भाई आप जिसको नाचना बोल रहे हो उसको कैफियत ( वज्द ) बोलते है जिसको आप जैसे नहीं समझ पाएंगे बिल्कुल इसी तरह वो कहावत मशहूर हे बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद बुरा मत मान ना मैने बस मिसाल दी हे
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی وفات کے 600 سال بعد شیخ محی الدین ابن عربی نے تصوف یعنی صوفی ازم کی بنیاد ڈالی اور وحدت الوجود کا فلسفہ لکھا ۔ اور اللہ تک رسائی حاصل کرنے کے لئے ( فنا فی الشیخ -فنا فی الرسول - فنا فی اللہ ) کی نیء ڈیزائن پیش کی ۔پھر کیا تھا دیکھتے ہی دیکھتے انڈیا بنگلادیش پاکستان اور افغانستان میں موجود چشتیہ قادریہ نقشبندیہ سہروردیہ جنیدیہ سلسلے والے سارے لوگ ولی بن گئے ۔ٹھیک ہے-لیکن جس راستے پر چل کر یہ لوگ ولی بنے ہیں وہ فنا فی الشیخ والا راستہ نہ قرآن کا فلسفہ ہے نہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم کی حدیث ہے ۔یہ تو سراسر شیخ محی الدین ابن عربی کا اپنا خودساختہ فلسفہ ہے۔ جولوگ غیر نبی کے راستے پر چل کر ولی بنے ہیں ان کی ولایت والی ڈگری پر سوال تو بنتا ہے ۔ صوفی ازم بھی ایک ازم ہے۔ جیسے بدھ ازم ،جین ازم ، پارسی ازم ۔ سکھ ازم ٹھیک ایسےہی صوفی ازم بھی ہے ۔ صوفی ازم چونکہ ایک ازم ہے اس لیےء صوفی ازم کے اپنے اصول اور ضابطے ہیں اور فلسفہ بھی ہے۔ صوفی مذہب کے اصول کے مطابق ( خالق ) اور (مخلوق ) میں کویء فرق نہیں ہے ۔ حضرت بایزید بسطامی فرماتے ہیں کہ خالق اور مخلوق ایک ہی زات کے دو جلوے ہیں۔ خالق ہی مخلوق ہے اور مخلوق ہی خالق ہے۔ اس لئے صوفی ازم میں ( اللہ ) اور ( بندہ ) والا رشتہ نہیں ہوتا ہے بلکہ یہ رشتہ (کُل ) اور ( جُز ) کا رشتہ ہوتا ہے ۔ جس طرح پانی کا قطرہ سمندر کا جُز ہوتا ہے ٹھیک ایسے ہی ہر انسان اللہ کا جُز ہوتا ہے - اسے وحدت الوجود کا فلسفہ کہتے ہیں ۔ اس لیےء صوفی مذہب میں ( خالق ) اور ( مخلوق ) میں فرق کرنا شرک ہے اور دونوں کو ایک ماننا توحید ہے ( اسے صوفیانہ توحید کہتے ہیں ) / اس لیےء( وحدت الوجود ) یہ - صوفی مذہب کا بنیادی کلمہ ہے۔ اس لئے صوفی بابا مرتے نہیں ہیں بلکہ ان کا ( وصال ) ہوتا ہے ۔ یعنی مرنے کے بعد صوفی بابا اپنے ہی وجود سے جا ملتے ہیں ۔ اس لیے صوفی بزرگوں کی یوم وصال پر ان کا عرس منایا جاتا ہے ۔ عرس کا مطلب صوفی بزرگ کی اللہ سے شادی کی سالگرہ - تصوف یعنی صوفی ازم دنیا کے سارے مذہب میں پایا جاتا ہے ۔ تصوف کے ( وحدت الوجود) کا عقیدہ دنیا کے سارے مذہب follow کرتے ہیں ۔ وحدت الوجود کے فلسفے کو ہندی میں अद्वैत वेदांत का सिद्धांत کہتے ہیں ۔ اور انگریزی میں Non Dualism Theory کہتے ہیں ۔ تصوف یعنی صوفی ازم کی عمارت شیخ محی الدین ابن عربی کے وحدت الوجود کے فلسفے پر کھڑی ہے ۔ اور اسلام کی عمارت نبی صلی اللہ علیہ وسلم کے واحدہٗ لاشریک کے فلسفے پر کھڑی ہے ۔ ہمارے مفتی مولوی اور علامہ وحدت الوجود کو صحیح العقیدہ مذہب مانتے ہیں اور واحدہٗ لاشریک کو بد عقیدہ اور بد مذہب مانتے ہیں ۔یہ سچایء لوگوں کو بتانا چاہیےء ۔ حوالہ کتاب -( فصص الحکم ) مصنف - شیخ محی الدین ابن عربی अद्वैत वेदांत दर्शन - مصنف آدی شنکر اچاریہ
🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -* *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
@@sayedubaid2690 🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -* *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
बतौरे तोहफा मेराज शरीफ मे हुजुरे पाक सल्ललाहो अलैहे वसल्लम पर पाँच वक्त की नमाज अता की गयी उम्मत को चाहिए की नमाज पढा करे हुजुर की आखो को ठन्डक पहुचाए आमीन
Quran padhte samjhte v ho k bs ratta hi marte ho 😅 kisne keh dia k Rasool saw meraz me namaz ka tohfa laane gye the ؟ namaz to Rasool saw ke tashreef lane se pehle hi tha roza namaz hazz sab pehle se hi tha
@@AzeemAfzaly Tum khud kitna Qur'an samajhte ho??? Qur'an ka nuzool 23 saal me hua, poore ahkam ek baar me nahi utar gaye. Meraj ke baad hi musalmano par namaz farz hui 15va para padhlo. Usse pehle Huzur ﷺ khud padhte sab par lazim nahi thi.
🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -* *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
@@NisarShaikh-n9htum apne ilm badao aur Ashaab-E-Alsuffa ke baare me ghaur karo....Aur Sufi Word pe ghaur karo... Rahi baat Hazrat ibnul arabi r.a. ki to aapka martaba aur knowledge sirf aqal se nahi jaan sakte Allah Paak ke hukm se ilm e baatin rakhne wale samajh sakte hain wo bhi Maula jitna chahe uski Marzi...
@@mdirfanniyazi6221 bohot hosiyar h rey tu yazid namaz padhta tha bolke namaz chod di 🥵 lekin NABI namaz padhte the bolke namaz pakad nahi pa raha h 🥵 aur bolta h hum NABI waley h wah rey munafiqat wah 😂
@@mdirfanniyazi6221 Yajid namaz padhta tha lekine Nabi pak or Ale rasoolallah pe bait nahi kiye or zakat nahi deta tha hak or batil ki bat hai yajid batil tha or hai
रसूल ए खुदा को देखना इबादत था मौला अली को देखना इबादत था मौला हसन को देखना इबादत था मौला हुसैन को देखना इबादत था मौला सरकार जैनुल आब्दीन को देखना इबादत था दीन ए मोहम्मद में सलात है नमाज़ तो मौलवियों ने गड़ी है
Kya Rasoolalah swa Sufi thay. Nahin. Shia thay. Nahin kya Sunni thay. Nahin. Kya Hanbali thay.Nahin. Hanafi thay. Nahin. Kya muslim thay. Han. So, I m a muslim only.
