समाज ने आधुनिकता के चाव में परंपरागत ज्ञान और विधियों को नकारते हुए कई कार्यों की शुरुआत की, लेकिन अब उनके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। आइए इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं: 1. वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण परंपरा: हमारे पूर्वजों ने पीपल, तुलसी, नीम जैसे पेड़ों को पूजनीय मानकर उनकी रक्षा की। वृक्षारोपण के लिए शुभ महूर्त और मौसम का ध्यान रखा जाता था। आधुनिकता: अब वृक्षों को काटकर कंक्रीट के जंगल बनाए जा रहे हैं। वृक्षारोपण भी सिर्फ दिखावे के लिए होता है, बिना उचित स्थान या समय का ध्यान रखे। विनाश: आज जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और प्रदूषण जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। 2. शादी और पारिवारिक जीवन परंपरा: विवाह के लिए शुभ महूर्त, कुंडली मिलान और पारिवारिक सहमति का ध्यान रखा जाता था। यह संबंधों में सामंजस्य और स्थायित्व लाता था। आधुनिकता: अब लोग महूर्त और परंपराओं को नजरअंदाज कर अपनी सुविधानुसार विवाह करते हैं। विनाश: तलाक और रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है। परिवार टूट रहे हैं। 3. खेती और खाद्यान्न उत्पादन परंपरा: खेती पारंपरिक तरीकों से होती थी, जिसमें मौसम, चंद्रमा के चक्र और जैविक खाद का ध्यान रखा जाता था। आधुनिकता: रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग हो रहा है। विनाश: भूमि की उर्वरता घट रही है, पानी के स्रोत सूख रहे हैं, और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। 4. शिक्षा प्रणाली परंपरा: गुरु-शिष्य परंपरा में नैतिक शिक्षा और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया जाता था। आधुनिकता: शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने का साधन मान लिया गया है। विनाश: आज के युवा तनावग्रस्त हैं, और समाज में नैतिक मूल्यों की कमी हो रही है। निष्कर्ष: परंपराओं को पूरी तरह नकारना आधुनिकता नहीं है। आधुनिकता और परंपरा का संतुलन बनाकर ही समाज का विकास और स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सकता है।
जय श्रीराम। बिल्कुल सही । ज्यादातर लोग ब्राह्मण को लालची समझते हैं ।वे यह नहीं समझते कि इस व्यक्ति की वजह से आज मेरे घर में समस्त पित्रों , समस्त देवताओं का आवाहन हुआ है
आपने सही ज्ञान की बात कही है कयोकि। उनके भीखरच होते है शास्त्र मे बताया ग्रहा गाव नरेद्रासचव्ब्रामणासच बिशेशत जो ग्रहो का गाय का राजा का व्रामहण कीपूजा करते है उनका संमान होता है जो इनका अपमान करते है वे नसट हो जाते है शास्त्र मे ज्ञानकीचीजे सब केप्रति दया संतोष
🧘 Spirituality is the future of human and world °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°′°°°°°° TH-cam channels - Sanatan - The Eternal Gurudev Siyag's Siddha Yoga - GSSY 🚩 We expect a series of discussions on above subject .
Mere Pitaji ne toh Janeu Diwaar pe taang Diya hai 🙈.. Hamare Aas paas ke har ek Brahman Mans Machli Daru sab Khate Pite hai . Aur kya bole . Yahi halat hai .
Now a days Brahmins are not performing Swadharm. God has told in Geeta Swadharmam Nidhanum Shreyah. They are not performing Sandhya Vandanum and Gayatri Jap. If Brahman is performing Sandya, Gayatri with Nista, God will take care of Brahmins. Once I talked with a Brahmin from Delhi, he told that he not yet had Janeu Sanskar. How God will help Brahmins. Brahmins should perform Swadharmam Swadharmam Swadharmam. Rest God will take care Should not blame others.
