Tarapith Temple In Hindi : तारापीठ मंदिर वेस्ट बंगाल राज्य का एक प्रमुख मंदिर है जो कोलकाता से 264 किमी की दूरी पर बीरभूम में बहने वाली द्वारका नदी के किनारे स्थित है। आपको बता दें कि यह प्राचीन मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठ में से एक है और हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है जहां पर आज भी तांत्रिक अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। इस मंदिर में पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है और इस मंदिर में गरीब लोग काफी संख्या में आते हैं क्योंकि इस मंदिर में मुफ्त भोजन मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार यहाँ तारापीठ में माता सती के नेत्र का तार गिरा था इसलिए इस धार्मिक स्थल को नयन तारा मंदिर भी कहते हैं। पहले इस गांव का नाम चांदीपुर हुआ करता था लेकिन इसे अब तारापीठ में बदल दिया गया था क्योंकि बंगाली में नेत्रगोलक को तारा कहते हैं। तारापीठ मंदिर मां तारा को समर्पित है। हिंदू परंपराओं के अनुसार, मां तारा को महान ज्ञान के दस देवियों में से दूसरा माना जाता है और इन्हें ही कालिका, भद्र-काली और महाकाली के रूप में भी जाना जाता है। तारापीठ मंदिर रहस्यों और रोमांचक तथ्यों से भरा हुआ है। अगर आप तारापीठ मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें जिसमे हम आपको तारापीठ मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और मनाये जाने वाले विभिन्न उत्सव और पूजा के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं -
Jay tara ma nice video
Mujhe bhi man Tara ke darshan karni hai jai maa tara❤
Jao
Kya help kar sakata hu bolo
@@dipakkumarseth mujhe address location send kar dijiye Lucknow mein rahti
@Poojakanujiya ok
Tarapith Temple In Hindi : तारापीठ मंदिर वेस्ट बंगाल राज्य का एक प्रमुख मंदिर है जो कोलकाता से 264 किमी की दूरी पर बीरभूम में बहने वाली द्वारका नदी के किनारे स्थित है। आपको बता दें कि यह प्राचीन मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठ में से एक है और हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है जहां पर आज भी तांत्रिक अनुष्ठानों का पालन किया जाता है। इस मंदिर में पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है और इस मंदिर में गरीब लोग काफी संख्या में आते हैं क्योंकि इस मंदिर में मुफ्त भोजन मिलता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार यहाँ तारापीठ में माता सती के नेत्र का तार गिरा था इसलिए इस धार्मिक स्थल को नयन तारा मंदिर भी कहते हैं।
पहले इस गांव का नाम चांदीपुर हुआ करता था लेकिन इसे अब तारापीठ में बदल दिया गया था क्योंकि बंगाली में नेत्रगोलक को तारा कहते हैं। तारापीठ मंदिर मां तारा को समर्पित है। हिंदू परंपराओं के अनुसार, मां तारा को महान ज्ञान के दस देवियों में से दूसरा माना जाता है और इन्हें ही कालिका, भद्र-काली और महाकाली के रूप में भी जाना जाता है। तारापीठ मंदिर रहस्यों और रोमांचक तथ्यों से भरा हुआ है।
अगर आप तारापीठ मंदिर के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं तो इस लेख को जरुर पढ़ें जिसमे हम आपको तारापीठ मंदिर का इतिहास, वास्तुकला और मनाये जाने वाले विभिन्न उत्सव और पूजा के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं -