ปีที่แล้ว +1

    That is so true..

  • @ayushfigser
    @ayushfigser 11 หลายเดือนก่อน +1

    मौर्य का कुल क्षत्रिया और गोत्र ब्राह्मण का दर्ज है। 🙏🚩🚩

  • @Zenareeta
    @Zenareeta 2 ปีที่แล้ว +1

    Thanks to Ravi Ji for sharing his knowledge, really enjoyed it 🙏

  • @gokhalesadan
    @gokhalesadan 2 ปีที่แล้ว +2

    Thank you for sharing this. Look forward more on this topic

  • @shailiupadhyay64
    @shailiupadhyay64 2 ปีที่แล้ว +3

    Very nice, enlightenment
    Sir there is a request please 🙏 take a session on pushymitra shunga and his relation with boddh dharma

  • @meerasrinivasan1331
    @meerasrinivasan1331 2 ปีที่แล้ว +6

    Great analysis. We need to understand the concept behind Samkhya system and take the route he took to educate the king. Including it in our syllabus some schools can follow and establish education system based on it.

  • @jaalimsinhjaadejaa8283
    @jaalimsinhjaadejaa8283 2 ปีที่แล้ว +1

    एक देवीजी ने बहुत सही प्रश्न पूछा है कि यदि राजा मार्गभ्रष्ट हो जाये उद्दण्ड अन्यायी हो जाये तो उसके लिये क्या प्रावधान था न्यायपालिका नही थी राजा ही न्यायकर्ता था।
    और पहले से लेकर आज तक राजाओं में यह समस्या रही है
    भगवान परशुराम कृष्णभगवान को भी इसी लिए अवतार लेना पड़ा था।
    हालांकि पहले राजसत्त्ता के उपर धर्म सत्ता मार्गर्शक और जरूरत पड़ने पर दबाव बनाने के लिए थी लेकिन इसके लिए भी शक्ति बल की आवश्यकता मूल में रहती है ।अन्यथा राजा उसको नही मानता विद्रोह करता है उसमे श्रद्धा नही रखता बल और शक्ति से ही सब कुछ संचालित होता है ।
    पहले मंत्र बल तपोबल से युक्त श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ परम ज्ञानी लेकिन कोरे ज्ञानी नही तपोबल की तंत्र मंत्र संकल्प योग की शक्ति से सम्पन्न धर्माधिकारी ,ब्राह्मण ,ऋषि,मुनि का भय राजा को रहता था उनकी शक्तिओ के कारण ।पहले संकल्प बल से दंडित करने की शक्ति रहती थी बाद में मंत्र और तंत्र के बल से बाद में युक्ति ओ के बल से भ्रष्ट को दंडित किया जाता रहा ।
    लेकिन वे यदि इस तपस्या त्याग के बल से च्युत हो जाते है और राजा को उसकी शक्ति का अनुभव नही होता कोई भय नही रहता तब वह उनको टेकन फ़ॉर ग्रांटेड लेने लगता है।
    वे धर्माधिकारी जब लालचू , भोग विलास लिप्त बन जाते है तब राजा को सत्य कहने की शक्ति गंवा देते है।
    अपनी इन सभी भौतिक चीजो की प्राप्ति और सुरक्षा के लिए ही चिंतित रहने लगते है तब धिरे धीरे राजा प्रजा राज्य सब पतन प्राप्त होने लगता है ।
    चाणक्य ने ही कहा है कि जहां के संतो तपस्वियों को भ्रष्ट करदो वहां के राजा और राज्य सब नष्ट होने लगेगा ।
    ये सब लोग मस्तिष्क है और इसी के पतन के साथ ही भारत की अवनति शुरू हुई ।
    इस प्रकार के तपस्वी ओ के तप, संशोधन, ज्ञान विज्ञान की खोज समाजसेवा ,आर्त रोगी की सेवा उपचारादी विविध प्रकल्पों के लिए एकाग्रता चाहिए बऔर मूलभूत आवश्यकता ओ की चिंता नही रहेगी कमाने खाने की चिंता नही रहेगी तभी यह सब हो पायेगा इसी लिए राजा और प्रजा अन्न वस्त्र औषध शरीरश्रम से सेवा आदि की मूलभूत आवश्यकता उनकी पूरी करता था अनिवार्य कर्तव्य समजकर। और हमने उनको भिक्षुक भिखारी समजलिया ।
    उनमें से कुछ मार्ग भूलकर कर्तव्य भूलकर मुफ्तखोर भी बन जाते थे लेकिन इतनी एरर समाज चला लेता था ।ऐसे अपवादों के कारण उस पुरेवर्ग का दान धर्म बंद नही कर देता था ।जब अति हो जाती थी तब उसको दंडित भी किया जाता था अन्यथा उसको उनके हाल पर और ईश्वरीय कर्म दंड के अधिकारी समजकर निभा लिया जाता था।
    यह एक