*मनु 14 हैं सभी मनु अपने मनुस्मृति बनाए और अपने से 14 मनवंतर के अधिपति बन गए* *व्यास 28 हैं जिनमें पहले व्यास ब्रह्मा जी, दूसरे व्यास परासर जी हैं, व्यास जी की वंशावलि धृतराष्ट्र पांडु विदुर के वंशज हैं, तीसरे व्यास गुरु शुक्राचार्य जिनकी पुत्री देवयानी और राजा ययाति के वंशजों को ब्राह्मण ब्राह्मण नहीं मानते जिसके कारण 25 और व्यास अपने अपने मत पंथ सम्प्रदाय बनाकर लोगों को मूर्ख बनाने की परंपरा गुरु परंपरा का शुरुआत किया* *गुरु शुक्राचार्य की गुरु परंपरा में रावण से लेकर हजरत मुहम्मद के शिवभक्त चाचा तक गुरु परंपरा ही है* *जब से गुरु परंपरा का शुरुआत हुआ तब से राजभवनों सरकारी भवनों कार्यालयों विद्यालयों का अस्तित्व मूल पहचान मिट गया* *ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह ब्रह्माण्ड पीठाधीश्वर*
आपका वीडियो देखकर लगा कि भगवान राम ने गलत किया क्योंकि सापत ताड़त जबकि भगवान राम ने ब्राह्मण ( रावण) के सम्पूर्ण कुल का नाश कर दिया मात्र विभीषण को छोड़कर। विभीषण को क्यों छोड़ा______
समाज ने आधुनिकता के चाव में परंपरागत ज्ञान और विधियों को नकारते हुए कई कार्यों की शुरुआत की, लेकिन अब उनके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। आइए इसे कुछ उदाहरणों से समझते हैं:
1. वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण
परंपरा: हमारे पूर्वजों ने पीपल, तुलसी, नीम जैसे पेड़ों को पूजनीय मानकर उनकी रक्षा की। वृक्षारोपण के लिए शुभ महूर्त और मौसम का ध्यान रखा जाता था।
आधुनिकता: अब वृक्षों को काटकर कंक्रीट के जंगल बनाए जा रहे हैं। वृक्षारोपण भी सिर्फ दिखावे के लिए होता है, बिना उचित स्थान या समय का ध्यान रखे।
विनाश: आज जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा और प्रदूषण जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
2. शादी और पारिवारिक जीवन
परंपरा: विवाह के लिए शुभ महूर्त, कुंडली मिलान और पारिवारिक सहमति का ध्यान रखा जाता था। यह संबंधों में सामंजस्य और स्थायित्व लाता था।
आधुनिकता: अब लोग महूर्त और परंपराओं को नजरअंदाज कर अपनी सुविधानुसार विवाह करते हैं।
विनाश: तलाक और रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है। परिवार टूट रहे हैं।
3. खेती और खाद्यान्न उत्पादन
परंपरा: खेती पारंपरिक तरीकों से होती थी, जिसमें मौसम, चंद्रमा के चक्र और जैविक खाद का ध्यान रखा जाता था।
आधुनिकता: रासायनिक खाद और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग हो रहा है।
विनाश: भूमि की उर्वरता घट रही है, पानी के स्रोत सूख रहे हैं, और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
4. शिक्षा प्रणाली
परंपरा: गुरु-शिष्य परंपरा में नैतिक शिक्षा और व्यावहारिक ज्ञान पर जोर दिया जाता था।
आधुनिकता: शिक्षा को सिर्फ नौकरी पाने का साधन मान लिया गया है।
विनाश: आज के युवा तनावग्रस्त हैं, और समाज में नैतिक मूल्यों की कमी हो रही है।
निष्कर्ष:
परंपराओं को पूरी तरह नकारना आधुनिकता नहीं है। आधुनिकता और परंपरा का संतुलन बनाकर ही समाज का विकास और स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सकता है।
एकदम सत्य बात बोल रहे हैं
🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤
जय श्रीराम। बिल्कुल सही । ज्यादातर लोग ब्राह्मण को लालची समझते हैं ।वे यह नहीं समझते कि इस व्यक्ति की वजह से आज मेरे घर में समस्त पित्रों , समस्त देवताओं का आवाहन हुआ है
Ji bhai ji bilkul satya bat🙏🙏
Ati sundar
आपने सही ज्ञान की बात कही है कयोकि। उनके भीखरच होते है शास्त्र मे बताया ग्रहा गाव नरेद्रासचव्ब्रामणासच बिशेशत जो ग्रहो का गाय का राजा का व्रामहण कीपूजा करते है उनका संमान होता है जो इनका अपमान करते है वे नसट हो जाते है शास्त्र मे ज्ञानकीचीजे सब केप्रति दया संतोष
🧘
Spirituality is the future of human and world
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°′°°°°°°
TH-cam channels -
Sanatan - The Eternal
Gurudev Siyag's Siddha Yoga - GSSY
🚩
We expect a series of discussions on above subject .
