#शकूर_खान_नोहड़ी बहादुर और दिलेर लोकगीतों के माध्यम से हमेशा ज़िंदा रहेगे ! सकुर खां नोहड़ी गरबों को मसीहा था गरीबों को हक दिलाना बदमाशो का बादशाह लगता था भारत पाकिस्थान विभाजन के बाद कुछ ऐसे शक्श हुए जो सीमा के दोनों तरफ लोगों के दिलो में जिन्दा रहे है ! उनमे एक था शकूर खान नोहड़ी , वो जाया जन्मा तो सुंदरा भारत में था लेकिन दोनों तरफ उसकी धाक रही ! जो विभाजन के बाद से अपनी मौत तक सक्रिय रहा ! उसके लिए सिंध के मगरे और मारवाड़ के धोरे हमेशा परिचित रहे ! हिन्दुस्थान में दक्षणी बसिया( जैसलमेर में रामसिंगोत भाटियो के 12 गांव ) उसकी शरण रही ,! देवड़ा गांव में भी आज एक जगह है उसे शकूर का डेरा कहते है ऐसा लगभग बसिया के सभी गाँवो में है ! ऐसा इसलिए है की बसिया के भाटी जो तत्कालीन बरोटिये ( फरार, डाकू ) थे उनसे शकूर खान की अच्छी दोस्ती थी ! उसने बसिया के फरारो के साथ मिल कर सिंध और हिन्द को सेकड़ो बार लूटा ! सिंध में किसके पास सम्पति है और कैसे लूटना है ये जानकारी हमेशा शकूर खान को बसिया के बरोटियो देते थे शकूर खान की जबान के पीछे सिंध के सोढो और बसिया के भाटियों के रिश्ते होते रहे तारबन्दी के बाद तक ! सकुर खान ने कई राजपूत भाटीयों की शादी भी करवाई आजादी के बाद जो पाकिस्थान जाकर चोरी छिपे शादियां हुए उस बारात को बार्डर पार कराने की जिम्मेदारी शकूर खान की होती थी ! लगभग 35 साल पहले पाकिस्थान से शादी कर के लौटे 10-12 जोड़ो के साथ शकूर खान था , उस लौटती बारातों का ठहराव तेजमालता में हुआ उसी वक्त पुलिस ने पुरे गांव को घेर दिया और गांव के मौजिज लोगो से शकूर खान को सौपने को कहा और इनाम की पेशकस की , गांव के लोगो ने कहा हम इसका दुगुना पैसा आप को दे देंगे आप शकूर को छोड़ दो ! अगर नही मानोगे तो भी वो आपकी पकड़ में नही आयेगा ..! फिर शकूर खान को सभी बरोटियो ने मिलकर पुलिश घेरे से सकुशल निकाल दिया लेकिन उसका घोडा गोली लगने से मर गया ! फिर शकूर को बलोच जात के मुसलमानों ने पाकिस्थान में धोखे से मार दिया था ! आज भी शकूर खान का नाम आते ही बसिया में उसके साथियो की आँखे भर आती है ! नीचे एक लिंक है ये लोकगीत शकूर खान का है th-cam.com/video/YA-0LuOqcQI/w-d-xo.html
Rajasthan desh ki saan
❤️❤️❤️❤️❤️ Jannt Naseeb kar Allaha
बहुत ही अच्छा है
Ekbal khan
va sakur khan tera hosla bulnd tha aisa vir hona sahiye
भाई साहब चैनल को शेयर कीजिए सरप्राइज कीजिए लाइक कीजिए
नाइस
ऊ
Wha re wha sakur khan
Sodha sab aapka channel shandr hein aapse request hein jaisan ke surveer saput sanwal singh ji surveer sankara par video upload karwaaye gaane dohe subhraaz kaafi hein recording bhejtaa hu aapko
Hukm bhejo upload kar dege hukm 8769008438
भेजो हुक्म फोटो और रिकोटिंग हुक्म 8769008438
sakuro king
जय श्री हुक्म
Jiye re nalo sakur khan
Jai ho
Good
ओर कोयम्बटूर का सेर राजवीर सिंह सोडा
Nice
णभथ
Koi mujhe sakur khan ke bare me Kuch batayga mujhe story janani he
#शकूर_खान_नोहड़ी
बहादुर और दिलेर लोकगीतों के माध्यम से हमेशा ज़िंदा रहेगे ! सकुर खां नोहड़ी गरबों को मसीहा था गरीबों को हक दिलाना बदमाशो का बादशाह लगता था
भारत पाकिस्थान विभाजन के बाद कुछ ऐसे शक्श हुए जो सीमा के दोनों तरफ लोगों के दिलो में जिन्दा रहे है !
उनमे एक था शकूर खान नोहड़ी , वो जाया जन्मा तो सुंदरा भारत में था लेकिन दोनों तरफ उसकी धाक रही !
जो विभाजन के बाद से अपनी मौत तक सक्रिय रहा !
उसके लिए सिंध के मगरे और मारवाड़ के धोरे हमेशा परिचित रहे !
हिन्दुस्थान में दक्षणी बसिया( जैसलमेर में रामसिंगोत भाटियो के 12 गांव ) उसकी शरण रही ,!
देवड़ा गांव में भी आज एक जगह है उसे शकूर का डेरा कहते है ऐसा लगभग बसिया के सभी गाँवो में है !
ऐसा इसलिए है की बसिया के भाटी जो तत्कालीन बरोटिये ( फरार, डाकू ) थे उनसे शकूर खान की अच्छी दोस्ती थी !
उसने बसिया के फरारो के साथ मिल कर सिंध और हिन्द को सेकड़ो बार लूटा !
सिंध में किसके पास सम्पति है और कैसे लूटना है ये जानकारी हमेशा शकूर खान को बसिया के बरोटियो देते थे
शकूर खान की जबान के पीछे सिंध के सोढो और बसिया के भाटियों के रिश्ते होते रहे तारबन्दी के बाद तक ! सकुर खान ने कई राजपूत भाटीयों की शादी भी करवाई
आजादी के बाद जो पाकिस्थान जाकर चोरी छिपे शादियां हुए उस बारात को बार्डर पार कराने की जिम्मेदारी शकूर खान की होती थी !
लगभग 35 साल पहले पाकिस्थान से शादी कर के लौटे 10-12 जोड़ो के साथ शकूर खान था , उस लौटती बारातों का ठहराव तेजमालता में हुआ उसी वक्त पुलिस ने पुरे गांव को घेर दिया और गांव के मौजिज लोगो से शकूर खान को सौपने को कहा और इनाम की पेशकस की , गांव के लोगो ने कहा हम इसका दुगुना पैसा आप को दे देंगे आप शकूर को छोड़ दो !
अगर नही मानोगे तो भी वो आपकी पकड़ में नही आयेगा ..!
फिर शकूर खान को सभी बरोटियो ने मिलकर पुलिश घेरे से सकुशल निकाल दिया लेकिन उसका घोडा गोली लगने से मर गया !
फिर शकूर को बलोच जात के मुसलमानों ने पाकिस्थान में धोखे से मार दिया था !
आज भी शकूर खान का नाम आते ही बसिया में उसके साथियो की आँखे भर आती है !
नीचे एक लिंक है ये लोकगीत शकूर खान का है
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मदन
मोबाऐल नंबर देना चाहिए
8769008438
sakurkahnooo