लोहार्गल धाम // प्राचीन तीर्थ स्थल लोहार्गल का इतिहास - जहां गले पांडवो के शस्त्र

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  • เผยแพร่เมื่อ 3 ต.ค. 2024
  • लोहार्गल धाम // प्राचीन तीर्थ स्थल लोहार्गल का इतिहास - जहां गले पांडवो के शस्त्र #youtube #vlog
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    लोहार्गल भारत के राजस्थान राज्य में शेखावाटी इलाके के झुन्झुनू जिले से 70 कि॰मी॰ दूर आड़ावल पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे से करीब दस कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। लोहार्गल का अर्थ है- वह स्थान जहाँ लोहा गल जाए। पुराणों में भी इस स्थान का जिक्र मिलता है। नवलगढ़ तहसील में स्थित इस तीर्थ 'लोहार्गल जी' को स्थानीय अपभ्रंश भाषा में लुहागरजी कहा जाता है। झुन्झुनू जिले में अरावली पर्वत की शाखायें उदयपुरवाटी तहसील से प्रवेश कर खेतड़ी, सिंघाना तक निकलती हैं, जिसकी सबसे ऊँची चोटी 1051 मीटर लोहार्गल में है।
    लोहार्गल- गाँव -



    लोहार्गल
    समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)देश भारतराज्यराजस्थान
    विभिन्न कोड
    • पिनकोड• 333303• गाड़ियां• आरजे १८
    तीर्थराज लोहार्गल में अनेक मंदिर है, और अपने आप में हर मंदिर की अपनी महिमा है, कोई मंदिर विशेष नहीं है और ना ही कोई मंदिर आम है,इन सब मंदिरों व गौमुख तथा वादियों को मिलाकर ही संपूर्ण लोहार्गल बनता है। आम श्रद्धालुओं के लिए सभी मंदिर प्रमुख है। बाबा मालकेतु की परिक्रमा जब 24 कोस ( 72 km ) में लगती है तो फिर ये कैसे किसी का निजी क्षेत्र हो सकता है।
    भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि को गोगा नवमी मनाई जाती है, इसी दिन से परिक्रमा प्रारंभ हो कर अमावस्या को सम्पूर्ण होती है,

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