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने और हक़ बात है कि बगैर नमाजी की ज़िंदगी आख़िरत में बिल्कुल दूभर है। लेकिन बहुत लोगो की ऐसी जमात है जो पीरो को मानते है और नमाज़ नही पढ़ते अगर उन्हें समझाते है तो कहते है कि नमाज के अलावा भी बहुत सारे फ़र्ज़ है और इधर उधर की बाते समझाने लगते है। तो हम कहते है काहे की पीरी मुरीदी।
🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है * *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
@@HusianMomin ab aisa b ni h dost.. namaz apna amal h jo allah ko razi karne ke liye h.. jo na padhe wo na farman. Islam me ane ke liye namaz qubool karna shart nahi.. shart h allah ko Wahid la sharik. Muhammad bin Abdullah ko akhri rasoolallah ﷺ aur farishte Qayamat manna.. Aur jo namaz na padhe wo Qur'an ke hukm se jahannami magar allah ki rahmat se baksha b jaa skta h. Magar jo buniyadi shart se inkar kar jaye wo musalman nahi
Plumber mini God or bolta jab m sahaba ke time rehta toh abu bakar ya umar...mazAllah sahaba se compare apne aap ko karta. Uss wakt plumber rehta toh uska sari qalam hazrat umar r.a he karte. Gustakh-e-nabi . Or fargi peer ka radd ham log khud karte per plumber toh saccha wali, sahaba or mere sarkaar e do alam ka bhi gustakhi karta. Quran m h wali ka zikr bass wo wali nahi ho shakta jo quran hadith per nahi chalta
🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -* *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
दो चार बुज़ुर्ग साहब का नाम और उनकी किताब को ही मात्र दीन न समझे, पढ़ाई करें क़ुरान हदीस ख़ुद समझने वाले बनें, बदनाम आदमी तब होता है जब जब उसके मानने वाले आम आदमी पीर मुरीद के चक्कर में पड़कर असल को छोड़ कर नक़ल के पीछे भागता रहे,
अपनी बात में कुरान और हदीस का कहीं हवाला तो दे नहीं रहे हो, फलां रह o कह रहे हो, तो दीन हमारे نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم पर मुकम्मल हुआ या जिन लोगों का नाम इस्तेमाल कर रहे हो फलां पर ?? क्यों लोगो को गुमराह करते हो, अल्लाह ताला की पकड़ बहुत सख़्त है। 🔥🔥🌹🌹
🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -* *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
@@saadart9399 🟢 *مسلمانوں کے اولیاء اللہ* *تصوف کی تمام Text Books میں* *طریقت معرفت الٰہی کے نام سے جو* *نصاب ڈیزائن کیا گیا ہے وہ نصاب* *وحدت الوجود کا کلمہ لا موجودہ اِلَّا* *اللّٰہُ کے فارمولے پر ڈیزائن کیا گیا* *ہے . اؤر یہی کلمہ صوفی مذہب* *کی اصل پہنچان ہے* ۔ *اس لیےء صوفی کی نماز نماز نہیں ہے *_ _*_بلکہ نماز کی شکل میں مراقبہ_*_ _*_ہے_** ۔ مراقبہ میں فنا فی الشیخ کا* *تصور ہے ۔* *حضرت شیخ عبدالقادر جیلانی فرماتے* *ہیں کہ تُو اپنے شیخ کے تصور* *میں اس طرح گم ہوجا کہ تیرا شیخ* *تیرے دل میں جلواگر ہوجائے* ۔ *تصور شیخ میں ڈبکی لگاکر صوفی* *پر کشف طاری ہوتا ہے ۔ اپنے اس کشف* *کے ذریعے صوفی ایک لاکھ* *چوبیس ہزار پیغمبروں کو انتہائی* *قریب سے دیکھتا ہے* ۔ *یہ سہانا منظر دیکھ کر* *صوفی پر* *مدہوشی طاری ہوتی ہے ۔ مدہوشی* *کے آلم میں صوفی کبھی* *حالت سُکر تو کبھی حالت سہو میں* *چلے جاتا ہے* ۔ *صوفی کی نماز نماز نہیں بلکہ نماز* *کی شکل میں مراقبہ ہوتا ہے* ۔ *مراقبہ میں صوفی اللہ تعالٰی کے نام* *کی مالا جپتا ہے ۔ " اللہ اللہ* *اللہ ..."- لہزا اللہ اللہ کی تسبیح کرنے ** *سے صوفی اور اللہ کے* *درمیان* ( *خالق* ) *اور ( مخلوق* )* *کا ( فرق ) دھیرے* *دھیرے مٹنے لگتا ہے* ۔ *صوفی جس صفت کے ساتھ اللہ تعالٰی ** *کا ذکر کرتا ہے اللہ تعالٰی کی* *وہ** *تمام صفات کی استعداد صوفی کے اندر بالفعل جاری ہونے لگتی* *ہے* ۔ *اؤر اللہ تعالٰی اپنی تمام زات* *وصفات کے ساتھ صوفی پر اپنی* *تجلی فرماتا ہے . جس سے* *صوفی ذاکر اللہ تعالٰی کے ذاتی انوار کا* *اپنے اندر مشاہدہ کرتا ہے ۔ یعنی کہ* *صوفی اللہ تعالٰی کا ( جُز ) بن* *جاتاہے ۔* *انڈیا بنگلہ دیش پاکستان اؤر افغانستان* *میں موجود / چشتیہ* / *قادریہ / غوثیہ / جنیدیہ /* *نقشبندیہ / سہروردیہ / صابریہ وغیرہ* *سلسلے والے سارے لوگ اسی* *نہج پر اللہ تعالٰی کے ( جُز ) بنے ** *ہیں** - *حوالہ کتاب ۔ شرح فتوح الغیب* 🟢
इस्लाम में नमाज का दर्जा एसा है जैसा मानव शरीर में सिर का हिस्सा😊 क्या अपने बिना सिर वाला मानव देखा हैं नहीं ना,😊 ईमान 24*7 फ़र्ज़ लेकिन नमाज 5 वक्त 😊👍👍👍
Masha Allah Kya Baat Hai Janaab Baatein Aapki Bahut Hi Achchhi Lagi Jo Aapne Auliya Ke Hawale Se Ki Hai Alhamdulillah Main Bhi Isi Silsila Se Wabasta Hu Aaj Main Dekh Raha Hu Ki Jyada Tar Log Jo Bakaida Khalifa Bane Hue Hai Lekin Namazo Se Gaafil Hai Afsos Hota Hai Ki Jis Silsile Me Itne Jaleelokadr Auliya e Kaamileen Hai Jinhone Namaazo Lekar Itna Fikarmand Rahe Hai Aur Aaj Yah Jaahil Khalifa Jinhone Kabhi Apne Bujurgo Ki Sawaane Hayaat Ko Na Padha Na Samjha Na Hi Unke Nakshe Kadam Par Chalte Nazar Aa Rahe Hai Allah Se Dua Hai Ki In Logon Ko Hidayat Ata Kare Aameen Ya Rabbul Alameen
@@pathangulamjilanipathan9549 🟢 *مسلمانوں کے اولیاء اللہ* *تصوف کی تمام Text Books میں* *طریقت معرفت الٰہی کے نام سے جو* *نصاب ڈیزائن کیا گیا ہے وہ نصاب* *وحدت الوجود کا کلمہ لا موجودہ اِلَّا* *اللّٰہُ کے فارمولے پر ڈیزائن کیا گیا* *ہے . اؤر یہی کلمہ صوفی مذہب* *کی اصل پہنچان ہے* ۔ *اس لیےء صوفی کی نماز نماز نہیں ہے *_ _*_بلکہ نماز کی شکل میں مراقبہ_*_ _*_ہے_** ۔ مراقبہ میں فنا فی الشیخ کا* *تصور ہے ۔* *حضرت شیخ عبدالقادر جیلانی فرماتے* *ہیں کہ تُو اپنے شیخ کے تصور* *میں اس طرح گم ہوجا کہ تیرا شیخ* *تیرے دل میں جلواگر ہوجائے* ۔ *تصور شیخ میں ڈبکی لگاکر صوفی* *پر کشف طاری ہوتا ہے ۔ اپنے اس کشف* *کے ذریعے صوفی ایک لاکھ* *چوبیس ہزار پیغمبروں کو انتہائی* *قریب سے دیکھتا ہے* ۔ *یہ سہانا منظر دیکھ کر* *صوفی پر* *مدہوشی طاری ہوتی ہے ۔ مدہوشی* *کے آلم میں صوفی کبھی* *حالت سُکر تو کبھی حالت سہو میں* *چلے جاتا ہے* ۔ *صوفی کی نماز نماز نہیں بلکہ نماز* *کی شکل میں مراقبہ ہوتا ہے* ۔ *مراقبہ میں صوفی اللہ تعالٰی کے نام* *کی مالا جپتا ہے ۔ " اللہ اللہ* *اللہ ..."- لہزا اللہ اللہ کی تسبیح کرنے ** *سے صوفی اور اللہ کے* *درمیان* ( *خالق* ) *اور ( مخلوق* )* *کا ( فرق ) دھیرے* *دھیرے مٹنے لگتا ہے* ۔ *صوفی جس صفت کے ساتھ اللہ تعالٰی ** *کا ذکر کرتا ہے اللہ تعالٰی کی* *وہ** *تمام صفات کی استعداد صوفی کے اندر بالفعل جاری ہونے لگتی* *ہے* ۔ *اؤر اللہ تعالٰی اپنی تمام زات* *وصفات کے ساتھ صوفی پر اپنی* *تجلی فرماتا ہے . جس سے* *صوفی ذاکر اللہ تعالٰی کے ذاتی انوار کا* *اپنے اندر مشاہدہ کرتا ہے ۔ یعنی کہ* *صوفی اللہ تعالٰی کا ( جُز ) بن* *جاتاہے ۔* *انڈیا بنگلہ دیش پاکستان اؤر افغانستان* *میں موجود / چشتیہ* / *قادریہ / غوثیہ / جنیدیہ /* *نقشبندیہ / سہروردیہ / صابریہ وغیرہ* *سلسلے والے سارے لوگ اسی* *نہج پر اللہ تعالٰی کے ( جُز ) بنے ** *ہیں** - *حوالہ کتاب ۔ شرح فتوح الغیب* 🟢
Bahoot achchhi baat kiya saryat tareeqat par amal karney wala hi wilayat ka darja milta h aur Allah azz w jll aur Rasool Allah sallallahu alaihi wasallam ka qurb hasil hota h
@@alamsir2384 Barelvi fiqh considers daily prayers essential and does not support worshipping graves, only visiting for blessings. The Quran (49:6) urges verifying information before sharing to avoid harm. If you falsely accuse someone, repent by seeking forgiveness from Allah, apologizing, and resolving not to repeat it.
نہ ہی, اس طرح کی نماز نبی پاک علیہ وسلم نے پڑھی کبھی, نہ ہی صحابہ اکرام میں سے پڑھی یہ کونسی نماز تھی ایک زکوۃ پوری نہ کر سکے باقی لوگوں کی نماز پوری ہو گئی اللہ معاف کرے ہم سب کو اس طرح کے جھوٹے واقعہ بیان کر کر کے لوگوں کو گمراہ کیا جارہا ہے
🟡 *नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -* *फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -* *यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -* *सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -* *सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -* *सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -* *इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -* *इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -* *तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -* *वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* - *तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* - *हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -* *यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -* *हवाला किताब - फससुल हकम -* *Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी* *अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -* *आदि शंकराचार्य -* 🟡
@@wazaifkiduniya1134Assalamu Alaikum 🙂 Jai Hind 🇮🇳🫡 🌹 🤦♂️ AstagfiruLLah 🫣😱 narendra damodar daas modi ka naam Kyun Liya Aapne 😔😒 Jabh Tak EVM Voting Machine 🗳️ nahi hatega, tabhi Tak modi rahega 🙆♂️ 🌹✝️🪯🕉️☪️🤝⛪🏰🛕🕌🕋🤲🌹 Hyderabaad, TeLangana State Se 🌹🥰😇🌹🤝🌹👍
@@alirazaanjraulvi2804Pahali baat Iske bato ke khayal nahi hai ham Dusri baat jo namaj Chhodta hai wo gunahgar hai agar usne inkar kiya kafir ho jayega
@@alirazaanjraulvi2804dusri baat Gaushe Ajam rta Hamare peer e tarikat hai peer Sairiyat hai Peer e tarikat imam ajam Abu Hanif rta hai aur gaushe Ajam rta Imam safayi rta ke mukallid hai
@@alirazaanjraulvi2804bas unka naam lena jante hai inme se 1 ne bhi unki likhi kitab tak nahi padi.. adhe ilm inko ghar se mila hai jisme ye paida hue hai aur baki ka TH-cam par chila chila ke karamat batane wale logo se.. khud ka inke pas kuch knowledge nahi
اسلام علیکم بھائی میں پاکستان سے نقیبی سلسلہ میں بیعت ھوں الحمدللہ ۔۔۔اپ کی توجہ ایک غلطی کی طرف لے جانا چاہتا ھوں۔۔۔اوپر آپ کے یوٹیوب چینل کے بینر پر "حول مرشد" اور "حول حسن" لکھا ھے جبکہ یہ "ھوالحسن" اور "ھو المرشد" لکھنا چاہیے تاکہ مطلب میں فرق نہ آئے شکریہ
Astagfirullah Astagfirullah Astagfirullah...Allah sahi Elim ata formaye.....ham v fakir hai...but Quran k khilaf nehin..Quran main 82 baar salat k zikar hai ♥️
Mubarak ho 73 me se 72 namazi jahannum me dale jayege...rozana namaz ada karo.....lekin allah ki yaad se gafil na ho....wo jism nahi andar se dil ki kaifiyat dekhta... Or kisne kaha nek amal karne se allah razi hota h balke sahi aqeeda hi madare najat h... sufiyo ke ishq ke darjat tum kya jano.wo zahiri ibadat se parhez karte hai lekin ek lamhe k liye bhi allah ko bhulte nahi agarche neend me hi kyo na ho...
Jo namazi nahi wo asal me gumrah hai. Shaitani kabze me hai ab wo kisi bhi maslak ya firke ka kyo na ho. Allah ham sabhi muslmano ko namaz ka paband banaye.
5 waqt ki sahi waqt pr yani jab namaz ka waqt ho jay us namaz ko ada karna har musal man pe farz h har halat me (Allah pak hum sab ko 5waqt ki namaz ada karne ki taufeeq ata farmay,ameen. ❤❤❤❤❤
नमाजे इश्क़ का पढ़ना बड़ा ही दूस वार होता है। ये सजदा ए साए तलवार होता है।। चले खंजर,कटे गर्दन जुबां से ला इलाह निकले। नमाजी वो कहलाता है,जिसे दीदार होता है। हमारी नमाजें ऐसी नहीं हैं, बस हम पढ़ रहे हैं,अल्लाह उनको दुरुस्त और कुबूल करे ( आमीन )
Assalamu allium bhai bilkul theek farmaya aapane Hazrat Khwaja Hasan Meri walida hujur ke ke sage mamu hai Jo Apne Waqt ki BA Kamal Kamal hansti rahe hain aur vah namazi the
میرے بھاٸی یہ بات سچ ہے ۔ ہمارے علاقے میں سلسلہ جہانگیریہ ابوالعلاٸیہ کا خانقاہ ہے وہاں کے موجودہ سجادہ نشیں اور نہ ہی ان کے مرید نماز پڑھتے ہیں ۔۔۔۔۔۔
We should focus on uniting the Ummah rather than dividing it. When addressing people who may be following practices considered bidah, we should approach them with humility and respect. Educating others kindly is more effective than simply blaming, as blaming is easy but doesn’t help solve the issue. We should work actively to remove bidah from society through positive actions and education. So, instead of just pointing out faults, consider what steps you have personally taken to guide and support others toward a more authentic practice of Islam.
में भी इसी सिलसिला से मुरीद था लेकिन मेरे पर को जुम्मा या रमज़ान में नमाज पढ़ते हुए ही देखा है लेकिन छठी मनाते है और ग्यारवीं मनाते है और ढोल बाजे और कव्वाली खूब बजाते है और झूमते है यानी गोल गोल घूमते है और गादी जिस पर पीर साहेब बैठते है उसको सजदा करते है और चूमते है आप जिन Mansurul हसन साहेब का नाम ले रहे है वो भी पांच वक्त के नमाजी नहीं थे मुंबई में भांडुप में उर्स के वक्त जाकर देख लो , आधे से अधिक आपके खलीफा नमाज नहीं पढ़ते
Assalamualaikum Aapka pura video dekha .... MAASHA ALLAH bahot ache se aapne namaz ki ahmiyat bayan ki hai ❤ lekin 1 cheez samaj nhi aayi Jo apne ek waqia bataya hai k ek buzurg ne Isha ki namaz ki niyat ki or fajar tak qayam krte rahe ....is surat me to unki Isha qaza ho gayii....jawab zarur de
नमाज हर हाल में फ़र्ज़ है और नाचना किसी भी सूरत में फ़र्ज़ नहीं❤
भाई आप जिसको नाचना बोल रहे हो उसको कैफियत ( वज्द ) बोलते है
जिसको आप जैसे नहीं समझ पाएंगे
बिल्कुल इसी तरह
वो कहावत मशहूर हे
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद
बुरा मत मान ना
मैने बस मिसाल दी हे
@@allinone020 tum apni misal apne pas hi rakho tumhare liye kuch bhi mumkin hai
Kaise jahil ho tum sharam kro thoda nach gane wale insaan @@allinone020
@@allinone020.beserm.nachna.to.nachna.hai.usko.kya.samjhana
वज्द और नाच दोनो अलग इन्हें एक न बनाए
Allah in jaise logo se puri ummat ki hifazat farmaye
Ummat kon he? wahhabi? 😂😂😂 ya Devbandi? Ya Barelvi? ya Shia????
نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم کی وفات کے 600 سال بعد شیخ محی الدین ابن عربی نے تصوف یعنی صوفی ازم کی بنیاد ڈالی اور وحدت الوجود کا فلسفہ لکھا ۔ اور اللہ تک رسائی حاصل کرنے کے لئے ( فنا فی الشیخ -فنا فی الرسول - فنا فی اللہ ) کی نیء ڈیزائن پیش کی ۔پھر کیا تھا دیکھتے ہی دیکھتے انڈیا بنگلادیش پاکستان اور افغانستان میں موجود چشتیہ قادریہ نقشبندیہ سہروردیہ جنیدیہ سلسلے والے سارے لوگ ولی بن گئے ۔ٹھیک ہے-لیکن جس راستے پر چل کر یہ لوگ ولی بنے ہیں وہ فنا فی الشیخ والا راستہ نہ قرآن کا فلسفہ ہے نہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم کی حدیث ہے ۔یہ تو سراسر شیخ محی الدین ابن عربی کا اپنا خودساختہ فلسفہ ہے۔ جولوگ غیر نبی کے راستے پر چل کر ولی بنے ہیں ان کی ولایت والی ڈگری پر سوال تو بنتا ہے ۔ صوفی ازم بھی ایک ازم ہے۔ جیسے بدھ ازم ،جین ازم ، پارسی ازم ۔ سکھ ازم ٹھیک ایسےہی صوفی ازم بھی ہے ۔ صوفی ازم چونکہ ایک ازم ہے اس لیےء صوفی ازم کے اپنے اصول اور ضابطے ہیں اور فلسفہ بھی ہے۔ صوفی مذہب کے اصول کے مطابق ( خالق ) اور (مخلوق ) میں کویء فرق نہیں ہے ۔ حضرت بایزید بسطامی فرماتے ہیں کہ خالق اور مخلوق ایک ہی زات کے دو جلوے ہیں۔ خالق ہی مخلوق ہے اور مخلوق ہی خالق ہے۔ اس لئے صوفی ازم میں ( اللہ ) اور ( بندہ ) والا رشتہ نہیں ہوتا ہے بلکہ یہ رشتہ (کُل ) اور ( جُز ) کا رشتہ ہوتا ہے ۔ جس طرح پانی کا قطرہ سمندر کا جُز ہوتا ہے ٹھیک ایسے ہی ہر انسان اللہ کا جُز ہوتا ہے - اسے وحدت الوجود کا فلسفہ کہتے ہیں ۔ اس لیےء صوفی مذہب میں ( خالق ) اور ( مخلوق ) میں فرق کرنا شرک ہے اور دونوں کو ایک ماننا توحید ہے ( اسے صوفیانہ توحید کہتے ہیں ) / اس لیےء( وحدت الوجود ) یہ - صوفی مذہب کا بنیادی کلمہ ہے۔ اس لئے صوفی بابا مرتے نہیں ہیں بلکہ ان کا ( وصال ) ہوتا ہے ۔
یعنی مرنے کے بعد صوفی بابا اپنے ہی وجود سے جا ملتے ہیں ۔ اس لیے صوفی بزرگوں کی یوم وصال پر ان کا عرس منایا جاتا ہے ۔ عرس کا مطلب صوفی بزرگ کی اللہ سے شادی کی سالگرہ - تصوف یعنی صوفی ازم دنیا کے سارے مذہب میں پایا جاتا ہے ۔ تصوف کے ( وحدت الوجود) کا عقیدہ دنیا کے سارے مذہب follow کرتے ہیں ۔ وحدت الوجود کے فلسفے کو ہندی میں अद्वैत वेदांत का सिद्धांत کہتے ہیں ۔ اور انگریزی میں Non Dualism Theory کہتے ہیں ۔
تصوف یعنی صوفی ازم کی عمارت شیخ محی الدین ابن عربی کے وحدت الوجود کے فلسفے پر کھڑی ہے ۔ اور اسلام کی عمارت نبی صلی اللہ علیہ وسلم کے واحدہٗ لاشریک کے فلسفے پر کھڑی ہے ۔ ہمارے مفتی مولوی اور علامہ وحدت الوجود کو صحیح العقیدہ مذہب مانتے ہیں اور واحدہٗ لاشریک کو بد عقیدہ اور بد مذہب مانتے ہیں ۔یہ سچایء لوگوں کو بتانا چاہیےء ۔
حوالہ کتاب -( فصص الحکم ) مصنف - شیخ محی الدین ابن عربی
अद्वैत वेदांत दर्शन - مصنف آدی شنکر اچاریہ
ALLAH RAHAM KARE AISE GHALAT LOGON KI.
Aameen ya rab
Sufi Kufar kufat
सूफिज्म एक अलग ही मजहब है वरना एक मुसलमान को सिर्फ यही काफी है कि अल्लाह और उसके रसूल का हुक्म है
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -*
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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सूफी जम पीरी मुरीदी ये सब बकवास है जहां तक मैने सुना या पढ़ा है सूफी जम ने मुसलमानों का बेड़ा ही ग़र्क़ कर दिया
Sufiya hi haq hain
Iblees ko laakh aitraz
Namazi hussaini bhi
Yazeedi bhi
@@sayedubaid2690
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -*
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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बतौरे तोहफा मेराज शरीफ मे हुजुरे पाक सल्ललाहो अलैहे वसल्लम पर पाँच वक्त की नमाज अता की गयी उम्मत को चाहिए की नमाज पढा करे हुजुर की आखो को ठन्डक पहुचाए आमीन
Quran padhte samjhte v ho k bs ratta hi marte ho 😅
kisne keh dia k Rasool saw meraz me namaz ka tohfa laane gye the ؟
namaz to Rasool saw ke tashreef lane se pehle hi tha roza namaz hazz sab pehle se hi tha
@@AzeemAfzaly
Ab ye baat tune kis kitab me padha hai
@@AzeemAfzaly
Tum khud kitna Qur'an samajhte ho???
Qur'an ka nuzool 23 saal me hua, poore ahkam ek baar me nahi utar gaye.
Meraj ke baad hi musalmano par namaz farz hui 15va para padhlo.
Usse pehle Huzur ﷺ khud padhte sab par lazim nahi thi.
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -*
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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@@NisarShaikh-n9htum apne ilm badao aur Ashaab-E-Alsuffa ke baare me ghaur karo....Aur Sufi Word pe ghaur karo...
Rahi baat Hazrat ibnul arabi r.a. ki to aapka martaba aur knowledge sirf aqal se nahi jaan sakte Allah Paak ke hukm se ilm e baatin rakhne wale samajh sakte hain wo bhi Maula jitna chahe uski Marzi...
नमाज़ का इंकार करने वाला काफिर हो जाता है बिकुल सही बात है
Nahi galat namaz na padhny valy gunahgar h na ki kafir
Per namaz momin py ferz h naki sabhi py pahly momin bany phir namaz qoran ky havaly sy❤
Kaafi Ilm Haasil Hai Aapko Momin Aur Musalman Me Fark Kya Hai Iska Khulasa Bhi Kar Dijiye Janaab @@MdImam-r2f
Chahs momin ho ya na wo namaz har insan pe farz hai momin bhi tabhi banta hai jab insan namaz padhta hai samjha bevkuf@@MdImam-r2f
नमाज़ किसी भी हालत में माफ़ नहीं है।
Bilkul❤
जो नमाजी नही वो सूफी नही
Sufism ka Islam me koi jagah nahi ibn Arabi sabse pahle gumrahi me dala
@@alirazaanjraulvi2804 tu bhi gumrah.. sabse pahle sufi hazrat muhammad mustafa allah unhe salamat rakhe..
@@fiza_e_haq. Beta tumhari akal aur dimag kharab ho gya hai ham pagal ka jawab nahi dete Sufism kya hai yahi bta de
Bahut khoob
Namaz kabhi maaf nahi kisi ko maaf nahi
Kisko ye galat lagta hai
Allahpaak hum sabko paanch waqt ki namaz padhne ki taufeek de
Aameen Allahumaameen
Aaap kha se..? :+
बिना नमाज का शुफी हो ही नहीं सकता है
यजीद भी नमाज़ पढ़ता था उसके क्या कहोगे
@@mdirfanniyazi6221 ha to bewakoof iska matlab, kya tu namaz padhne se yazid ban jaega kya?
Bewakoof namaz fir bhi zaroori he. Farz he.