Future Prediction and Guidance
Vartaman sankat aur uske baad ak naye Yug ka Sutrapaat kaise hoga
........ Shantikunj
(Acharya Shriram Sharma )
*
Govardhan Math , Puri
Har Ghar Gurukul
Aadityavahini , Pali
*
Koi bhi Rashtra adhyatma ke bagar jivit nahi rah sakta, kisi na kisi samay use apnana hi hoga ,
agar vah apna astitva banaye rakhana chahta hai to !
Naye Sanskriti ka uday raakh aur kankalo pe hoga
.......Babuji Maharaj
*
Bhavishya Malika
..... Journalist Guru
🧘🪔🌞💥🔥🏹🚩🌎🌍🙏
🙏
🙏🙏
बिल्कुल सत्य है,भाई साहब
जय हो विश्वकर्मा ब्राह्मणों की
Mere Pitaji ne toh Janeu Diwaar pe taang Diya hai 🙈.. Hamare Aas paas ke har ek Brahman Mans Machli Daru sab Khate Pite hai . Aur kya bole . Yahi halat hai .
Now a days Brahmins are not performing Swadharm. God has told in Geeta Swadharmam Nidhanum Shreyah.
They are not performing Sandhya Vandanum and Gayatri Jap.
If Brahman is performing Sandya, Gayatri with Nista, God will take care of Brahmins.
Once I talked with a Brahmin from Delhi, he told that he not yet had Janeu Sanskar. How God will help Brahmins.
Brahmins should perform Swadharmam Swadharmam Swadharmam.
Rest God will take care
Should not blame others.
*मनु 14 हैं सभी मनु अपने मनुस्मृति बनाए और अपने से 14 मनवंतर के अधिपति बन गए*
*व्यास 28 हैं जिनमें पहले व्यास ब्रह्मा जी, दूसरे व्यास परासर जी हैं, व्यास जी की वंशावलि धृतराष्ट्र पांडु विदुर के वंशज हैं, तीसरे व्यास गुरु शुक्राचार्य जिनकी पुत्री देवयानी और राजा ययाति के वंशजों को ब्राह्मण ब्राह्मण नहीं मानते जिसके कारण 25 और व्यास अपने अपने मत पंथ सम्प्रदाय बनाकर लोगों को मूर्ख बनाने की परंपरा गुरु परंपरा का शुरुआत किया*
*गुरु शुक्राचार्य की गुरु परंपरा में रावण से लेकर हजरत मुहम्मद के शिवभक्त चाचा तक गुरु परंपरा ही है*
*जब से गुरु परंपरा का शुरुआत हुआ तब से राजभवनों सरकारी भवनों कार्यालयों विद्यालयों का अस्तित्व मूल पहचान मिट गया*
*ब्रह्माण्डगुरु बीरेंद्र सिंह ब्रह्माण्ड पीठाधीश्वर*
कर्म प्रधान विश्व करी राखा। जो जस करहिं सो तस फल पावा।।
पंडित जी जीवन का उद्देश् धन कमाना नहीं है। वल्कि सच्चा मानव बनना है।
आपका वीडियो देखकर लगा कि भगवान राम ने गलत किया क्योंकि सापत ताड़त जबकि भगवान राम ने ब्राह्मण ( रावण) के सम्पूर्ण कुल का नाश कर दिया मात्र विभीषण को छोड़कर।
विभीषण को क्यों छोड़ा______
अपने को ब्रह्मान नहीं इंशान मानों।