  • @Girish012000
    @Girish012000 2 ปีที่แล้ว +1

    Great discourse

  • @PB-lb4kj
    @PB-lb4kj ปีที่แล้ว +1

    Ard you hoing to have the second session in this?

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 11 หลายเดือนก่อน

      My book is coming Sir. Chanakya's Intelligence 🙏

  • @swarupbanerjee6473
    @swarupbanerjee6473 2 ปีที่แล้ว +3

    Another great video 👍🏼

  • @aks9188
    @aks9188 2 ปีที่แล้ว +2

    Great 👍🏼👍🏼

  • @mrrishiraj88
    @mrrishiraj88 2 ปีที่แล้ว +1

    🙏🚩

  • @kamlaarora5640
    @kamlaarora5640 7 หลายเดือนก่อน

    Ethnicity of charvak darshan seems connected to ‘travelers on “silk route “ we come to enjoy after hard work so we do the maximim’. Seems the reason why Chanakya handed over the ‘Hindi belt’ to Rakshas’ Amatya! Sir?

  • @pavitraranjanswain4010
    @pavitraranjanswain4010 2 ปีที่แล้ว +3

    Wow the name of the Math was also written in English.

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 2 ปีที่แล้ว +1

      Foreigners are also coming here.

    • @pavitraranjanswain4010
      @pavitraranjanswain4010 2 ปีที่แล้ว

      @@rschoudhary108 : All foreigners are not from UK. So why English? This type of statements are for …..

  • @Sunny-rh6ik
    @Sunny-rh6ik 2 ปีที่แล้ว +2

    👍

  • @darkstar2871
    @darkstar2871 2 ปีที่แล้ว +3

    My heart pains to know that we once had such amazing universities like Takshila and Nalanda. And we lost them to barbarians.

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 2 ปีที่แล้ว

      It's time to rebuild it again piece by piece.

    • @darkstar2871
      @darkstar2871 2 ปีที่แล้ว +1

      @@rschoudhary108 Thanks Ravi. Is there any group where we can collaborate better? Probably there are many people who want to contribute through all means.

    • @PB-lb4kj
      @PB-lb4kj ปีที่แล้ว

      Goid thing is it is coming back slowly with the effort of Raviji like many scholars who are endlessly working towards it.

  • @TTT-uk3cn
    @TTT-uk3cn 2 ปีที่แล้ว +1

    Please get a good mic to get more viewers and to watch fully.No offence but mentioning by witnessing an experience.

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 2 ปีที่แล้ว

      Yes you are right. Absolutely right.

  • @mrrishiraj88
    @mrrishiraj88 2 ปีที่แล้ว +2

    🙏🚩🚩🌍🌒🌞

  • @matsyarajsingh6710
    @matsyarajsingh6710 10 หลายเดือนก่อน

    Ravi ji,
    Ancient bharat had great knowledge, prosperity, philosophy. Then why bharat was defeated by invaders who were less knowledgeable and capable?

  • @user-lp9vz6lu3t
    @user-lp9vz6lu3t ปีที่แล้ว

    its pertinent to note that pratham vidya school of yoga , sankhya , lokayat are atheist philosophy 😂😂 incredible india,

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 ปีที่แล้ว

      Physics does not talk about Chemistry.