@@mdirfanniyazi6221 bohot hosiyar h rey tu yazid namaz padhta tha bolke namaz chod di 🥵
lekin NABI namaz padhte the bolke namaz pakad nahi pa raha h 🥵
aur bolta h hum NABI waley h wah rey munafiqat wah 😂
@@mdirfanniyazi6221 Yajid namaz padhta tha lekine Nabi pak or Ale rasoolallah pe bait nahi kiye or zakat nahi deta tha hak or batil ki bat hai yajid batil tha or hai
@@mdirfanniyazi6221Ab rafji Yazeed paleed lanti ko Imam e Hussain rta se mukabila kar ne lage
नमाज़ तो नबी सल्लाहु अलैहि वसल्लम को माफ़ नहीं है तो किसी और को क्या माफ़ होगी .... मेरे नबी के पैरो मे वरम आ जाते थे रात - रात भर नमाज पढ़ने से
रसूल ए खुदा को देखना इबादत था मौला अली को देखना इबादत था मौला हसन को देखना इबादत था मौला हुसैन को देखना इबादत था मौला सरकार जैनुल आब्दीन को देखना इबादत था
दीन ए मोहम्मद में सलात है नमाज़ तो मौलवियों ने गड़ी है
वली अल्लाह करामातें नहीं दिखा तें बलके सब्र सिखाते है सब्र करो अल्लाह की जात पर भरोसा रखो जादू दिखाना तो इब्लीस की औलादो का काम 🤣 है
Ye konsi hadish he jis me likha he ke hamare nabi ko namaz maaf nh he or agar aap ke paas koi hadeesh nh to firan touba kre
Hamre nabi pr bahotan mat lagaye juthe alimo se bache
@@HindustancrimeNews Khud ka naya Deen create kr chuke hai tumlog 😁😁😁
نماز کا منکر کا فرہے اورتارک گناہ کبیرہ کا مرتکب ہے
Wali wahi hai jise dekh ker namaj ki yaad ajaye 🎉🎉🎉
But Vali woh hai,usko dekh kar Allah yaad aaye.
Ghanta namaj farj hai apne waqt per
Subhan Allah.. Beshak Jo namazi Nahi wo Sufi nahi
Kya Rasoolalah swa Sufi thay. Nahin. Shia thay. Nahin kya Sunni thay. Nahin. Kya Hanbali thay.Nahin. Hanafi thay. Nahin. Kya muslim thay. Han. So, I m a muslim only.
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने और हक़ बात है कि बगैर नमाजी की ज़िंदगी आख़िरत में बिल्कुल दूभर है। लेकिन बहुत लोगो की ऐसी जमात है जो पीरो को मानते है और नमाज़ नही पढ़ते अगर उन्हें समझाते है तो कहते है कि नमाज के अलावा भी बहुत सारे फ़र्ज़ है और इधर उधर की बाते समझाने लगते है। तो हम कहते है काहे की पीरी मुरीदी।
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक * ( *खालिक) और ( मखलूक ) में कोई* *फर्क नही है ۔ हज़रत बा यज़ीद बुसतामी* *फरमाते हैं " खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* *खालिक ही मखलूक है और * *मखलूक* *ही* *खालिक है *
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है * *और दोनों को एक मानना तौहीद है * *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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@@NisarShaikh-n9h bhia kiya information di h ...jab allah or take rasool se Islam h yeh sb cheez duniyabi ho skti h isliye jyada serious nhi Leneja
@@Rehanofuniverse 🙏💚 से धन्यवाद 💐
इस्लाम में बहुत घोटाला है, अलग अलग रस्म है, इस्लाम की सच्चाई के लिए TH-cam पर exmuslim sahi official से साफ हो जायेगा
Bakwas
Jo namaz nahi pdhta wo Muslim nahi.... ❤❤
ab aisa b ni h dost
@@fiza_e_haq.
Farz bhi na Ada kre... Aur apne aap ko muslim bole.... Sahi Nahi
@@HusianMomin ab aisa b ni h dost.. namaz apna amal h jo allah ko razi karne ke liye h.. jo na padhe wo na farman. Islam me ane ke liye namaz qubool karna shart nahi.. shart h allah ko Wahid la sharik. Muhammad bin Abdullah ko akhri rasoolallah ﷺ aur farishte Qayamat manna..
Aur jo namaz na padhe wo Qur'an ke hukm se jahannami magar allah ki rahmat se baksha b jaa skta h. Magar jo buniyadi shart se inkar kar jaye wo musalman nahi
NAMAZ ka inkar karana Muslim nahi
NAMAZ Manta he padhta nahin woh gunahgar
Raji Allah Hu sahaba ko bola jata hai sahaba ke bad ke logon Ko Rahmatullah Alehe bool sakte hain yah to bahut galat baat bol rahe ho
किताबों का खुदा और है
जाली बाबो पीरो का खुदा और है
mirzaiyon ka mini khuda aur hai (Mirza) 😂
Dekha to nahi gaya. Jo dikhta hai wohi kaha jaata hai. Kitabon ko dikhane se kya fayda??
Plumber mini God or bolta jab m sahaba ke time rehta toh abu bakar ya umar...mazAllah sahaba se compare apne aap ko karta. Uss wakt plumber rehta toh uska sari qalam hazrat umar r.a he karte. Gustakh-e-nabi . Or fargi peer ka radd ham log khud karte per plumber toh saccha wali, sahaba or mere sarkaar e do alam ka bhi gustakhi karta. Quran m h wali ka zikr bass wo wali nahi ho shakta jo quran hadith per nahi chalta
@@BeautifulReligionIslam andh bhakti ka chasma utarte to engineer ko samajh te reference deta hai dekh liya kar to jaban khola kar
@@alirazaanjraulvi2804 mini khuda ke liye kounsa reference Diya Jo aapko bagair chashma ke Nazar aagaya
*सूफ़ी का नाम ,इबादत गुजार अल्लाह का खास बंदा है,वो बेनमाजी कैसे हो सकता हे ,अल्लाह अल्लाह, अल्लाहु अकबर❤❤❤❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
Beshaq
सुफीहमेशानमाजपङतेहै
LAANAT KI H AHLEY ABYET NE sufion ko 😊
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -*
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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@@NisarShaikh-n9hye kya copy paste kr rha tere hisab se sufi sahi hai ya nhi ye bata?
दो चार बुज़ुर्ग साहब का नाम और उनकी किताब को ही मात्र दीन न समझे, पढ़ाई करें क़ुरान हदीस ख़ुद समझने वाले बनें,
बदनाम आदमी तब होता है जब जब उसके मानने वाले आम आदमी पीर मुरीद के चक्कर में पड़कर असल को छोड़ कर नक़ल के पीछे भागता रहे,
Bahut hi behtareen batee subhanallah
नबी अखो की थनंडक नमाज है ओर हम पर फर्ज है❤
Nabi sallalahu alihieasallam ne farmaya jo namaz nhi padhta wo hamme se nhi
अपनी बात में कुरान और हदीस का कहीं हवाला तो दे नहीं रहे हो, फलां रह o कह रहे हो, तो दीन हमारे نبی کریم صلی اللہ علیہ وسلم पर मुकम्मल हुआ या जिन लोगों का नाम इस्तेमाल कर रहे हो फलां पर ?? क्यों लोगो को गुमराह करते हो, अल्लाह ताला की पकड़ बहुत सख़्त है। 🔥🔥🌹🌹
Saari duniya soon le kaan khol kar jees ne nabi ki shunnat se inkaar keeya use nabi se mohabbat nahi
पूरा कुरआन बार बार कहता है कि नमाज कायम करो, नमाज कायम करो!! अब उसके आगे कोई बहस नहीं
But log to namaz phadte h na ki kayem karte h
@OwiashKhan-s2u to aur kya matlab hua!! Ek hi baat hai
सिलसिला कोई भी हो सूफी हो या सन्त मुस्लिम है तो उसपर नमाज़ हर हाल में फ़र्ज़ है।
ہر سلسلے پر ہم تھوکتے ہیں
صرف ایک سلسلہ ہمارے لئے باعث نجات ہے
وہ سلسلہ صرف محمدﷺ کا ہے
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -*
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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Ye andaz thik nahin Allah hukm hai ki logon ko dawat hiqmat ke sath ham daee qaom hain daee naram mizaz hota hai
Subhanallah 😊😊😊😊😊😊
नमाज किसी हालत में भी माफ नहीं है सब पर फर्ज़ है
Excellent superb information provided by you thank you so much 💯
Hamare Aas Ki Khwaja Hasan Bharam Rakhna Tumare Hath Daste Abul Olai Hai Khwaja Hasan Jinda Baad
Mashallah subhanallah ❤❤❤❤
❤❤❤❤
Hazrat.hum.kya.us.anchal.me.mera.ghar.hai.jahan.door.tak.ahle.sunnat.wal.jamat.ki.masjid.nahi.hai.hum.to.badaqidon.kejamat.se.alag.ghar.me.namaz.parhten
Hain.mere.liye.kya.hukm.hai.
Hazrat.hum.kya.us.anchal.me.mera.ghar.hai.jahan.door.tak.ahle.sunnat.wal.jamat.ki.masjid.nahi.hai.hum.to.badaqidon.kejamat.se.alag.ghar.me.namaz.parhten
Hain.mere.liye.kya.hukm.hai.
