आदरणीय गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा बहन आचार्य सुविधा जी बहन जी विनम्र निवेदन है आरएस वैदिक सिद्धांत बहुत बड़ा अंतर है हम महर्षि देव दयानंद के अनुयाई हैं आपसे अधिक तो नहीं कह सकता छोटा मुंह बड़ी बात होगी आप काफी समझदार हैं मैंने स्वयं अनुभव किया
वेदों में निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया। पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद कहां है उसके लिए वेद कहते हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेदों की आज्ञा है। लेकिन जो सृष्टि से भिन्न है उसका नाम धाम लीला क्या है उसका वेदों में वर्णन नहीं है।🎉🎉
यह समय सनातन को एक करने का है चिढ़ाने का नहीं हम सब हिंदू एक हैं ज्ञानी और अज्ञानी का अंतर है इस तरह कटाक्ष नहीं करना चाहिए ऐसे भजन गांव जो सब एक हो जाएं
अति सुन्दर महर्षि जी का 👏👏👏👏🙏🙏
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My फेवरेट bhajan
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बहुत सुंदर प्रस्तुति महर्षि देव दयानंद की जय कन्याओं को अभिवादन
Om namah shivaya
ओ३म् नमस्ते जी
बहुत ही सुन्दर
बहुत सुंदर प्रस्तुति मैं भी कन्या गुरुकुल में सन 1982 में पढ़ाया था
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आदरणीय गुरुकुल महाविद्यालय चोटीपुरा बहन आचार्य सुविधा जी बहन जी विनम्र निवेदन है आरएस वैदिक सिद्धांत बहुत बड़ा अंतर है हम महर्षि देव दयानंद के अनुयाई हैं आपसे अधिक तो नहीं कह सकता छोटा मुंह बड़ी बात होगी आप काफी समझदार हैं मैंने स्वयं अनुभव किया
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Very good Bhajan
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God bless you
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वेदों में निराकार साकार का ज्ञान है निराकार साकार माया है यजुर्वेद का मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया।
पूर्ण ब्रह्म सच्चिदानंद कहां है उसके लिए वेद कहते हैं जो पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है उसे ही जानो उसे ही मानो उसे ही ग्रहण करो उसकी जगह दूसरे को नहीं। यह वेदों की आज्ञा है।
लेकिन जो सृष्टि से भिन्न है उसका नाम धाम लीला क्या है उसका वेदों में वर्णन नहीं है।🎉🎉
नमस्ते जी ओ३म्
Ati sundar prastuti
Parantoo ye sab hamari janta ko samajh main nahi ayega kyonki hamari 50% janta adhik akalmand hai.
Thanks
Gazzzbbbbb
यह समय सनातन को एक करने का है चिढ़ाने का नहीं हम सब हिंदू एक हैं ज्ञानी और अज्ञानी का अंतर है इस तरह कटाक्ष नहीं करना चाहिए ऐसे भजन गांव जो सब एक हो जाएं
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सभी संस्कृत नहीं पढ़ सकते समझ सकते अतः उन्हें साधारण भाषा में महर्षि दयानंद सरस्वती के विचारों को समझना होगा
स्टेज पर बैठकर भजन गाने से अच्छा है आप घर घर जाकर हमारे अनपढ़ भाई बहनों में वेदों का प्रचार करें
Yaha be to acha or anpd nahi samjata h vad kay h