  • @rajuray2823
    @rajuray2823 ปีที่แล้ว

    Hindi me bataye sir, English me batane wale bahut hai, hum Hindi walo ka uddhar kare

    • @rschoudhary108
      @rschoudhary108 ปีที่แล้ว

      आचार्य चाणक्य की प्रथम विद्या, ढूंढे यूट्यूब पर ।

    • @rajuray2823
      @rajuray2823 ปีที่แล้ว +1

      @@rschoudhary108 dhanyawad sir apke bahut achha batate

  • @ज्ञानयज्ञ-श2झ
    @ज्ञानयज्ञ-श2झ 2 ปีที่แล้ว +1

    🌏ved aur geeta ka gahan adhyayan karane ke baad
    mainne jo kuchh nishkarsh nikaala.
    usako lekar mein kaee saalon se baitha hoon .
    lekin dheere dheere yathaarth ujaagar ho raha hai .
    hamane kaha yahaan se yug parivartan hoga .
    main karoon na karoon
    par
    yug parivartan to ho raha hai .
    ek or vo manushy jo
    soory kaal se is prthvee par astitv mein hai ,
    doosaree or tum logon ka
    ye do - dhaee hazaar saal ka rona,
    in donon virodhaabhaason ko
    ek karane mein
    bahut bauddhik dukh jhelana padata hai.
    sanaatan aur hindoo
    ye doodh ek din phatega
    aur doodh - paanee alag-alag hoga .
    ham adharmiyon ka naash kar denge ,
    ham agyaanata ka aabhaav kar denge ,
    ham yathaarth prakat karake ,
    ye parde ke peechhe rahane vaale ,
    lipadee-chupadee zindagee jeene vaalon ka ,
    naash kar denge .
    ham yahaan ke raaja hai
    ham yug parivartan kar denge .
    tum log prakrti ke mohare ho
    prakrti ke gulaam ho ,
    prakrti ke vasheebhoot ho
    aur ham prakrti ko vash mein kar rahe hain .
    aravind jain
    geeta safaee abhiyaan
    वेद और गीता का गहन अध्ययन करने के बाद
    मैंने जो कुछ निष्कर्ष निकाला।
    उसको लेकर में कई सालों से बैठा हूँ ।
    लेकिन धीरे धीरे यथार्थ उजागर हो रहा है ।
    हमने कहा यहाँ से युग परिवर्तन होगा ।
    मैं करूँ न करूँ
    पर
    युग परिवर्तन तो हो रहा है ।
    एक ओर वो मनुष्य जो
    सूर्य काल से इस पृथ्वी पर अस्तित्व में है ,
    दूसरी ओर तुम लोगों का
    ये दो - ढाई हज़ार साल का रोना,
    इन दोनों विरोधाभासों को
    एक करने में
    बहुत बौद्धिक दुख झेलना पड़ता है।
    सनातन और हिन्दू
    ये दूध एक दिन फटेगा
    और दूध - पानी अलग-अलग होगा ।
    हम अधर्मियों का नाश कर देंगे ,
    हम अज्ञानता का आभाव कर देंगे ,
    हम यथार्थ प्रकट करके ,
    ये पर्दे के पीछे रहने वाले ,
    लिपड़ी-चुपड़ी ज़िंदगी जीने वालों का ,
    नाश कर देंगे ।
    हम यहाँ के राजा है
    हम युग परिवर्तन कर देंगे ।
    तुम लोग प्रकृति के मोहरे हो
    प्रकृति के ग़ुलाम हो ,
    प्रकृति के वशीभूत हो
    और हम प्रकृति को वश में कर रहे हैं ।
    अरविंद जैन
    गीता सफ़ाई अभियान
    After a thorough study of Vedas and Gita
    Some of the conclusions I made.
    I have been sitting with him for many years.
    But slowly the reality is coming out.
    We said that the era will change from here.
    i don't do
    Feather
    The era is changing.
    on the one hand the man
    The sun has existed on this earth since time immemorial,
    on the other hand you
    This cry of two and a half thousand years,
    these two contradictions
    in doing one
    A lot of intellectual suffering has to be suffered.
    Sanatan and Hindu
    this milk will burst one day
    And the milk and water will be different.
    We will destroy the wicked,
    We will make up for ignorance
    By revealing the truth,
    These people living behind the curtains,
    Of those who live a wrapped life,
    will destroy
    we are the king here
    We will change the era.
    you guys are the pieces of nature
    Be a slave to nature
    Be subdued by nature
    And we are subduing nature.
    Arvind Jain
    Gita Cleaning Campaign
    ویدوں اور گیتا کے گہرے مطالعہ کے بعد
    میں نے جو کچھ نتیجہ اخذ کیا ہے۔
    میں کئی سالوں سے اس کے پاس بیٹھا ہوں۔
    لیکن آہستہ آہستہ حقیقت سامنے آرہی ہے۔
    ہم نے کہا یہاں سے دور بدل جائے گا۔
    میں نہیں کرتا
    پنکھ
    دور بدل رہا ہے۔
    ایک طرف آدمی
    سورج اس زمین پر ازل سے موجود ہے،
    دوسری طرف آپ
    ڈھائی ہزار سال کا یہ فریاد
    یہ دو تضادات
    ایک کرنے میں
    بہت زیادہ فکری مصائب جھیلنا پڑتے ہیں۔
    سناتن اور ہندو
    یہ دودھ ایک دن پھٹ جائے گا۔
    اور دودھ اور پانی کا فرق ہوگا۔
    ہم ظالموں کو تباہ کر دیں گے
    ہم جہالت کی تلافی کریں گے۔
    حقیقت کو آشکار کرکے،
    پردے کے پیچھے رہنے والے یہ لوگ
    لپٹی زندگی گزارنے والوں میں سے
    تباہ کر دے گا
    ہم یہاں کے بادشاہ ہیں۔
    ہم دور بدلیں گے۔
    آپ لوگ فطرت کے ٹکڑے ہیں۔
    فطرت کے غلام بنیں۔
    فطرت کے تابع رہو
    اور ہم فطرت کو مسخر کر رہے ہیں۔
    اروند جین
    گیتا صفائی مہم