@@mdirshad5751 aap gairo ki jamaat me jud sakte hai?? itna hi sawal apke jawab ke liye kafi h bhaii
صوفی حق پر ھے❤ جو اس راہ کا مسافر ھے وھی اس لزت کو جانے 🎉
❤❤❤❤❤❤👌👌🥰🥰beshak
@@saadart9399
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*مسلمانوں کے اولیاء اللہ*
*تصوف کی تمام Text Books میں* *طریقت معرفت الٰہی کے نام سے جو* *نصاب ڈیزائن کیا گیا ہے وہ نصاب* *وحدت الوجود کا کلمہ لا موجودہ اِلَّا* *اللّٰہُ کے فارمولے پر ڈیزائن کیا گیا* *ہے . اؤر یہی کلمہ صوفی مذہب* *کی اصل پہنچان ہے* ۔
*اس لیےء صوفی کی نماز نماز نہیں ہے *_ _*_بلکہ نماز کی شکل میں مراقبہ_*_ _*_ہے_** ۔ مراقبہ میں فنا فی الشیخ کا* *تصور ہے ۔*
*حضرت شیخ عبدالقادر جیلانی فرماتے* *ہیں کہ تُو اپنے شیخ کے تصور* *میں اس طرح گم ہوجا کہ تیرا شیخ* *تیرے دل میں جلواگر ہوجائے* ۔
*تصور شیخ میں ڈبکی لگاکر صوفی* *پر کشف طاری ہوتا ہے ۔ اپنے اس کشف* *کے ذریعے صوفی ایک لاکھ* *چوبیس ہزار پیغمبروں کو انتہائی* *قریب سے دیکھتا ہے* ۔
*یہ سہانا منظر دیکھ کر* *صوفی پر* *مدہوشی طاری ہوتی ہے ۔ مدہوشی* *کے آلم میں صوفی کبھی* *حالت سُکر تو کبھی حالت سہو میں* *چلے جاتا ہے* ۔
*صوفی کی نماز نماز نہیں بلکہ نماز* *کی شکل میں مراقبہ ہوتا ہے* ۔
*مراقبہ میں صوفی اللہ تعالٰی کے نام* *کی مالا جپتا ہے ۔ " اللہ اللہ* *اللہ ..."- لہزا اللہ اللہ کی تسبیح کرنے ** *سے صوفی اور اللہ کے* *درمیان* ( *خالق* ) *اور ( مخلوق* )* *کا ( فرق ) دھیرے* *دھیرے مٹنے لگتا ہے* ۔
*صوفی جس صفت کے ساتھ اللہ تعالٰی ** *کا ذکر کرتا ہے اللہ تعالٰی کی* *وہ** *تمام صفات کی استعداد صوفی کے اندر بالفعل جاری ہونے لگتی* *ہے* ۔ *اؤر اللہ تعالٰی اپنی تمام زات* *وصفات کے ساتھ صوفی پر اپنی* *تجلی فرماتا ہے . جس سے* *صوفی ذاکر اللہ تعالٰی کے ذاتی انوار کا* *اپنے اندر مشاہدہ کرتا ہے ۔ یعنی کہ* *صوفی اللہ تعالٰی کا ( جُز ) بن* *جاتاہے ۔*
*انڈیا بنگلہ دیش پاکستان اؤر افغانستان* *میں موجود / چشتیہ* / *قادریہ / غوثیہ / جنیدیہ /* *نقشبندیہ / سہروردیہ / صابریہ وغیرہ* *سلسلے والے سارے لوگ اسی* *نہج پر اللہ تعالٰی کے ( جُز ) بنے ** *ہیں** -
*حوالہ کتاب ۔ شرح فتوح الغیب*
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इस्लाम में नमाज का दर्जा एसा है जैसा मानव शरीर में सिर का हिस्सा😊 क्या अपने बिना सिर वाला मानव देखा हैं नहीं ना,😊 ईमान 24*7 फ़र्ज़ लेकिन नमाज 5 वक्त 😊👍👍👍
Masha Allah Kya Baat Hai Janaab
Baatein Aapki Bahut Hi Achchhi Lagi Jo Aapne Auliya Ke Hawale Se Ki Hai
Alhamdulillah Main Bhi Isi Silsila Se Wabasta Hu
Aaj Main Dekh Raha Hu Ki Jyada Tar Log Jo Bakaida Khalifa Bane Hue Hai Lekin Namazo Se Gaafil Hai
Afsos Hota Hai Ki Jis Silsile Me Itne Jaleelokadr Auliya e Kaamileen Hai Jinhone Namaazo Lekar Itna Fikarmand Rahe Hai
Aur Aaj Yah Jaahil Khalifa Jinhone Kabhi Apne Bujurgo Ki Sawaane Hayaat Ko Na Padha Na Samjha Na Hi Unke Nakshe Kadam Par Chalte Nazar Aa Rahe Hai
Allah Se Dua Hai Ki In Logon Ko Hidayat Ata Kare
Aameen Ya Rabbul Alameen
جو نماز نہیں پڑھتا وہ صوفی ہرگز نہیں ہو سکتا ۔
@@pathangulamjilanipathan9549
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*مسلمانوں کے اولیاء اللہ*
*تصوف کی تمام Text Books میں* *طریقت معرفت الٰہی کے نام سے جو* *نصاب ڈیزائن کیا گیا ہے وہ نصاب* *وحدت الوجود کا کلمہ لا موجودہ اِلَّا* *اللّٰہُ کے فارمولے پر ڈیزائن کیا گیا* *ہے . اؤر یہی کلمہ صوفی مذہب* *کی اصل پہنچان ہے* ۔
*اس لیےء صوفی کی نماز نماز نہیں ہے *_ _*_بلکہ نماز کی شکل میں مراقبہ_*_ _*_ہے_** ۔ مراقبہ میں فنا فی الشیخ کا* *تصور ہے ۔*
*حضرت شیخ عبدالقادر جیلانی فرماتے* *ہیں کہ تُو اپنے شیخ کے تصور* *میں اس طرح گم ہوجا کہ تیرا شیخ* *تیرے دل میں جلواگر ہوجائے* ۔
*تصور شیخ میں ڈبکی لگاکر صوفی* *پر کشف طاری ہوتا ہے ۔ اپنے اس کشف* *کے ذریعے صوفی ایک لاکھ* *چوبیس ہزار پیغمبروں کو انتہائی* *قریب سے دیکھتا ہے* ۔
*یہ سہانا منظر دیکھ کر* *صوفی پر* *مدہوشی طاری ہوتی ہے ۔ مدہوشی* *کے آلم میں صوفی کبھی* *حالت سُکر تو کبھی حالت سہو میں* *چلے جاتا ہے* ۔
*صوفی کی نماز نماز نہیں بلکہ نماز* *کی شکل میں مراقبہ ہوتا ہے* ۔
*مراقبہ میں صوفی اللہ تعالٰی کے نام* *کی مالا جپتا ہے ۔ " اللہ اللہ* *اللہ ..."- لہزا اللہ اللہ کی تسبیح کرنے ** *سے صوفی اور اللہ کے* *درمیان* ( *خالق* ) *اور ( مخلوق* )* *کا ( فرق ) دھیرے* *دھیرے مٹنے لگتا ہے* ۔
*صوفی جس صفت کے ساتھ اللہ تعالٰی ** *کا ذکر کرتا ہے اللہ تعالٰی کی* *وہ** *تمام صفات کی استعداد صوفی کے اندر بالفعل جاری ہونے لگتی* *ہے* ۔ *اؤر اللہ تعالٰی اپنی تمام زات* *وصفات کے ساتھ صوفی پر اپنی* *تجلی فرماتا ہے . جس سے* *صوفی ذاکر اللہ تعالٰی کے ذاتی انوار کا* *اپنے اندر مشاہدہ کرتا ہے ۔ یعنی کہ* *صوفی اللہ تعالٰی کا ( جُز ) بن* *جاتاہے ۔*
*انڈیا بنگلہ دیش پاکستان اؤر افغانستان* *میں موجود / چشتیہ* / *قادریہ / غوثیہ / جنیدیہ /* *نقشبندیہ / سہروردیہ / صابریہ وغیرہ* *سلسلے والے سارے لوگ اسی* *نہج پر اللہ تعالٰی کے ( جُز ) بنے ** *ہیں** -
*حوالہ کتاب ۔ شرح فتوح الغیب*
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Masha Allah
Bahut achchi jankari
Jazak Allah khair ❤❤❤❤❤
MashaAllah Shahe Alam sb
Allah Taalah hum sabko Panjagaana Namaz Padhne aur Shariyat ki Paabandi karne ki Taufiqe Ataa Farmaye
Aameen
Ameen
Bahoot achchhi baat kiya saryat tareeqat par amal karney wala hi wilayat ka darja milta h aur Allah azz w jll aur Rasool Allah sallallahu alaihi wasallam ka qurb hasil hota h
Main kise silsile ko target nahin karta lekin aapki maloomat bahut acchi hai
Kisi galat malumat ko durust kare warna sukhut(khamush) rahe
@@aneeshkhan926 jab silsila hai hi nahi to bura kahne ki bathi nahi
Allah ke siwa koi aur mabood nahi ❤...uske siwa koi ibadat ke layak nahi
Sabse aham sunnate rasool sa
Sunnate rasool sabse aham nahin sabse aham namaz hai...
Barelvi ke liye namaz padhna jaruri nhi hai..lekin qabar ki puja karna jaruri hai
Jhut bologe toa saza tum hi paoge akhirath me. Kitna zehar hai dil me tumare. Lagta hai wahabi hai 😂😂😂
Q tere baap ne bolaa Saudi wali ne 😅? Kuch b mat bol....Saudi ko shariyat manne wale aaj Barelvi ko kya batayenge
Shahi.bola.dhongi.baba.log.khate.hain.jahiri.tarike.se.aur.namaj.padhne.ko.bolo.to.bolenge.Roohani.tareake.se.padhli.jo.tum.log.nhi.dekh.sakte
बिलकुल सही
@@alamsir2384 Barelvi fiqh considers daily prayers essential and does not support worshipping graves, only visiting for blessings. The Quran (49:6) urges verifying information before sharing to avoid harm. If you falsely accuse someone, repent by seeking forgiveness from Allah, apologizing, and resolving not to repeat it.
Namaz sabko pdhni he koi bhi muslim he agr ,jo namaz nhi pdhta wo muslim he hi nhi chahe khudko kitna hi bada sufi khele
Subhan Allah jazak Allah khair ❤❤❤
نہ ہی, اس طرح کی نماز نبی پاک علیہ وسلم نے پڑھی کبھی, نہ ہی صحابہ اکرام میں سے پڑھی یہ کونسی نماز تھی ایک زکوۃ پوری نہ کر سکے باقی لوگوں کی نماز پوری ہو گئی اللہ معاف کرے ہم سب کو اس طرح کے جھوٹے واقعہ بیان کر کر کے لوگوں کو گمراہ کیا جارہا ہے
Bahut acha laga zyada tar logon kee sab log Namaz ko farz samjhte hain
Allah paak hme apne
🌹🌹 PEERO MURSHID🌹🌹 ke sadqe tufail se panch waqt namaz phadne ki taufiq ata farmay Aameen🤲❤
Modiji ke sadke bhi lelo, jahan peero murshid hain wahin Modi Ji bhi rahenge
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*नबी करीम सल्ललाहू अलैहे वसल्लम की* *वफ़ात के 600 साल बाद* *शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी ने* *( तसव्वुफ ) यानी कि सूफ़ी ईज़म की* *बुनियाद डाली और ( वहदतुल* *वजुद ) का फलसफा लिखा - और* *अल्लाह तक रसाई हासिल करने के लिए* - *( फ़ना फी शैख - फ़ना फी रसूल* - *फ़ना फी अल्लाह - ) की नई* *डिजाइन पेश की -*
*फिर क्या था देखते ही देखते इंडिया* *बंगलादेश पाकिस्तान और* *अफगानिस्तान में मौजूद - चिश्तिया -* *कादरीया - नक्षबंदिया - सोहरा वर्दीया* - *जुनैदिया -सिलसिले वाले सारे* *लोग (वली ) बन गए - ठीक है -* *लेकिन जिस रास्ते पर चल कर यह* *लोग ( वली ) बने हैं - वह फ़ना फी* *शैख वाला रास्ता न कुरान का* *फलसफा है और न नबी सल्ललाहू अलैहे* *वसल्लम की हदीस है -*
*यह तो सरासर शेख मोहियुदीन इब्ने* *अरबी का अपना खुद साख्ता* *( फलसफा ) है - जो लोग ग़ैर ए नबी के* *फलसफे पर चल कर ( वली ) बने हैं* *उनकी विलायत वाली डिग्री पर* ( *सवाल )* *तो बनता है -*
*सूफ़ी ईज़म भी एक ( ईज़म ) है - जैसे* *बुद्ध ईज़म - जैन ईज़म - पारसी* *ईज़म - सिख ईज़म - ठीक ऐसे* ही *- सूफ़ी ईज़म भी है -*
*सूफ़ी ईज़म चूंकि एक ईज़म है इस लिए* *सूफी ईज़म के अपने उसूल और* *ज़ाब्ते हैं - और फलसफा भी है -*
*सूफ़ी ईज़म के उसूल के मुताबिक *- ( -*-खालिक) और ( मखलूक ) में कोई-*- -*-फर्क नही है - हज़रत बा यज़ीद बुसतामी-*- -*-फरमाते हैं - "-** खालिक और* *मखलूक एक ही ज़ात के दो जल्वे* *हैं* - *खालिक ही मखलूक है - और -* *मखलूक* *ही* *खालिक है -*
*इस लिए सूफी ईज़म में ( अल्लाह ) और* ( *बंदे ) वाला रिश्ता नहीं होता है -* *बल्कि यह रिश्ता ( कुल ) और* ( *जुज़ ) का रिश्ता होता है - जिस तरह* *पानी का कतरा समुंदर का जुज़* *होता है - ठीक ऐसे ही - हर इंसान* *अल्लाह का जुज़ होता है - इसे* ( *वहदतुल वजुद ) का फलसफा* *कहते हैं - इस लिए सूफी* *मज़हब में ( खालिक ) और (मखलूक) में* *फरक करना शीर्क है -* *और दोनों को एक मानना तौहीद है -* *इसे* *( सुफियाना तौहीद ) कहते हैं -* *इस लिए - ( वहदतुल* *वजुद ) -यह सूफी मज़हब का बुनियादी* ( *कलमा ) है -*
*इस लिए सूफी बाबा ( मरते ) नहीं है -* *उन का ( विसाल ) होता है - यानी कि* *मरने के बाद सूफी बाबा अपने ही* ( *वजूद ) से जा मिलते हैं - इस लिए* *सूफी* *बुजुर्ग की यौमे विसाल पर* *उन का ( उर्स ) मनाया जाता है -* *उर्स का मतलब - सूफी बुजुर्ग की* *अल्लाह से शादी की सालगिरह -*
*तसव्वुफ यानी कि सूफ़ी ईज़म दुनिया के* *सारे मज़हब में पाया जाता है* - *तसव्वुफ के वहदतुल वजुद* का *( अकीदा ) दुनिया के सारे* *मज़हब फॉलो करते है -*
*वहदतुल वजुद के फलसफे को हिंदी में -* *अद्वैत वेदांत का सिद्धांत - कहते हैं* - *और अंग्रेजी में इसे -* *Non Dualism Theory -* *कहते हैं* -
*तसव्वुफ यानी कि -सूफी ईज़म की* *इमारत - शेख मोहियुदीन इब्ने अरबी के -* *वहदतुल वजुद - के फलसफे पर* *खड़ी है -* *और - इस्लाम की इमारत - नबी* *सल्ललाहू अलैहे वसल्लम के - वाहदहू* *ला* *शरीक - के कलमे पर खड़ी* *है* -
*हमारे मुफ्ती मौलवी और अल्लामा* *हजरात - वहदतुल वजुद - को - सही उल* *अकीदा - मज़हब मानते हैं - और -* *वाहदहू ला शरीक - को - बद अकीदा* *और - बद मज़हब - मानते हैं -*
*यह सच्चाई - लोगों को बताना चाहिए -*
*हवाला किताब - फससुल हकम -*
*Writer -शैख मोहियुदीन इब्ने अरबी*
*अद्वैत वेदांत दर्शन - लेखक -*
*आदि शंकराचार्य -*
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@@wazaifkiduniya1134Assalamu Alaikum 🙂 Jai Hind 🇮🇳🫡 🌹 🤦♂️ AstagfiruLLah 🫣😱 narendra damodar daas modi ka naam Kyun Liya Aapne 😔😒 Jabh Tak EVM Voting Machine 🗳️ nahi hatega, tabhi Tak modi rahega 🙆♂️ 🌹✝️🪯🕉️☪️🤝⛪🏰🛕🕌🕋🤲🌹 Hyderabaad, TeLangana State Se 🌹🥰😇🌹🤝🌹👍
Mashaallah
Good work
Beshak jo namaazi nahi woh kabhi Sufi ho hi nahi sakta.
Assalamu alaikum rahmatullahi wbarakatuh 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Peero ke peer bade peer ka farman hai jo namaz nahi padte hai ayse logo ko muslim khabrastan mea dafnana nahi
@@denikamanwartanews9211 kya tum gaus Pak ki tarah namaj padhte ho ya gyarahvin khane ke liye hi unko mante ho?