  • @skt1731
    @skt1731 2 ปีที่แล้ว +4

    Either speak in English or in Hindi. He is speaking in some perverted hybrid language which has unfortunately become a norm with the urban Indian youth.

    • @daddydope258
      @daddydope258 2 ปีที่แล้ว

      हिंदी और अंग्रेजी मिल रही है साथ मे जैसे संस्कृत और अन्य भाषाएँ मिल गयी ती सहस्त्रों वर्ष पूर्व

    • @skt1731
      @skt1731 2 ปีที่แล้ว

      @@daddydope258 Look, in every strong self-respecting country, from Japan to Russia to Germany to France to Brazil, people proudly speak in pure form of their own native national language, even though they may know and fluently speak English. English is of course very beneficial to highly diverse Indians, so they can communicate with each other across state and regional divides. But this mixing of English and Hindi is just garbage.

    • @Hayat208
      @Hayat208 2 ปีที่แล้ว +1

      India has over 30+ languages and does not have one language which is understood by all Indians. Hindi is generally the language of the north whereas English is generally understood by educated from south and east. Therefore, Ravi has to use Hinglish to reach more viewers, unfortunately.

    • @daddydope258
      @daddydope258 2 ปีที่แล้ว

      @@skt1731 मेरे बोलने ला अर्थ ये है की इतिहास कुद को पुनः दौरा रहा है पर इस बार अंग्रेजी भाषा के साथ

    • @manojkausal1
      @manojkausal1 2 ปีที่แล้ว +2

      Focus on essence,it's need of today to use mix language and as intent is to convey message,essence,greatness which gets conveyed.If anyone uses pure hindi 90%won't understand. We need to accept this reality.Grammer is graveyard of any language..is common proverb...Regards..

  • @asarma357
    @asarma357 2 ปีที่แล้ว

    No ! dharma is only vadic, when you don’t understand many civilization existed but never last, only vadic darma is a darma . It’s the only darma tells what is darma. Every religion like Islam or Christianity only tells you to fear and worship there made up god….please don’t confuse darmic is for vadic and non vadic is non darmic, only in darmic we can control our senses reading vadic books not any other there are many many Islamic nations and Christianity but you will not see sense controle on the contrary these religions countries are based on sense gratification