Beshaq
@@alirazaanjraulvi2804Pahali baat Iske bato ke khayal nahi hai ham Dusri baat jo namaj Chhodta hai wo gunahgar hai agar usne inkar kiya kafir ho jayega
@@alirazaanjraulvi2804dusri baat Gaushe Ajam rta Hamare peer e tarikat hai peer Sairiyat hai Peer e tarikat imam ajam Abu Hanif rta hai aur gaushe Ajam rta Imam safayi rta ke mukallid hai
@@alirazaanjraulvi2804bas unka naam lena jante hai inme se 1 ne bhi unki likhi kitab tak nahi padi.. adhe ilm inko ghar se mila hai jisme ye paida hue hai aur baki ka TH-cam par chila chila ke karamat batane wale logo se.. khud ka inke pas kuch knowledge nahi
Jaza a khair*
Jo Namazi nahi vo momin nahi
Shukriya bhai sahab Jo aapane itni acchi baat Ham Sabko batai
Subhan allah besak namaj ke bagair jindagi adhuri he namaj pancho waqt padhen amin 9:23 9:24
Shariyat e mustafa hai dahdi ek musht rakhna wazib hai...
Peeri , Faqirii Aur Mureedi ,,, Aaj Ke Taarikh me Ek Bahut Badaa Qarobaar Nan Chuka Hai
Tu pagala gaya hain,,,,
MashaAllah aaj aap ke zariye phli bar ye haqeeqat gani hm tablighi line se hn achhi gankari aap ne di .bht khushi hui gan kr.
Bohat khub mashallah, zarurat thi is video ki.
اسلام علیکم بھائی میں پاکستان سے نقیبی سلسلہ میں بیعت ھوں الحمدللہ ۔۔۔اپ کی توجہ ایک غلطی کی طرف لے جانا چاہتا ھوں۔۔۔اوپر آپ کے یوٹیوب چینل کے بینر پر "حول مرشد" اور "حول حسن" لکھا ھے جبکہ یہ "ھوالحسن" اور "ھو المرشد" لکھنا چاہیے تاکہ مطلب میں فرق نہ آئے شکریہ
Astagfirullah Astagfirullah Astagfirullah...Allah sahi Elim ata formaye.....ham v fakir hai...but Quran k khilaf nehin..Quran main 82 baar salat k zikar hai ♥️
Mubarak ho 73 me se 72 namazi jahannum me dale jayege...rozana namaz ada karo.....lekin allah ki yaad se gafil na ho....wo jism nahi andar se dil ki kaifiyat dekhta...
Or kisne kaha nek amal karne se allah razi hota h balke sahi aqeeda hi madare najat h... sufiyo ke ishq ke darjat tum kya jano.wo zahiri ibadat se parhez karte hai lekin ek lamhe k liye bhi allah ko bhulte nahi agarche neend me hi kyo na ho...
Abto,koi,chistya,panjegana,nahi, padta ❤❤❤
इसका खुलासा करना बहुत ही जरूरी था और आपने यह बात बताकर दुनिया को समझने की कोशिश की शरीयत अव्वल है माशाल्लाह सुभानल्लाह 🎉🎉🎉अल्हम्दुलिल्लाह।❤❤❤❤
Jo namazi nahi wo asal me gumrah hai. Shaitani kabze me hai ab wo kisi bhi maslak ya firke ka kyo na ho. Allah ham sabhi muslmano ko namaz ka paband banaye.
5 waqt ki sahi waqt pr yani jab namaz ka waqt ho jay us namaz ko ada karna har musal man pe farz h har halat me (Allah pak hum sab ko 5waqt ki namaz ada karne ki taufeeq ata farmay,ameen. ❤❤❤❤❤
नमाज वो शौक व जौ क है जो लगाए न लगे और बुझा ए न बुझे मानिंद इश्क ❤ की खामोश सदा ई है !
Bhai aap ye batay ki RaziAllah anhu kiske naam ke sath lagaya jata hai
MAASHA ALLAH TAALA
SUFIYA KE SACHCHEY GILAM HAIN AAP. 🎉🎉🎉🎉🎉
Haq murshid ya murshid ❤❤❤
Bahut umda bhai jazakallah
Gadar Sharif Kaur se Pak kab hai video banakar batao❤❤❤
Haqiqt me jo sufi wali hoga uska aram karna eak taraf or uske sare murido ki pawandi se namaz 5jgana padhna eak taraf
Sufe ka matlav khuda me kho jane wala jo khuda se he isk karta hai
Alhamdulillah beshak Allah Hu Akbar 🌹🌹🌹🌹🌹
Beshak
Bhut Shandar
Mashallah mashallah bahut achcha byan Laga namaz ke mutabik
❤❤
नमाजे इश्क़ का पढ़ना बड़ा ही दूस वार होता है।
ये सजदा ए साए तलवार होता है।।
चले खंजर,कटे गर्दन जुबां से ला इलाह निकले।
नमाजी वो कहलाता है,जिसे दीदार होता है।
हमारी नमाजें ऐसी नहीं हैं, बस हम पढ़ रहे हैं,अल्लाह उनको दुरुस्त और कुबूल करे ( आमीन )
Assalamu allium bhai bilkul theek farmaya aapane Hazrat Khwaja Hasan Meri walida hujur ke ke sage mamu hai Jo Apne Waqt ki BA Kamal Kamal hansti rahe hain aur vah namazi the
सुभानअल्लाह
😊😊
Bahot achchi video banai masha allah❤❤❤
बहुत शानदार!
Bhai AAP ko Allah salamat rakhe. Aameen. ❤❤❤❤❤
Sab molvi. Es tarika se nahi samjhata. Jai hind jai bharat ❤❤❤
ماشآءاللہ آپ کی گفتگو بہت اچھی ہوی۔
سلسلے کے تعلق سے بھی وضاحت ہو جائے کچھ لوگ کہتے ہیں کہ یہ سلسلہ منقطع ہے ؟
Kuraan ka farman nabi ki shunnat se jo eraaj kare who muslman nahi
माशाअल्लाह
❤❤❤❤🎉🎉
Super ❤
Beta aap ne bahut achha farmaya
Besaq subhan allah allah apko inka inaam apko sehat me tandeusti ata farmaye aa
Assalam o alaikum
mere abba hazrat sayyad sufi Mansoor ul Hasan (r.a. ) ke mureed hain
Alhamdulillah
ہر عاقل اور بالغ پر نماز فرض ہے
میرے بھاٸی یہ بات سچ ہے ۔ ہمارے علاقے میں سلسلہ جہانگیریہ ابوالعلاٸیہ کا خانقاہ ہے وہاں کے موجودہ سجادہ نشیں اور نہ ہی ان کے مرید نماز پڑھتے ہیں ۔۔۔۔۔۔
Boh muslim hai ya muslim hone ka dhong Racha rakha hai.Quran Karim parhta hai to Salat kaim karo ye dhongi bhul gaya kia
namaz her musalman per furz hai ya Allah her muslman ko namazi banade Ameen Ameen sumameen
Namaj ke bagair sufi kaisa
We should focus on uniting the Ummah rather than dividing it. When addressing people who may be following practices considered bidah, we should approach them with humility and respect. Educating others kindly is more effective than simply blaming, as blaming is easy but doesn’t help solve the issue. We should work actively to remove bidah from society through positive actions and education. So, instead of just pointing out faults, consider what steps you have personally taken to guide and support others toward a more authentic practice of Islam.
में भी इसी सिलसिला से मुरीद था लेकिन मेरे पर को जुम्मा या रमज़ान में नमाज पढ़ते हुए ही देखा है लेकिन छठी मनाते है और ग्यारवीं मनाते है और ढोल बाजे और कव्वाली खूब बजाते है और झूमते है यानी गोल गोल घूमते है और गादी जिस पर पीर साहेब बैठते है उसको सजदा करते है और चूमते है आप जिन Mansurul हसन साहेब का नाम ले रहे है वो भी पांच वक्त के नमाजी नहीं थे मुंबई में भांडुप में उर्स के वक्त जाकर देख लो , आधे से अधिक आपके खलीफा नमाज नहीं पढ़ते
Assalamualaikum
Aapka pura video dekha .... MAASHA ALLAH bahot ache se aapne namaz ki ahmiyat bayan ki hai ❤ lekin 1 cheez samaj nhi aayi Jo apne ek waqia bataya hai k ek buzurg ne Isha ki namaz ki niyat ki or fajar tak qayam krte rahe ....is surat me to unki Isha qaza ho gayii....jawab zarur de
Allah inko hidayat de or jo hidayat pe he unko in logo se hifazat kare